Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 411
________________ चाय, कॉफी, शराब, कच्ची तरकारी एवं भारी भोजन वर्जित हैं। अपस्मार H तनाव एवं परेशानी दूर करने वाले सभी योगाभ्यास लाभप्रद हैं। . 'चिन्ता' वंशानुगत होते हुए भी दूर की जा सकती है, यह हमारा अनुभव है। असामर्थ्य : यह रस की कमी या किसी अंग की अव्यवस्था से नहीं वरन् संवेदनात्मक कारणों से उत्पन्न स्थिति है / रुचिपूर्वक योगाभ्यास करने से लाभ पहुँचता है। यदि कारण बाल्यावस्था का आघात है तो ध्यान का अभ्यास लाभप्रद होगा / इससे मूल कारण ही नष्ट हो जायेगा। .. .. अनिद्रा : सीमा से अधिक क्रियाशीलता तथा शरीर एवं मन को शिथिल करने . में असमर्थ होने पर यह स्थिति उत्पन्न होती है। 'चिंता' के लिए. वर्णित अभ्यास देखिये / विशेष रूप से 15 मिनट 'त्राटक' एवं 15 मिनट 'योगनिद्रा' निद्रा के पूर्व कीजिये। अशुद्ध रक्त : 'वृक्क' देखिये / यह रक्त शुद्धि करने वाला अंग है। सूर्य . नमस्कार का अभ्यास थकावट आने तक कीजिए। फल एवं नमकरहित भोजन लीजिये। यौगिक कार्यक्रम प्रारम्भ करने के पूर्व शंखप्रक्षालन कीजिये। . अधिकतम तनाव : 'रक्तचाप' देखिये। असाधारण निम्न तनाव : 'रक्तचाप' देखिये। आँख : नेत्रों के अभ्यास का अध्याय देखिये / आंत : 'उदर' देखिये। आँव : शंखप्रक्षालन से दोनों प्रकार की आँव दूर हो जाती है। अमाशय : 'उदर' देखिये। अम्लीयता : 'उदर' देखिये / अनेक अभ्यास उपयोगी हो सकते हैं। आहार ग्रहण करने के बाद 10 मिनट वज्रासन कीजिये / मानसिक शांति ('चिंता' में देखिये) के साथ नियंत्रित भोजन आवश्यक है / आपात : 'नाड़ियों में रक्त का जमाव' देखिये / उप चुल्लिका ग्रन्धि H 'चुल्लिका ग्रंथि' देखिये / उपवृक्क ग्रन्थियाँ : (सामान्य स्वास्थ्य हेतु) सूर्य नमस्कार, मार्जारि आसन, शशांक भुजंगासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन, पीछे झुकने वाले आसन - विशेषकर 394 .

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