Book Title: Agam 01 Ang 01 Aacharang Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 663
________________ ६०१ श्रुतस्कन्ध १ उपधान० अ. ९. उ. . भगवान् कियन्तं कालं रूक्षोदनादीनि सेवते स्मेत्याह-'एयाणि ' इत्यादि। मूलम्-एयाणि तिन्नि पडिसेवे, अट्टमासे य जावए भयवं । अवि इत्थ एगया भगवं, अद्धमासं अदुवा मासंपि ॥५॥ छाया-एतानि त्रीणि प्रतिसेवते, अष्टमासांश्च यापयति भगवान् । अप्यत्र एकदा भगवान् , अर्द्धमासमथवा मासमपि ॥५॥ टीका--भगवान् एतानि पूर्वोक्तानि त्रीणि ओदनादीनि यथाप्राप्त प्रतिसेवतेस्म। एवं कृत्वाऽष्टौ मासान् यापयति-शरीरयात्रां निर्वहतिस्म। अथ भगवतस्तपो वर्णयति-'अवि इत्थ' इत्यादि । अपिच-एकदा भगवान् अत्र-छद्मस्थावस्थायाम् अर्द्धमासमथवा मासमपि चतुर्विधाहारपरित्यागेन तपश्चकार ॥५॥ किञ्च-'अवि साहिए' इत्यादि। मूलम्-अवि साहिए दुवे मासे, छप्पि मासे अदुवा विहरित्था । राओवरायं अपडिन्ने, अन्नं गिलायमेगया भुंजे ॥६॥ आदि, बैरों-बोरोंके चूर्ण आदि तथा कुलथी आदिसे अपने शरीरका निर्वाह करते। यह सब रूक्ष आहार है ॥ ४ ॥ भगवानने कितने दिनों तक रूक्ष आहारका सेवन किया? इसे सूत्रकार प्रकट करते हैं-'एयाणि' इत्यादि। भगवान्ने इन ओदन-कोद्रव, मंथु-बेरचूर्ण और कुलथी, ये तीन प्रकारके पर्युषित रूक्ष आहार जिस समय गोचरीमें जो मिल जाता था वही लेते थे, इस प्रकार आठ मास तक रूक्ष आहार सेवन किया। भगवान्ने अपनी इस छद्मस्थावस्थामें कभी२ अर्धमास या एक मास आदि अनेक चौविहार तपश्चर्या की ॥५॥ વગેરે તથા કળથી વગેરેથી પોતાના શરીરને નિર્વાહ કરતા. આ બધા રૂક્ષ माडार छ. (४) ભગવાને કેટલા દિવસ સુધી રૂક્ષ આહારનું સેવન કર્યું? એને સૂત્રકાર प्रगट ४२ छ–'एयाणि' त्याहि. ભગવાને એ એદન–કેદ્રવ, મંથ–બેરચુર્ણ અને કલથી, એ ત્રણ પ્રકારના પષિત-વાસી રૂક્ષ આહાર જે સમયે ગોચરીમાં જે મળી જતું તે લેતા હતા. આ પ્રકારે આઠ માસ સુધી રૂક્ષ આહારનું સેવન કર્યું. ભગવાને પોતાની એ છદ્મસ્થ અવસ્થામાં કદી કદી અર્થોમાસ, અગર એકમાસ આદિ અનેક ચૌવિહાર તપશ્ચર્યા કરી. (૫) ७६ શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩

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