Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 438
________________ बिहार योग श्री पंचदशनाम भारती परमहंस अलख बाडा “बिहार योग भारती की स्थापना योग श्री पंचदशनाम परमहंस अलखबाडा विज्ञान के उच्च अध्यापन हेतु परमहंस की स्थापना परमहंस सत्यानन्द सरस्वती निरंजनानन्द द्वारा सन् 1664 में एक द्वारा बिहार के देवघर जिले के रिखिया शैक्षणिक एवंदातव्य संस्था के रूप में की नामक स्थान में सन् 1960 में की गयी। गयी। __यह दातव्य एवं शैक्षणिक संस्था है। __ यह स्वामी शिवानन्द सरस्वती एवं इसका लक्ष्य संन्यास की उच्चतम परमहंस सत्यानन्द जी के स्वप्र का परमराओं-वैराग्य, त्याग और तपस्या को साकार रूप है। . बनाए रखना तथा उनका प्रचार प्रसार परमहंस निरंजनानन्द जी इस संस्था करना है। के कुलाधिपति हैं। - इसकी जीवन शैली वैदिक युग में बिहार योग भारती विश्व में योग ऋषि-मुनियों द्वारा अपनायी गयी तपोवन अध्ययन के क्षेत्र में एम. ए., एम. एस. . शैली पर आधारित है। अलखबाडा में सी., एम. फिल., पी.एच.डी. एवं डी. केवल संन्यासी, वैरागी, तपस्वी और लिट्.इत्यादि उपाधियाँ प्रदान करने वाली परमहंस प्रवेश पा सकते हैं। . अपनी तरह की पहली संस्था होगी। अलखबाडा में योग शिक्षण जैसा कोई - इसमें योगदर्शन, योग मनोविज्ञान एवं कार्यक्रम संचालित नहीं किया जाता, व्यावहारिकयोगविज्ञान विभाग केमाध्यम और न किसी धर्म या धार्मिक अवधारणाओं से आज की आवश्यकतानुसार पूर्ण पर प्रवचन ही दिया जाता है। वैज्ञानिक ढंगसे योग शिक्षण एवं प्रशिक्षण अलखबाडा के लिए निर्देशित साधना दिया जाता है। तपस्या और स्वाध्याय या आत्मचिन्तन ___ वर्तमान में बि.यो. भा. अपने गुरुकुल की वैदिक परम्परा पर आधारित है। वातावरण में वार्षिक एवं द्विवार्षिक परमहंससत्यानन्दजी अबयहाँस्थायी आवासीय सत्रों का आयोजन करता है, रूप से निवास करने लगे हैं। वे निरन्तर ताकि योग शिक्षण के साथ-साथ पंचाग्नि साधना एवं अन्य अन्य साधनाओं .. विद्याथियों को मानवता के प्रति सेवा, में लीन रहते हैं। इस प्रकार वे भावी समर्पण और करुणा की शिक्षा भी मिले। परमहंसों के लिए इस महान् परम्परा को कुलपति कायम रखने का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। . स्वामी शंकरानन्द 1664 से वर्तमान तक अध्यक्ष स्वामी धर्मशक्ति सेवर्तमान तक 421

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