Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 398
________________ सूर संग संजत सेट्ठ ९३ संजल सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशन्दसूचिः ३०१ विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः | विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः १६५-१६७ १८२, १९३, १९४, ४०८ सूरपुरंगमा २०९ संगतिय सूरिय ३५७, ३६२, ३६४, ५९१ संगाम १६६,१७१ सूरोदय संगामकाल २०४,२०९ सूलविद्धा ३३६ संगामसीस ४०९ सूला ३०८, ३२१, ३३६ संछिण्णसोत ६३७ सूक्च्छेयाए २८६ ८७, १२३, १३८, १५४, १५५ ३६६, ३६९, ३७०, ३७१, संजम ११४, १४३, ३७८ ३७३-३७५ संजमेत्ता ४७४ सेट्टि ४६७ सेण संजीवणी ३३५ सेयविय संजोगा २४१ २१६, २१८, २९१, ५८८, ५८९ संठव २९४ ५७, ६०, १६७, २१४, ४०६, संठवित्तए १०५, १०६ ५११, ५६७, ७७२, ५७५, संडासगं २८८ ५९८,६१५, ६२१ संतच्छणं ३१३ संतत्त १७७ १६१ संतप्पति ३३२ सेह१०७, १६७,५८२, ५९२ संता ३२, ३३, २९४, ५३६ सेहिय २९ संतावणी ३३२ सोगतत्ता ३३४ संति ७,११,१५,१९५,२४४,५०७,५१२ सोच्चा ४५, १५६, १९४,४४३,४८३, संतिं (=शान्तिम्) ५५७, ५९५ २७, ५२८ संतिण्ण १४४ सोयकारी ५९४ संतिमे सोयपलिच्छिण्ण संतोसिणो ५४९ सोयरा संतं सोयरिया(य) ५, ३३६ संथरे १२३ १११ संथव ९४, १२१, १४८, २५९, २६२, संक३३, ३४,३७,३८, ६०१ २९६, ४८३ संकमट्टाए संथुत संकलिया ३४६ संदंति संकिय(त) ३३, ३७ संध २५१,४७२,५१८,५३०,५३१,६०० संखय १११, ११२, १३१, १५२, संधि २०-२५, ६१८ २२४, २४६, ५९७ संपगाढ ३३२,५४६ संपण्णे ६०९ संपति ३६७ । तयिसंप ३८७ सेस सेसग १८४ संखा संखाए संखंदु Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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