Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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विशिष्टशब्दाः
घायए
घास
घासति
धिंसु
घोररूव
घंत मेसंति
चउत्थं
चकं
चक्खु (क्खू)
चक्खुपह
चक्खुमं
चतुरंत
चत्तारि
चय
चयं
चर
सूत्राङ्काः
३
७९
५६१
२८७
३०२
५२५
३७७, ५७१
६२०
२५१, ५४६, ५९२, ६२०
६२६
३५४
६१९
३५१
१८, ३१२
९०, ९३, १८२, १८३, १८४,
२९६, ३९०, ४२२ ४७५
७९, ९७,११०, ११३, १२२, १३६, २४३, २४७, २७१, २८०, ४२८, ४४२, ४७५, ४७६, ४८१, ४९२, ४९६, ५०९, ५३४, ६३७
चरग
चरिया
चरिया - ssसण- सेजा
चारि
चिंत
चिंतयंता
चिड़ंत (ती) (ति)
चिण्ण
चित्तमंत
चित्तलंकारवत्थगाणि
चिंत्ता
चित्तं
चिरद्वितीया
चिररायं
सू. १८
सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः
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१२४
४६६
८६
१७९
२७०
५३७
८३, ३१२,३१९,३२५,
३३७, ३६२
१९९
२
२७१
३३८
५६
३०६, ३३२, ३३५,
३३७, ३४४८
१५१
विशिष्टशब्दाः
चिरं
चुए (ते)
चेच्चा
चेच्चाण
चेलगोलं
चोइजंत
चोतिते
चोदित
चोरो
चंडाल
चंद
चंदण
चंदालगं
चंदिमा
छक्काय
छण्णं (न्नं) छत्तोवाहणं
छत्तं
छन्नपद
छलायतण
छहि
छाए
छादते
छावएज्जा
छावं
छिंद
छिण्ण (न) सोए (ते)
छिन्न (ण) बंधण
छुन्भ
छेए
छेत्ता
छंद
छंदाणुवत्तग
जए
जएज्ज
जग (गा)
२७३
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सूत्राङ्काः
२००
३९, ४८१
११०, ४४३
४४३, ४८३
२९१
२०३, २०७, २६५
५८७
२०१
१७९
૪૨૮
३७०
३७०
२९०
५१८
५०४
१३९, ४६२
२८६
४५४
२४८
५३९
४४५
૪૮૭
५९८
૪૮૭
५८२
३०५
५२०, ६१८
४२०
३३८
५८०
४१५
१३२, ४८९, ५७७
१४२ ११६, १५७ ६०४ ६७, ८४, ९२, ४००, ४७९, ५२९, ६१०
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