Book Title: Aasan Pranayam Mudra Bandh
Author(s): Satyanand Sarasvati
Publisher: Bihar Yog Vidyalay

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Page 400
________________ परिवर्तन होता है / यदि पूर्ण मस्तिष्क में अच्छी तरह रक्त - संचार हो तो विचार शक्ति पर उम्र का प्रभाव नहीं पड़ता / सदैव ध्यान रखिये कि मानव मस्तिष्क को प्रचुर मात्रा में ओषजन की आवश्यकता पड़ती है। आकृति में मस्तिष्क शरीर का पाँचवाँ भाग है परंतु उसके स्वास्थ्य के लिये हृदय से प्रवाहित कुल रक्त के पाँचवें भाग की ही नहीं वरन् अधिक रक्त की आवश्यकता पड़ती है। प्रत्येक नाड़ी या मस्तिष्क कोशा को अविराम गति से प्रचुर मात्रा में रक्त चाहिये / यदि इसे दो सेकेंड से अधिक देर भी रक्त न मिले तो इसका कार्य रुक जायेगा | पाँच मिनट तक रक्तरहित रहने से इसकी मृत्यु निश्चित है। मस्तिष्क के प्रमुख तीन विभाग हैं - उच्च, मध्यम तथा निम्न / निम्नतम स्तर पर स्वाभाविक कार्य होते हैं / ये वे शक्तियाँ हैं जो हृदयगति, श्वास की दर एवं गहराई, शारीरिक ताप आदि पर नियंत्रण करती है। मध्यम मस्तिष्क गूढ़ बटनपट्ट (switch board ) की भाँति कार्य करता है / यह समस्त शरीर से संदेश ग्रहण करता है, उन्हें क्रम से अलग करता है तथा अपेक्षाकृत उच्च स्तर को भेजता है। ऊपर का मस्तिष्क या सेरेबल कॉर्टेक्स (ccrebal cortex) इन संकेतों को ग्रहण कर उसके सूचनानुकूल कार्य करता है / इस मस्तिष्क - प्रदेश में ऐसी कोशायें होती हैं जो हमें चिन्तन एवं तर्क द्वारा उचित निर्णय की क्षमता प्रदान करती हैं। मस्तिष्क की रचना दो प्रकार के नाड़ीय पेशीजालों से होती है। पहले को भूरा पदार्थ एवं दूसरे को श्वेत पदार्थ कहते हैं / भूरा पदार्थ नाड़ी कोशाओं से निर्मित होता है तथा श्वेत पदार्थ नाड़ी तन्तुओं का बना होता है। नाड़ी कोशाओं एवं नाड़ी तन्तुओं के योग से नाड़ी घटकों का संगठन होता है / नाड़ी कोशाओं एवं नाड़ी तन्तुओं में से किसी एक की मृत्यु से दूसरे की भी मृत्यु निश्चित होती है। नाड़ी तन्तुओं द्वारा नाड़ी-कोशाओं का परस्पर सम्बन्ध होता है / इसकी अनेक शाखाएँ -प्रशाखाएँ हैं जिनकी लम्बाई कुछ अवस्थाओं में 20 इंच से भी अधिक हो सकती है / मस्तिष्क से बाहर आने वाले एवं भीतर जाने वाले नाड़ी- तन्तुओं की कुल संख्या 20 करोड़ है। कोशाओं को अंतः रूपेण जोड़ने वाले तन्तुओं की संख्या अगणित या कल्पना से परे है। मस्तिष्क के प्रमुख विभागों का विवरण नीचे दिया जा रहा हैसम्मुख प्रदेश मस्तक के पीछे तथा मस्तिष्क के सामने उसके अग्र कोष्ठ हैं। इसे 'शान्त प्रदेश' कहते हैं / यहीं पर न्याय, नैतिकता, सत्य, ईमानदारी तथा भले - बुरे का ज्ञान स्थित होता है / इस प्रदेश में किसी प्रकार की चोट लगने पर 383

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