Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 40
________________ पश्चमे चुल्लसयए अज्झयणे। ॥ उक्खेवो ॥ एव खलु, जम्बू ! तेण कालेण तेण समएणं आलभिया नाम नयरी। सङ्खवणे उज्जाणे। जियसत्तू राया। चुल्लसयए गाहावई अढे जाव छ हिरण्णकोडोओ जावई वया दसगोसाहस्सिपणं वएणं । बहुला भारिया। सामी समोसढे। जहा आणन्दो तहा गिहिधम्म पडिवज्जइ । सेसं जहा कामदेवो जाव धम्मपण्णत्तिं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ ॥१५५॥ तपणं तस्स चुल्लसयगस्स समणोवासयस पुन्वरत्तावरत्तकालसमयंसि एगे देवे अन्तियं जाव असिं गहाय एवं वयासी-"हं भो! चुल्ल सयगा! समणोवासया!जावन भासि, तो ते अज्ज जे पुतं साओ गिहाओ नीणेमि," एवं जहा चुलणीपियं, नवरं-एक्केक्के सत्त मंससोल्लया, जाव कणीयसं जाव आयञ्चामि ॥१५६। तए णं से चुल्लसयए समणोवासए जाव विहरइ ॥१५॥ तए णं से देवे चुल्लसयग समणोवासयं चउत्थं पि एवं वयासी-"हं भो ! चुल्लसयगा ! समणोवासया ! जाव न भञ्जसि, तो ते अज्ज जाओ इमाओ छ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ छ वढिपउत्ताओ छ पवित्थरपउत्ताओ, ताओ साओ गिहाओ नीगेमि, २त्ता आलभियाए नयरीए सिंघाडा जाव पहेसु सत्रओ समन्ता विप्पारामि, नहा णं तु, अदुहट्टवसट्टे अकाले चेव जीवियाओं ववरोविज्जसि" ॥१५॥ तपणे से चुल्स यर समणोवासप तेणे देवेण एवं वुत्ते समाले अभीर जाव विहए ॥१५॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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