Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 20
________________ पढमे भागन्ने भजमयणे तेणेकालेणं तेणं समएणं समणस्स भगवओमहावीरस्स जेढे अन्तेवासी इन्दभूई नामं अणगारे गोयमगोत्ते णं सत्तु. स्सेहे, समच उरंससंठाणसंठिए, वज्जरिसहनारायसंघयणे, कणगपुलगनिघसपम्हगोरे, उग्गतवे, दित्ततवे, घोरतवे, महातवे, उराले, घोरगुणे, घोरतवस्ती, घोरबम्भचेरवासी, उच्छूढसरीरे, संखित्तविउलतेउलेसे, छटुंछटेणं अणिक्खि. सेणं तपोकम्मेणं संजमेणं तवसा अप्पाणं भावेमाण विहरह ॥ ७६ ॥ तए णं से भगवं गोयमे छक्खमणपारणगंसि पढमाए पोरिसीए सज्झायं करेइ, बिइयाए पोरिसीए झाणं झियाइ, सध्याए पोरिसीए अतुरियं अचवलं असंभन्ते मुहपति पहिलेहेइ, २त्ता भायणवत्थाई पडिलेहेइ, २ त्ता भायणवस्थाई पमज्जइ, २त्ता भायणाई उग्गाहेइ, २ ताजेणेव समणे भगवं महावीरे, तेणेव उवागच्छद, २ त्ता समणं भगवं महावीरं वन्दइ नमसइ, २त्ता एवं वयासी-" इच्छामि णं भन्ते ! तुब्भेहिं अब्भणुण्णाए छट्टक्खमणस्स पारणगंसि वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाइ घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडित्तए"। " अहासुह, देवाणुप्पिया ! मा पडिबन्धं करेह" ॥ ७७ ॥ तए पं भगवं गोयमे समणेणं भगवया महावीरेण अभ. गुण्णाए समाणे समणस्स भगवओ महावीरस्स अन्तियाओ दूइपलासाओ चेहयाओ पडिणिक्खमइ, २ त्ता अतुरियमचबलमसंभन्ते जुगन्तरपरिलोयणाए विट्ठीए पुरओ इरियं सोहेमाणे, जेणेव वाणियगामे नयरे, तेणेव उवागच्छा, २त्ता वाणियगामे नयरे उच्चनीयमज्झिमाई कुलाई घरसमुदाणस्स भिक्खायरियाए अडर ॥ ७८ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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