Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 23
________________ उवासगदसासु चेव सव्वं कहेइ जाव । तए णं अहं संकिए ३ आणन्दस्स समणोवासगस्स अन्तियाओ पडिणिक्खमामि, २त्ता जेणेव इहं तेणेव हब्वमागए । तं ण, भन्ते ! किं आणन्देणं समणोवासपणं तस्स ठाणस्स आलोएयब्वं जाव पडिवज्जेयवं, उदाहु मए ?" "गोयमा!" इ समणे भगवं महावीरे भगवं गोयमं पवं वयासी-"गोयमा !(तुमं चेव णं तस्स ठाणस्स आलोएहि जाव पडिवज्जाहि, आणन्दं च समणोवासयं एयमट्ट खामेहि" ॥८६॥ तए णं से भगवं गोयमे समणस्स भगवओ महावीरस्स “तह" त्ति एयमहूं विणएणं पडिसुणेइ, २त्ता तस्स ठाणस्स आलोएइ जाव पडिवज्जइ, आणन्दं च समणोवासयं एयमढें खामेइ ॥८७॥ तए णं समणे भगवं महावीरे अन्नया कयाइ बहिया जणवयविहारं विहरइ ॥८॥ तए णं से आणन्दे समणोवासए बहूहिं सीलव्वरहिं जाव अप्पाणं भावेत्ता, वीर्स वासाई समणोवासगपरियागं पाउणित्ता, एकारस य उवासगपडिमाओ सम्मं कारणं फासित्ता, मासियाए संलेहणाए अक्षाणं झूसित्ता, सहि भत्ताई अणसणाए छेदेत्ता, आलोइयपडिकन्ते, समाहिपत्ते, कालमासे कालं किश्चा, सोहम्मे कप्पे सोहम्मवडिंलगस्स महाविमाणस्स उत्तरपुरस्थिमेणं अरुणे विमाणे देवत्ताए उववन्ने । तत्थ णं अत्थेगइयाणं देवाणं चत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता । तत्थ णं आणन्दस्स वि देवस्स यत्तारि पलिओवमाई ठिई पण्णत्ता ॥८९॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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