Book Title: Agam 03 Ang 03 Sthanang Sutra Part 02 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 16
________________ F5555555 FFFFFFFFFFFFFFFF5555555555555 अनुक्रमणिका चतुर्थ स्थान : चतुर्थ उद्देशक १-८६ ३४ or mur9 v ४० WWW १४ प्रसर्पक पद आहार पद आशीविष पद व्याधिचिकित्सा पद व्रणकर पद अन्तर्बहिण पद श्रेयस्-पापीयस् पद आख्यायक पद वृक्षविक्रिया पद वादिसमवसरण पद मेघ पद + अम्बा-पितृ पद राज पद मेघ पद आचार्य पद भिक्षाक पद गोल पद पत्र पद कट पद ॐ तिर्यक् पद म भिक्षुक पद कृश-अकृश पद बुध-अबुध पद १ अनुकम्पक पद संवास पद अपध्वंस पद आसुरी भावना आभियोगी भावना सम्मोही भावना देवकिल्विषी भावना प्रव्रज्या पद संज्ञा पद काम पद उत्तान-गंभीर पद १८ तरक पद १९ . पूर्ण-तुच्छ पद चारित्र पद २१ मधु-विष कुम्भ पद २५ उपसर्ग पद कर्म पद संघ पद बुद्धि पद मति पद जीव पद मित्र-अमित्र पद ३४ मुक्त-अमुक्त पद गति-आगति पद संयम-असंयम पद क्रिया पद गुण पद शरीर पद धर्मद्वार पद नरकायु पद तिर्यंचायु पद मनुष्यायु पद देवायुष्य पद वाद्य-नृत्यादि पद विमान पद गर्भ पद पूर्ववस्तु पद काव्य पद समुद्घात पद चतुर्दशपूर्वि पद वादि पद कल्प-विमान पद समुद्र पद कषाय पद नक्षत्र पद पापकर्म पद पुद्गल पद ६७ पंचम स्थान : प्रथम उद्देशक ८७-१३७ ८७ ९४ प्राथमिक परिचय महाव्रत-अणुव्रत पद इन्द्रियविषय पद ८७ आस्रव-संवर पद प्रतिमा पद स्थावरकाय पद ९३ ९३ ९४ अतिशेष-ज्ञान-दर्शन पद शरीर पद तीर्थभेद पद १०० १०१ (10) 895 55555555555558 Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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