Book Title: Agam 05 Ang 05 Bhagvati Vyakhya Prajnapati Sutra Part 02 Stahanakvasi
Author(s): Madhukarmuni
Publisher: Agam Prakashan Samiti

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Page 10
________________ प्रकाशकीय समिति की ओर से प्रकाशित आगम बत्तीसी के अनुपलब्ध ग्रन्थों के तृतीय संस्करण प्रकाशित करने के क्रम में व्याख्याप्रज्ञप्तिसूत्र का यह द्वितीय खण्ड प्रस्तुत कर रहे हैं । यह ग्रन्थ द्वादशांगी के पंचमस्थान पर है। अन्य आगम ग्रन्थों की अपेक्षा यह विशालकाय है और वर्ण्य विषयों की बहुलता एवं विविधता के कारण गम्भीर भी है। इतना होने पर भी संक्षेप में कहा जाये तो यह ग्रन्थ जैन-दर्शन- धर्म - आचार-विचार के सिद्धान्तों का प्ररूपक होने से कोष जैसा है । इसीलिए चार खण्डों में प्रकाशित किया गया। प्रथम खण्ड में शतक १ से ५ और द्वितीय खण्ड में शतक ६ से १० का समावेश है। आगे के दो खण्डों में शेष समग्र वर्ण्य विषयों को समाहित कर लिया है। स्वर्गीय युवाचार्य श्री मधुकर मुनि जी म. के चिन्तन का यह सुफल है कि मूल जैन वाङ्मय के पठन-पाठन के प्रति पाठकों की रुचि में वृद्धि हुई है । एतदर्थ समिति एवं हम आप श्री को शत शत वंदन करते हैं तथा अपना कर्त्तव्य पालन कर मूल जैन साहित्य को प्रकाशित करने के लिए तत्पर हैं । प्रस्तुत ज्ञान - प्रचार के पवित्र अनुष्ठान में जिन-जिन महानुभावों . का जिस किसी भी रूप में सहयोग प्राप्त हुआ और हो रहा है उन सभी का सधन्यवाद आभार मानते हैं। सागरमल बैताला अध्यक्ष सरदारमल चोरडिया ज्ञानचंद विनायकिया मंत्री महामंत्री श्री आगम प्रकाशन समिति, ब्यावर रतनचंद मोदी कार्यवाहक अध्यक्ष

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