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प्राचारांग सूत्र
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३. अच्छे हाथ और भरे हुए पात्र से अथवा भरे हुए हाथ और अच्छे पात्र से हाथ में या पात्र में दिया हुश्रा निर्जीव भोजन खुद ही मांगे या दूसरा दे तो ग्रहण करे।
४. निर्जीव पोहे, ढिर्स, धानी श्रादि जिसमें से फेंकने का कम और खाने का अधिक निकलता हो और दाता को भी बर्तन धोने आदि का पश्चात् कर्भ थोडा करना पडता हो, उन्हीं को खुद मांगे या दूसरा देता हो तो ले।
५. जिस निर्जीव भोजन को गृहस्थ ने खुद खाने के लिये कटोरी, थाली और कोषक (बर्तन विशेष) में परोसा हो, (और उसके हाथ श्रादि भी सूख गये हों) उसको खुद मांग कर ले या दूसरा दे तो ले ले ।
६. गृहस्थ ने अपने या दूसरों के लिये निर्जीव भोजन कडछी में निकाला हो, उसको हाथ या पात्र में मांगकर ले या दूसरे दे तो ले ले ।
७. जो भोजन फैंकने के योग्य हो और जिसको कोई दूसरा मनुष्य या जानवर लेना न चाहे, उस निर्जीव भोजन को खुद मांग कर ले या दूसरा दे तो ले ले।
इन सातों पिंडैषणाओं को भिन्नु को जानना चाहिये और इन में किसी को स्वीकार करना चाहिये।
सात पानेषणाएँ भी इसी प्रकार की हैं, केवल चौथी इस प्रकार है-तिमी, चावल, जौ का पानी, मांड, छाछ का नितार या गरम या अन्य प्रकार का निर्जीव पानी, जिसको लेने पर (धोने-साफ़ करने का) पातकर्म थोडा करना पडे, उसको ही ले ।
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