Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

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Page 392
________________ विशिष्टशब्दाः विरतसव्वपावकम्म विरम विरायते (ती) विराहित्ता विरुज्झ विरूवरूव विरेयण विलंबगाणि विवज्जेज्जा विवण्णचित्त विवरीतपण्णसंभूत विवाद विविंच विवित्त विविठाण विसएसणं विससिणो विसण्णमेसी ३८८ २४३, ४६१ ३४२ ८० ४५३ ༥༽་ १२७, २४७ ४२२ विवेक (ग) ९६, २५६, ४०९, ४६८, ४७८ ५२४ ४४० विसरणा विसरणे विसम विस मिस्सं विसमंत विसय विसयपास विसयंगणाहिं विसलित्तं सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्द सूचिः सूत्राङ्काः ६३४ ९१ ३६०, ३६३ ५२५ २२२, ५०८,६१०, ६१९ २५०, २५२, ५४०, ६३६ ૪૪૮ विसुद्ध विसूणितंगा विसोहइत्ता Jain Education International ५४८ २५७ विसार ए ५६९ विसार ५९६ विसिद्ध ३५८ विसीय ५८, १४७, १६८, १६९, १७१, १७२, १८२, २०१, २०२, २२५, २२९, ५२६ १५६ ३३५ ३६८ ४८० २४२, ५४८ २७५, ४७९ ६१, १०८, १२४, ३४४ २५६ ३६ ४३, ४८५ २७७ विशिष्टशब्दाः विसोहिय विहतु विहत्थितं विहन्न विहर विहाय विहारगमण विहिंसएजा विहूणिय वही वीमंसा वीर वीरतं वीरिय से सूत्राङ्काः २१९, ५५९ ३२० ३२१ ३२८ ९९, १४०, २५१, २५८, २८० ५८० १९७ ६०२ ३९ ४३५ ४४ १, ९९, १००, १०९, २९९, ३७६, ४११, ४३२, ४३३, ४६९, ४७० ४११ ३६०, ४११, ६२८ ३७३ ४११, ४६७ ५१९ वुच्च वुज्झमाण वुड्ढ त्रुटि वुत्त खुसि (सी) मं स सीमतो (ओ) वेगंतवदातसुकं वेणइया वेणुवा ९०, १०४, ५५२, ५८६, ५८७ ३८९ ४२, ६६ ५८२, ६१० ८६ ४२९, ५११, ६१० ३६७ ५३७ ३७८ २१८ ३७२ २८४ २८५ ३६९ ३४३ वेणुदेव वेणुपलासिय वेणुफलाई वेतयंती वेतालिय वेतालियमग्ग २९५ वेद वेदयित्ता वेदेही ११० २८, ३०, ५२, ३२७, ३४९, ३६२ ३५१ २२६ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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