Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

View full book text
Previous | Next

Page 132
________________ भावनाएँ फिर (शकेन्द्र की आज्ञा से उसकी पैदल सेना के अधिपति हरिणगमेसि ) देवने ( तीर्थकर, क्षत्रियाणी की कुक्षी से ही जन्म लेते हैं ) ऐसा प्राचार है, यह मानकर, वर्षाऋतु के तीसरे मास में, पांचवें पक्ष में, आश्विन कृष्णा त्रयोदशी को, ८२ दिन बीतने के बाद ८३ वें दिन कुंडग्राम के दक्षिण में ब्राह्मण, विभाग में सेभगवान् महावीर के गर्भ को लेकर, कुंडग्रामके उत्तर में क्षत्रिय-विभाग में, ज्ञातृवंशीय क्षत्रियों में काश्यपगोत्रीय सिद्धार्थ की पत्नी वसिष्ठ गोत्रवाली त्रिशला क्षत्रियाणी की कुती में, अशुभ परमाणु निकाल कर, उनके स्थान पर शुभ परमाशु डाल कर रख दिया। और जो गर्भ त्रिशला क्षत्रियाणी को था, उसको देवानन्दा ब्राह्मणी की कुक्षी में रख दिया । नौ मास और साढ़े सात दिन बीतने के बाद, त्रिशला क्षत्रियाणी ने ग्रीष्म के पहिले महिने में, दूसरे पक्ष में, चैत्र शुक्ला योदशी को श्रमण भगवान् महावीर को कुशलपूर्वक जन्म दिया। उसी रात को देव-देवियों ने अमृत, गंध, चूर्ण, पुष्प और रत्नों की बड़ी वृष्टि की; और भगवान का अभिषेक, तिलक रक्षाबन्धन प्रादि किया । जब से भगवान् त्रिशला क्षत्रियाणी की कुक्षी में आये, तब से उनका कुल धन-धान्य, सोना-चांदी, रत्न श्रादि से बहुत वृद्धि को प्राप्त होने लगा। यह बात उनके माता-पिता के ध्यान में आते ही, उन्होंने दस दिन बीत जाने और अशुचि दूर हो जाने पर, बहुतसा भोजन तैयार कराके अपने सगे-सम्बन्धियों को निमन्त्रण दिया; उन को और याचकों को खिला-पिखाकर सबको भगवान् महावीर के गर्भ में आने के बाद से कुल की वृद्धि होने की बात कही; कुमार का नाम 'वर्धमान' रखा। . भगवान् महावीर के लिये पांच दाइया रखी गई थी, दूध पिलाने वाली, स्नान कराने वाली, कपड़ेलते पहिनाने वाली, खेलाने Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152