________________ शिथिलीकरण के आसन शिथिलीकरण के आसनों के महत्व की जितनी प्रशंसा की जाये, उतनी कम है / उन्हें आसन-सत्र के पूर्व या जब भी शारीरिक थकान हो, कर लेना चाहिये / पहली बार देखने से ये आसन बड़े सरल लगते हैं फिर भी उन्हें उचित ढंग से करना कठिन है, क्योंकि शरीर की सभी मांसपेशियों को चेतन रूप में शिथिल करना पड़ता है। आधुनिक वैज्ञानिक युग में लोग अनेक तनावों एवं दुश्चिन्ताओं के अधीन हैं। उन्हें नींद में भी आराम नहीं मिलता / ऐसे लोगों को जिस प्रकार के विश्राम की आवश्यकता है, उसे वे इन आसनों के द्वारा निश्चित ही प्राप्त कर सकते हैं। शरीर और मन को शिथिल करने की एक विशेष सरल एवं शक्तिशाली यौगिक विधि है- योगनिद्रा | दिन भर की कठिन मेहनत के बाद अथवा रात्रि को सोने से पूर्व इस अभ्यास को करने से बड़ा लाभ पहुंचता है। विधि इस प्रकार है- शवासन में लेट जाइये और अपनी चेतना को शरीर के विभिन्न भागों में घुमाइये / मानसिक रूप से अनुभव कीजिए कि हाथ फर्श का ही एक अंग बन गया है। बारी-बारी से विभिन्न अंगों के प्रति जागरूक होते जाइयेअंगूठा, दूसरी अंगुली, तीसरी अंगुली, चौथी अंगुली, पाँचवी अंगुली, हथेली, कलाई, केहुनी, भुजा, बगल, बायीं कमर, बायाँ कूल्हा, बायीं जाँघ, बायाँ घुटना, पिंडली, टखना, एड़ी, तलवा, बायें पैर का अंगूठा, दूसरी अंगुली, तीसरी अंगुली, चौथी अंगुली, पाँचवीं अंगुली / इसी प्रक्रिया को शरीर के दूसरे भागों एवं सिरं और धड़ के सभी भागों के साथ दुहराइये / आपके शरीर का प्रत्येक अंग शिथिल होकर फर्श में मिलता जा रहा है, इसका अनुभव निरन्तर करते रहें। __इसी प्रक्रिया को दो-तीन बार दुहराइये / आपके शरीर तथा मन के सभी तनाव दूर हो जायेंगे।