Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 33
________________ २८ उवासगदसासु " से णं, भन्ते ! कामदेवे ताओ देवलोगाओ आउक्खपणं भवक्खणं क्खिपणं अणन्तरं चयं चत्ता, कहिं गमिहिर, कहि उववज्जिहिर ?" " गोयमा, महाविदेहे वासे सिज्झिहिह”, ।। १२५।। ॥ निक्खेवो ॥ ॥ बीयं कामदेवज्झयणं समत्तं ॥ तइये चुलणी पियज्झयणे ॥ उक्खेवो ॥ एवं खलु, जम्बू ! तेणं कालेणं तेण समपर्ण वाणारसी नामं नयरी | कोट्टए चेइए । जियसत्तू राया ॥ १२६ ॥ | तत्थ णं वाणारसीए नयरीप चुलणीपिया नामं गाहावई परिवसह अड्ढे जाव अपरिभूए । सामा भारिया । अट्ठ हिरण्णकोडीओ निहाणपउत्ताओ, अट्ठ वड्ढि उत्ताओ, अट्ठ पवित्थर उत्ताओ, अट्ठ वया दसगोसाहस्रिणं वरणं । जहा आनन्दो राईसर जाव सव्वकज्जवड्ढाव यावि होत्था । सामी समोसढे । परिसा निग्गया । चुलणीपिया वि जहा आणन्दो तहा निग्गओ । तहेव गिहिधम्मं पडिवज्जइ । गोयमपुच्छा । तहेव सेसं जहा कामदेवस्स जाव पोसहसालाप पोसहिए बम्भचारी समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियं धम्मपत्ति उवसंपज्जित्ताणं विहरइ || १२७॥ तप णं तस्स चुलणीपियस्स समणोवासयस्स पुध्वरत्तावरतकालसमयसि एगे देवे अन्तियं पाउन्भूप ॥ १२८|| तपंण से देवे एगं नीलुप्पल जाव असिं गहाय चुलणीपियं समणोवासयं एवं वयासी - "हं भो ! चुलणीपिया ! समणोवासया ! जहा कामदेवो जाव न भजेसि, तो ते Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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