Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 410
________________ नाड़ी शोधन, भस्त्रिका, कपालभाति प्राणायाम / महाबंध / महामुंद्रा, महाबेध मुद्रा और प्राण मुद्रा / (घ) प्रवीण अभ्यासियों के लिए विशेष कार्यक्रम पूर्ण भुजंगासन, पूर्ण शलभासन, पूर्ण धनुरासन, द्वि पाद शिरासन, वृश्चिकआसन, कूर्मासन, पूर्ण मत्स्येन्द्रासन, हनुमानासन, ब्रह्मचर्यासन, अष्ट वक्रासन, शीर्षासन (या प्रकारांतर), ताड़ासन / शवासन / नौलि व पाशिनी मुद्रा। - रोगों में योग-अभ्यास अपचन : ताजे फल, हरी सब्जियाँ व अधिक जल के सेवन (कम से कम 5 गिलास प्रतिदिन) तथा प्रतिदिन निम्न योगाभ्यास करने से पुराना रोग भी दूर हो जाता हैसूर्य नमस्कार, पवनमुक्तासन (अभ्यास 17 से 21), सुप्त वज्रासन, शशांकासन, उष्ट्रासन, त्रिकोणासन, ताड़ासन, योग मुद्रा आसन, मत्स्यासन, सामने तथा पीछे झुककर किये जाने वाले आसन (सभी), मेरुदण्ड को मोड़ने वाले आसन, हलासन, द्रुत हलासन, मयूरासन / भोजनोपरान्त 10 मिनट वज्रासन में बैठिये / उड्डियान बंध, महाबंध, अश्विनी मुद्रा, अग्निसार क्रिया, नौलि, बस्ति / निर्देशन में शंखप्रक्षालन / प्रति दिन प्रातः लघु शंखप्रक्षालन किया जा सकता है / योगनिद्रा जैसे अभ्यास करने चाहिए जिनसे मानसिक शान्ति प्राप्त हो / अल्सर (पेप्टिक और आमाशीय) : स्वयं को शांति प्रदान कीजिये, क्योंकि इसका कारण चिंता से मुक्ति न पाना या शिथिलीकरण में असफलता है। दिन के किसी भी समय शिथिलीकरण का अभ्यास उत्तम है / शशांकासन तथा प्राणायाम जैसे- नाड़ी शोधन, शीतली, शीतकारी, भ्रामरी व मूर्छ / आकाशी मुद्रा, महामुद्रा, योनि मुद्रा एवं नवमुखी मुद्रा; त्राटक, अजपा जप, योगनिद्रा, अन्तर्मोन व अन्य शिथिलीकरण के अभ्यास / सरलता से पचने वाले भोज्य पदार्थ जैसे - दूध के बने आहार, नर्म फल, द्रव या अर्द्ध द्रवीय पदार्थ लीजिये / 393

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