Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 437
________________ योग शोध संस्थान . शिवानन्द मठ शिवानन्द मठ एक सामाजिक तथा इस वैज्ञानिक अनुसंधान संस्थान की दातव्य संस्था है। इसकी स्थापना सन् स्थापना परमहंस सत्यानन्द जी द्वारा मुंगेर 1984 में परमहंस सत्यानन्द जी द्वारा में सन् 1984 में की गयी थी। अपने गुरु स्वामी शिवानन्द जी की स्मृति परमहंस निरजनानन्द जी इस संस्था में की गयी। के प्रधान संरक्षक हैं। इसका मुख्यालय अब बिहार राज्य के इस शोध संस्थान का उद्देश्य वैज्ञानिक 'देवघर जिले के रिखिया ग्राम में है। ढाँचे के अन्तर्गत योग का सही मूल्यांकन परमहंस निरंजनानन्द जी इस संस्था के प्रस्तुत करना, तथा मानव के भावी प्रधान संरक्षक हैं। विकास के संदर्भ में इसे एक आवश्यक इसका लक्ष्य समाज के शोषित पीड़ित विज्ञान के रूप में प्रतिष्ठित करना है। एवं पिछड़ेवर्गों, विशेषकर ग्रामीण समुदाय स्वास्थ्य के क्षेत्र में योगानुसंधान से के विकास एवं उत्थान के लिए आवश्यक सम्बद्ध देश-विदेश के सौ से भी अधिक सुविधायें उपलब्ध कराना है। चिकित्सा शास्त्रियों की एक संगोष्ठी का संस्था के कार्य हैं-निःशुल्क आयोजन मुंगेर में वर्ष 1988 तथा छात्रवृत्तियाँ, कपड़े, पालतू पशुओं एवं 1686 को किया गया। खाद्य सामग्रियों का वितरण, नलकूपों की श्वसन सम्बन्धी रोगों पर योग के खुदाई, जरूरतमन्दों के लिए आवासों का प्रभाव का अध्ययन करने के लिए वर्तमान निर्माण, किसानों के खेतों की जुताई एवं / में विश्वभर के लगभग 10,000 मरीजों सिंचाई के कार्यों में सहायता पहुँचाना।। पर एक अन्तरराष्ट्रीय अनुसंधान कार्यक्रम चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराने हेतु चलाया जा रहा है। एक छोटे चिकित्सालय का निर्माण किया _भविष्य की योजनायें हैं-शारीरिक गया है और मवेशियों के उपचार की मानसिकस्वास्थ्य एवं आध्यात्मिक उन्नति सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है। के लिए योग के कम प्रचलित पक्षों पर शिवानन्द मठ की गतिविधियों के साहित्यिक,शास्त्रीय, चिकित्सात्मक एवं संचालन हेतु निर्मित तीन मंजिला त्रिभुवन वैज्ञानिक अनुसंधान। कार्यालय गाँव के लोगो को विश्व की घटनाओं से अवगत कराने के लिए .स्वामी वज्रपाणि * 1984-1986 "सेटेलाइट डिश" भी लगाएगा। 1686-1663 सभी सेवायें सार्वभौम रूप से समस्त जातियों एवं धर्मों के लोगों को प्रदान की स्वामी सूर्यमणि 1663 से वर्तमान तक जाती हैं। अध्यक्ष स्वामी अमृतानन्द 1684-1987 स्वामी हरिप्रेमानन्द 1687-1686 स्वामी सिद्धेश्वरानन्द 1986-1961 स्वामी ओंकारानन्द 1661 सेवर्तमान तक अध्यक्ष स्वामी गु कपा 420

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