Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 37
________________ उवासगदसासु मायञ्चर, तुम्मे वि य णं इच्छर सामओ गिहाओ नीणेत्ता मम अग्गओ घाएराप, तं सेयं खलु ममं पयं पुरिसं गिबिहतप" ति कट्टु उद्धाइए । से वि य आगासे उप्पइप, मए वि य सम्मे आसाइए, महया महया सहेणं कोलाहले कए" ॥१०॥ तए णं सा भद्दा सत्थवाही चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी-नो खलु केइ पुरिसे तव जाव कणीयसं पुत्तं साओ गिहाओ नीणेइ, २ त्ता तव अग्गओ घापह, एस न केइ षुरिसे तव उवसग्गं करेइ, एस णं तुमे विदरिसणे दिटे। तं णं तुम इयाणि भग्गव्वर भग्गनियमे भग्गपोसहे विहरसि। तं गं तुमं, पुत्ता! एयरस ठाणस्स आलोपहि जाव पडिवजाहि ॥१४१॥ तए णं से चुलणीपिया समणोवासए अम्मगाए भद्दाए सत्थवाहीए "तह" त्ति एयम विणएणं पडिसुणेइ, २ त्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव पडिवज्जइ ॥१४२॥ तए णं से चुलणीपिया समणोवासए पढम उवासगपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । पढमं उवासगपडिम अहासुत्तं जहा आणन्दो जाव एक्कारसमं पि ॥१४३॥ तए णं से चुलणीपिया समणोवासए तेणं उरालेणं जहा कामदेवो जाव सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिसगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरस्थिमेणं अरुणप्पमे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । चत्तारि पलिओवमाईठिई पण्णत्ता। महाविदेहे वासे सिज्झिहिर ५ ॥१४॥ ॥निक्खेवो॥ ॥ तइयं चुलणीपियज्झयण समत्तं ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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