Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

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Page 25
________________ उवासगदसानु तए णं से देवे एर्ग महं पिसायरूवं विउव्वद । तस्स णं देवस्स पिलायरुवस्स इमे एयारवे वण्णावासे पण्णत्तेसीसं से गोकिलजसंठाणसंठियं, सालिमसेल्लसरिसा से केसा कविलतेएणं दिप्पमाणा, महल्लउट्टियाकभल्लर्सठाणसंठियं निडालं, मुंगुसपुंछ व तस्स भुमगाओ फुग्गफुग्गाओ विगयबीभच्छदं सणाओ, सीसघडिविणिग्गयाई अच्छीणि विगयबीभच्छदसणाई, कण्णा जहा सुप्पकत्तरं चेव विगयबीभच्छदसणिज्जा, उरभपुडसंनिभा से नासा, झुसिरा जमलचुल्लीसंठाणसंठिया दो वि तस्स नासापुडया, घोडयपुंछ व तस्स मंसूई कविलकविलाई विगयबीभच्छदसणाई, उहा उट्टस्स चेव लम्बा, फालसरिसा से दन्ता, जिम्मा जह सुप्पकत्तरं चेव विगयबीभच्छदसणिज्जा, हलकुडालसंठिया से हणुया, गल्लकडिल्लं च तस्स खड्डं फुट्ट कविळं फरुसं महल्लं, मुइङ्गाकारोवमे से स्वन्धे, पुरवरकवाडोवमे से वच्छे, कोहियासंठाणसंठिया दो वितरस बाहा, निसापाहाणसंठाणसंठिया दो वि तस्स अग्गहत्था, निसालोढसंठाणसंठियाओ हत्थेसु अङ्गुलीओ, सिप्पिपुडगसंठिया से नक्खा, पहावियपसेवओ व्व उरंसि लम्बन्ति दो वि तस्स थणया, पोटै अयकोढओ व्व वढें, पाणकलन्दसरिसा से नाही, सिक्कगसंठाणसं ठिए से नेत्ते, किण्णपुडसंठाणसंठिया दो वि तस्स वसणा, जमलकोहियासंठाणसंठिया दो वि तस्स ऊरू, अज्जुणगुटुं व तस्स जाणूई कुडिलकुडिलाई विगयबीभच्छदंसणाई, जंघाओ कक्खडीओ लोमेहि उवचियाओ, अहरीसंठाणसंठिया दो वि तस्स पाया, अहरीलोढसंठाणसं ठियाओ पापसु अङ्गलीमो, सिप्पिपुडसंठिया से नक्खा ॥९॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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