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ठाणं (स्थान)
स्थान ४ : सूत्र २५६-२५६
सज्झाय-पदं स्वाध्याय-पदम्
स्वाध्याय-पद २५६. णो कप्पति णिग्गंथाण वा नो कल्पते निर्ग्रन्थानां वा निर्ग्रन्थीनां वा २५६. चार महाप्रतिपदाओं--पक्ष की प्रथम
णिग्गंथीण वा वहिं महापाडि- चतसृषु महाप्रतिपत्सु स्वाध्यायं कत्तु, तिथियों में निम्रन्थ और निर्ग्रन्थियों को वह सज्झायं करेत्तए, तं जहा- तद्यथा
आगम का स्वाध्याय नहीं करना चाहिए
१. आषाढप्रतिप्रदा--आपाढी पूर्णिमा के आसाढपाडिवए, इंदमहपाडिवए, आषाढप्रतिपदि, इन्द्र महःप्रतिपदि, कत्तियपाडिवए,सगिम्हगपाडिवए। कात्तिकप्रतिपदि, सुग्रीष्मकप्रतिपदि। बाद की तिथि, सावन का प्रथम दिन,
२. इन्द्रमहप्रतिपदा-आश्विन पूर्णिमा के बाद की तिथि, कार्तिक का प्रथम दिन, ३. कातिक प्रतिपदा-कार्तिक पूर्णिमा के बाद की तिथि, मृगसर का प्रथम दिन, ४. सुग्रीष्म प्रतिपदा-चैत्री पूर्णिमा के
बाद की तिथि, बैसाख का प्रथम दिन । २५७. णो कप्पड णिग्गंथाण वा णिग्गं- नो कल्पते निर्ग्रन्थानां वा निर्ग्रन्थीनां वा २५७. निग्रंन्ध और निग्रन्थियों को चार संध्याओं
में आगम का स्वाध्याय नहीं करना थीण वा चहि संझाहिं सज्झायं चतसृषु संध्यासु स्वाध्यायं कत्तु, करेत्तए, तं जहा
चाहिएतद्यथापढमाए पच्छिमाए मज्झण्हे प्रथमायां पश्चिमायां मध्याह्ने
१. प्रथम सन्ध्या -सूर्योदय से पूर्व, अड्डरते। अर्धरात्र।
२. पश्चिम सन्ध्या-सूर्यास्त के पश्चात्,
३. मध्यान्ह सन्ध्या, ४. अर्धरात्री सन्ध्या। २५८. कप्पइणिग्गंथाण वा णिग्गंथीण कल्पते निर्ग्रन्थानां वा निर्ग्रन्थीनां वा २५८.
२५८. निर्ग्रन्थ और निग्रंथियों को चार कालों वा चउक्कालं सज्झायं करेत्तए, चतुष्कालं स्वाध्यायं कत्तु , तद्यथा
में आगम का स्वाध्याय करना चाहिए
१. पूर्वाह्न में-दिन के प्रथम प्रहर में, तं जहा
पूर्वाह्न, अपराह्न, प्रदोषे, प्रत्यूषे । पुन्वण्हे अवरण्हे पओसे पच्चूसे।
२. अपराह्न में-दिन के अन्तिम प्रहर में, ३. प्रदोष में-रात्री के प्रथम प्रहर में, ४. प्रत्यूष में-रात्रि के अन्तिम प्रहर
लोगट्ठिति-पदं लोकस्थिति-पदम्
लोकस्थिति-पद २५६. चउब्विहा लोगद्विती पण्णता, तं चतुर्विधा लोकस्थितिः प्रज्ञप्ता, २५९. लोकस्थिति चार प्रकार की हैजहा—आगासपतिट्ठिए वाते, तद्यथा-आकाशप्रतिष्ठितो वातः,
१. वायु आकाश पर प्रतिष्ठित है, वातपतिट्टिए उदधी, वातप्रतिष्ठितः उदधिः,
२. उदधि वायु पर प्रतिष्ठित है, उदधिपतिट्ठिया पुढवी, उदधिप्रतिष्ठिता पृथिवी,
३. पृथ्वी समुद्र पर प्रतिष्ठित है, पुढविपतिट्ठिया तसा थावरा पृथिवीप्रतिष्ठिता प्रसाः स्थावराः
४. वस और स्थावर प्राणी पृथ्वी पर पाणा। प्राणाः।
प्रतिष्ठित हैं।
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