Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 415
________________ शाम्भवी, मांडूकी, भूचरी, योगमुद्रा, योनि मुद्रा और त्राटक। चर्मरोग : (dermatitis- स्थान - स्थान पर सूजन) 'खाज' देखिये। ... चक्कर आना : संतुलन का कोई आसन | प्रकारान्तर सहित शशांकासन व त्राटक / छाती (breasts) : (विकास) सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन - अभ्यास 15, लोलासन, पीछे झुकने वाले सभी आसन, सिर के बल किये जाने वाले आसन, गोमुखासन / छाती (chest) : (सामान्य स्वास्थ्य एवं शक्ति हेतु) सूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन - अभ्यास 1 से 6, खड़े होकर एवं झुककर किये जाने वाले आसन, मत्स्यासन, लोलासन, कुक्कुटासन, पीछे झुककर किये जाने वाले आसन, विशेषतः चक्रासन एवं धनुरासन, बक ध्यानासन, नटराज आसन, वृश्चिकासन, अष्ट वक्रासन / जोड़ों में सजन (arthritis): औषधि -क्षेत्र में इसका उपचार 'कार्टिजोन' नामक रस द्वारा किया जाता है। सामान्यतः इस रस का स्राव उपवृक्क ग्रन्थियों से होता है / अतः 'उपवृक्क ग्रंथि' में देखिये। दर्द होने पर इसमें विशेष अंग का अभ्यास या व्यायाम करना चाहिए / पवनमुक्तासन - अभ्यास 1 से.१६ विशेष लाभप्रद हैं / इस अभ्यास के पूर्व रक्ताभिसरण क्रिया को उत्तेजित करने के लिए नमक मिले गर्म पानी में हाथ डालकर रखना चाहिए। बिस्तर पर रहने वाले रोगी को प्रति घंटे कम से कम 10 बार दीर्घ उदर श्वसन करना चाहिए / रोग की अवस्था के अनुकूल प्राणायाम करना चाहिए - विशेषतः नाड़ी शोधन / मालिश द्वारा उपचार किया जा सकता है / शिथिलीकरण की यौगिक विधि एवं ध्यानाभ्यास के माध्यम से 'धनात्मक' मानस का निर्माण करना चाहिए.। झुर्रियों : 'चेहरा' शीर्षक देखिये / जुकाम : (रोकथाम) सूर्य नमस्कार व आसन एवं प्राणायाम का नियमित अभ्यास करना चाहिए। नेति के साथ सिंहासन विशेष लाभप्रद है / जुकाम के लक्षण कुंजल और नेति द्वारा दूर किये जा सकते हैं। सर्दी की स्थिति में साधारण आसनों का अभ्यास करना चाहिए। 398

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