Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: SuDharm Gyanmandir Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 489
________________ ३८ ३३८. भगवती सूत्र शतक ९ उद्दे० ३२, सू० ३७८ ३३९. सूत्रकृतांग श्रुत २, अ० ७ सू० ८१२ ३४०. तए णं से कालासवेसियपुत्ते अणगारे थेरे भगवंते वंदई, नमसइ, वंदित्ता नमंसित्ता चाउज्जामो धम्माओ पंचमहव्व इयं सपडिक्कमणं धम्म उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । __ --भगवती शत० १ उ० ९ सू० ७६ ३४१. भगवती शतक० २, उद्दे० १० A (क) औपपातिक टीका सू० ४, १८२--१९५ (ख) भगवती श० १४, उद्दे० ८ भगवती सूत्र श० २ उ० ५ भगवती सूत्र शत० ११ उ० ९ भगवती सूत्र शत० उ०१० भगवती सूत्र शतक २ उ० ५ भगवती शतक १२, उ० २ भगवती शतक १८ उद्दे० ३ भगवती सूत्र शतक १ उद्दे० ६ ३४२. संजय काम्पिल्यपुर का राजा था। इसका विस्तृत वर्णन उत्तराध्ययन १८ नेमिचन्द्रीय टीका में आया है। A 'सेय' राजा अमलकल्पा नगरी का स्वामी था। इसका विस्तृत वर्णन रायपसेणी (बेचरदास ____ जी द्वारा संपादित) सूत्र १० में आया है । B शिव हस्तिनापुर के राजा थे। भगवती सूत्र शतक १। उ० ९ में विस्तार से इसका वर्णन मिलता है C शंख मथुरा नगरी का राजा था। विस्तृत वर्णन देखें उत्तराध्ययन १२ नेमिचन्द्रीय टीका ३४३. समणेणं भगवया महावीरेणं अट्ठ रायाणो मुंडे भवेत्ता अगाराओ अणगारिअं पव्वाविया, तं०वीरंगय वीरजसे, संजयए, णिज्जए य रायरिसी सेयसिवे उदायणे तह संखे--कासिवद्धणे --स्थानाङ्ग, स्थान ८ सू० ७८८ ३४४. (क) ज्ञातृधर्मकथा अ० १ (ख) दशाश्रुतस्कंध १ (ग) आवश्यक चूणि, त्रिषष्टि शलाका० आदि में श्रेणिक के जीवन का विस्तृत वर्णन आता है। (घ) लेखक की पुस्तक मेघचर्याः एक अनुशीलन देखें । ३४५. अन्तकृत्दशा ३४६. त्रिषष्टि० १०।१०।१३६-१४८ पत्र १३४-१३५ ३४७. त्रिषष्टि० १०११०१८४ ३४८. सूत्रकृताङग टीका श्रु० २ अ० ६ प० १३६।१ ३४९. उत्तराध्ययन अ० १२ ३५०. अन्ततत्दशा १ ३५१. (क) सो चेडको सावओ --आवश्यक चूणि, उत्तरार्द्ध प० १६४ (ख) चेटकस्तु श्रावको -त्रिषष्टि० १०।६।१८८, प० ७७--२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526