Book Title: Agam 15 Upang 04 Pragnapana Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
View full book text
________________
१२
प्रज्ञापनासूत्रे स्तोका अप्कायिकाः पश्चिमेन, पौरस्त्येन विशेषाधिकाः, दक्षिणेन विशेषाधिकाः, उत्तरेण विशेषाधिकाः, दिगनुपातेन सर्वस्तोकाः तेजस्कायिकाः दक्षिणोत्तरेण, पौरस्त्येन संख्येयगुणाः, पश्चिमेन विशेषाधिकाः, दिगनुपातेन सर्वस्तोकाः बायुकायिकाः पौरस्त्येन, पश्चिमेन विशेषाधिकाः, उत्तरेण विशेषाधिकाः, दक्षिणेन विशेषाधिकाः, दिगनुपातेन सर्वस्तोकाः वनस्पतिकायिकाः पश्चिमेन पौरस्त्येन विशेषाधिकाः, दक्षिणेन विशेषाधिकाः, उत्तरेण विशेषाधिकाः, दिगनुपातेन पच्छिमेणं) सब से कम अप्कायिक पश्चिम में हैं (पुरच्छिमेणं विसेसाहिया) पूर्व में विशेषाधिक हैं (दाहिणेणं विसेसाहिया) दक्षिण में विशेषाधिक हैं (उत्तरेणं विसेसाहिया) उत्तर में विशेषाधिक हैं।
(दिसाणुयाएणं) दिशाओं की अपेक्षा (सब्बत्योया तेउकाइया) सब से कम तेजस्कायिक (दाहिणुत्तरेणं) दक्षिण-उत्तर में हैं (पुरच्छिमेणं संखेजगुणा) पूर्व में संख्यात गुणित ज्यादा (पश्चिमेणं विसेसाहिया) पश्चिम में विशेषाधिक हैं। ___(दिसाणुवाएणं) दिशाओं की अपेक्षा (सब्वत्थोया वाउकाइया पुरच्छिमेणं) सब से कम वायुकायिक पूर्व में (पच्छिमेणं विसेसाहिया) पश्चिम मेंविशेषाधिक (उत्तरेणं विसेसाहिया) उत्तर में विशेषाधिक (दाहिणेणं विसेसाहिया) दक्षिण में विशेषाधिक।
(दिसाणुवाएणं) दिशाओं की अपेक्षा (सव्वत्थोवा वणस्सइकाइया पच्छिमेणं) सब से कम वनस्पतिकायिक पश्चिम में हैं (पुरच्छिमेणं विसेसाहिया) पूर्व में विशेषाधिक (दाहिणेणं विसेसाहिया) दक्षिण में
पाथी माछ२०१४043 पश्चिममा छ (पुरच्छिमेणं विसेसाहिया) पूर्वमा विशेषा५ि४ छ (दाहिणेणं विसेसाहिया) क्षिामा विशेषाधि४ छ (उत्तरेणं विसेसाहिया) उत्तरमा विशेषाधि छ
(दिसाणुवाएणं) हिमानी अपेक्षाये (सव्वत्थोवा तेउकइया) साथी सोछ। ते४२४३४ (दाहिणुत्तरेणं) दक्षिण उत्तरमा छ (पुरच्छिमेणं संखेज्जगुणा पूर्वमा सज्यात गुणित वारे (पच्छिमेणं विसेसाहिया) पश्चिममा विशेषाधि छ
(दिसाणुवाएणं) हिमानी अपेक्षा (सव्वत्थोवा वाउपकाइया पुरच्छिमेणं) माथी माछ। वायुयि ५ मा (पच्छिमेणं विसेसाहिया) पश्चिममा विशेषाधि४ (उत्तरेणं विसेसाहिया) उत्तरमा विशेषाषि४ (दोहिणेणं विसेसाहिया) દક્ષિણમાં વિશેષાધિકા
(दिसाणुवाएणं) हिमानी अपेक्षाये (सव्वत्थोवा वणस्सइकाईया पच्छिमेणं) मधाथी । वनस्पतिय पश्चिममा छ (पुरच्छिमेणं विसेसाहिया)
શ્રી પ્રજ્ઞાપના સૂત્ર : ૨