Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 17
________________ उकासपदसामु तप णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ बहिया जाव विहरह ॥ ६३ ॥ तए णं से आणन्दे समणोवासए जाए अमिगयजीवाजीवे जाव पडिलामेमाणे विहरह ॥ ६४ ॥ तए णं सा सिवनन्दा भारिया समणोवासिया जाया जाव पडिलामेमाणी विहरह ॥६५॥ तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स उच्चावहिं सीलव्धयगुणवेरमणपश्चक्खाणपोसहोववासेहिं अप्पाणं भावेमाणस्स चोइस संवच्छराई वीइकन्ताइ । पण्णरसमस्स संवच्छरस्स अन्तरा वट्टमाणस्स अन्नया कयाइ पुव्वरत्तावरत्तकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरमाणस्स इमेया. रूवे अज्झथिए चिन्तिए मणोगए सङ्कप्पे समुप्पजित्थाएवं खलु अहं वाणियगामे नयरे बहूर्ण राईसर जाव सयस्स वि य णं कुडुम्बस्स जाव आधारे। तं एएणं विक्खेवेणं अहं नो संचाएमि समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपण्णत्ति उवसंपजित्ताणं विहरित्तए। तं सेयं खलु ममं कल्लं जाव जलन्ते विउलं असणं ४, जहा पूरणो, जाव जेट्टपुत्तं कुडुम्बे ठवेत्ता, तं मित्त जाव जेहपुत्तं च आपुच्छित्ता, कोलाए संनिवेसे नायकुलंसि पोसहसालं पडिलेहित्ता, समणस्स भगवओ अन्तियं धम्मपण्णत्ति उवसंपजित्ताणं विहरित्तए"। एवं संपेहेइ, २ त्ता कल्लं विउलं तहेव जिमियभुत्तुसरागए तं मित्त जाव विउलेणं पुप्फ ५ सकारेड संमाणेइ, २ त्ता तस्सेव मित्त जाव पुरमओ जेद्वपुत्तं सद्दाबेह, २ त्ता पवं वयासी-" एवं खलु, पुत्ता ! अहं वाणियगामे बहूण राईसर जहा चिन्तियं जाव विहरित्तए । तं सेयं Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74