Book Title: Agam 01 Ang 01 Acharanga Sutra
Author(s): Gopaldas Jivabhai Patel
Publisher: Jain Shwetambar Conference Mumbai

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Page 131
________________ पन्द्रहवाँ अध्ययन -(.)भावनाएं (भगवान महावीर ने पांच महाव्रतों की भावनाओं का जो उपदेश दिया है, उसको कहने के लिये पहिले भगवान का जीवन-चरित्र यहां दिया है।) - भगवान् महावीर के जीवन-काल की पांच मुख्य घटनाओं में पांचों के समय उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र था--देवलोक से ब्राह्मणी माता के गर्भ में पाये तब; ब्राह्मणी माता के गर्भ से क्षत्रियाणी माता के गर्भ में संक्रमण हुआ तब; जन्म के समय; प्रव्रज्या के समय और । केवल ज्ञान के समय । मात्र भगवान् का निर्वाण ही स्वाति नक्षत्र में हुआ। [ १३५] भगवान्, इस युग-अवसर्पिणी के पहिले तीन आरे (भाग) बीत जाने पर और चौथे के मात्र ७५ वर्ष और साढ़े नौ मास बाकी थे तब, ग्रीष्म के चौथे महिने में, आठवें पक्ष में, आषाढ़ शुक्ला ६ठ को, उत्तराफाल्गुणी नक्षत्र में, दसर्वे देवलोक के अपने पुष्पोत्तर विमान में अपना देव श्रायुष्य पूरा करके, जंबुद्वीप में, भरत क्षेत्र के दक्षिणार्ध में कुंडग्राम के ब्राह्मण विभाग में कोडामगोत्रीय ऋषभदत्त ब्राह्मण की पत्नी जलंधरायण गोत्र की देवानन्दा ब्राह्मणी की कुशी में सिंह के बच्चे के समान अवतीर्ण हुए। * यह अध्ययन तीसरी चूड़ा है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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