Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 397
________________ ३०० प्रथमे परिशिष्टे ५६७ १३९ AN २५९ सुत सुता ०. विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः सुउज्जुयारे ५६३ सुकं सुगइ सुचिण्णं सुज्झोसित सुठिच्चा सुण ४१९, ४२४,४३७, ४७३,५००,५०२ सुणी १७२ सुणेत्ता ३०५ सुहा २७८ सुण्हा १०५ सुतत्तं ३१६ सुतबस्सि २५८, ४६९, ४७५ ३०७, ३२३ सुतं २६९, ४६०, ६२२ सुत्तं ६०५ सुदेसिय १६४ सुदंसण सुद्दा ४३८ सुधम्मा ३७५ सुधीरधम्मा सुद्ध ७०, २६४, ४३३, ४९५, ५२०,५२५, ५९६, ६०३, ६२५ सुद्धलेस्स ३६४ सुद्धसुत्त सुनिरुद्धदंसण १५३ सुन्नघर १२३ सुन्नागारगत(य) १२५,१२६ सुप्प(प)ण्ण ४६९,६०१ सुप्पिवासिय सुप्पुक्खलग २८९ सुंफणि २८७ सुवंभचेरे सुभि सुमणो सुमूढ ४९० विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः सुयाहिए सुरक्खिय २५१ सुरा ५४७ सुरालय सुलभ ८९,९१, १६१ सुलूहजीवी सुवण्ण सुविणं सुविभावितप्पा सुविमुक्क सुविवेग १३९ सुविसुद्धलेस्स २९८ सुव्वत(य) ९१, १५५, १६२, १७९, १९९, २४३, ४१२,४३५, ६३१ सुव्वती सुसमाहरे सुसमाहित सुसमित सुसाधुजुत्ते सुसाधुवादी सुसामाइय सुसिक्ख ४१४, ५८०,६०४ सुसुक्कसुकं ३६७ सुसेहंति १९० सुसंजत ५१०, ६३७ सुसंवुड ११०, १४० १०४ सुस्सूसमाण सुह २८, २९, ३९६ सुखदुक्खसमन्नित सुहरुवा ४६४ २६०, ४२२ सुहिरीमणा २९४ सुहुम ११६, १२१, १८२, २४८ सूईसुत्तग २८९ सूतीगो सूयर ५८४ सुहि ५८० ४८६ १९२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475