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ठाणं (स्थान)
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स्थान ४ : सूत्र ४३-४५ ४३. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४३. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष सत्य और सत्य-व्यवहार सच्चे णामं एगे सच्चववहारे, सत्यो नामकः सत्यव्यवहारः,
वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य, किन्तु सच्चे णामं एगे असच्चववहारे, सत्यो नामैक: असत्यव्यवहारः,
असत्य-व्यवहार वाले होते हैं, ३. कुछ असच्चे णाम एगे सच्चववहारे, असत्यो नामैकः सत्यव्यवहारः,
पुरुष असत्य, किन्तु सत्य-व्यवहार वाले असच्चे णामं एगे असच्चववहारे। असत्यो नामकः असत्यव्यवहारः। होते हैं, ४. कुछ पुरुष असत्य और असत्य
व्यवहार वाले होते हैं। ४४. चत्तारि पुरिसजाया पण्णत्ता, तं चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, ४४. पुरुष चार प्रकार के होते हैंजहातद्यथा
१. कुछ पुरुष सत्य और सत्य-पराक्रम सच्चे णाम एगे सच्चपरक्कमे, सत्यो नामैकः सत्यपराक्रमः,
वाले होते हैं, २. कुछ पुरुष सत्य, किन्तु सच्चे णाम एगे असच्चपरक्कमे, सत्यो नामैक: असत्यपराक्रमः,
असत्य-पराक्रम वाले होते हैं, ३. कुछ पुरुष असच्चे णामं एगे सच्चपरक्कमे, असत्यो नामकः सत्यपराक्रमः,
असत्य, किन्तु सत्य-पराक्रम वाले होते हैं, असच्चेणाम एगे असच्चपरक्कमे। असत्यो नामक: असत्यपराक्रमः । ४. कुछ पुरुष असत्य और असत्य-पराक्रम
वाले होते हैं।
सुचि-असुचि-पदं शुचि-अशुचि-पदम्
शुचि-अशुचि-पद ४५. चत्तारि वत्था पण्णत्ता, तं जहा- चत्वारि वस्त्राणि प्रज्ञप्तानि, तद्यथा- ४५. वस्त्र चार प्रकार के होते हैंसुई णामं एगे सुई, शुचि नामैकं शुचि,
१. कुछ वस्त्र प्रकृति से भी शुचि होते हैं सुई णामं एगे असुई, शुचि नामकं अशुचि,
और परिष्कृत होने के कारण भी शुचि 'असुई णामं एगे सुई, अशुचि नामैकं शुचि,
होते हैं, २. कुछ वस्त्र प्रकृति से शुचि, असुई णाम एगे असुई। अशुचि नामकं अशुचि।
किन्तु अपरिष्कृत होने के कारण अशुचि होते हैं, ३. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुचि, किन्तु परिष्कृत होने के कारण शुचि होते हैं, ४. कुछ वस्त्र प्रकृति से अशुचि होते हैं और अपरिष्कृत होने के कारण भी
अशुचि होते हैं। एवामेव चत्तारि पुरिसजाया एवमेव चत्वारि पुरुषजातानि प्रज्ञप्तानि, इसी प्रकार पुरुष भी चार प्रकार के होते पण्णत्ता, तं जहातद्यथा
हैं-१. कुछ पुरुष शरीर से भी शुचि सुई णाम एगे सुई, शुचिर्नामैकः शुचिः,
होते हैं और स्वभाव से भी शुचि होते हैं, 'सुई णाम एगे असुई, शुचिर्नामैकः अशुचिः,
२. कुछ पुरुष शरीर से शुचि, किन्तु असुई णाम एगे सुई, अशुचिर्नामैकः, शुचिः
स्वभाव से अशुचि होते हैं, ३. कुछ पुरुष असुई णामं एगे असुई। अशुचिर्नामकः अशुचिः।
शरीर से अशुचि, किन्तु स्वभाव से शुचि होते हैं, ४. कुछ पुरुष शरीर से भी अशुचि होते हैं और स्वभाव से भी अशुचि होते हैं।
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