Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 415
________________ ३१८ प्रथमे परिशिष्टे विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः सूत्राङ्का: dl विशिष्टशब्दाः छिन्ने छिवाए छेत्ता ७०४ ६९६ चिच्चा चिट्ठति(इ) चिट्ठमाणस्स चिट्ठामो चित्त चिरद्विती(इ)या ७०७ ८५४ ७४९, ७५० ८५०, ८५२, ८५६, , ८६५ चिलिमलिगं चेतिथं चेलगं चोए चोद(य)ए चोदग(क) चोद्दसमे चंडा चंडं चंदचरियं चंदण चंदणोक्खित्तगायसरीरे चंदप्पभ चंदो छजीवणि (नि)काय , ७१० ६५० ७४८, ७४९ ७४८, ७५० ७१४ ७१३ ७१३ ७०८ ७४५ ७१० ७४५ ८३३ ६७९, ७४९, ७५१ ७१४ ६५१ ७२८ ७१० ८५४ ८२१ ७१४ ६४९ ७५१ ७१४, जच्चकणगं ७१४ जण-जाणवथ ६४५, ६६७ जणयंति ७३२-७३५ जणवदपिया ६४६ जणवदपुरोहिते जणा ७१० जम्म ७१३ जलचरपंचिदियतिरिक्खजोणियाणं ७३३ जहाणा(ना)मए जाइ(ति)-जरा-मरण-जोणिजम्मण-संसार पुणब्भव-गब्भवास-भवपवंचकलंकलीभागिणो ७१९, ७२० जाइमूयत्ताए जागरमाणे ७४९-७५१ जाण ७१३, ७५१, ७५३ जाणए ७५६ जाणणाए जाणामो जाणितव्वे जाणिस्सामो जाणं जाततेए जातत्थामा जातरूवा जातिमदेण ७०३ जायति जायामातावुत्तिएणं ६८२ जायामायावित्ती ७१४ जामेव ८६८ जाव-जावं जावजीवाए ७१३, ८५८, ८५९ जिणदिटेहि जितेंदियस्स ७९१ छणह छत्तगत्ताए छत्तगं छहसमाइं(णि) छन्नपओपजीवी छम्मासिए छलंसे छहिं छाएति छाताओ छाया छायाए छिंद छिन्नसोता ६७५ ६७५ ७१४ ७१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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