Book Title: Agam 02 Ang 02 Sutrakrutang Sutra
Author(s): Jambuvijay, Dharmachandvijay
Publisher: Mahavir Jain Vidyalay

View full book text
Previous | Next

Page 364
________________ २६७ उंछ १५६, सूत्रकृताङ्गभूत्रप्रथमश्रुतस्कन्धान्तर्गतविशिष्टशब्दसूचिः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः विशिष्टशब्दाः सूत्राङ्काः इहलोग १२० उदराणुगिद्ध ४०४ उदहि ३७१ ईसर उदाहर ११६, १२३, ३९४, ३९५, ३९८ ईहिय उदाहरंता उईरइत्ता उदाहु १६४, ३५५,३६६, ४६०, ५३८, २५८ ५९० उक्कस उदिण्णकम्मा ३१७ उक्कास १३९ उदीरएजा उक्ते उदेति ५४१ उग्गपुत्ते उद्देसादि २१५ उम्गह ४४६ उद्देसिय २४९, २७९ उच्चार उद्धर ३२८, ४२३ उच्चावयं २७, ४८५, ५३३ उपयाति २७३ उच्छोलण ४५१ उप्पज १६, ६२६ उजया २१६ उप्पतंति उजला १७४ उप्पध उजाणं २०१, २०२ उप्पाइयं ५४३ उजाल ३८६ उब्भिया ४४४ उज्जु ४९७ उम्मग्गगता ५२५ उद्या २९३, ३९५ उम्मद २८२ उट्ठाय ४७९, ५८० उम्मुक्क २३९, ४२०, ४७० उट्ठिय(त) ९६, १०४, १३६, २९४ उराल ८४, ४६६, ४८३ उद्धे ३२१ उवकप्प उड्ढकाय ३३३ उवकसंति उडढुस्सित ३६१ उवक्कम १५६, ४२५ उड्ढे १४४, २४४, ३१०, ३५५, ४७४, उवकमिय १५९ ५०७, ५९३ उवगसित्ताणं ૨૬૩ उवगूढ २७३ उत्तम १३४, १६४ उवजोतिपत्ता ३१२ उत्तमपोग्गल ५७१ उवज्जोती उत्तमबंभचेर ३७४ उवज्जति उत्तर १३५, १८६ उवट्ठाण उत्तरीए ६२२ उवद्वित ११३, ११८, १६६, ३७८, उदग ६१, ६२, २०७, २२५, २२६, ३०९, ३९४, ३९५, ३९६ उवणमंति उदर ३२८ उवणीततर १२७ २६६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475