Book Title: Agam 07 Ang 07 Upashak Dashang Sutra Author(s): Bechardas Doshi Publisher: Prakrit Vidya Mandal Ahmedabad View full book textPage 9
________________ उवासगंदसासु तयाणन्तरं च णं थूलगं मुसावायं पच्चक्खाइ-"जावज्जीवाए दुविहं तिविहेण न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायला" ॥ १४ ॥ तयाणन्तरं च णं थूलगं अदिण्णादाणं पच्चक्खाइ-"जाव. ज्जीवाए दुविहं तिविहेणं न करेमि न कारवेमि मणसा वयसा कायसा" ॥ १५ ॥ ___ तयाणन्तरं च णं सदारसन्तोसोए परिमाणं करेइ"नन्नत्थ पक्काए सिवनन्दाए भारियाए, अवसेसं सवं मेहुणविहिं पच्चक्खामि ३" ॥ १६ ॥ (तयाणन्तर च णं इच्छाविहिपरिमाणं करेमाणे, हिरण्णसु. घण्णविहिपरिमाणं करेइ-" नन्नत्थ चरहिं हिरण्णकोडीहिं निहाणपउत्ताहिं, चउहिं वढिपउत्ताहि, चउर्हि पवित्थरपउ. साहि, अवसेसं सवं हिरण्णसुवण्णविहिं पच्चक्खामि॥१७॥ तयाणन्तरं च णं चउप्पयविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ चउहि वरहिं दसगोसाहस्सिपणं वएणं अवसेसं सव्व चउपपयविहिं पच्चक्खामि ३" ॥ १८ ॥ तयाणन्तरं च णं खेत्तवत्थुविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ पञ्चहिं हलसरहिं नियत्तणसइपणं हलेणं, अवसेसं सव्वं खेत्तवत्थुविहिं पञ्चक्खामि ३" ॥ १९ ॥ तयाणन्तरं च णं सगडविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ पञ्चहिं सगडसएहिं दिसायत्तिपहिं, पञ्चहि सगडसएहिं संवाहणिएहिं, अवसेसं सम्वं सगडविहिं पञ्चक्खामि ३'॥२०॥ ___ तयाणन्तरं च णं वाहणविहिपरिमाणं करेइ-"नन्नत्थ चउहि बाहणेहिं दिसायत्तिपहिं, चउहिं वाहणेहिं संवाहणि. पहि, अवसेस सव्वं वाहणविहिं पञ्चक्खामि ३" ॥ २१ ॥ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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