Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 380
________________ चुल्लिका ग्रंथि के उत्प्रेरक के रूप में एक विशेष रस (Thyro trophin TSH ) की. उत्पत्ति भी इसी ग्रंथि द्वारा होती है। इस रस विशेष की अनुपस्थिति में समस्त शारीरिक तथा मानसिक कार्यों को विपत्ति का सामना करना पड़ेगा। इस ग्रंथि से रक्तचाप बढ़ाने वाले रस ( pituitrin hormone ) तथा एक छोटी ग्रंथि को क्रियाशील बनाने वाले रस (follicle stimulating hormone FSH) का स्राव भी होता है जिसके कारण भ्रूण का विकास होता है तथा जो रजःपिण्ड को इस्ट्रोजन (estrogen ) नामक रस के उत्पादनकार्य हेतु क्रियाशील बनाता है। एक अन्य महत्वपूर्ण रस (luteinizing hormone LH) की उत्पत्ति होती है जो स्त्रियों के नियमित मासिक धर्म का ' कारण है ! .. . इसके अतिरिक्त इस ग्रंथि से कई प्रकार के रस - स्राव होते हैं। इस संक्षिप्त विवरण में उनका वर्णन कठिन है / 2. पीनियल ग्रंथि . यह ग्रंथि वैज्ञानिकों के लिये अभी भी समझ से परे हैं / इसकी निश्चित क्रियाओं का पता शरीर-विज्ञान नहीं लगा सका है। ___योग के अनुसार यह ग्रंथि स्थूल शरीर तथा चैतन्य शरीर के मध्य की कड़ी है। 3. चुल्लिका ग्रंवि - इस छोटी ग्रंथि की आकृति तितली की भाँति होती है / ग्रीवा के सम्मुख वाय नलिका के दोनों ओर यह स्थित है। यह शक्तिशाली रस (thyroxin) की उत्पत्ति करती है जो व्यावहारिक रूप से शरीर के प्रत्यक्ष कोशिका पर प्रभाव डालता है। शरीर की चयापचय क्रिया में प्रत्येक कोशा द्वारा ओषजन एवं भोजन का शोषण होता है / इस ग्रंथि द्वारा इस क्रिया की दर को व्यवस्थित किया जाता है। अन्य वस्तुओं की चयापचय - क्रिया पर यह नियंत्रणकारी प्रभाव डालती है / हड्डियों के विकास कार्य को प्रेरित करती है, नाड़ी-संस्थान की संवेदनशीलता में वृद्धि करती है तथा शरीर के अन्य अंगों पर सक्रिय या निष्क्रिय प्रभाव डालती है। . सामान्य क्रियाशील व्यक्ति में चुल्लिका रस की उत्पत्ति पर्याप्त मात्रा में होती है जिससे उसकी आवश्यकताओं की पूर्ति हो जाती है। ऐसे व्यक्ति में 363

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