Book Title: Aagam Manjusha 03 Angsuttam Mool 03 Thanam Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri Publisher: Deepratnasagar View full book textPage 9
________________ SPORAASPIRIKISPRSHIPMAREPENSPTEMBIHARBPMARPAISABINAGPIER66520SASPIRAROPAMSPOARBPRAASPIC पवायदहा बहुसम० तं० हरिपवातदहे व हरिकंतपवातदहे चेच, जंबूमंदरउत्तरदाहिणेणं महाविदेहवासे दो पवायदहा बहुसम० जाव सीअप्पवातहहे चेव सीतोदष्पवायबहे चेव, जंबू. मंदरस्स उत्तरेणं रम्मए वासे दोपवायदहा बहु० जाव नरकंतप्पवायदहे चेवणारीकंतप्पवायहहे चेव, एवं हेरचवते चासे दो पवायदहा सुवाकूलप्पवायहहे चेव रुप्पकूलपवायहहे चेव, जंबमंदरउत्तरेणं एखए वासे दोपवायहहा बह जाव रत्तप्पवायदहे चेष रतावइप्पवायहहे चेव, जंबूमंदरदाहिणणं मरहे वासे दो महानईओ बहु० जाव गंगा चेव सिंधचेच. एवं जधा पवातदहा एवं णईओवि भाणियष्याओ जाव एरवए वासे दो महानईओ बहुसमतुल्डाओ जाव रत्ता चेव रत्तवती चेव ।८८ा जंबुदीवे २ भरहेरखएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ काले होत्या १, एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाच पत्ते २, एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाब भविस्सति ३, जंबुद्दीवे दीवे भरहेरखएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुषमाए समाए मणुया दो गाउयाई उड्ढंउच्चत्तेणं होत्था ४, दोनि य पलिबोक्माई परमाउं पालइत्था ५, एवमिर्मासे ओसप्पिणीए जाव पालइत्था ६, एवमागमेस्साते उस्सप्पिणीए जाच पालिस्संति७, जंबुद्दीवे दीवे भरहेरखएसुवासेसु एगसमये एगजुगे (एगजुगे एगसमये पा०) दो अरिहंतवंसा उप्पजिंसु वा उप्पजति वा उपजिस्संति वा८. एवं चकवहिवंसा ९, दसारवंसा १०, जंबूभरहेरखएम० एगसमते दो अरहंता उप्पजिसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा ११, एवं चक्कवट्टिणो १२, एवं बलदेवा एवं वासुदेवा (दसारवंसा) जाव उप्पजिंसु वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा १३, जंबू० दोसु कुरासु मणुआ सया सुसमसुसममुत्तमिटिं पत्ता पचणुभवमाणा विहरंति,तं०-देवकुराए चेव उत्तरकुराए चेव १४, जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमुत्तमं इदि पत्ता पचणुभवमाणा विहरंति, तं०-हरिवासे चेव रम्मगवासे चेव १५, जंबू० दोसु वासेसु मणुया सया ससम(म० दूस)मत्तममिडिंद पत्ता पचणुम्भवमाणा विहरति त-हेमवए चेव एरनवए व १६, जचुदाय दाव दासु खित्तसुमणुया सया दूसमसुसममुत्तममिड्ढि पत्ता पचणभवमाणा विहरति, तं०-पृविदेई चेव अवरविदेह चेव १७, जंचूदीचे दीवे दोसु वासेसु मणुया छबिहषि कालं पचणुब्भवमाणा विहरति, तं०-भरहे चेव एरवते वेव १८ । ८९। जंचहीये दीवे दो चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा, दो सूरिआ तर्विसु वा तवंति वा तविस्संति चा, दो कत्तिया, दो रोहिणीओ. दो मम्मसिराओ, दो अहाओ, एवं भाणियव्वं, "कत्तिय (१)रोहिणि (२) मगसिर (३) अहा(४) य पुणब्वसू (५)ज पूसो (६) या तत्तोऽवि अस्सलेसा (७) महा (८) य दो फागुणीओ (९-१०) य॥१॥ हत्थो (११)चिना (१२) साई (१३)विसाहा (१४) तहय होति अणुराहा (१५)। जेट्ठा (१६) मूलो (१७) पुवा (१८) य आसाढा उत्तरा (१९) चेव ॥२॥ अभिइ (२०)सवण (२१) धणिट्टा (२२) ७) भरणी (२८) नेतचा आणुपुथ्वीए ॥३॥ एवं गाहाणुसारेणं यव्वं जाव दो भरणीओ। दो 18 अग्गी दो पयावती दो सोमा दो कद्दा दो अदिती दो बहस्सती दो सप्पी दो पिती दो भगा दो अजमा १० दो सविता दो तट्ठा दो बाऊ दो इंदम्मी दो मित्ता दो इंदा दो निरती दो आऊ दो विसा दो वम्हा २० दो विण्हू दो वसू दो वरुणा दो अया दो विविदी दो पुस्सा दो अस्सा दो यमा २८। दो इंगालगा दो वियालगा दो लोहितक्खा दो सणिचरा दो आहुणिया दो पाहुणिया दो कणा दो कणगा दो कणकणगा दो कणगविताणगा १० दो कणगसंताणगा दो सोमा दो सहिया दो असासणा दो कज्जोवगा दो कब्बडगा दो अयकरगा दो दुंदुभगा दो संखा दो संखवन्ना २० दो संखवन्नाभा दो कंसा दो कंसवन्ना दो कंसवन्नामा दो रुप्पी दो रुप्पाभासा दो णीला दोणीलोभासा दो भासा दो भासरासी ३० दो तिला दो तिल. पुष्कवण्णा दो दगा दो दगपंचवन्ना दो काका दो ककंधा दो इंदग्गी दो घूमकेऊ दो हरी दो पिंगला ४० दो बुदा दो सुका दो बहस्सती दो राहु दो अगत्थी दो माणवगा दो कासा दो फासा दो धुरा दो पमुहा ५० दो बियडा दो विसंधी दो नियला दो पहला दो जडियाइलगा दो अरुणा दो अग्गिाला दो काला दो महाकालगा दो सोस्थिया ६० दो सोवस्थिया दो बमाणगा [दो पूसमाणगा दो अंकुसा] दो पलंबा दो निच्चालोगा दो णिच्चुज्जोता दो सयंपभा दो ओभासा दो सेयंकरा दो खेमंकरा दो आमंकरा ७० दो पभंकरा दो अपराजिता दो अरया दो असोगा दो विगतसोगा दो विमला दो वितत्ता दो वितत्था दो विसाला दो साला ८० दो सुपता दो अणियहा दो एगजडी दो तुजड़ी दो करकरिंगा दो रायम्गला दो पुष्ककेतू दो भावकेऊ ८८।९। जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बेइआ दो गाउयाई उद्धंउच्चत्तेणं पचत्ता, लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नते। लवणस्सणं समुदस्स बेतिया दो गाउयाइ उबंउच्चत्तेणं पन्नत्ता ।९१धायइसंडे दीवे पुरच्छिमबेणं मंदरस्स पचयस्स उत्तरदाहिणणं दो वासा बहुसमतुल्ला जाच भरहे चेव एरवए चेव, एवं जहा जंबुद्दीवे तहा एत्यवि भाणिय जाव दोसु वासेसु मणुया छविहंपि कालं पचणुभवमाणा विहरंति, तं०-भरदे चेव एरवते चेव, णवरं कूडसामली चेव धायइरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे सुदंसणे घेव, धाततीसंडदीवपञ्चच्छिमढे णं मंदरस्स पश्यस्स उत्तरदाहिणेणं दो बासा बहु० जाव भरहे चेव एवए चेव जाब छविहंपि कालं पचणुभवमाणा विहरति भरहे | ७९ स्थानांर्ग- ठार मुनि दीपरत्नसागर 54848994228- 34836934213.4259045398434833580893443890608184342933Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62