Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad
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जासादसासु “तए णं से आणन्दे समणोवासए इमेणं एयारूवेणं उरा लेणं विउलेणं पयत्तेणं पग्गहिएणं तवोकम्मेणं सुक्के जाव 'किसे धमणिसंतए जाए ॥ ७२ ॥
तएणं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाइ पुत्वरत्ता जाव धम्मजागरियं जागरमाणस्स अयं अज्झथिए ५-" एवं खलु अहं इमेणं जाव धमणिसंतए जाए । तं अस्थि ता मे उहाणे कम्मे बले वीरिए पुरिसकारपरकमे सद्धाधिहसंवेगे। तं जाव ता मे अस्थि उट्ठाणे सद्धाघिसंवेगे, जाव य मे धम्मायरिए धम्मोवएसए समणे भगवं महावीरे जिणेसु हत्थी विहरइ, ताव ता मे सेयं कल्लं जाव जलन्ते अपच्छिममारणन्तियसंलेहणाझूसियस्त, भत्तपाणपडियाइक्खियस्ल, कालं अणवकखमाणस्स विहरित्तए"। एवं संपेहेइ, २ त्ता कल्लं पाउ जाव अपच्छिममारणन्तिय० जाव कालं अणवकंखमाणे विहरइ ॥ ७३॥
तए णं तस्स आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्नया कयाइ सुभेणं अज्झवसाणेणं, सुभेणं परिणामेणं, लेसाहिं विसुज्झमाणीहि, तयावरणिज्जाणं कम्माणं खओवसमेणं ओहिनाणे समुप्पन्ने । पुरथिमेणं लवणसमुद्दे पञ्चजोयणसयाई खेत्तं जाणइ पासइ, एवं दक्खिणेणं पच्चत्थिमेणं च । उत्तरेणं जाव चुल्लहिमवन्तं वासधरपव्वयं जाणइ पालइ । उड्ढं जाव सोहम्मं कप्पं जाणइ पासइ । अहे जाव इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए लोलुयच्चुयं नरयं चउरासीदवाससहस्सहिइयं जाणइ पासइ ।। ७४॥
तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे समोसरिए । परिसा निग्गया जाव पडिगया ७५ ॥
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