Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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श्रुतस्कन्ध. १ उपधान० अ. ९. उ. ३
छाया -- एप विधिरनुक्रान्तः माहनेन मतिमता ।
बहुशः अप्रतिज्ञेन भगवता एवं रीयन्ते इति ब्रवीमि ॥ १४ ॥ टीका -- अस्य व्याख्याऽत्रैवाध्ययने प्रथमोद्देशेऽभिहिता, तत एवावगन्तव्या । इति ब्रवीमीत्यस्यार्थस्तूक्त एव ॥ १४ ॥
नवमाध्ययनस्य तृतीय उद्देशः समाप्तः ॥ ९-३॥
इस सूत्र की व्याख्या इसी अध्ययन के प्रथम उदेशमें की जा चुकी है, अतः वहांसे समझ लेनी चाहिये । ' इति ब्रवीमि ' इसका अर्थ पहले किया जा चुका है ॥ १४॥
नववें अध्ययनका तीसरा उद्देश समाप्त ॥ ९-३ ॥
આ સૂત્રની વ્યાખ્યા આ छे, भाटे त्यांथी सभल सेवी गयेस छे. (१४)
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નવમા અધ્યયનના ત્રીજો ઉદ્દેશ સમાસ पाट-3॥
શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩
અધ્યયનના પથમ ઉદ્દેશમાં કહેવામાં આવી ગઈ थे. ' इति ब्रवीमि ' मानो अर्थ पहेला भावी