Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: SuDharm Gyanmandir Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 481
________________ ३० ख) महावीर चरियं १५५ (ग) त्रिषष्टि. १०॥३७८ (क) आवश्यक मल. प. २७० (ख) महावीर चरियं प. १५६ २३६. (क) आवश्यक मलय. २७२ (ख) महावीर चरियं प. १५८।१ (ग) त्रिषष्टि. १०।३।२१५-२१८ २३७. (क) आवश्यक मल. प. २७३ (ख) महावीर चरियं, गुण. प. १५९ (क) आवश्यक मल. प. २७३ (ख) महावीर चरियं, गुण. प. १५९ (ग) त्रिषष्टि. १०।३।२५१ (क) आवश्यक मलय. टीका. २७३।२ (ख) त्रिषष्टि. १०।३।२५५-२६१ आवश्यक मल. व. प. २७३ (ख) महावीर चरियं, गुण. १७६ (क) आवश्यक मलय वृ. २७३ (ख) त्रिषष्टि. १०।३।२६६ (ग) उत्तरवाचालंतर वणसंडे चंडकोसिओ सप्पो। न डही चिंता सरणं जोइस कोवाहिजाओऽहं ।। --आवश्यक नियुक्ति गा. ४६७ २४२. (क) आवश्यक मलय. वृ. प. २७३ (ख) महावीर चरियं पृ. १७६ (ग) त्रिषष्टि. १०।३।२७२ से २७५ २४३. (क) उत्तरवाचाला नागसेण खीरेण भोयणं दिन्नं । सेयवियाए पदेसी पंचरहो णेज्जरायाणो ।। -आवश्यक नियुक्ति गा. ४६८ (ख) त्रिषष्टि. १०।३।२८० से २८६ (ग) आवश्यक मलय. वृत्ति. प. २७४।१ (घ) महावीर चरियं गुणचन्द्र प. १७७।१-२ २४४. (क) आवश्यक मलय. प. २७४११--२ (ख) महावीर चरियं प. १७८०१ (ग) वीरवरस्स भगवतो नावारूढस्स कासि उवसगं । मिच्छादिठ्ठिपरद्धो, कंबलसंबलेहि तित्थं च ॥ --निशीथ भाष्य, गा. ४२१८ पृ. ३६६ तृतीय भाग, प्र. सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा २४१. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526