Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 366
________________ २६९ सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशन्दसूचिः विशिष्टशब्दाः सूत्राकाः । विशिष्टशब्दाः सूत्राकाः ओवायकारी ५६२, ५८० कड २९, ३०, ६५, ६६, ६८, ७९, ओसवियं २५२ ९२, १३३, १३४, १५३, २१५, ओसाणमिच्छे २७५, ३२५, ४३१, ५१० ओह ५४८ कण्ण ओहंतरा २०, ३५७ कण्णणासियाछेज २६८ अंकेसाइणी कत्थ अंजणसलागं २८७ कन्हुइ १४८ अंजणि २८४ कप्प २५६, ५११, ६०९ अंजू(जु) ४८, ८३, ४३७, ४७३ कप्पकाल अंडकड कम्म ५, ५५, ९२, ९६, १०३, १५३, अंड्या ३८१, ४४४ १८७, २६९, २७०, २७४, ३०२, • अंत ६१६, ६२०, ६२१, ६२३, ६३१ ३२५, ३२७, ३४९, ३९७, ४१०, अंतए ११९, २११, ५२१, ६०८, ६२० ४१२, ४१३, ४२०, ४४०, ४४९, अंतकरा ४७७, ५४९, ५७७, ६१२, ६१३, अंतकाल ३०४ ६२८ अंतग ४१०, ४४३ कम्मचिंतापण? ५१ अंतरा ५८, ४२५, ५२६ कम्मत्ता १७० अंतराय ४६५ कम्ममलं ३९६ अंतलिक्ख कम्मवियाल १६४ अंतवं कम्मसह अंतसो ८६, ९७, ४१६, ४१७, ४२०, कम्मी ४००, ४४० ५०८ कम्मुणा ५४९, ६१६ ४६८ कम्मोवगता ३१९ ३२० कम्मोवगा ३२६ अंध ४६, ३९६, ५४२, ५६१ कयकिरिए अंधकार ५९१ कयकिरिओ ४५२ अंधतम ३१० कयपुत्व कओ(तो) २९, ९६ कयाइ ६८,४५५, ४५६ ककाण ३४१ कर १२९, १३९, १५६, २६४, २७४, २७५, ३०२, ३०८, ३३१, ३४२, ककुहयं २४८ ३४७ ४५५, ४६७, ४७७, ४७८, कक्ख ४७९,४८१, ४८२, ५१६, ५८८, कच्चंताण ६०५, ६२३ कचंती २४२, ४४० करगं कजमाण करिसिता २१८ २१०, ३०४, ३३४, ४१५ करेंत कट्टसमस्सिता ६३४ अंतिए अंदू २९. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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