Book Title: Agam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra
Author(s): Devendramuni
Publisher: SuDharm Gyanmandir Mumbai

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Page 485
________________ हत्थी हत्थिणियाओ पिसाए घोररूव वग्धो य । थेरो थेरी सूओ आगच्छइ पक्कणो अ तहा ।। खरवाय कलंकलिया, कालचक्कं तहेव य । पाभाइयमुवसग्गे, वीसइमे होति अणुलोमे ।। सामाणियदेविद्धि देवो दाएइ सो विमाणगओ। भणई वरेह महरिसि ! निप्पत्ती सग्गमोक्खाणं ।। --आवश्यक नियुक्ति गा० ५०२ से ५०५ २९५. आवश्यक नियुक्ति० ग० ५०६ से ५०७ २९६. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५०८ (ख) आवश्यक मलय० वृ. प० २९१ २९७. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५०९ (ख) आवश्यक मलय० प० २९२ २९८. आव० नि० गा० ५१०, आव० म० वृ० २९२ २९९. (क) महावीर चरियं, प्र० ७ प० २३० (ख) आवश्यक मल. प० २९२ ३००. (क) आ० नि० गा० ५११-- (ख) महा० चरि० प्र० ७ प० २३० ३०१. आव०नि० गा० ५१२ ३०२. महावीर चरियं प्र० ७ पु० २३१ । (ख ) त्रिषष्टि० १०।४।३०२ ३०३. (क) आवश्यक नि० गा० ५११ (ख) त्रिषष्टि० १०।४।३१९-३२० ज जजङ ३०४. आवश्यक नियुक्ति गा० ५ ३०५. जिनेश्वर सूरि कृत कथाकोष ३०६. (क) त्रिषष्टि १०।४।३४६ से ३५८ (ख) महावीर चरियं० प्र० ७ गा० १४ प० २३३ ३०७. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५१७ (ख) त्रिषष्टि १०।४।३७२ ३०८. (क) भगवती सूत्र शतक ३, उद्दे० २ (ख) देखिए कल्पसूत्र आश्चर्य वर्णन ३०९. (क) आवश्यक नियुक्ति० गा० ५१७-५१८ (ख) आवश्यक मलय० व० प० २९४ ३१०. (क) सामी य इमं एतारूवं अभिग्गहं अभिगेण्हति चउब्विहं दव्वतो, ४ दव्वतो कुंमासे सुप्पकोणेण, खित्तओ एलुगं विक्खंभइत्ता, कालओ नियत्तसु भिक्खायरसु भावतो जदि रायधूया दासत्तणं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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