Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 372
________________ जीवेज जुत्त जेतं * * * * * * *444 सूत्रकृताङ्गसूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः २७५ विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्क: जीवाजीदरामाउत्त झाणवरं जीवित विणा ६१० झियाति(ई) ३१०, ३६७ जीविय (त)ट्ठी ३०२, ४७५, ४८२ झियायंति ५२२, ५२४ जीवियं(त) ५, ८९, ९८, १०६, १२६, झीण २३८ १३१, १५०, १५२, १९४, झुझिय २३९, ४७०, ४९६, ५५६, टंकण २२ ५७९, ६१५, ६१६ ठाण २८, ७५, ८७, ९३, १२२, ३३७, ४०२ ३७८, ४२२, ५१२, ५८४, ६२१, जीवंत ३१२ ६२५, ६२७ जुंजंति १७४ ठाणद्वित १०४ जुज्झंत १६५ ठाणी ४२२ जुतीमं ३५९ ठित (य) ११९, २४१, ३५४, ३६२,३६४ १५७, ३२९, ३३० ठितप्पा जुवती २७१ ठिति जुवाणगा ३९० डज्झ ३०६, ३११, ३३० डहर ९०, १०४, ५५२, ५८६,५८७ १६५, १६६ ढंक ६२, ५२३ जेहिं ढंकादि ५८१ जोग २५० णक्खत्त ५१८ जोगवं णगसव्वसेट जोति २७३, ५४२ णगिंद जोतिभूतं ५५३ णच्चा २०, २५, १३८, १५७, २५७, जोतिमझ ३३८ २७०, ४२४, ४३६, ५५३ जोय णण्णकर्ड जोयति ३६४ णण्णत्थ ४६५, ५६७ जोयण णत्थ २६१ जोठवणं २३८ णम ३६२ जोह णमी २२६ जंति १४, ९८, १०८, १७५, २२१ जंतू(तु) ४५,४६, ९४, ३९१, ५०२, ण(न)र ४,७४,९३, ९८, १०८, ११७, ५७४ १४६,१५५,३९०,४७०,४९३, जंता ६२१ जंपति १० णरगा ३००, ३५० जंसी(सि) १२५, ३३१, ३३५, ३३७, ण(न)व १८६,६१२,६१३, ६२८ णवणवति ३६१ झाण ५२२,५२३ णाइवातेजा झाणजोग ४३६ णाएण ३६१ णय Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475