Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay
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२८२
प्रथमे परिशिष्टे
सूत्राकाः
४०० ५८८
३०३, ३८८
विशिष्टशब्दाः पडिसाहेजा पड़िसाहरेजा पडिसुणेजा पडिसेहंति पडिहाणवं पडुच्चा पडुप्पणं पणया पणामए पणोल्ल पण्गति पण्णसमत्त पणासमन्नित पण्णसा पण्णामयं पण्णायते पण्णे
१०९, १३९
१३७ ४२०
११६
विशिष्टशब्दाः
सूत्राङ्काः पगासणं
५९८ पगासियंसि पचोइस
१४७ पच्चक्खायपावए
४२४ पच्चणुहोति
३४८ पच्चुप्पन्न
१५२ पच्चुप्पन्नगवेसगा
२३८ पच्चंति पच्छ पच्छण्णभासी
६०५ पच्छा ७१, २३८, २३९, २५६, पजहे पजहेज्ज
१२१ पजिजमाण
३२४ पजुवासिया पजोओ पनोविता पट्ठ पट्टि
२८२,
३४० पड
३०२, ३१९, पडिआह पडिग्गाहे पडिपुण्ण
५२०, ६२५ पडिपुण्णभासी
६०३ पडिपुण्णवीरिय
३६० पडिबुज्झ
४६४ पडिबंध
१९१ पडिभाणवं पडिभास
१७३ पडियच्च पडियारग
१७३ पडिलेह २०८, २८३, ३८२, ३९९,
५०५ पडिलेहिणो
२०८ पडिवक्ख
५०२ पडिवातएज्जा
६०५ पडिविरत
३५९, ५६९, ५७०
५७१
३६४ ३५५, ३६६, ५९८
५९७
३२०
पण्ह
५१९
३४५
पतिट्ठा पतिद्वाणं पतितं
२७६
पत्ते
५३२
३३८ ३६८, ६१८
११, ११० १०४, ४३०, ५३१
४६८
३१७
पत्तेय पत्थए पत्थुता पत्थेजा पदाण पदोसहेतु पधावति पपयंति पब्मट्ठा पभास पभू पमाय(द) पमायसंग पमोक्खो पयच्छ
६३५ १९० ३२४ २६२
२१४ ३७९, ५०८ ४१३, ५८५, ५८८
४८४,५४५ २८४, २८८
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