Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 360
________________ अयं " सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः २६३ विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः । विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः अभिक्खणं २४९ अथा(जाणंता ६,३१, ६७, ६९ अभिगच्छ ५४, ५८६ अयोधण अभिगजाणति ४० अयोमुह अभिजंजिया ३४१ ३३०, ३३४ अभितत्त २७३ अरति ४८६, ५७४ अभितप्पमाण ३१२ अरतिरति ६३४ अभिरावेंति ३१२ अरविंद ३७३ अभितवणाई २६७ अरह १८८ अभितावयंति ३२० अरहस्सरा ३०६, ३३७ अभितावा अरहा अभिदुग्ग ३०७, ३१६, ३३१ अरहिताभितावा ३१६ अभिद्दत १६०, २२१ अरहंतभासियं ३८० अभिनिव्वुड १००, १०९, ४३", ४७६ अरिहति ५५५, ६०६ अभिनूमकड अरुयस्स अभिपत्थएज्जा ४८४ अरोग अभिपातिणी अलद्ध १४८ अभिभूय ३५६, ४८६, ५७४ अलूसए ११६,६०५ अभियावन्ना २९५ अलंकार १९८, २८४ अभियागम अलंभो अभिहड २१५, २१८ अवकप्प २०६ अभुंजमाण ४०२ अवकर २६९ अभुंजिया अवकंख १०६, २३९ अब्भत्थ अवचिजइ १४३ अब्भागमित अक्जाणई २७५ अमणुण्ण अवणीयमच्छर १५६ अमणुण्णसमुप्पाद अवमन्नता २३१ अमणुस्स ६२२ अवर , ७०, ४१३, ५०४ अमतीमता २४० अवरज्झती २१६ अमाइरूवे ५६२ अवरज्झति अमिलक्खू अवस १८१ अमुच्छित अवसप्प १९५, २०५ अमुसे ४८४ अवह९ २६३ अमूढ अवहाय १३४ अमूढग अविओसिए ५६१ अमोक्खाए २३१ अविकंपमाण ५९३ अयमंजू ४८ अविजाणता ६१, ५२१ अयहारि अवितिण्ण २२६ १२६ १५९ ४६३ ० २३१ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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