Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 7
________________ सुवासगदसासु चत्तारि हिरण्णकोडीओ पवित्थरपउत्ताओ, चत्तारि धया दसगोसाहस्सिएणं वएणं होत्था ॥ ४ ॥ से णं आणन्दे गाहावई बहूणं राईसर जाव सत्थवाहाणं बहूसु कज्जेसु य कारणेसु य मन्तेसु य कुडुम्सु य गुज्झेसु य रहस्सेसु य निच्छएसु य ववहारेसु य आपुच्छणिज्जे पडिपुच्छणिज्जे सयस्स वि य णं कुडुम्बस्स मेढी पमाणं आधारे आलम्बणं चक्खू , मेढीभूए जाव सव्वकज्जवडूढावए यावि होत्था ॥ ५ ॥ तस्स णं आणन्दस्स गाहावास्स सिवनन्दा नाम भारिया होत्था, अहोण जाव सुरुवा। आणन्दस्स गाहावइस्स इट्ठा, आणन्देणं गाहावइणा सचिं अणुरत्ता अविरत्ता इट्ठा, सद्द जाव पञ्चविहे माणुस्सए कामभोए पञ्चणुभवमाणी विह तस्सणं वाणियगामस्स बहिया उत्तरपुरस्थिमे दिसीभाए पत्थ णं कोल्लाए नाम संनिवेसे होत्था, रिद्धस्थिमिय जाव पासादिए ४ ॥ ७॥ तत्थ णं कोल्लाए संनिवेसे आणन्दस्स गाहावइस्ल बहुए मित्तनाइनियगसयणसंबंधिपरिजणे परिवसइ, अइढे जाव अपरिभूए ॥ ८ ॥ . तेणं कालेणं तेणं समरणं भगवं महावीरे जाव समोसरिए । परिसा निग्गया। कूणिए राया जहा तहा जियसत्तू निग्गच्छइ, २ त्ता जाव पज्जुवासह ॥ ९ ॥ तए णं से आणन्दे गाहावई इमीसे कहाए लद्धटे समाणे " एवं खलु समणे जाव विहरइ, तं महाफलं, गच्छामि णं जाव पज्जुवासामि" एवं संपेहेह, २ त्ता पहाए सुद्धप्पावेसाई जाव अप्पमहग्यामरणालंकियसरीरे सयाओ गिहाओ पडि Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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