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डांस मच्छर की; कभी कचरेवाली तो कभी सान; कभी पड़ी-सड़ी तो कभी अच्छी कभी भयावह तो कभी निर्भय जगह मिले तो भिक्षु समता से उसे स्वीकार करे पर खिन या प्रसन्न न हो । मुनि के
चार की यही सम्पूर्णता है कि सब विषयों में रागद्वेष से रहित और अपने कल्याण में वह तत्पर रहकर सावधानी से प्रवृत्ति करे । [ ११० ]
शय्या
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