Book Title: Adhyatma Chetna Author(s): Nitesh Shah Publisher: Kundkund Kahan Tirth Suraksha Trust View full book textPage 7
________________ गया है। द्यानतरायजी की कोई भी गद्य रचना उपलब्ध नहीं है। पद्य के अन्तर्गत द्यानतविलास उनकी मुख्य कृति है। मुक्तक काव्य के रूप में उपदेशशतक, चर्चाशतक, पद-संग्रह का विवेचन किया गया है। इनके अतिरिक्त फुटकर रचनाओं के रूप में विनतियाँ, स्तोत्र, आरतियाँ, अष्टक काव्य, बावनियाँ इत्यादि का नामोल्लेख पूर्वक परिचय दिया गया है। ये समस्त रचनाएँ मुक्तक काव्य में ही समाहित हैं। - तृतीय अध्याय में अध्यात्म का स्वरूप एवं विश्लेषण के अन्तर्गत अध्यात्म शब्द की व्युत्पत्ति, अर्थ, लक्षण एवं परिभाषा, अध्यात्म – विभिन्न दर्शनों की दृष्टि में, अध्यात्म – विभिन्न मनीषियों की दृष्टि में एवं अन्त में अध्यात्म के महत्त्व का वर्णन किया गया है। . साथ ही द्यानतराय के काव्य में आत्मा-परमात्मा पर विचार,जगत सम्बन्धी विचार, कर्म सिद्धान्त सम्बन्धी विचार, मोक्ष सम्बन्धी विचार, मनुष्य जन्म की दुर्लभता पर विचार, राग-द्वेष-मोह तथा कषाय की बाधकता पर विचार, अज्ञान के अभाव के विषय में विचार, सद्गुरु का महत्त्व, साधक की अनिवार्यता सम्बन्धी विचार, आस्रव निरोध की चर्चा तथा संवर, निर्जरा की चर्चा इत्यादि का-विस्तृत वर्णन किया है। चतुर्थ अध्याय में द्यानतराय की अध्यात्म निरूपणा में चारित्रगत निरूपणा के अन्तर्गत इन्द्रिय संयम की आवश्यकता, मन संयम की आवश्यकता, प्राणी रक्षा की बात, अन्तरंग एवं बाह्य शुद्धि का वर्णन, दशधर्म का वर्णन, सत्संग की चर्चा, बाह्य आडम्बर का विरोध, व्यवहार साधना मार्ग, निश्चय साधना का मार्ग, सयोग केवली तथा जीवन मुक्त की स्थिति आदि का वर्णन किया गया है। साधनागत निरूपणा के अन्तर्गत सात-तत्त्वों का निरूपण, छह द्रव्यों का निरूपण, आत्मतत्त्व का वर्णन, रत्नत्रय का प्रतिपादन, मिथ्यांदर्शन ज्ञान-चारित्र का वर्णन, नवपदार्थ का तथा स्वानुभव का वर्णन किया है। पंचम अध्याय में द्यानतराय के काव्य में अभिव्यक्त कलापक्ष का अनुशीलन किया गया है। इसके अन्तर्गत द्यानतराय द्वारा प्रयुक्त भाषा, छन्द-विधान, अलंकार-विधान, प्रतीक-विधान, मुहावरे और कहावतों का विस्तृत विवेचन किया गया है। षष्ठ अध्याय में सम्पूर्ण विषयवस्तु का उपसंहार किया गया है। साथ ही द्यानतराय के योगदान पर भी विचार किया गया है।Page Navigation
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