Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२६४
महीय
सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः २८९ विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः । विशिष्टशब्दाः
सूत्राङ्काः मज्झम्मि
महापण्णे मणसा ५३, ५६, ११०, २७०, २९८, महापुरिस
२२५, २२८ ४१६, ४२७, ४३०, ४४५, महाभवोघं
३७६ ५०८,६१९
महामुणी
१२५, ४६०, ४९८,६३३ मणप्पदोसं
महारह
१६५ मणबंधण
२५३
महालय मणुय ९८, १२५, १३५, ५८३, ५९९ महावराह
४०५ मणुयामर ३५१ महाविहिं
१०९ मणुस्स
१९३, २६०, ६२० महावीर __२७, ४६०, ६१३, ६१४, मणूसा ५४०
६२९ मणोरम
३६४ महासढ मण्ण(न्न) ५७, १५८, १५९, १६५, महासवा
१९४ १६७, ५८१, ५८२, ६०७ महासियाला मण्णंता
५२१ महिंद मतीमता
४३७, ४९७ मत्ता १४२ महुरुल्लावा
૧૮૬ मदाई
५७२ महेसि(सी) ६६, १३६, ३००,३६८, ममाइणो १०७, ११९
३७७, ५७२ ममाती(ति)
महोघ
१४२ मम्मयं ४६१ महोदधी
३५९ मयं(तं) ५३४, ६२९,६३० महं
११२ मरण १४३, १७६, २०९, ५५४ महंत
३१०, ३३७, ३४२, ३४४ मरणाभिकंखी ४९६, ५५६, ५७९ | महंतरं
१४२ मल्ल
महंताधियपोरुसीया मसीभबंति ३१५ महंतिउ
३३८ महत(तो)
१२१, १३६, ३६५ मा महती
२५९ माइण महब्मय ४९३, ५१३, ५२७ माइल्ल
२६४ महब्मिताव ३१०,३१३,३१९, ३४३ माणणद्वेण महब्भूया(ता) ७, ८, १५ माणबद्ध
५६६ महरिसी १९७, २२७ माणव
६, ९०, ४८९,५४६ महन्वय १४५ माणि(णी)
११६, ६३४ महाकुला
४३४ माणुसत्तं महागिरी ५३३ माणुसा
४९९, ५०० ५०१,५२८ माणुस्सए
६२१ महाणुभाग(व) ३०१, ३५८, ३७० माणं ३७७, ४२८,५३१,५९८, ६३५ महानागा
४३२, ४३३ मात(य)रं १८५, २४७, ३८५, ४०३
३२३
१३७
४१५ .
महाघोर
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