Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra
Author(s): Bechardas Doshi
Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ पढमे आणन्दे अज्झयणे तयाणम्तरं च णं उवभोगपरिभोगविहिं पञ्चक्खाएमाणे उल्लणियाविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ एगाए गन्धकासा. ईए, अवसेसं सम्वं उल्लणियाविहिं पच्चक्खामि ३" ॥२२॥ तयाणन्तरं च णं दन्तवणविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ पगेणं अल्ललट्ठीमहुएण, अवसेसं दन्तवर्णावहिं पच्चक्खामि ३" ॥ २३ ॥ तयाणन्तरं च णं फलविहिपरिमाणं करेइ-" नन्नत्थ पगेण खीरामलपणं, अवसेसं फलविहिं पञ्चक्खामि ३"॥२४॥ तयाणन्तरं च णं अभङ्गणविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ सयपागसहस्सपागेहिं तेल्लेहिं, अवसेसं अब्भङ्गणविहिं पच्चक्खामि ३" ॥ २५ ॥ तयाणन्तरं च णं उव्वट्टणविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ एगेणं सुरहिणा गन्धवट्टएणं, अवसेसं उचट्टणविहिं पच्चक्खामि ३" ॥ २६ ॥ तयाणन्तरं च णं मज्जणविहिपरिमाणं करेइ-'नन्नत्थ अट्टहिं उट्टिएहि उदगस्स घडपहि, अवसेस मज्जणविहिं पच्चक्खामि ३" ॥ २७ ॥ तयाणन्तरं च णं वत्थविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ एगेणं खोमजुयलेणं, अवसेसं वत्थविहिं पच्चक्खामि३॥२८॥ तयाणन्तरं च णं विलेवणविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ गरुकुमचन्दामादिपहि, अवसेसं विलेवविहिं पच्चबखामि ३" ॥ २९ ॥ तयाणन्तरं च णं पुप्फविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ एग्रेणं सुद्धपउमेणं मालइकुसुमदामेणं वा, अवसेसं पुप्फविहि पच्चक्खामि ३" ॥ ३० ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74