________________ प्रकारान्तर उच्च अभ्यासी गिलास से ही नासिका द्वारा पानी पीकर जल नेति कर . सकते हैं / गर्म या ठंडे पानी का भी उपयोग कर सकते हैं। विशेष अवस्थाओं में नेति के लिए दूध (दुग्ध नेति), शुद्ध घी (घृत नेति), जल मिश्रित तेल (तेल नेति) या शिवाम्बु का प्रयोग किया जा सकता है। योग शिक्षक के निर्देश में ही विशेष प्रकार की नेति करें। सूत्र नेति सूत्र का अर्थ है सूत या धागा / क्रमागत विधि के अनुसार एक सूती धागे को मोम से कड़ा कर एक नथुने से भीतर डाला जाता है | धागे का सिरा गले में होते हुए मुँह में आता है / मुँह से उसे खींचा जाता है / वर्तमान समय में मोम लगे धागे के स्थान पर रबर की पतली नलिका का प्रयोग किया जाता है। यह दवा की किसी भी दुकान से प्राप्त की जा सकती विधि रबर की नली को नासिका छिद्र से डालकर मुँह से खींचिये। रबर की नली को खींचकर आगे-पीछे कीजिये जिससे वह नासिका - छिद्र में आगे-पीछे हो / इस क्रिया को 30 से 50 बार तक कीजिये। नली को पूर्णतः निकालकर ऊपर की क्रिया दूसरे नथुने से करें / प्रतिदिन जल नेति के उपरान्त / सावधानी रबर की नलिका को नासिका में से धीरे-धीरे डालिये / . योग्य निर्देशक की अनुपस्थिति में अभ्यास न कीजिये / - लाभ श्वास - रन्ध्र के असाधारण स्राव, विभिन्न मांसल अवरोध व सामान्य सूजन को दूरकर बन्द नासिका - छिद्रों को खोल देता है / वर्षों से बन्द नासिका से पीड़ित व्यक्तियों को भी इससे बहुत लाभ हुआ है। इससे जल नेति के ही समान अन्य लाभों की प्राप्ति होती है / 333