Book Title: Aagam Manjusha 03 Angsuttam Mool 03 Thanam
Author(s): Anandsagarsuri, Sagaranandsuri
Publisher: Deepratnasagar
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ नमो नमो निम्मलदंसणस्स पूज्य आनंद-क्षमा-ललित-सुशील सुधर्मसागर गुरुभ्यो नमः On Line - आगममंजूषा [३] ठाणं * संकलन एवं प्रस्तुतकर्ता * मुनि दीपरत्नसागर (M.Com, M.Ed., Ph.DJ Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ || किंचित् प्रास्ताविकम् || ये आगम-मंजूषा का संपादन आजसे ७० वर्ष पूर्व अर्थात् वीर संवत २४६८, विक्रम संवत-१९९८, ई.स.1942 के दौरान हुआ था, जिनका संपादन पूज्य आगमोद्धारक आचार्यश्री आनंदसागरसरिजी म.सा.ने किया था| आज तक उन्ही के प्रस्थापित-मार्ग की रोशनी में सब अपनी-अपनी दिशाएँ ढूंढते आगे बढ़ रहे हैं। हम ७० साल के बाद आज ई.स.-2012,विक्रम संवत-२०६८,वीर संवत-२५३८ में वो ही आगम-मंजूषा को कुछ उपयोगी परिवर्तनों के साथ इंटरनेट के माध्यम से सर्वथा सर्वप्रथम “ OnLine-आगममंजूषा ” नाम से प्रस्तुत कर रहे हैं। * मूल आगम-मंजूषा के संपादन की किंचित् भिन्नता का स्वीकार * [१]आवश्यक सूत्र-(आगम-४०) में केवल मूल सूत्र नहीं है, मूल सूत्रों के साथ नियुक्ति भी सामिल की गई है। [२]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) में भी केवल मूल सूत्र नहीं है, मूलसूत्रों के साथ भाष्य भी सामिल किया है। [३]जीतकल्प सूत्र-(आगम-३८) का वैकल्पिक सूत्र जो “पंचकल्प” है, उनके भाष्य को यहाँ सामिल किया गया tic [४] “ओघनियुक्ति”-(आगम-४१) के वैकल्पिक आगम “पिंडनियुक्ति” को यहाँ समाविष्ट तो किया है, लेकिन उनका मुद्रण-स्थान बदल गया है। [५] “कल्प(बारसा)सूत्र” को भी मूल आगममंजूषा में सामिल किया गया है। -मुनि दीपरत्नसागर मुनि दीपरतसागर : Address: Mnui Deepratnasagar, MangalDeep society, Opp.DholeshwarMandir, POST:- THANGADH Dist.surendranagar. Mobile:-9825967397 [email protected] Online-आगममंजूषा Date:-12/11/2012 Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ S सुयं मे आउस ! तेणं भगवता एवमक्खायं ।। एगे आया।राएगे दंडे ।३। एगा किरिया ।४। एगे लोए।५। एगे अलोए। ६ । एगे धम्मे ।। श्रीस्थानाङ्गसूत्रम्:- अवमेटाएगे बंधे। एगे मोक्खे । १० । एगे " एगे अधम्मे।८ाएगे बंधे।९। एगे मोक्खे।१०। एगे पुषणे ।११। एगे पावे ।१२। एगे आसवे ।१३। एगे संबरे । १४ । एगा वेयणा ।१५। एगा निजरा।१६। एगे जीवे पाडिकएणं (पडिकखएणं पा०) सरीरएणं ।१७। एगा जीवाणं अपरिआइत्ता विगृवणा। १८ । एगे मणे । १९। एगा बई । २० । एगे कायवायामे ।२१। एगा उप्पा । २२। एगा वियती ।२३। एगा वियच्चा ।२४। एगा गती ।२५। एगा आगती ।२६। एगे चयणे । २७॥ एगे उववाए।२८। एगा तका । २९। एगा सन्ना।३०। एगा मन्ना।३१॥ एगा विचू ।३। एगा वेयणा।३३। एगा छेयणा (प०णे)।३४। एगा भेयणा (प्र०णे)।३५। एगे मरणे अंतिमसारीरियाणं ।३६। एगे संसुद्ध अहाभूए पत्ते ।३७। खे पा०) जीवाणं एग(प०गे भए।३८। एगा अहम्मपडिमा जं से आया (जंसि आया पा०) परिकिलेसति । ३९। एगा धम्मपडिमा जं से आया पज्जवजाए।४। एगे मणे देवासुरमणुयाणं तंसि तंसि समयंसि, एगा वइ० एगे कायवायामे०।४१। एगे उट्टाणकम्मबलवीरियपूरिसकारपरक्कमे देवासुरमणुयाणं तंसि २ समयसि 1४२। एगे नाणे, एगे दंसणे, एगे घरिने ।४३। एगे समए।४४ा एगे पएसे, एगे परमाण।४५। एगा सिद्धी, एगे सिद्धे. एगे परिनिवाणे, एगे परिनिवए।४६। एगे सद्दे.एगे रूबे, एगे गंधे. एगे रसे, एगे फासे, एगे सुम्भिसद्दे, एगे दुन्भिसहे. एगे सुरुवे, एगे दुरूवे, एगे दीहे. एगे हस्से (मक रहस्से). एगे वट्टे. एगे तंसे. एगे चउरंसे. एगे पिहुले. एगे परिमंडले, एगे किण्हे. एगे णीले, एगे लोहिए, एगे हरिदे. एगे सुकिले. एगे सुम्भिगंधे, एगे दुग्भिगंधे, एगे तित्ते, एगे कडुए. एगे कसाए. एगे अंचिले, एगे महुरे. एगे कक्खड़े जाव लुक्खे।४७। एगे पाणातिवाए जाव एगे परिग्गहे. एगे कोधे जाव लोभे. एगे पेजे एगे दोसे जाव एगे परपरिवाए, एगा अरतिरती, एगे मायामोसे. एगे मिच्छादसणसड़े । ४८। एगे पाणाइवायवेरमणे जाव परिगहवरमणे, एगे कोहविवेगे जाव मिच्छादसणसाइविवेगे।४ाएगा ओसप्पिणी,एगाससमससमा जाब एगा दूसमसमा.एगा उस्सप्पिणी एगा दस्समदस्समा जाव एगा सुसमसुसमा।५० एगानेरइयाणं वग्गणा, एमा असुरकुमाराणं वग्गणा, चउवीसादडओ जाव वेमाणियाणं वग्गणा १.एगा भवसिदीयाणं वग्गणा एगा अभवसिद्धीयाणं वग्गणा एगा भवसिदिनेरइयाणं वग्गणा एगा अभवसिद्धियाणं णरतियाणं वग्गणा, एवं जाव एगा भवसिद्धियाणं वेमाणियाणं वग्गणा एगा अभवसिद्धियाणं वेमाणियाणं वग्गणा २.एगा सम्मदिट्टियाणं वग्गणा एगा मिच्छदिट्टियाणं वग्गणा एगा सम्मामिच्छद्दिट्टियाणं वग्गणा,एगा सम्मदिट्टियाणं रदयाणं वग्गणा एगा मिच्छद्दिट्ठियाणं णेरइयाणं वम्गणा एगा सम्ममिच्छद्दिट्टियाणं णेरइयाणं वग्गणा, एवं जाव थणियकुमाराणं बग्गणा, एगा मिच्छादिट्टियाणं पुढविकाइयाणं वग्गणा एवं जाव वणस्सइकाइयाणं.एगा सम्महिट्टियाणं वेइंदियाणं वग्गणा एगा मिच्छद्दिट्ठियार्ण बेइंदियाणं वग्गणा. एवं तेइंदियाणंपि चउरिदियाणवि, सेसा जहा नेरइया जाच एगा सम्ममिच्छडिट्ठियाणं वेमाणियाणं वगणा ३.एगा कण्हपक्खियाणं वग्गणा एगा मुक्कपक्खियाणं वग्गणा एगा कण्हपक्खियाणं णेरइयाणं वग्गणा एगा सुक्कपक्खियाणं णेरइयाणं वग्गणा एवं चउवीसादडओ भाणियबो४, एगा कण्हलेसाणं वग्गणा एगा नीललेसाणं वग्गणा एवं जाव सुक्कलेसाणं वग्गणा एगा कण्हलेसाण नेरइयाणं वग्गणा जाव काउलेसाणं णेरइयाणं वगणा, एवं जस्स जइ लेसाओ, भवणक्वाणमंतरपृढविआउवणस्सइकाइयाणं च चत्तारि लेसाओ ७३ स्थानांग-ठाणे-१ मुनि दीपरत्नसागर Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HavayaKOKSAINSARKARYARTHDAMRAT2049584889894TRYC2498SKRISKR064203455280 तेउवाउनेइंदियतेइंदिअचउरिदियाणं तिमि लेसाओ, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं छल्लेसाओ, जोतिसियाणं एगा तेऊलेसा, वेमाणियाणं तिनि उवरिमलेसाओ ५. एगा कण्हलेसाणं भवसिद्धियाणं वग्गणा एगा कण्हलेसाणं अभवसिद्धियाणं वग्गणा एवं छसुवि लेसासु दो दो पयाणि माणियवाणि, एगा कण्हलेसाणं भवसिद्धियाण नेरहयाणं वग्गणा एगा कण्हलेसाणं अभवसिद्धिआणं णेरइयाणं वग्गणा एवं जस्स जति लेसाओ तस्स वति (म० याओ) माणियवाओ जाच वेमाणियाण ६, एगा कण्हलेसाणं सम्मदिडिआणं वग्गणा एगा कण्हलेसाणं मिच्छहिट्ठियाणं वग्गणा एगा कण्हलेसाणं सम्मामिच्छदिट्टियाणं वग्गणा, एवं छसुधि लेसासु जाव वेमाणियाणं जेसिं जदि विडीओ७.एगा कण्हलेसाणं कण्हपक्खियाणं वग्गणा एगा कव्हलेसाणं सुकपक्खियाणं वग्गणा जाव वेमाणियाणं जस्स जति लेसाओ ८, एए अट्ट चउबीसदंडया, एगा तित्थसिद्धाणं वग्गणा एवं जाव एगा एक्कसिद्धाणं वग्गणा एगा अणिकसिद्धाणं वग्गणा एगा पढमसमयसिद्धाणं (अपढमसमयसिद्धाणं पा०) वग्गणा एवं जाव अणंतसमयसिद्धाणं वग्गणा, एगा परमाणुपोग्गलाणं वग्गणा एवं जाव एगा अणंतपएसियाणं खंधाण क्माणा, एगा एगपएसोगाढाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव एगा असंखेजपएसोगाढाणं पोमालाणं वग्गणा, एगा एगसमयठितियाणं पोग्गलाणं वग्गणा जाव असंखेजसमयठितियाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा एगगुणकालगाणं पोग्गलाणं वराणा जाव एगा असंखेज एगा अणंतगुणकालगाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एवं वण्णा गंवा रसा फासा भाणियचा जाव एगा अर्णतगुणलुक्खाणं पोग्गलाणं वग्गणा, एगा जहन्नपएसियाणं खंधाणं वग्गणा एमा उक्कस्सपएसियाणं खंघाणं वगणा एगा अजहन्नुकस्सपएसियाणं खंधाणं वग्गणा एवं जहयोगाहणयाणं उकोसोगाहणगाणं अजहन्नुकोसोगाहणगाणं जहाठितियाणं उकस्सठितीयाणं अजहन्नुकोसठिवियाणं जहन्नगुणकालगाणं उकस्सगुणकालयाणं अजहन्नुकस्सगुणकालगाणं एवं वण्णगंधरसफासाणं वग्गणा भाणियचा जाव एगा अजहन्नुकस्सगुणलुक्खाणं पोम्गलाणं वग्गणा ।५१। एगे जंबुद्दीवे २ सहदीवसमुहाणं जाव अदंगलगं च किंचिविससाहिए परिक्खेवणं ।५२। एगे समणे भगवं महावीरे इमीसे ओसप्पिणीए चउशीसाए तित्थगराणं चरमतित्थयरे सिद्ध बुद्धे मुत्ते जाव सचदुक्खप्पहीणे। ५३। अणुत्तरोववाइयाणं देवाणं एगा रयणी उड्ढंउच्चत्तेणं पन्नत्ता। ५४ । अहाणखत्ते एगवारे पाते चित्ताणक्खत्ते एगतारे पं० सातीणक्खत्ते एगवारे पं०।५५। एगपदेसोगाढा पोग्गला अणंता पचत्ता, एक्मेगसमयठितिया एगगुणकालगा पोग्गला अर्णता पन्नत्ता जाब एगगुणलक्खा पोरगला अणंता पनत्ता ।५६। एकस्थानकाध्ययनम् १॥ जदस्यि (जहत्यिं च पा०) णं लोगे तं सर्च दुपओआरं (दुपडोयारं पा०) तं०- जीवश्चेव अजीवश्चेव। तसे चेव यावरे चेव १, सजोणियञ्चेव अजोणियञ्चेव २, साउयचेव अणाउय चेव ३, सइंदियञ्चेव (बेय पा०)अणिदिए चेव४, सवेयगा चेव अवेयगा चेव ५, सरूपि चेव अरूवि चेव ६, सपोग्गला चेव अपोग्गला चेव ७, संसारसमावनगा चेव असंसारसमावनगा चेव ८, सासया चेव असासया चेव ९५७। आगासा चेव नोआगासा चेव, धम्मे चेव अघम्मे चेव । ५८ । बंधे चेव मोक्खे चेव १ पुग्ने चेव पावे चेव २ आसवे चेव संवरे चेव ३ वेयणा चेव निजरा चेव४।५९। दो किरियाजो पात्ताओ, तंजहा-जीवकिरिया व अजीवकिरिया चेव (चिय पा०)१, जीवकिरिया दुविहा पनत्ता, तंजहा-सम्मत्तकिरिया चेव मिच्छत्तकिरिया चेव २, अजीवकिरिया दुविहा पञ्चत्ता, ते०-ईरियावहिया चेव संपराइया चेव ३, दो किरियाओ पं० तं०-काइया चेव अहिंगरणिया चेव ४, काइया किरिया दुविहा पञ्चत्ता तं०-अणुवरयकायकिरिया चेव दुप्पउत्तकायकिरिया व ५, अहिकरणिया किरिया दुविहा पञ्चत्ता, सं०-संजोयणाधिकरणिया चेव णिवत्तणाधिकरणिया चेव ६, दो किरियाओ पं० २०-पाउसिया चेव पारियावणिया चेव७. पाउसिया किरिया दुविहा पं० त०-जीवपाउसिया चेव अजीवपाउसिया चेव ८, पारियावणिया किरिया दुविहा पं० तं०-सहत्यपारियावणिया चेव परहत्यपारियावणिया चेव९, दो किरियाओ पं० त० पाणातिवायकिरिया चेव अपचक्खाणकिरिया चेव १०, पाणातिवायकिरिया दुविहा पं० त०- सहत्यपाणातिवायकिरिया चेव परहत्यपाणातिवायकिरिया चेव ११. अपचक्खाणकिरिया दुविहापं० त०-जीवअपचक्खाणकिरिया चेव अजीवअपञ्चक्खाणकिरिया चेव १२, दो किरियाओ पं० त०-आरंभिया चेव परिगहिया चेव १३, आरंभिया किरिया दुविहा पं० सं०- जीवआरंभिया चेव अजीचआरंभिया चेव १४, एवं परिम्गहियावि१५, दो किरियाओ पं० सं०-मायावत्तिा चेव मिच्छादसणवत्तिया चेव १६,मायावत्तिया किरिया दुविहा पं० सं०-आयभाववंकणता येव परभाववंकणता व १७, मिच्छादसणवत्तिया किरिया दुविहापं० त०- ऊणाइरित्तमिच्छादसणवत्तिया चेव तबइरित्तमिच्छादसणवत्तिया चेव १८,दो किरियाओ पं० २०-दिडिया चेच पुट्ठिया वेष १९, दिहिया किरिया दुविहा पं०२०-जीवदिडिया चेव अजीवदिडिया चेव २०, एवं पुट्ठियावि२१. दो किरियाओ पं० सं०-पाहुचिया चेष सामंतोवणिवाइया चेव २२, पाडुचिया किरिया दुविहा पं० त०- जीवपाडुधिया चेव अजीवपाडुचिया चेव २३, एवं सामंतोवणिवाइयावि २४, दो किरियाओ पं०२०-साहस्थिया थेवणेसत्विया व २५, साहत्यिया किरिया दुविहा पं० सं०-जीवसाहत्यिया चेव अजीपसाहत्यिया व २६, एवं सत्थियावि २७, दो किरियाओ पं० सं०-आणवणिया चेव ७४ स्थानांर्ग-ठाणे-र मुनि दीपरत्नसागर Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेयारणिया चेव २८, जहेवणेसत्यियाओ २९-३०, दो किरियाओ पं० त०- अणाभोगवत्तिया चेव अणक्कंखवत्तिया चेव ३१, अणाभोगवत्तिया किरिया दुविहा पं० त०-अणाउत्तआइयणता चेव अणाउत्तपमजणता चेव ३२, अणवकंखवत्तिया किरिया दुविहा पं० सं०-आयसरीरअणवकंखवत्तिया चेव परसरीरअणवकंखवत्तिया चेव ३३, दो किरियाओ पं. तं०-पिज्जवत्तिया चेव दोसवत्तिया चेव ३४, पेज्जवत्तिया किरिया दुविहा पं० २०-मायावत्तिया चेव लोभवत्तिया चेव ३५, दोसवत्तिया किरिया दुविहा पं० त०-कोहे चेव माणे चेव ३६१६०1 दुविहा गरिहा पं० तं०-मणसा वेगे (मणसाऽवेगे पा०) गरहति, वयसा वेगे गरहति, अहवा गरहा दुविहा पं० सं०-दीहं वे(म० पे) अद्ध गरहति, रहस्सं वेगे अद गरहति।६१। दुविहे पञ्चक्खाणे पं० २०-मणसा वेगे पञ्चक्खाति क्यसा वेगे पञ्चक्खाति, अहवा पञ्चक्खाणे दुविहे पं०२०-दीहं वेगे अदं पञ्चक्खाति रहस्सं वेगे अदं पचक्खाति 1६२। दोहिं ठाणेहिं संपने अणगारे जणाइयं अणवयम्गं दीहमदं चाउरंतसंसारकतारं वीतिवतेज्जा, तंजहा-विजाए चेव चरणेणं चेव ।६३। दो ठाणाई अपरियाणित्ता आया जो केवलिपात्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तं०-आरंभे चेव परिग्गहे चेव १, दो ठाणाई अपरियादित्ता आया णो केवलं बोधि बुजोज्जा तं०-आरंभे चेव परिगहे व २, दो ठाणाई अपरियाइत्ता आया नो केवलं मुंडे भवित्ता आगाराओ अणगारियं पञ्चइज्जा, तं०-आरंभे चेव परिगहे चेव ३, एवं णो केवलं बंभचेरवासमावसेज्जा ४, णो केवलेणं संजमेणं संजमेज्जा ५, नो केवलेणं संवरेणं संवरेज्जा ६, नो केवलमाभिणियोहियणाणं उप्पाडेजा ७, एवं सुयनाणं ८ ओहिनाणं ९मणपज्जवनाणं १० केवलनाणं ११।६४। दो ठाणाई परियादित्ता आया केवलिपनत्तं धम्मं लभेज सवणयाए, तं०- आरंभे चेव परिग्गहे चेव, एवं जाव केवलनाणमुप्पाडेजा।६५५ दोहिं ठाणेहिं आया केवलिपन्नत्तं धम्म लमेज सवणयाए, तं०-सोच्च श्वेव अभिसमेच बेक जाव केवलनाणं उप्पाडेजा।६६। दो समाओ पन्नत्ताओ, तं०-ओसप्पिणी समा चेव उस्सप्पिणी समा चेव ।६७ दुविहे उम्माए पं०, तं०-जक्खावेसे चेव मोहणिजस्स चेव कम्मस्स उदएणं, तत्थ णं जे से जक्खावेसे से णं सुहवेयतराए चेव सुहविमोयतराए चेव, तत्व णं जे से मोहणिजस्स कम्मस्स उदएणं से णं दुहवेयतराए चेव दुहविमोययराए चेव ।६८। दो दंडा पं० २०-अट्ठादंडे चेव अणहादंडे चेव, नेरइयाणं दो दंडा पं० २०-अट्ठावंडे य अणहादंडे य, एवं चउवीसादडओ जाव वेमाणियाणं । ६९। दुविहे दंसणे पचत्ते, तं०-सम्मईसणे चेव मिच्छादसणे चेव १, सम्मईसणे दुविहे पं०, तं०-णिसग्गसम्मइंसणे चेव अभिगमसम्मइंसणे चेव २.णिसग्गसम्मईसणे दुविहे पं०२०- पडिवाई चेव अपडिवाई चेव ३, अभिगमसम्मदसणे दुविहे पं० सं०-पडिवाई चेव अप्पडिवाई चेव ४, मिच्छादसणे दुबिहे पं० त०-अभिग्गहियमिच्छादसणे व अणभिगहियमिच्छादसणे चेव ५, अभिग्गाहियमिच्छादसणे विहे पं० तं०-सपज्जवसिते चेव अपजवसिते चेव ६.एवमणभिगहितमिच्छादसणेऽवि ७७० विहे नाणे पं०२०-पच्चक्खे चेव परोक्खे चेव १. पञ्चक्खे नाणे दुविहे पत्ते तं० केवलनाणे चेव णोकेवलनाणे चेव २, केवलणाणे दुविहे पं० सं०- भवत्यकेवलनाणे चेव सिद्धकेवलणाणे चेव ३, भवत्थकेवलणाणे दुविहे पं० त०-सजोगिभवत्यकेवलणाणे चेच अजोगिभवत्यकेवलणाणे चेष४, सजोगिभवत्थकेवलणाणे दुविहे पं० ते०-पढमसमयसजोगिभवत्यकेवलणाणे चेव अपढमसमयसजोगिभवत्यकेवलणाणे चेव५, अहवा चरिमसमयसजोगिमवत्यकेवलणाणे चेव अचरिमसमयसजोगिमवत्यकेवलनाणे चेव ६, एवं अजोगिभवत्यकेवलनाणेऽवि७-८, सिद्धकेवलणाणे दुविहे पं०२०- अणंतरसिद्धकेवलणाणे चेव परंपरसिद्धकेवलनाणे चेय९, अणंतरसिबकेवलनाणे दुविहे पं० सं०-एकाणंतरसिद्धकेवलणाणे चेव अणेकाणंतरसिद्धकेवलणाणे चेच, १०, परंपरसिद्धकेवलणाणे दुविहे पं० २०. एकपरंपरसिद्धकेवलणाणे चेव अणेकपरंपरसिद्धकेवलणाणे चेव ११, णोकेवलणाणे दुविहे पं० २०-ओहिणाणे चेव मणपज्जवणाणे चेव १२, ओहिणाणे दुविहे पं० सं०-भवपच्चइए चेव खओवसमिए चेव १३, दोण्हं भवपच्चइए पचत्ते, तं०-देवाणं चेव नेरइयाणं चेव १४, दोण्हं खओक्समिए पं० तं०-मणुस्साणं चेव पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं चेव १५, मणपज्जवणाणे दविहे पं० त० उजमति चेष विउलमति चेव १६.परोक्खे णाणे दविहे पत्ते.तं. आमिणिचोहियणाणे चेव सुयनाणे चेव १७, आभिणियोदियणाणे दुविहे पं०२०-सुयनिस्सिए चेव असुयनिस्सिए चेव १८,सुयनिस्सिए दुबिहे पं०० अत्थोग्गहे वेव वंजणोग्गहे चेव १९,असुयनिस्सितेऽवि एमेव २०, सुयनाणे दुविद्दे पं० तं०-अंगपविट्टे चेव अंगबाहिरे चेव २१, अंगवाहिरे दुविहे पं० तं०-आवस्सए व आवस्सयवाहरिते व २२, आवस्सयवतिरित्ते विहे पं० त०-कालिए चेव उकालिए चेष २३१७१। दुविहे धम्मे पं०२०-सुयधम्मे चेय चरित्तधम्मे चेव, सुयधम्मे दुविहे पं०२०-सुत्तसुयधम्मे पेव अत्थसुयधम्मे चेव, चरित्तधम्मे दुविहे पं० त०-अगारचरित्तधम्मे चेच अणगारचरित्तधम्मे चेव, दुविहे संजमे पं० त०सरागसंजमे चेव वीतरागसंजमे चेव, सरागसंजमे दुविहे पं०२०-सुहुमसंपरायसरागसंजमे चेव चादरसंपरायसरागसंजमे चेष, सुहुमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पचत्ते, तं०-पढमसमयसुहमसंपरायसरागसंजमे पेच अपढमसमयसु०, अथवा चरमसमयसु० अचरमसमयसु०, अहवा सुहमसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० तं०- संकिलेसमाणए चेव विसुज्झमाणए चेच, ७५ स्थानांर्ग-ठार मुनि दीपरत्नसागर Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ० बादरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० [सं० पढमसमयवादर अपढमसमयचादरसं०, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय, अहवा वायरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० [सं० पडिवाति चेव अपडिवाति चेव, वीयरागसंजमे दुबिहे पं० सं०-उवसंतकसायवीयरागसंजमे चैव खीणकसायवीयरागसंजमे चेव, उवसंतकसायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे चैव अपढमसमयउव०, अहवा चरिमसमयउव० अचरिमसमयउब०, खीणकसायवीतरागसंजमे दुविहे पं० तं० छउमत्थखीणकसायचीयरागसंजमे चैव केवलिस्वीणकसायवीयरागसंजमे चेव, छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं० सयंबुद्धछउमत्थस्वीणकसाय बुद्धबोहियछउमत्थ, सयंबुद्धछउमत्यः दुविहे पं० तं०-पढमसमय० अपढमसमय० अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, बुद्धबोहियछउमत्थखीण० दुविहे पं० तं०-पढमसमय० अपढमसमय, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, केवलिखीणकसायवीतरागसंजमे दुबिहे पं० सं०-सजोगकेवलिखीणकसाय० संजमे अजोगिकेवलि०, सजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमय० अपढमसमय०, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, अजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे दुबिहे पं० सं०-पढमसमयः अपढमसमय० अहवा चरिमसमय अचरिमसमय० । ७२ । दुविहा पुढवीकाइया पं० तं० सुमा चैव वायरा चेव १, एवं जाव दुविहा वणस्सइकाइया पं० [सं० सुहमा चैव वायरा चेव ५, दुविहा पुढवीकाइया पं० [सं० पज्जन्तगा चेद अपज्जत्तगा चेव ९, एवं जाव वणस्सइकाइया १०, दुविहा पुढवीकाइया पं० तं०-परिणया चेव अपरिणया चेव ११, एवं जाव वणस्सइकाइया १५, दुविहा दवा पं० तं० परिणता चेव अपरिणता चेव १६, दुविहा पुढवीकाइया पं० तं०-गतिसमावन्नगा चैव अगइसमावनगा चैव १७, एवं जाव वणस्सइकाइया २१, दुविहा दष्वा पं० तं०-गतिसमावन्नगा चेव अगतिसमाचन्नगा चेव २२. दुबिहा पुढवीकाइया पं० तं०-अणंतरोगाढा चेव परंपरोगाढा चेव २३, जाव दशा० २८ । ७३ । दुविहे काले पं० तं० ओसप्पिणीकाले चेव उस्सप्पिणीकाले चेव, दुविहे आगासे पं० तं०-लोगागासे चेव अलोगागासे चैव ॥ ७४| गेरइयाणं दो सरीरमा पं० तं०-अभ्यंतरमे चैव बाहिरगे चेव, अम्भंतरए कम्मए बाहिरए बेउलिए, एवं देवाणं भाणियां, पुढवीकाइयाणं दो सरीरगा पं० सं०अब्भंतरगे वेव वाहिरगे चेव, अब्भंतरगे कम्मए बाहिरगे ओरालियगे, जाब वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियाणं दो सरीरा पं० तं० अभंतरए चेव बाहिरए चेव, अब्भंतरगे कम्मए अहिमंससोणितवद्धे बाहिरए ओरालिए, जाव चउरिंदियाणं, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो सरीरमा पं० [सं० - अभ्यंतरगे चैव बाहिरगे चेव, अब्भंतरगे कम्मए अट्टिमंससोणियव्हारुछरावद्धे बाहिरए ओरालिए, मणुस्साणवि एवं चैव विग्गहगइसमावन्नगाणं नेरइयाणं दो सरीरगा पं० तं० तेयए चेव कम्मए चेव, निरन्तरं जाव बेमाणियाणं, नेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया, तं० रागेण चैव दोसेण चेव, जाव वेमाणियाणं, नेरइयाणं दुट्टाणनिघतिए सरीरंगे पं० तं० रागनिवत्तिए चैव दोसनिवत्तिए चेव, जाव वेमाणियाणं, दो काया पं० तं०-तसकाए चैव थावरकाए चेव, तसकाए दुविहे पं० तं०-भवसिद्धिए चेव अभवसिद्धिए चेव एवं थावरकाएऽवि। ७५। दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पति णिग्गंधाणं वा णिग्गंधीण वा पावित्तए-पाणं चेव उदीणं चेव, एवं मुंडावित्तए सिक्खावित्तए उबद्वावित्तए संभुंजित्तए संवत्तिए सज्झायमुद्दिमित्तए सज्झायं समुद्दिमित्तए सज्झायमणजाणित्तए आलोइत्तए पडिकमित्तए निंदित्तए गरहित्तए बिउट्टित्तए विसोहित्तए अकरणयाए अम्मुट्ठिलए आहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवज्जित्तए, दो दिसातो अभिगिज्झ कप्पति णिग्गंया वाणिग्गंधीण वा अपच्छिममारणंतियसंलेहणाजूसणाजूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खिताणं पाओवगताणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरितए, तंजहा-पाईणं चैव उदीणं चैव । ७६ । अ० २ उ० १ ॥ जे देवा उद्घोववभगा कप्पोववशगा विमाणोववनगा चारोववन्नगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावन्नगा तेसिं णं देवाणं सता समितं जे पावे कम्मे कज्जति तत्थगतावि एगतिया वेदणं वेदंति अन्नत्थगतावि एगतिया वेजणं वेदेति णेरइयाणं सता समियं जे पावे कम्मे कज्जति तत्थगतावि एगतिया वेयणं वेदेति अन्नत्यागतावि एगतिआ वेयणं वेदेति, जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं, मणुस्साणं सता समितं जे पाये कम्मे कज्जति इहगतावि एगतिता वेयणं वेयंति अन्नत्थगतावि एगतिया वेयणं वेयंति, मणस्वज्जा सेसा एकमा 19 91 नेरतिता दुगतिया दुयागतिया पं० तं०-नेरइए शेरइएस उववज्जमाणे मणुस्सेहिंतो वा पंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वा उबवजेज्जा से चेव णं से नेरइए णेरइयत्तं विप्पजहमाणे मस्सत्ताए वा पंचदियतिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेजा, एवं असुरकुमारावि, णवरं से चेत्र णं से असुरकुमारे असुरकुमारतं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा तिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छा, एवं सचदेवा, पुढवीकाइया दुगतिया दुआगतिया पं० [सं० पुढवीकाइए पुढवीकाइएस उववजमाणे पुढवीकाइएहिंतो वा णोपुढवीकाइएहिंतो वा उववजेज्जा, से चेवणं से पुढवीकाइए पुढवीकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढवीकाइयत्ताए वा गोपुढवीकाइयत्ताए वा गच्छेजा, एवं जाव मणुस्सा। ७८ । दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा भवसिद्धिया चेव अभवसिद्धिया वेव, जाव बेमाणिया १, दुविहा नेरइया पं० सं०-अनंतशेववन्नगा चेव परंपरोववन्नगा चेव जाव बेमाणिया २, दुविहा णेरड्या पं० सं०-गतिसमावन्नगा चेव अगतिसमावन्नगा चेव, जाव वेमाणिया ३, दुविहा नेरइया पं० तं०-पढमसमओववन्नगा चेव अपढमसमओववन्नगा चैव जाव वेमाणिया ४, दुविहा नेरइया पं० तं० आहारगा चैव अणाहारगा चैव, (१९) ७६ स्थानांग - २ मुनि दीपरत्नसागर O Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ASPRSASSIPORANSPOMASTICHROPOMICPIRA87788PRAMBIPILIBHANASPRASPBOSISP00525700420PIENCPTEMBEARSPS एवं जाव वेमाणिया ५, दुविहा णेरइया पं० त०-उस्सासगा चेव णोउस्सासगा चेव जाव वेमाणिया ६. दुविहा नेरइया पं० सं०-सइंदिया चेव अणिदिया घेव, जाव वेमाणिया ७, दुविहा नेरइया पं० २०-पजत्तगा चेव अपज्जत्तगा चेव, जाव वेमाणिआ ८, दुबिहा नेरइया पं० तं०-सत्री चेव असन्नी चेव, एवं पंचेंदिया सवे विगलिंदियवजा, जाव वाणमंतरा (वेमाणिया)९, दुविहा नेरइया पं० २०-भासगा चेव अभासगा चेव, एवमेगिदियक्जा साधे १०, दुविहा नेरइया पं० २०-सम्मदिट्ठीया चेव मिच्छहिट्ठीया चेव, एगिदियवज्जा साझे ११. दुविहानेरइया पं०२०-परित्तसंसारिता वेव अणंतसंसारिया चेव, जाव वेमाणिया १२, दुविहा नेरइया पं० २०-संखेजकालसमयद्वितीया (संखेजकालठिइया पा०) व असंखेजकालसमयहितीया चेव, एवं पंचेंदिया एगिदियविगलिंदियवजा जाव वाणमंतरा १३, दुविहा नेरइया पं० २०-सुलभबोधिया चेव दुलभचोधिया चेव, जाव येमाणिया १४, दुविहा नेरड्या पं० सं०- कण्हपक्खिया चेव सुकपक्खिया चेव, जाव वेमाणिया १५, दुविहानेरझ्या पं००- चरिमा चेव अचरिमा चेव, जाव वेमाणिया १६७९॥ दोहिं ठाणेहिं आया अधोलोग जाणइ पासइ तं०-समोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ असमोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोगं जाणइ पासइ, आधोहि समोहतासमोहतेणं चेव अप्पाणेणं आया अहेलोग जाणइ पासइ, एवं तिरियलोग २ उड्ढलोग ३ केवलकप्पं लोग ४, दोहि ठाणेहिं आया अधोलोग जाणइ पासइ, तं०-विउचितेण चेव अप्पाणेणं आता अधोलोगं जाणइ पासइ अविउवितेणं चेव अप्पाणेणं आता अधोलोगं जाणइ पासइ आहोधि विउचियाविउधितेण चेव अप्पाणेणं आता अधोलोग जाणा(पासह)१, एवं तिरियलोग०४. दोडिं ठाणेहिं आया सहाई सुणेइ, तं०-देसेणवि आया सहाई सुणेइ सोणवि आया सहाई सुणेति, एवं रूवाई पासइ, गंधाई अग्याति, रसाई आसादेति, फासाई पडिसंवेदेति५, दोहि ठाणेहिं आया ओभासइ, तं०-देसेणवि आया ओभासइ सघेणवि आया ओमासति, एवं पभासति विकुवति परियारेति भासं भासति आहारेति परिणामेति वेदेति निजरेति ९. दोहिं ठाणेहिं देवे सहाई सुणेइ, तं०-देसेणवि देवे सहाई सुणेति सम्प्रेणवि देवे सहाई सुणेइ जाव निजरेति १४, मस्या देवा दुविहा पं० सं०- एगसरीरे चेव विसरीरे चेव, एवं किचरा किंपुरिसा गंधवा णागकुमारा सुवनकुमारा अम्गिकुमारा वायुकुमारा ८, देवा दुविहा पं०२०-एगसरीरे चेव निसरीरे चेव । ८०अ०२ उ०२॥ दुविहे सहे पं० सं०-भासासाहे चैव णोभासासदे चेव, भासासहे दुविहे पं० त० अक्खरसंघद्धे पेव नोअक्खरसंबढे चेव, णोभासासहे दुविहे पन्नत्ते तं०-आउजसरे चेव णोआउज्जसहे चेय, आउज्जसहे दुविहे पं० त०-तते चेव वितते चेब, तते दुविहे पं०२०-घणे व मुसिरे चेव, एवं विततेऽषि, णोआउज्जसहे दुविहे पं०२०-भूसणसद्दे चेव नोभूसणसद्दे चेव, नोभूसणसहे दुविहे पं० सं०- तालसहे चेव लत्तिआसहे वेव, दोहिं ठाणेहिं सदुप्पाते सिया, तंजहा-साहन्नताणं चेव पुग्गलाणं सदुप्पाए सिया भिजंताणं चेव पोग्गलाणं सदुपाए सिया।८१॥ दोहिं ठाणेहिं पोग्गला साहण्णंति, तं०-सई वा पोग्गला साहन्नति १ परेण वा पोग्गला साहण्णंति १. दोहिं ठाणेहिं पोग्गला भिजतितं०-सई वा पोग्गला भिजति परेण वा पोग्गला मिजति२. दोहिं ठाणेहिं पोग्गला परिसडंति, तं०-सई वा पोग्गला परिसडंति परेण वा पोग्गला परिसाडिजंति३, एवं परिवडंति ४ चिदंसंति ५.दुविहा पोग्गला पं० २०-भिन्ना चेव अभिन्ना चेव १, दुविहा पोग्गला पं०२०-भेउरधम्मा चेव नोभेउरधम्मा चेव२. दुविहा पोग्गला पं० तं०-परमाणुपोम्गला चेवनोपरमाणुपोग्गला चेव ३, दुविहा पोग्गला पं०२०-सुहुमा चेव नायरा चेव ४, दुविहा पोग्गला पं० त०- बद्दपासपुट्टा चेव नोचपासपुट्ठा चेव५, दुविहा पोग्गला पनत्ता तं०. परियादितचेव अपरियादितवेव ६, दुविहा पोग्गला पचत्ता तं०- अत्ता चेव अणत्ता चेव ७, दुविहा पोग्गला पं०तं-इट्टा चेव अणिट्टा चेव ८,एवं कंता ९पिया १० मणुना ११ मणामा १२१८२। दुविहा सहा पचत्ता तं०-अत्ता चेव अणत्ता चेव १ एवमिट्ठा जाव मणामा ६, दुविहा रूवा पं० त०-अन्ना चेव अणत्ता चेव, जावमणामा, एवं गंधा रसा फासा, एवमिकिके छ आलावगा भाणिया । ८३। दुविहे आयारे पं० त०-णाणायारे चेव नोनाणायारे चेव १, नोनाणायारे दुविहे पं० सं०-दंसणायारे चेव नोदंसणायारे चेव २,नोदसणायारे दुविहे पं०२०- चरित्तायारे चेव नोचरित्तायारे चेव३, णोचरित्तायारे दुविहे पं० त०- तवायारे चेव वीरियायारे चेव ४, दो पडिमाओ पं० तं०-समाहिपडिमा चेव उवहाणपडिमा चेव १,दो पडिमाओ पं०२०-विवेगपडिमा चेव विउसम्गपडिमा चेव २. दो पडिमाओ पं० तंजहा-मद्दा चेव मुभदा चेव ३, दो पडिमाओ पं० तं०-महाभद्दा चेव सवतोभद्दा चेव ४, दो पढिमाओ पं०सं०- खुड्डिया चेव मोयपडिमा महल्लिया चेव मोयपडिमा ५, दो पडिमाओ पं०तं०- जवमझा चेव चंदपडिमा वइरमज्झा बेव चंदपडिमा ६, दुविहे सामाइए पं.तं.-अगारसामाइए चेव अणगारसामाइए चेव।८४ा दोण्हं उक्वाए पं० त०-देवाण घेव नेरइयाण व १ दोण्हं उपहणा पं० तं०-गेरइयाण चेव मवणवासीण चेव २दोण्हं चयणे पं००-जोइसियाण चेव वेमाणियाण चेव ३ दोण्ई गम्भवकंती पं०तं०-मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण चेव ४ दोण्हं गन्मत्याणं आहारे पं० सं०-मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण व ५, दोण्हं गम्भत्थाणं वुड्ढी पं० त०-मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण चेव ६ एवं निबुड्ढी ७ विगुपणा ८ गति७७ स्थानांग- ठार मुनि दीपरत्नसागर Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ परियार ९ समुग्धाते १० कालसंजोगे ११ आयाती १२ मरणे १३ दोहं छविपचा (छवियत्ता पा०, छविपत्ता पा०) पं० त० मणुस्साण चेव पंचिदियतिरिक्खजोणियाण चे १४ दो सुकसोणितसंभवा पं० तं०- मणुस्सा चेव पंचिदियतिरिक्खजोणिया चेव १५ दुविहा ठिती पं० तं-कायट्टिती चेव भवट्टिती चेय १६ दोहं कायद्विती पं० त०-मणुस्साण चेव पंचिदियतिरिक्खजोणियाण चेव १७ दोण्हें भवद्रिती पं० त०-देवाण चेव नेरडयाण चेव १८ दविहे आउए पं० तं०-अदाउए चेव भवाउए चेच १९ दोहं अदाउए पं० सं०-मणस्साण चेव पंचेदियतिरिक्खजोणियाण चेव २० दोण्हं भवाउए पं० २०. देवाण घेव णेरड्याण चेव २१ दुविहे कम्मे पं० तं०-पदेसकम्मे चेव अणुभावकम्मे चेव २२ दो अहाउयं पालेति तं०देवञ्चेव नेरइयञ्चेव २३ दोहं आउयसंवट्टए पं० सं०-मणुस्साण चेव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाण चेव २४।८५। जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अन्नमन्नं णातिवद्दति आयामविक्खंभसंठाणपरिणाहेणं, तं०-भरहे चेव एरवए चेव, एवमेएणमहिलावणं हिमवए चेव हेरनवते चेव, हरिवासे चेव रम्मयवासे चेव, जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरच्छिमपञ्चस्थिमेणं दो खित्ता बहुसमतुल्ला अविसेस जाव पुश्वविदेहे चेव अवरविदेहे चेव, जंबूमंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरदाहिणणं दो कुराओ बहुसमताडाओ जाच देवकुरा चेव उत्तरकुरा चेव, तत्थ णं दो महतिमहालया महादुमा बहुसमतुला अविसेसमणाणत्ता अन्नमन्नं णाइवहति आयामविक्वंभुचत्तोबेहसंठाणपरिणाहेणं, तं०-कूडसामली चेव जंचू चेव सुदंसणा, तत्थ णं दो देवा महिड्ढिया जाव महासोक्खा (महेसक्खा पा०) पलिओवमहितीया परिवसन्ति, तं०-गरुले चेव वेणुदेवे अणाढिते चेव जंबद्दीवाहिवती। ८६। जव मंदरस्स पव्वयस्स य उत्तरदाहिणेणं दो वासहरपचया बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणता अन्नमन्नं णातिवट्ठति आयामविक्खभच्चत्तोबेहसंठाणपरिणाहेणं, तंजहा- चुहिमवंते चेव सिहरिचेव, एवं महाहिमवंते चेव रुप्पिञ्चेव, एवं णिसढ़े चेव णीलवंते चेव, जचूमंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरदाहिणेणं हेमवंतेरण्णवतेसु वासेसु दो वट्टचेतड्ढपञ्चता बहुसमतुड़ा अविसेसमणाणत्ता जाव सहावाली चेव वियडावाती चेव, तत्थ णं दो देवा महिड्ढिया जाय पलिओवमद्वितिया परिवसंति तं०-साती चेव पभासे चेव, जंबूमंदरस्स उत्तरदाहिणेणं हरिवासरम्मतेसुवासेसु दो बट्टवेयड्ढपवया बहुसमजाव गंधावती चेव मालवंतपरियाए चेच, तत्य णं दो देवा महिड्डिया महजुईया जाव पलिओवमट्टितीया परिवसंति, तं०- अरुणे चेव पउमे चेव, जंघूमंदरस्स पञ्चयस्स दाहिणेणं देवकुराए पुचावरे पासे एत्थ णं आसक्खंधगसरिसा अदचंदसंठाणसंठिया (अक्दचंदसंठाणसंठिया पा०) दो वक्वारपबया बहुसमा जाव सोमणसे चेव विजुप्पो चेव, जंबूमंदर० उत्तरेणं उत्तरकुराए पुधावरे पासे एत्य णं आसक्खंधगसरिसा अदचंदसंठाणसंठिया दो वक्खारपश्या बहु० जाव गंधमायणे चेव मालवंवे चेव, जंचूमंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरदाहिणेणं दो दीहवेयड्दपश्चया बहुसमतुड़ा जाव भारहे चेव दीहवेयड्ढे एरावते चेव दीहवेयड्ढे, मारहए णं दीहवेयड्ढे दो गुहाओ बहुसमतुड़ाओ अविसेसमणाणत्ताओ अन्नमन्त्रणातिवट्ठति आयामविक्खंभुचत्तसंठाणपरिणाहेणं, तं०-तिमिसगुद्दा चेव खंडगप्पवायगुहा चेव, तत्थ णं दो देवा महिड्ढिया जाव पलि ओवमट्टितीया परिवसंति, तं०-कयमालए चेव नट्टमालए चेव, एराक्यए णं दीहवेयड्ढे दो गुहाओ बहुसम जाव कयमालए चेव नमालए चेव, जंबूमंदरस्स पञ्चयस्स दाहिणेणं चुल्लहिमवते वासहरपंचए दो कूडा बहुसमतुल्ला जाव विक्खंभुच्चत्तसंठाणपरिणाहेणं, तं०-चुहिमवंतकूडे चेव वेसमणकूडे चेव, जंचूमंदरदाहिणणं महाहिमवंते वासहरपवए दो कुडा बहुसम० जाव महाहिमवन्तकूडे चेव वेरुलियकूडे चेव, एवं निसढे वासहरपवए दो कूडा बहुसम० जाव निसढकूडे चेव रुयगप्पभे चेव, जंबूमंदर० उत्तरेणं नीलवंते वासहरपत्रए दो कूडा बहुसम० जाव तं०-नीलवंतकूडे चेव उपदंसणकूडे चेव, एवं प्पिमि वासहरपञ्चए दो कूड़ा बहुसम० जाव तं०-रुप्पिकूडे चेव मणिकंचणकूडे चेव, एवं सिहरिंमि वासहरपञ्चते दो कूडा बहुसम० जाव तं०-सिहरिकूड़े चेव तिगिछिकूडे चेव । ८७। जंचूमंदर० उत्तरदाहिणणं चुहिमवंतसिहरीसु वासहरपश्चयेसु दो महदहा बहुसमतुल्ला अविसेसमणाणत्ता अण्णमण्णं णातिवति आयामविक्खंभउबेहसंठाणपरिणाहेणं, तं०-पउमदहे चेव पंडरीयदहे चेव, तत्थ णं दो देवयाओमहड्ढियाओ जाव पलिओवमाढतीयाओं पारवसात,त०-स चेव लच्छी चेव, एवं महाहिमवंतरुप्पीसु वासहरपव्वएसु दो महदहा बहुसम० जाव तं०-महापउमड़हे चेव महापोंडरीयबहे चेव, देवताओ हिरिश्चेव बुद्धिच्चेव, एवं निसढनीलवंतेसु तिमिछिदहे चेव केसरिदहे चेव, देवताओ धिती चेव कित्तिच्चेव, जंचूमंदर० दाहिणेणं महाहिमवंताओ वासहरपव्वयाओ महापउमहहाओ दो महाणईओ पवहंति, २-रोहियञ्चेव हरिकंतचेव, एवं निसदाओ वासहरपव्वताओ तिगिछिद्दहाओ दो मतं०-हरिवेव सीओअञ्चेव, जंचूमंदर० उत्तरेणं नीलवंताओ वासहरपञ्चताओ केसरिदहाओ दो महानईओ पवहंति, तं०-सीता चेव नारीकंता चेव, एवं रुप्पीओ वासहरपवताओ महापोंडरीयहहाओ दो महानईओ पवहति, सं०-गरकंता चेव रुप्पकूला चेव, जंबूमंदरदाहिणणं भरहे वासे दो पवायदहा बहुसम० तं०-गंगप्पवातहहे चेव सिंधुप्पवायदहे चेव, एवं हिमवए चासे दो पवायदहा बहु० तं०-रोहियप्पवातहहे चेव रोहियंसप्पवातहहे चेव, जंचूमंदरदाहिणेणं हरिवासे दो ७८ स्थानांग-हा- मुनि दीपरत्नसागर PRASHAMARPABPR48P88853PCHASPRASPBERRACPISARSPIRNAPORNRSSPIRAPSPS487848HEME Page #9 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SPORAASPIRIKISPRSHIPMAREPENSPTEMBIHARBPMARPAISABINAGPIER66520SASPIRAROPAMSPOARBPRAASPIC पवायदहा बहुसम० तं० हरिपवातदहे व हरिकंतपवातदहे चेच, जंबूमंदरउत्तरदाहिणेणं महाविदेहवासे दो पवायदहा बहुसम० जाव सीअप्पवातहहे चेव सीतोदष्पवायबहे चेव, जंबू. मंदरस्स उत्तरेणं रम्मए वासे दोपवायदहा बहु० जाव नरकंतप्पवायदहे चेवणारीकंतप्पवायहहे चेव, एवं हेरचवते चासे दो पवायदहा सुवाकूलप्पवायहहे चेव रुप्पकूलपवायहहे चेव, जंबमंदरउत्तरेणं एखए वासे दोपवायहहा बह जाव रत्तप्पवायदहे चेष रतावइप्पवायहहे चेव, जंबूमंदरदाहिणणं मरहे वासे दो महानईओ बहु० जाव गंगा चेव सिंधचेच. एवं जधा पवातदहा एवं णईओवि भाणियष्याओ जाव एरवए वासे दो महानईओ बहुसमतुल्डाओ जाव रत्ता चेव रत्तवती चेव ।८८ा जंबुदीवे २ भरहेरखएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुसमदूसमाए समाए दो सागरोवमकोडाकोडीओ काले होत्या १, एवमिमीसे ओसप्पिणीए जाच पत्ते २, एवं आगमिस्साए उस्सप्पिणीए जाब भविस्सति ३, जंबुद्दीवे दीवे भरहेरखएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीए सुषमाए समाए मणुया दो गाउयाई उड्ढंउच्चत्तेणं होत्था ४, दोनि य पलिबोक्माई परमाउं पालइत्था ५, एवमिर्मासे ओसप्पिणीए जाव पालइत्था ६, एवमागमेस्साते उस्सप्पिणीए जाच पालिस्संति७, जंबुद्दीवे दीवे भरहेरखएसुवासेसु एगसमये एगजुगे (एगजुगे एगसमये पा०) दो अरिहंतवंसा उप्पजिंसु वा उप्पजति वा उपजिस्संति वा८. एवं चकवहिवंसा ९, दसारवंसा १०, जंबूभरहेरखएम० एगसमते दो अरहंता उप्पजिसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा ११, एवं चक्कवट्टिणो १२, एवं बलदेवा एवं वासुदेवा (दसारवंसा) जाव उप्पजिंसु वा उप्पज्जति वा उप्पजिस्संति वा १३, जंबू० दोसु कुरासु मणुआ सया सुसमसुसममुत्तमिटिं पत्ता पचणुभवमाणा विहरंति,तं०-देवकुराए चेव उत्तरकुराए चेव १४, जंबुद्दीवे दीवे दोसु वासेसु मणुया सया सुसमुत्तमं इदि पत्ता पचणुभवमाणा विहरंति, तं०-हरिवासे चेव रम्मगवासे चेव १५, जंबू० दोसु वासेसु मणुया सया ससम(म० दूस)मत्तममिडिंद पत्ता पचणुम्भवमाणा विहरति त-हेमवए चेव एरनवए व १६, जचुदाय दाव दासु खित्तसुमणुया सया दूसमसुसममुत्तममिड्ढि पत्ता पचणभवमाणा विहरति, तं०-पृविदेई चेव अवरविदेह चेव १७, जंचूदीचे दीवे दोसु वासेसु मणुया छबिहषि कालं पचणुब्भवमाणा विहरति, तं०-भरहे चेव एरवते वेव १८ । ८९। जंचहीये दीवे दो चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पभासिस्संति वा, दो सूरिआ तर्विसु वा तवंति वा तविस्संति चा, दो कत्तिया, दो रोहिणीओ. दो मम्मसिराओ, दो अहाओ, एवं भाणियव्वं, "कत्तिय (१)रोहिणि (२) मगसिर (३) अहा(४) य पुणब्वसू (५)ज पूसो (६) या तत्तोऽवि अस्सलेसा (७) महा (८) य दो फागुणीओ (९-१०) य॥१॥ हत्थो (११)चिना (१२) साई (१३)विसाहा (१४) तहय होति अणुराहा (१५)। जेट्ठा (१६) मूलो (१७) पुवा (१८) य आसाढा उत्तरा (१९) चेव ॥२॥ अभिइ (२०)सवण (२१) धणिट्टा (२२) ७) भरणी (२८) नेतचा आणुपुथ्वीए ॥३॥ एवं गाहाणुसारेणं यव्वं जाव दो भरणीओ। दो 18 अग्गी दो पयावती दो सोमा दो कद्दा दो अदिती दो बहस्सती दो सप्पी दो पिती दो भगा दो अजमा १० दो सविता दो तट्ठा दो बाऊ दो इंदम्मी दो मित्ता दो इंदा दो निरती दो आऊ दो विसा दो वम्हा २० दो विण्हू दो वसू दो वरुणा दो अया दो विविदी दो पुस्सा दो अस्सा दो यमा २८। दो इंगालगा दो वियालगा दो लोहितक्खा दो सणिचरा दो आहुणिया दो पाहुणिया दो कणा दो कणगा दो कणकणगा दो कणगविताणगा १० दो कणगसंताणगा दो सोमा दो सहिया दो असासणा दो कज्जोवगा दो कब्बडगा दो अयकरगा दो दुंदुभगा दो संखा दो संखवन्ना २० दो संखवन्नाभा दो कंसा दो कंसवन्ना दो कंसवन्नामा दो रुप्पी दो रुप्पाभासा दो णीला दोणीलोभासा दो भासा दो भासरासी ३० दो तिला दो तिल. पुष्कवण्णा दो दगा दो दगपंचवन्ना दो काका दो ककंधा दो इंदग्गी दो घूमकेऊ दो हरी दो पिंगला ४० दो बुदा दो सुका दो बहस्सती दो राहु दो अगत्थी दो माणवगा दो कासा दो फासा दो धुरा दो पमुहा ५० दो बियडा दो विसंधी दो नियला दो पहला दो जडियाइलगा दो अरुणा दो अग्गिाला दो काला दो महाकालगा दो सोस्थिया ६० दो सोवस्थिया दो बमाणगा [दो पूसमाणगा दो अंकुसा] दो पलंबा दो निच्चालोगा दो णिच्चुज्जोता दो सयंपभा दो ओभासा दो सेयंकरा दो खेमंकरा दो आमंकरा ७० दो पभंकरा दो अपराजिता दो अरया दो असोगा दो विगतसोगा दो विमला दो वितत्ता दो वितत्था दो विसाला दो साला ८० दो सुपता दो अणियहा दो एगजडी दो तुजड़ी दो करकरिंगा दो रायम्गला दो पुष्ककेतू दो भावकेऊ ८८।९। जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बेइआ दो गाउयाई उद्धंउच्चत्तेणं पचत्ता, लवणे णं समुद्दे दो जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पन्नते। लवणस्सणं समुदस्स बेतिया दो गाउयाइ उबंउच्चत्तेणं पन्नत्ता ।९१धायइसंडे दीवे पुरच्छिमबेणं मंदरस्स पचयस्स उत्तरदाहिणणं दो वासा बहुसमतुल्ला जाच भरहे चेव एरवए चेव, एवं जहा जंबुद्दीवे तहा एत्यवि भाणिय जाव दोसु वासेसु मणुया छविहंपि कालं पचणुभवमाणा विहरंति, तं०-भरदे चेव एरवते चेव, णवरं कूडसामली चेव धायइरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे सुदंसणे घेव, धाततीसंडदीवपञ्चच्छिमढे णं मंदरस्स पश्यस्स उत्तरदाहिणेणं दो बासा बहु० जाव भरहे चेव एवए चेव जाब छविहंपि कालं पचणुभवमाणा विहरति भरहे | ७९ स्थानांर्ग- ठार मुनि दीपरत्नसागर 54848994228- 34836934213.4259045398434833580893443890608184342933 Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ RSS-ASTRANSPOSISPECIFINASPICABP8486-8894BPSNASHISHAS7884182068704SPIRNSPIRARBP8498220 चैव एरवए चेव णवरं कूडसामली चेव महाधायतीरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पियदसणे चेव, धाइयसंडे णं दीवे दो मरहाई दो एरवयाई दो हेमवयाई दो हेरनवयाई दो हरिखासाई दो रम्मगवासाई दो पञ्चविदहाई दो अवरविदेहाई दो देवकुराओ दो देवकुरुमहदुमा दो देवकुरुमहदुमवासी देवा दो उत्तरकुराओ दो उत्तरकुरुमहद्दुमा दो उत्तरकुरुमहदुमवासी देवा दो चाडहिमवंता दो महाहिमवंता दो निसहा दो नीलवंता दो रुप्पी दो सिहरी दो सद्दाबाती दो सहायातवासी साती देवा दो वियडावाती दो वियडावातिवासी पभासा देवा दो गंधावाती दो गंधावातिवासी अरुणा देवा दो मालवंतपरियागा दो मालवंतपरियागावासी पउमा देवा दो मालवंता दो चित्तकूडा दो पउमकूडा दो नलिणकूडा दो एगसेला दो तिकूडा दो वेसमणकडा दो अंजणा दो मातंजणा दो सोमणसा दो विजुप्पभा दो अंकावती दो पम्हाचती दो आसीविसा दो सुहावहा दो चंदपध्यता दो सरपव्यता दो णागपव्वता दो देवपल्वया दो गंधमायणा दो उसुगारपब्वया दो चाड हिमवतकूडा दो वेसमणकूडा दो महाहिमवंतकूडा दो वेलियकूडा दो निसहकूडा दो रुयगकूडा दो नीलबंतकूडा दो उबदसणकूड़ा दो कप्पिकूडा दो मणिकंचणकूड़ा दो सिहरिकूड़ा दो तिगिच्छिकूडा दो परमहा दो पउमहद्दवासिणीओ सिरीदेवीओ दो महापउमदहा दो महापउमदहवासिणीओ हिरीतो देवीओ एवं जाव दो पुंडरीयहहा दो पोंडरीयइहवासिणीओ लच्छीदेवीओ, दो गंगापवायदहा जाच दो रत्तचतिपवातबहा दो रोहियाओ जाब दो रुष्पकूलातो दो गाहवतीओ दो दहवतीओ दो पंकवतीओ (वेगवतीजओ पा०) दो तत्तजलाओ दो मत्तजलाओ दो उम्मत्तजलाओ दो खीरोयाओ (खारोदाओ पा०) दो सीहसोताओ (सीयासोताओ पा०) दो अंतोवाहिणीओ दो उम्मिमालिणीओ दो फेणमालिणीओ दो गंभीरमालिणीओ दो कच्छा दोसुकच्छा दो महाकच्छा दोकच्छगावती दो आवत्ता दो मंगलाबत्ता दो पुक्खला दो पुक्खलाचई दो वच्छा दो सुवच्छा दो महावच्छा दो वच्छगावती दो रम्मा दो रम्मगा दो रमणिज्जा दो मंगलावती दो पम्हा दो सुपम्हा दो महपम्हा दो पम्हगावती दो संखा दोणलिणा दो कुमुया दो स(ण)लिला(णा)वती दो वप्पा दो सुवप्पा दो महावप्पा दो वप्पगावती दो वम्गू दो सुवग्गू दो गंधिला दो गंधिलावती ३२ दो खेमाओ दो खेमपुरीओ दो रिट्ठाओ दो रिहपुरीओ दो खग्गातो दो मंजुसाओ दो ओसधीओ दो पोंडरीगिणीओ दो सुसीमाओ दो कुंडलाओ दो अपराजियाओ दो पमंकराओ दो अंकाबईओ दो पम्हावईओ दो सुभाओ दो रयणसंचयाओ दो आसपुराओ दो सीहपुराओ दो महापुराओ दो विजयपुराओ दो अपराजिताओ दो अपराओ दो असोयाओ दो विगयसोगाओ दो विजयातो दो वेजयंतीओ दो जयंतीजो दो अपराजियाओ दो चकपुराओ दो खम्मापुराओ दो अवज्झाओ दो अउज्झाओ ३२ दो भहसालवणा दो गंदणवणा दो सोमणसवणा दो पंडगवणाई दो पंडकंबलसिलाओ दो अतितकंचलसिलाओ दो रत्तकंबलसिलाओ दो अइरत्तकंबलसिलाओ दो मंदरा दो मंदरचूलिताओ, धायतिसंडस्स णं दीवस्स वेदिया दो गाउयाई उद्धमुचत्तेणं पन्नत्ता ।९२। कालोदस्स णं समुदस्स वेश्या दो गाउयाई उड्ढंउच्चत्तेणं पन्नत्ता, पुक्खरवरदीवड्दपुरच्छिमदेणं मंदरस्स पञ्चयस्स उत्तरदाहिणेणं दो बासा बहुसमतुड़ा जाय भरहे चेव एखए चेव तहेव जाव दो कुराओ पं० देवकुरा चेच उत्तरकुरा चेव, तत्थ णं दो महतिमहालता महद्दुमा पं० त०-कूडसामली चेव पउमरुक्खे चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पउमे चेव, जाव छविहंपि कालं पञ्चणुभवमाणा विहरंति, पुक्खरवरदीवड्ढपचच्छिमदे ण मंदरस्स पचयस्स उत्तरदाहिणेणं दो वासा पं० त० तहेव णाणत्तं कूडसामली चेव महापउमरुक्से चेव, देवा गरुले चेव वेणुदेवे पुंडरीए चेव, पुक्खरखरदीवड्ढे णं दीवे दो भरहाई दो एरवयाई जाव दो मंदरा दो मंदरपुलियाओ, पुक्खरवरस्स णं दीवस्स वेइया दो गाउयाई उड्ढमबत्तेणं पन्नत्ता, सवेसिपि णं दीवसमदाणं वेदियाओ दो गाउयाई उड्ढमुञ्चत्तेणं पण्णत्ताओ।९३। दो असुरकुमारिंदा पन्नत्ता, तं०-चमरे चेव बली चेव१ दो णागकुमारिंदा पण्णत्ता, सं०-धरणे पेव भूयाणंदे चेव २ दो सुवनकुमारिंदा पं० तं०-वेणुदेवे चेव वेणुदाली चेव ३ दो विजुकुमारिंदा पं०२०-हरिवहरिस्सहे चेव४, दो अग्गिकुमारिंदा पन्नत्ता ०-अग्गिसिहे चेव अग्गिमाणवे व ५ दो दीपकुमारिंदा पं००-पुने चेव विसिढे चेव ६ दो उदहिकुमारिंदा पं०तं०- जलकते व जलप्पमे चेव ७दो दिसाकुमारिंदा पं००-अमियगती चेव अमितवाहणे चेव८ दो वातकुमारिंदा पं०२०-वेलंबे चेव पभंजणे चेव ९ दो थणियकुमारिंदा पण्णत्ता, तं०-घोसे चेव महाघोसे चेव १० दो पिसाइंदा पन्नत्ता, सं०-काले चेव महाकाले चेव१दो भूइंदा पं० त०-सुरूवे चेव पडिकवे चेव २ दो जहा विखदा पनत्ता, तं०-पुनभद्दे चेव माणिमदे व ३ दो रक्खसिंदा पनत्ता, तं०-भीमे चेव महाभीमे चेव ४ दो किमरिंदा पनत्ता, तं०-किन्नरे चेव किंपुरिसे चेव ५ दो किंपुरिसिंदा पं० त०-सप्पुरिसे वेव महापुरिसे चेव ६ दो महोरगिंदा पं० तं०-अतिकाए चेव महाकाए चेव ७ दो गंधविंदा पं०, तं०-गीतरती चेच गीयजसे चेव ८ दो अणपनिंदा पं०,तं०-संनि| हिए चेव सामण्णे चेव९ दोपणपन्निदा पं०,०-धाए चेव विहाए चेव १० दो इसिवाइंदा पं०, तं०-इसिबेव इसिवालए चेव ११, दो भूतवाइंदा पन्नत्ता, तं०-इस्सरे चेव महिस्सरे चेव १२ दो कंदिदा पं० सं०-सुवच्छे चेव विसाले चेव १३ दो महाकदिदा पचत्ता, तं०-हस्से चेव हस्सरती व १४ दो कुभंडिंदा पं०२०-सेए चेव महासेए चेव १५, दो पतइंदा पं० तं०-पतए चेच पतयवई व १६ जोइसियाणं देवाणं दो इंदा पन्नत्ता, तं०-चंदे व सूरे घेव, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु दो इंदा पं०, तं०- सके चेव ईसाणे चेव, एवं सर्णकुमा-(२०) ८० स्थानांर्ग-ठाणे मुनि दीपरत्नसागर Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ASPIRANSPROSABP805ASPIRMASPRISPEARAPOMREP85878497213SPRSSPRINCHPOSSISTRNMSPIROMEPRINRBPGARHIR स्माहिवसु कप्पेसु दो इंदा पं० सं०-सर्णकुमारे चैव माहिंदे वेव, बंभलोगलंतएम णं कप्पे दो इंदा पं०, तं०-बमे चेव लंतए चेव, महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु दो इंदा पन्नत्ता, सं०-महासुके व सहस्सारे वेव, आणयपाणतारणचुतेसुणं कप्पेसु दो इंदा पं०२०-पाणते चेव अचुते चेव, महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा दुवण्णा पं०, तं०-हालिदा चेव सुशिला चेव, गेविजगा णं देवाणं दो रयणीओ उड्ढमुबत्तेणं पन्नत्ता।९४। अ०२ उ०३॥ समयाति का आवलियाति वा जीवाति या अजीवाति या पचति १ आणापाणाति वा योवेति वा जीवाति या अजीवाति या पचति २, खणाति वा लवाति वा जीवाति या अजीवाति या पत्चति ३, एवं मुहुत्ताति वा अहोरत्ताति वा ४, पक्खाति वा मासाति वा ५, Bा उद्दति वा अयणाति वा ६. संवच्छराति वा जुगाति वा ७, वाससयाति वा वाससहस्साइ वा ८, वाससतसहस्साह वा वासकोडीइ वा ९, पुषंगाति वा पुवाति बा १०, तुडियंगाति वा तुडियाति वा ११, अडडंगाति वा अडडाति वा १२, अववंगाति वा अववाति वा १३, हूहूअंगाति वा हूहूयाति वा १४, उप्पलंगाति वा उप्पलातिबा १५, पउमंगाइ वा पउमाति वा १६, णलिणंगाति वा णलिणाति वा १७.अच्छणिकरंगाति वा अच्छणिउरातिया १८.अउअंगाति वा अउआति वा १९, णउअंगाति वा पउआति वा २०, पउतंगाति वा पउताति वा २१ चूलितंगाति वा चूलिताति वा २२, सीसपहेलियंगाति वा सीसपहेलियाति वा २३, पलिओवमाति वा सागरोवमाति वा २४, उस्सप्पिणीति वा ओसप्पिणीति वा जीवाति या अजीवाति या पच्चति २५, गामाति वा णगराति वा निगमाति वा रायहाणीति वा खंडाति वा कब्बडाति वा मडवाति वादाणमुहाति वा पट्टणाति वा आगराति वा आस संनिवेसाइ वा घोसाइ वा आरामाइ वा उज्जाणाति वा वणाति वा वणसंडाति वा वावीइ वा पुक्खरणीति वा १० सराति वा सरपंतीति वा अगडाति वा तलागाति वा दहाति वा णदीति वा पुढवीति वा उदहीति वा वावखंधाति वा उवासंतराति वा वलताति वा विगहाति वा दीवाति वा समुहाइ वा वेलाति वा वेतिताति वा दाराति वा तोरणाति वा णेरतिताति वा णेरतितावासाति वा २० जाव वेमाणियाइ वा वेमाणियावासाति वा ४३ कप्पाति वा कप्पविमाणावासाति वा वासाति वा वासघरपञ्चताति वा कूडाति वा कूडागाराति वा विजयाति वा रायहाणीइ चा जीवाति या अजीवाति या पवुच्चति ४७ छाताति वा आतवाति वा दोसिणाति वा अन्धगाराति वा ओमाणाति वा उम्माणाति वा अतिताणगिहाति वा उज्वाणमिहाति वा अवलिंबाति वा सणिप्पवाताति वा जीवाति या अजीवाति या पच्चाइ, दो रासी पं० २०-जीवरासी चेव अजीवरासी चेव । ९५ । दुविहे बंधे पं०, तं०-पेजबंधे चेव दोसबंधे चेच, जीवा गं दोहिं ठाणेहिं पावं कम्मं बंधंति, तं० रागेण चेव दोसेण चेव, जीवा णं दोहिं ठाणेहिं पावं कम्मं उदीरेंति, तं०-अम्भोवगमिताते चेव वेतणाते उवकमिताते व वेयणाते. एवं बर्देति एवं णिजरेंति-अम्भोषगमिताते व वेवणाते उवकमिताते चैव वेयणाते।९६। दोहिं ठाणेहिं आता सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाति, तं०- देसेणवि आता सरीरं फुसित्ताणं णिज्जाति सघणवि आया सरीरगं फुसित्ताणं णिज्जाति, एवं फुरित्ताणं एवं फुडित्ता एवं संवट्टतित्ता एवं निशहतित्ता ।१७। दोहिं ठाणेहिं आता केवलिपचत्तं धम्म लमेज्जासवणवाते, तं०-खतेण चेव उवसमेण चेव, एवं जाव मणपज्जवनाणं उप्पाडेज्जा तं-खतेण चेव उवसमेण चेव ।९८। दुविहे अदोवमिए पनत्ते तं०-पलिओवमे चेव सागरोवमे चेब, से किं तं पलिओवमे?, पलिओवमे-जं जोयणविच्छिनं पार एगाहियप्पाढाणं। होज निरंतरणिचितं भरितं वालम्गकोडीणं ॥४॥ वाससए वाससए एकेके अवहडंमि जो कालो। सो कालो बोको उक्मा एगस्स पल्लस्स ॥५॥ एएसिंपल्डाणं कोडाकोडी हवेज दसगुणिता। तं सागरोवमस्स उ एगस्स भवे परीमाणं ॥६॥९९। दुविहे कोहे पत्नत्ते तं०-आयपइट्टिते चेव परपइहिए चेव, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं, एवं जाच मिच्छादसणस।१०।दुविहा संसारसमावनगा जीवा पं०२०-तसा चेव यावर, चेव, दुविहा सधजीवापं०तं०-सिहा चेव असिदा चेव, दुविहा सधजीचा पण्णत्ता तं०-सइंदिया चेव अणिंदिया चेव, एवं एसा गाहा फासेतवा जाब ससरीरी चेव असरीरी चेव- सिद्धसइंदियकाए जोगे वेए कसाय लेसा या णाणुबओगाहारे मासग चरिमे य ससरीरी ॥७॥।१०१।दो मरणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंधाणं णो णिचं वनियाई णो णिचं कित्तियाई णो णिचं पूइयाई (युइयाई पा०) णो णिचं पसत्थाई णो णिचं अमणुलायाई भवंति, तंजहा-वलायमरणे चेव वसहमरणे चेव १ एवं णियाणमरणे चेव तम्भवमरणे चेव २ गिरिपडणे चेव तरूपडणे चेव ३ जलप्पवेसे चेव जलणप्पवेसे चेव ४ विसभक्खणे चेव सत्थोबाडणे चेव ५ दो मरणाई जाव णो णिचं अन्भणुमायाई भवंति, कारणेणं पुण अप्पडिकुटाई, तं०- वेहाणसे चेव गिदपढे चेव ६, दो मरणाई समणेणं भगवया महावीरेणं समणाणं नियांयाणं णिचं वणियाई जाव अम्भणुन्नाताई भवंति, तं०- पाओवगमणे व भत्तपचक्खाणे चेव ७पाओवगमणे दुविहे पं०तं०-णीहारिमे चेव अनीहारिमे चेव णियमं अपडिकमे ८ भत्तपच्चक्खाणे दुविहे पं० त०-णीहारिमे चेव अणीहारिमे चेव णियमं सपडिकमे ९।१०२। के अयं लोगे?, जीवचेव अजीवचेच, के अणंता लोए?, जीवचेव अजीवचेव, के सासया लोगे?, जीवघेव अजीवघेव ।१०३। दुविहा बोधी पं० सं०-णाणवोधी चेव दसणबोधी चेव, दुविहा सुद्धा पं० त०-णाणबुद्धा चेव दसणबुद्धा चेव, एवं मोहे, मूढा।१०४॥ ८१ स्थानांगं ठरणार मुनि दीपरत्नसागर Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णाणावरणिजे कम्मे दुविहे पं० त० देसनाणावरणिजे चेव सधणाणावरणिज्जे चेव, दरिसणावरणिज्जे कम्मे एवं चेव, वेयणिजे कम्मे दुविहे पं००-सातावेयणिज्जे चेव असातावेयणिजे चेव, मोहणिज्जे कम्मे दुविहे पं० सं०-दसणमोहणिजे चेव चरित्तमोहणिज्जे चेय, आउए कम्मे दुविहे पं० त०- अदाउए चेव भवाउए थेव, णामे कम्मे दुविहे पनते तं०-सुभणामे चेव असुमणामे चेव, गोत्ते कम्मे दुविहे पं० त०-उच्चागोते चेव णीयागोते चेव, अंतराइए कम्मे दुविहे पं० त०-पहु(चुपा०)प्पनविणासिए चेव पिहितआगामिपहं (आगामिपहे आगमपहं पा०)।१०५। दुविहा मुच्छा पं० तं०-पेज्जवत्तिता चेव दोसवत्तिया चेव, पेज्जवत्तिया मुच्छा दुविहा पं०२०-माए चेव लोभे चेव, दोसवत्तिया मुच्छा दुविहा पं० त० कोहे चेव माणे चेव।१०६।दुविहा आराहणा पं० त०-धम्मिताराहणा चेव केवलिआराणा चेव, धम्मियाराहणा दुविहा पं०२०-सुयधम्माराहणा चेव चरित्तधम्माराहणा चेव, केवलिआराहणा दुविद्दा 8 पं०२०-अंतकिरिया चेव कप्पविमाणोववत्तिया चेव।१०७। दो तित्थगरा नीलप्पलसमा वजेणं पं० तं०-मुणिसुपए चेव अरिहनेमी चेव, दो तिस्थयरा पियंगुसामा बनेणं पं०२०-माली चेव पासे चेव, दो तित्ययरा पउमगोरा वन्नेणं पं० सं०-पउमप्पहे चेव वासुपुज्जे चेव, दो तित्थगरा चंदगोरा बन्नेणं पं० त०-चंदप्पभे चेव पुष्कदंते चेव । १०८। सच्चप्पवायपुवस्सणं दुवे वत्यू ।१०९। पुवाभहवयाणक्खत्ते दुतारे पन्नत्ते, उत्तरभद्दक्याणक्खत्ते दुतारे पण्णत्ते, एवं पुवफग्गुणी उत्तराफरगुणी ।११०। अंतो गं मणुस्सखेत्तस्स दो समुद्दा पं० त०-लवणे चेव कालोदे चेव । १११। दो चकवट्टी अपरिचत्तकामभोगा कालमासे कालं किच्चा अहेसत्तमाए पुढवीए अप्पविट्ठाणे णरए नेरइतत्ताए उववना तं०-सुभूमे चेच बंभदत्ते चेव । ११२। असुरिंदवजियाणं भवणवासीणं देवाणं देसूणाई दो पलिओवमाई ठिती पन्नत्ता, सोहम्मे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं दो सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता, ईसाणे कप्पे देवाणं उक्कोसेणं सातिरेगाई दो सागरोवमाइं ठिती पन्नत्ता, सर्णकुमारे कप्पे देवाणं जहन्नेणं दो सागरोषमाई ठिती पन्नत्ता, माहिदे कप्पे देवाणं जहन्नेणं साइरेगाई दो सागरोवमाई ठिती पन्नत्ता ।११। दोसु कप्पेसु कप्पत्थियाओ पन्नत्ताओ, तं०- सोहम्मे चेव ईसाणे चेव । ११४। दोसु कप्पेसु देवा तेउलेस्सा पन्नत्ता, तं०-सोहम्मे चेव इंसाणे चेव । ११५। दोसु कप्पेसु देवा कायपरियारगा पं०२०-सोहम्मे चेव ईसाणे चेव, दोसु कप्पेसु देवा फासपरियारगा पं० सं०-सर्णकुमारे चेव माहिंदे चेव, दोसु कप्पेसु देवा रूवपरियारगा पं० तं०-भलोगे चेव लंतगे चेव, दोसु कप्पेसु देवा सहपरियारगा पं० सं०-महासुक्के चेव सहस्सारे चेव, दो इंदा मणपरियारगा पं० त०-पाणए चेव अचुए चेव । ११६। जीवा णं दुहाणणिवत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तं०-लसकायनिवत्तिए चेव थावरकायनिवत्तिए चेच, एवं उवचिणिंसु वा उवचिणंति वा उवचिणिस्संति वा, बंधिसु वा बंधति वा पंधिस्संति वा. उदीरिस वा उदीरति वा उदीरिस्संति वा बेसु वा वेदेति वा वेदिस्संति वा. णिजरिंसु वा णिज्जरंति वाणिजरिस्संति वा । ११७। दुपएसिता खंधा अणंता पन्नत्ता दुपदेसोगाढा पोग्गला अणंता पन्नत्ता एवं जाव दुगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पन्नत्ता । ११८। उ०४ द्विस्थानकाध्ययनं २॥तओ इंदा पण्णत्ता तं०. णामिदे ठवणिंदे दविंदे, तओ इंदा पं० २०णाणिंदे दंसणिंदे चरित्तिदे, तओ इंदा पं० २०-देविंदे असुरिंदे मणुस्सिदे । ११९। तिविहा विउब्बणा पं० तं० बाहिरते पोग्गलए परियातित्ता एगा विकुश्वणा बाहिरए पोग्गले अपरियादित्ता एगा विकृञ्चणा बाहिरए पोग्गले परियादित्तावि अपरियादित्तावि एगा विकुचणा, तिविहा विगुव्वणा पं० सं०- अभंतरए पोग्गले परियातित्ता. अपरि० परियाइत्ता अपरितादित्तावि एगा विकृव्वणा, तिविहा विकुछणा पं० तं०-बाहिरभंतरए पोग्गले परियाइत्ता एगा विकुछणा वाहिरभंतरए पोग्गले अपरियाइत्ता एगा विगुव्वणा बाहिरम्भंतरए पोग्गले परियाइत्तावि अपरियाइत्तावि एगा विउवणा। १२० । तिविहा नेरइया पन्नत्ता तं-कतिसंचिता अकतिसंचिता अवत्तष्वगसंचिता. एवमेगिंदियवजा जाव वेमाणिया। १२१ । तिविहा परियारणा पं० तं०-एगे देवे अन्ने देवे अन्नेसिं देवाणं देवीओ अ अभिजुंजिय २ परियारेति, अप्पणिजिआओ देवीओ अभिजूजिय २परियारेति, अप्पाणमेव अप्पणा विउब्बिय २ परियारेति १, एगे देवे णो अन्ने देवा णो अण्णेसिं देवाणं देवीओ अभिजुंजिय२ परियारेइ अप्पणिजियाओ देवीओ अभिजुंजिय२ परि०२ अप्पाणमेव अप्पणा विउवियर परियारेति २. एगे देवे णो अन्ने देवा णो अण्णेसिं देवाणं देवीओ अभिजुजिय २ परितारेति णो अप्पणिजिताओ देवीओ अभिजुजिय २ परितारेति अप्पाणमेव अप्पणा विउपिय २ परितारेति ३ 4 १२२। तिबिहे मेहुणे पं० २०-दिवे माणुस्सते तिरिक्खजोणिते, तओ मेहुणं गच्छंति तं०-देवा मणुस्सा तिरिक्खजोणिता, ततो मेहुणं सेवंति, तं०-इत्थी पुरिसा णपुंसगा।१२३॥ तिविहे जोगे पं० त०-मणजोगे वतिजोगे कायजोगे, एवं णेरतिताणं विगलिंदियबजाणं जाव वेमाणियाणं, तिविहे पओगे पं० २०-मणपओगे वतिपओगे कायपयोगे जहा जोगो विगलिंदियवजाणं तधा पओगोऽवि, तिविहे करणे पं०, तं०-मणकरणे वतिकरणे कायकरणे, एवं विगलिंदियवजं जाव वेमाणियाणं, तिविहे करणे पं०२०-आरंभकरणे संरंभकरणे समारंभकरणे, निरंतरं जाच वेमाणियाणं । १२४ । तिहिं ठाणेहिं जीवा अप्पाउअत्ताते कम्मं पगरिति, तं०-पाणे अतिवातित्ता भवति मुसं वइत्ता भवइ तहारूवं समणं वा माहणं वा अफा८२ स्थानांग- -2 मुनि दीपरत्नसागर EARSESASPOONABP8428718948PAMOR-SPBMSPRISINESSPAPERSYCHASPEARESHRESPOARNUANCHAR Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ सुएणं अणेसणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता भवइ, इचेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा अप्पाउअत्ताते कम्मं पगरेंति, तिहिं ठाणेहिं जीवा दीहाउअत्ताते कम्मं पगरेति. तं०-णो पाणे अतिवातित्ता भवह णो मसं पत्तिता भवति तथारू समर्थ वा माहणं वा फासएसणिजेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता भवह, इचेतेहिं तिहिं ठाणेहि जीवादीहालय. ताए कम्मं पगरेंति, तिहिं ठाणेहिं जीवा असुमदीहाउयत्ताए कम्मं पगरेति, तंजधा-पाणे अतिवातिता भवइ सुसं बहता भवद (पाणे अतिवायित्ता मुसंवयित्ता पा०) तहारूवं समर्ण वा माहणं वा हीलेत्ता णिदित्ता खिंसेत्ता गरहित्ता अवमाणित्ता अन्नयरेणं अमणुनेणं अपीतिकारतेणं असण० पडिलामेत्ता भवइ, इबेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउअत्ताए कम्मं पगरेंति, तिहिं ठाणेहिं जीवा सुभदीहाउअत्ताते कम्मं पगरेंति, तं०-णो पाणे अतिवातित्ता भवइ णो मुसं वदित्ता भवइ तहारूवं समर्ण वा माहणं वा वंदित्ता नमंसित्ता सकारिता संमाणेत्ता कल्याणं मंगलं देवतं चेतितं पजुवासेत्ता मणुन्नेणं पीतिकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभित्ता भवइ, इबेतेहि तिहिं ठाणेहिं जीवा सुहदीहाउतत्ताते कम्मं पगरेति 1१२५॥ ततो गुत्तीतो पनत्ताओ, तं०-मणगुत्ती वतिगुत्ती कायगुत्ती, संजयमणुस्साणं ततो गुत्तीओ पं०, तं०-मण वइ० काय०, तो अगुत्तीओ पं०,तं-मणअगुत्ती वइअगुत्ती कायअगुत्ती. एवं नेरइताणं जाव धणियकुमाराणं, पंचिंदियतिरिक्सजोणियाणं असंजतमणुस्साणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाण । ततो दंडा पं०, तं०-मणदंडे वइदंटे कायदंडे. नेत्याणं तओदंडा पण्णत्ता, तं-मणदंडेवइदंडे कायदंडे, विगलिंदियवजं जाव वेमाणियाणं ।१२६। तिविहा गरहा पं००- मणसा वेगे गरहति वयसा वेगे गरहति कायसा वेगे गरहति, पावाणं कम्माणं अकरणयाए, अथवा गरहा तिविहा पं० तं०-दीहंपेगे अदं गरहति रहस्संपेगे अद्ध गरहति कायंपेगे पडिसाहरति पावाणं कम्माणं अकरणयाए, तिविहे पचक्याणे पं० तं०-मणसा बेगे पच्चक्खाति वयसा वेगे पचक्खाति कायसा वेगे पबक्खाइ, एवं जहा गरहा तहा पचखाणेवि दो आलावगा भाणियत्रा ।१२७१ ततो रुक्खा पं० त०-पत्नोवते पुष्फोवते फलोवते १ एवामेव तो पुरिसजाता पं० त०- पत्तोवारुखसामाणा पुष्फोवारुक्खसामाणा फलोवारुक्खसामाणा २ ततो पुरिसज्जाया पं० तं०-नामपुरिसे टवणपुरिसे दनपुरिसे ३, तओ पुरिसज्जाया पं०, तं०-नाणपुरिसे दसणपुरिसे चरित्तपुरिसे ४ तओ पुरिसज्जाया पं० सं०-वेदपुरिसे चिंधपुरिसे अभिलावपुरिसे ५, तिविहा पुरिसजाया पं० तं०-उत्तमपुरिसा मज्मिमपुरिसा जहन्नपुरिसा ६, उत्तमपुरिसा तिविहा पं० त०-धम्मपुरिसा भोगपुरिसा कम्मपुरिसा, धम्मपुरिसा अरिहंता भोगपुरिसा चकवट्टी कम्मपुरिसा वासुदेवा ७, मज्झिमपुरिसा तिविहा पं० तं०-उग्गा भोगा रायन्ना ८, जहन्नपुरिसा तिविहा पं० सं०-दासा भयगा भातिलगा ९।१२८। तिविहा मच्छा पं० तं०-अंडया पोअया संमुच्छिमा १, अंडगा मच्छा तिविहा पं०२०-इत्थी पुरिसा णपुंसगा २, पोतया मच्छा तिविहा पं००-इत्थी पुरिसा णपुंसगा ३, तिविहा पक्खी पं० सं०-अंडया पोअया संमुच्छिमा १. अंडया पक्खी तिविहा पं० तं०-इत्थी पुरिसा णपुंसगा २, पोतजा पक्खी तिविहा पं० सं०-इत्थी पुरिसा णपुंसगा ३-६, एवमेतेणं अभिलावणं उरपरिसप्पावि ३.९ भाणियवा, भुजपरिसप्पावि ३-१२, भाणियबा ९।१२९। एवं चेव तिविहा इत्थीओ पं० सं०-तिरिक्खजोणित्थीओ (प० जोणियाओ) मणुस्सित्थीओ देविस्थीओ १, तिरिक्खजोणीओ इत्थीओ तिविहाओ पं० तं०. जलचरीओ थलचरीओ खहचरीओ २, मणुस्सिस्थीओ तिविहाओ पं० सं०-कम्मभूमिआओ अकम्मभूमियाओ अंतरदीविगाओ ३, तिविहा पुरिसा पं० तं-तिरिक्खजोणीपुरिसा मणुस्सपरिसा देवपुरिसा १, तिरिक्खजोणिपुरिसा तिविहा पं० त०-जलचरा थलचरा खेचरा २, मणुस्मपुरिसा तिविहा पं० सं०-कम्मभूमिगा अकम्मभूमिगा अंतरदीक्गा ३-६. तिविहा नपुंसगा पं० तं०- रतियनपुंसगा तिरिस्खजोणियण मणुस्स(प्र० जोणिय नपुंसगा १, तिरिक्खजोणियनपुंसगा तिचिहा पं०तं०-जलयराथलयराखहयरा २.मणुस्सनपुंसगा तिविधा पं००-कम्मममिगा अकम्मममिया अंतरदीवमा ३-९।१३०तिविहातिरिक्खजोणिया पं००-इत्थी परिसा नपंसगा।१३१नेरहयाणंतजोलेसाजोपंत काउलेसा १, असुरकुमाराणं तओ लेसाओ संकिलिट्ठाओ पं०, तं०-कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा २, एवं जाव थणियकुमाराणं ११, एवं पुढविकाइयाणं १२ आउवणस्सतिकाइयाणवि १३-१४ तेउकाइयाणं १५ वाउकाइयाणं १६ दियाणं १७ तेंदियाणं १८ चउरिदिआणचि १९ तओ लेस्सा जद्दा नेरइयाणं, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तओ लेसाओ संकिलिट्ठाओ पं० ०-कण्हलेसा नीललेसा काउलेसा २०, पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं तो लेसाओ असंकिलिट्ठाओ पं० सं०-तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा २१, एवं मणुस्साणवि २२, वाणमंतराणं जहा असुरकुमाराणं २३, वेमाणियाणं तओ लेस्साओ पं० २०-तेउलेसा पम्हलेसा सुक्कलेसा २४।१३२॥ तिहिं ठाणेहिं तारारूवे चलिज्जातं-विकुछमाणे वा परियारेमाणे वा ठाणाओ वा ठाणं संकममाणे तारारूवे चलेज्जा, तिहिं ठाणेहिं देवे विजुतारं करेजा तं०-विकुत्रमाणे वा परियारेमाणे वा तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा इइदि जुत्तिं जसं बलं वीरियं पुरिसकारपरकम उवदंसेमाणे देवे विजुतारं करेजा, तिहिं ठाणेहिं देवे थणियसई करेजा तं०-विकुत्रमाणे, एवं जहा विजुतारं तहेव यणियसहपि।१३३। तिहिं ८३ स्थानांर्ग-ठा-३ मुनि दीपरत्नसागर Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SPRASFORMISPH6-48748P8SMSPOARBIPIRA287848P8ABPRNSPIRNSPIRATIBHASHASPIROERIPRASAPTEMBPRANSPIRE ठाणेहिं लोगधयारे सिया तं०- अरिहंतेहिं वोच्छिजमाणेहिं अरिहंतपन्नते धम्मे बोच्छिजमाणे पुषगते वोच्छिज्जमाणे १, तिहिं ठाणेहिं लोगुजोते सिया तं०-अरहतेहिं जायमाणेहि अरहतेस पत्रयमाणेस अरहतार्ण गाणप्पायमहिमासु २ तिहिं ठाणेहिं देवंधकारे सिया तं०-अरहंतेहिं वोच्छिजमाणेहिं अरहतपन्नते धम्मे वोच्छिजमाणे पागते वोच्छिजमाणे ३.तिहिं ठाणेहिं देवुज्जोते सिया तं०-अरहतेहिं जायमाणेहिं अरहतेहिं पक्ष्यमाणेहिं अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु ४, तिहिं ठाणेहिं देवसंनिवाए सिया तं०- अरिहतेहिं जायमाणेहिं अरिहंतेहिं पञ्चयमाणेहिं अरिहंताणं नाणुप्यायमहिमासु ५, एवं देवलिया ६, देवकहकहए ७, तिहिं ठाणेहिं देविंदा माणुसं लोगहमागच्छति तं० अरहंतेहिं जायमाणेहिं अरहंतेहिं पञ्चयमाहिं अरहंताणं णाणुप्पायमहिमासु८,एवं सामाणिया ९,तायत्तीसगा १० लोगपाला देवा ११ अमामहिसीओ देवीओ १२ परिसोववन्नगा देवा १३ अणियाहिवई देवा १४ आयरक्खा देवा १५ माणुसं लोग हशमागच्छति। तिहिं ठाणेहिं देवा अन्मुडिजा, २० अरहंतेहिं जायमाणेहिं जाय तं व १,एवमासणाई चलेजा २, सीहणातं करेजा ३, चेलुक्खेवं करेजा ४, तिहि ठाणेहि देवाणं पेइयरक्खा चलेज्जा तं०-अरहंतेहिं तं चेव ५, तिहिं ठाणेहिं लोगंतिया देवा माणुसं लोग हमागच्छिजा, तं०-अरहंतेहिं जायमाणेहिं अरहंतेहिं पश्यमाणेहिं अरहताणं णाणुप्पायमहिमासु ।१३४। तिण्डं दुष्पडियारं समणाउसो! तं०-अम्मापिउणो १ महिस्स २ धम्मायरियस्स ३, संपातोऽवि यणं केइ पुरिसे अम्मापियरं सयपागसहस्सपागेहिं तिहडेहिं अभंगेत्ता सुरभिणा गंधट्टएणं उन्यद्वित्ता तिहिं उदगेहिं मज्जावित्ता सव्वालंकारविभूसियं करेत्ता मणुन्न थालीपागसुदं अट्ठारसर्वजणाउलं भोयणं भोयावेत्ता जावजीवं पिट्टिबडेंसियाए परिवहेज्जा, तेणावि तस्स अम्मापिउस्स दुष्पडियारं भवइ, आहे णं से तं अम्मापियरं केवलिपन्नते धम्मे आघवहत्ता पन्नवित्ता परूवित्ता ठावित्ता भवति. तेणामेव 8 तस्स अम्मापिउस्स सुप्पडितारं भवति समणाउसो! १, केइ महचे दरिहं समुक्कसेजा, तए णं से दरिद समुकिट्टे समाणे पच्छा पुरं च णं विउलमोगसमितिसमन्नागते यावि विहरेजा, | तए णं से महाचे अन्नया कयाइ दरिहीहए समाणे तस्स दरिहस्स अंतिए इन्चमागच्छेज्जा, तए णं से दरिदे तस्स महिस्स सव्वस्समवि दलपमाणे तेणावि तस्स दुप्पडियारं भवति, अहे णं से तं महि केवलिपनते धम्मे आघवइत्ता पत्रवइत्ता परूवइत्ता ठावइत्ता भवति तेणामेव तस्स भट्टिस्स सुप्पडियारं भवति २. केति तहारूवस्स समणस्स वा माणस्स वा अंतिए एगमवि आयरियं धम्मियं सुवयणं सोचा निसम्म कालमासे कालं किच्चा अन्नयरेसु देवलोएसु देवत्ताए उववने, तए णं से देवे तं धम्मायरियं दुम्भिक्खातो वा देसातो सुभिक्खं देसं साहरेजा. कंताराओ वा णिकतारं करेजा, दीहकालिएणं वा रोगातकणं अभिभूतं समाणं विमोएज्जा, तेणावि तस्स धम्मायरियस्स दुप्पडियारं भवति, अधे णं से तं धम्मायरियं केवलिपन्नत्ताओ धम्माओ भट्ठ समाणं मुजोवि केवलिपन्नले धम्मे आघपतित्ता जाप ठावतित्ता भवति तेणामेव तस्स धम्मायरियस्स सुप्पडियारं मवति ३।१३५। तिहिं ठाणेहि संपण्णे अणगारे अणादीयं अणवदम्गं दीहमदं चाउरंतं संसारकतारं बीईवएज्जा, तं० अणिदाणयाए दिहिसंपच्याए जोगवाहियाए।१३६। तिविहा ओसप्पिणी पं० सं०- उक्कोसा मजिझमा जहन्ना १एवं छप्पि समाओ भाणियचाओ जाय दूसमदूसमा ७,तिविहा उस्सप्पिणी पं०२०-उकोसामज्झिमा जहन्ना ८,एवं छप्पि समाओ भाणियचाओ जाव सुसमसुसमा १४।१३७। तिहिं ठाणेहिं अच्छिन्ने पोग्गले चलेजातं०-आहारिजमाणे वा पोग्गले चलेजा, विउच्चमाणे० ठाणाओ वा ठाणं संकामिज्जमाणे०,तिविहे उवधी पं० २०-कम्मोवही सरीरोवही बाहिरभंडमत्तोवही, एवं असुरकुमाराणं माणियचं, एवं एगिदियनेरइयवज्ज जाव वेमाणियाणं १, अहवा तिविहे उवधी पं० २०-सच्चित्ते अचित्तेमीसए,एवं णेरइआणं, निरंतरं जाव वेमाणियाणं २.तिविहे परिम्गहे पं०२०-कम्मपरिग्गहे सरीरपरिम्गहे बाहिरमंडमत्तपरिम्गहे, एवं असुरकुमाराणं, एवं एगिदियनेरतियवजं जाव वेमाणियाणं ३, अहवा तिविहे परिग्गहे पं० सं०-सचित्ते अचित्ते मीसए, एवं नेरतियाणं, निरंतरं जाव वेमाणियाणं ४।१३८॥ तिविहे पणिहाणे पं० सं०-मणपणिहाणे वयपणिहाणे कायपणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं, तिविहे सुप्पणिहाणे पं० सं०-मणसुप्पणिहाणे वयसुप्पणिहाणे कायसुप्पणिहाणे, संजयमणुस्साणं तिविहे सुप्पणिहाणे पनत्ते तं०-मणसुप्पणिहाणे वइसुप्पणिहाणे कायसुप्पणिहाणे, तिविहे दुष्पणिहाणे पं० त०-मणदुप्पणिहाणे वइदुप्पणिहाणे कायदुष्पणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं । १३९। तिविहा जोणी पं० त०-सीता उसिणा सीओसिणा, एवं एगिदियाणं विगलिंदियाणं तेउकाइयवजाणं समुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं समुच्छिममणुस्साण य, तिविहा जोणी पं० तं०-सचित्ता अचित्ता मीसिया, एवं एगिदियाणं विगलिंदियाणं संमुच्छिमपंचिंदियतिरिक्सजोणियाणं समुच्छिममणुस्साण य, तिविधा जोणी पं०२०-संबुडा वियडा संवुडवियडा, तिविहा जोणी पं० तं०-कुम्मुन्नया संखावत्ता वंसीपत्तिया, कुम्मुनया णं जोणी उत्तमपुरिसमाऊणं, कुम्मुच्चयातेणं जोणीए विविहा उत्तमपुरिसा गन्मं वकमंतितं०-अरहंता चक्कवट्टी बलदेववासुदेवा, संखावत्ता जोणी इत्थीरयणस्स, संखावत्ताएजंजोणीए पहवे जीवा यपोग्गला य वकमंति विउकमति चयंति उववजति नो चेव णं निष्फजंति, वंसीपत्तिता णं जोणी पिहजणस्स, सीपत्तिताए णं जोणीए बहवे पिहजणे गम्भं वकमंति।१४०। तिविहा तणवणस्सइकाइया पं० सं०-संखेजजीविता असंखेजजीविता अणंतजीविया ।१४१ । जंबुद्दीचे दीवे मारहे वासे तओ तित्था पं०(२१) ८४ स्थानांर्ग-ठा-३ मुनि दीपरत्नसागर HEARNERISPRATAPGARHIRMA8984SPITOMACPECHASPARSHEESIPARIPESABPTEMBN842SPICHASPNAMIRMBHESE Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ MANORANJANSARYNS369458884999363434584220345893445058489AROLD * तं०-मागहे वरदामे पभासे, एवं एखएवि, जंबुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे एगमेगे चक्कवष्टिविजये ततो तित्था पं० त०-मागहे वरदामे पभासे ३, एवं घायइसंडे दीवे पुरच्छिमदेवि, पञ्चस्थिमदेवि ९, पुक्खरखरदीवद्धपुरच्छिमद्धेवि १२ पञ्चस्थिमदेवि १५।१४२ जंबुद्दीवे २ भरहेरखएसु वासेसु तीताए उस्सप्पिणीते सुसमाए समाए तिन्नि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था १. एवं ओसप्पिणीए नवरं पन्नते २, आगमिस्साते उस्सप्पिणीए भविस्सति ३, एवं धायइसंडे पुरच्छिमद्धे पञ्चत्यिमद्धेवि ९, एवं पुक्खरवरदीवद्धपुरच्छिमदे पच्चत्थिमदेवि कालो भाणियव्वो १५। जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसुवासेसु तीताते उस्सप्पिणीतेसुसमसुसमाते समाए मणुया तिण्णि गाउयाई उद्धंउच्चत्तेणं तिन्नि पलिओवमाई परमाउं पालइत्था १, एवं इमीसे ओसप्पिणीते २ आगमिस्साए उस्सप्पिणीए ३, जंबुद्दीवे दीवे देवकुरुउत्तरकुरासु मणुया तिण्णि गाउआई उदउच्चत्तेणं पं०, तिन्नि पलिओवमाई परमाउं पालयंति ४, एवं जाव पुक्खरवरदीवद्धपञ्चस्थिमद्धे २०। जंबुद्दीवे दीवे भरहेरवएसु वासेसु एगमेगाते ओसप्पिणिउस्सप्पिणीएतओ वंसाओ उप्पजिसु वा उप्पजंति वा उप्पजिस्संति वा तं०-अरहंतवंसे चक्कवटिवंसे दसारवंसे २१, एवं जाच पुक्खरवरदीवजपच्चत्थिमद्धे २५। जंबुद्दीचे दीवे भरहेरखएसु वासेसु एगमेगाए ओसप्पिणीउस्सप्पिणीए तओ उत्तमपुरिसा उप्पजिसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा तं०-अरहंता चक्कवट्टी बलदेववासुदेवा २६ एवं जाव पुक्खरवरदीवद्वपञ्चत्थिमदे ३०, तओ अहाउयं पालयंति तं०-अरहता चक्कवट्टी बल ती मज्झिममाउय पालयात त०-अरहता चक्कवट्टा बलदेववासुदवा ३२।१४३। चायरतउकाइयाण उकासण तिन्निराइदियाइ ठिती पजत्ता, बायरवाउकाइयाण उकोसेणं तिन्निवाससहस्साई ठिती पं०।१४४अह भंते! सालीणं वीहीणं गोधमाणं जवाणं जवजवाणं एतेसिं णं धन्नाणं कोहाउत्ताणं पल्टाउत्ताणं मंचाउत्ताणं मालाउत्ताणं ओलित्ताण लित्तार्ण लंछियाणं मदियाणं पिहिताण केवइयं कालं जोणी संचिट्ठति',( मोयमा!) जहण्णेणं अंतोमुत्तं उकोसेणं तिणि संवच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायति, तेण परं जोणी पविद्धसति, तेण पर जोणी विसति, तेण पर भीए अबीए भवति, तेण परं जोणीबोच्छेदो पं०।१४५। दोचाए णं सकरप्पभाए पुढबीए णेरइयाणं उक्कोसेणं तिषिण सागरोचमाई ठिती पं०१, तबाए णं वालुयप्पभाए पुढवीए जहन्नेणं णेरड्याणं तिमि सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता २।१४६। पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिनि निरयावाससयसहस्सा पं०, तिसु णं पुढवीसु णेरइयाणं उसिणवेयणा पन्नत्ता वं०-पढ़माए दोचाए तचाए, विसुणं पुढवीसु रइया उसिणवेयणं पचणुभक्माणा विहरति-पढमाए दोचाए तचाए ।१४७। ततो लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पं० तं०- अप्पइट्ठाणे णरए जद्दीवे दीवे सबट्टसिद्धे महाविमाणे, तओ लोगे समा सपक्खि सपडिदिसि पं० त०-सीमंतए णं णरए समयक्खेत्ते ईसीपभारा पुढवी।१४८। तओ समुदा पगईए उदगरसेणं पं० तं- कालोदे पुक्खरोदे सयंभुरमणे, तओ समुदा बहुमच्छकच्छभाइण्णा पं० २० लवणे कालोदे सयंभुरमणे ।१४९। तओ लोगे णिस्सीला णित्रता णिम्गुणा निम्मेरा णिप्पचक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किचा अहे सत्तमाए पुढवीए अप्पतिट्ठाणे णरए णेरइयत्ताए उववजंति, तं०-रायाणो मंडलीया जे य महारंभा कोडंबी, तओ लोए सुसीला सुवया सरगुणा समेरा सपञ्चक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा सबट्ठसिद्ध महाविमाणे देवत्ताए उववत्तारो भवंति, तं०-रायाणो परिचत्तकामभोगा सेणावती पसत्थारो । १५०। भलोगलंतएसु णं कप्पेसु विमाणा तिवण्णा पं०२०-किण्हा नीला लोहिया, आणयपाणयारणचुतेसुणं कप्पेसु देवाणं णिजसरीरा कोसेणं तिण्णि रयणीओ उदंउच्चत्तेणं पण्णत्ता १५१ तओ पन्नत्तीओ कालेणं आहजति,०-चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती दावसागरपन्नत्ती।१५२।०३उ० १॥तिविहे लोगे पं० त०-णामलोगे ठवणलोगे दबलोगे, तिविधे लोगे पं० सं०-णाणलोगे दंसणलोगे चरित्तलोगे, तिविहे लोगे पं० तं०- उद्धलोगे अहोलोगे तिरियलोगे।१५३। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररचो ततो परिसातो पं० तं०-समिता चंडा जाया, अभितरिता समिता मज्झिमता चंडा बाहिरता जाया, चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो सामाणिताणं देवाणं ततो परिसातो पं० सं०-समिता जहेव चमरस्स, एवं वायत्तीसगाणवि, लोगपालाणं तुंचा तुडिया पक्षा, एवं अग्गमहिसीणवि, पलिस्सवि एवं चेव जाव अम्गमहिसीणं, धरणस्स य सामाणियतायत्तीसगाणं च समिता चंडा जाता, लोगपालाणं अम्गमहिसीणं ईसा तुडिया दढरहा, जहा धरणस्स तहा सेसाणं भवणवासीणं, कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरण्णो तओ परिसाओ पं०२०-ईसा तुडिया दढरहा, एवं सामाणियअगमहिसीणं, एवं जावगीयरतिगीयजसाणं, चंदस्सणं जोतिसिंदस्स जोतिसरबो ततो परिसातो पं० तं०-तुंवा तुडिया पक्षा, एवं सामाणियअग्गमहिसीणं, एवं सरस्सवि, सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो ततो परिसाओ पं० २० समिता चंडा जाया, एवं जहा चमरस्स जाव अम्गमहिसीणं, एवं जाव अचुतस्स लोगपालाणं । १५४ । ततो जामा पं० सं०-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, तिहिं जामेहिं आता केवलिपन्नत्तं धम्म लभेज सवणताते-पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, एवं जाव केवलनाणं उपाडेजा पढमे जामे मज्झिमे जामे पच्छिमे जामे, ततो क्या पं० तं०-पढमे वते मज्झिमे वते पच्छिमे वए, तिहिं बतेहिं जाया केवलिपन्नत्तं ८५ स्थानांग-600-३ मुनि दीपरत्नसागर REAISPRIMSPOARANASPENSHOBPEONAGPIRNSSPIRMISAMROPAGAPAMEPOARNESHONOURISROPENIOPOR Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BARAHIMALAYKOAATHAARAKHAORAKARACK844302042RRIASKINARY8420842122858694 धम्म लभेज सवणयाए, तं०-पढमे वते मज्झिमे वते पच्छिमे यते, एसो चेव गमो यत्रो जाव केवलनाणति । १५५। तिविधा चोधी पं० २०.णाणबोधी दसणबोधी चरित्तबोधी १तिविहा बुद्धा पं० सं०-णाणचुदा ईसणबुद्दा चरित्तबुद्धा २ एवं मोहे ३ मूढा ४ ।१५६। तिविहा पव्वज्जा पं० त०-इहलोगपढिबदा परलोकपडियद्धा दुहतोपडिबद्धा, तिविहा पव्वज्जा पं० तं०- पुरतो पढिबदा मग्गतो पढिबद्धा दुहओ पडिबदा, तिविहा पब्वजा पं० त०-तुयावइत्ता पुयावइत्ता बुआवइत्ता, तिविहा पध्वजा पं० तं०-उवातपथ्यज्जा अक्खातपव्वजा संगारपब्बज्जा।१५७। तओ णियंठा णोसण्णोवउत्ता पं० तं०-पुलाए णियंठे सिणाए १ ततो णियंठा सन्नणोसण्णोवउत्ता पं० तं०-बउसे पडिसेवणाकुसीले कसायकुसीले २।१५८ा तओ सेहभूमीओ पं० सं०-उकोसा मज्झिमा जहन्ना, उक्कोसा छम्मासा, मज्झिमा चउमासा, जहन्ना सत्तराईदिया, ततो थेरभूमीओ पं० त०. जाइथेरे सुत्तधेरे परियायथेरे, सट्ठिवासजाए समणे णिग्गंधे जातिधेरे, ठाणंग(प० ठाण)समवायधरे समणे णिमांथे सुयोरे, बीसवासपरियाए णं समणे णिगये परियायोरे । १५९। ततो पुरिसजाया पं० तं०-सुमणे दुम्मणे णोसुमणेणोदुम्मणे १ ततो पुरिसजाया पं० त०-गंता णामेगे सुमणे भवति, गंता णामेगे दुम्मणे भवति, गंता णामेगे णोसुमणेणोदुम्मणे मवति २, तओ पुरिस जाया पं० तं०- जामीतेगे सुमणे भवति, जामीतेगे दुम्मणे भवति, जामीतेगे जोसुमणेणोदुम्मणे भवति ३, एवं जाइस्सामीतेगे सुमणे भवति ३,४, ततो पुरिसजाया पं० तं०- अगंवा | णामेगे सुमणे भवति ३,५, ततो पुरिसजाता पं० त०-ण जामि एगे सुमणे भवति ३,६, ततो पुरिसजाया पं० तं०-ण जाइस्सामि एगे सुमणे भवति ३,७, एवं आगंता णामेगे सुमणे | भववि ३,८, एमितेगे सु०३एस्सामीति एगे सुमणे भवति ३ एवं एएणं अभिलावेणं-गंता य अगंता(य) १ आगंता खलु तथा अणागंता २॥ चिट्ठित्तमचिट्टित्ता ३, णिसितित्ता चेव नो चेव ४ ॥८॥ हंता य अहंता य ५ छिदित्ता खलु तहा अछिंदित्ता ६। बूतित्ता अबूतित्ता ७ भासित्ता चेव णो चेब८॥९॥दचा य अदचा य ९ भुंजित्ता खलु तथा अभुंजित्ता १०॥ लंभित्ता अलंभित्ता ११ पिइत्ता चेव नो चेव १२॥१०॥ सुतित्ता असुतित्ता १३ जुज्झित्ता खलु तहा अजुज्झित्ता १४ । जतित्ता अजयित्ता य १५ पराजिणित्ता य नो चेव १६ ॥११॥ सदा १७रूवा १८ गंधा १९ रसा य २० फासा २१ (२१.६-१२६.१-१२७) तहेव ठाणा य । निस्सीलस्स गरहिता पसत्य पुण सीलबंतस्स ॥१२॥ एवमिकेके तिन्नि उ तिन्नि उ आलावगा भाणियबा, सदं सुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति ३ एवं सुणेमीति ३ सुणिस्सामीति ३, एवं असुणेत्ता णामेगे सुमणे भवति ३ न सुणेमीति ३ण सुणिस्सामीति रूवाई गंधाई रसाई फासाई. एकेके छछआलावगा भाणिया १२७आलावगा भवंति।१६० तओ ठाणा णिस्सीलस्स निव्वयस्स णिगुणस्स णिम्मेरस्स णिप्पचक्खाणपोसहोववासस्स गरहिता. भवंति तं०-अस्सि लोंगे गरहिते भवइ उवचाते गरहिए भवइ आयाती गरहिता भवति, ततो ठाणा सुसीलस्स सुमयस्स सगुणस्स सुमरस्स सपचक्खाणपोसहोववासस्स पसत्या भवंति, तं०- अस्सि लोगे पसत्थे भवति उववाए पसत्थे मवति आजाती पसत्था भवति । १६१ । तिविधा संसारसमावनगा जीवा पं० २०-इत्थी पुरिसा नपुंसगा, तिविहा सधजीवा पं० तं०- सम्मदिट्ठी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी य, अहवा तिविहा सबजीवा पं० तं०-पज्जत्तगा अपजत्तगा णोपज्जत्तगाणोऽपज्जतगा, एवं-सम्मदिदि परित्ता पजत्तग सुहुम सन्नि भविया या१६२२ विविधा लोगठिती पं० त०-आगासपइहिए वाते वातपतिट्ठिए उदही उदहिपतिडिया पुढवी, तओ विसाओ पं० तं०-उदा अहा तिरिया १, | तिहिं दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति, उड्ढाए अहाते तिरियाते २, एवं आगती ३ वकंती४ आहारे ५ वुड्ढी ६ णिबुड्ढी ७गतिपरियाते ८ समुग्धाते ९ कालसंजोगे १० दंसणामिग| मे ११, णाणाभिगमे १२, जीवाभिगमे १३, तिहिं दिसाहिं जीवाणं अजीवाभिगमे पं०२०-उड्ढाते अहाते तिरियाते १४, एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं, एवं मणुस्साणवि।१६३१ तिविहा तसा पं०२०-तेउकाइया बाउकाइया उराला तसा पाणा, तिविधा थावरा पंतं०-पदविकाइया आउकाइया वणस्सइकाइया ।१६४॥ ततो अच्छेजा पं००-समये पदेसे परमाण १, एवमभेजा २ अडज्झा ३ अगिज्झा ४ अणड्ढा ५ अमज्झा ६ अपएसा७, ततो अविभातिमा पं० तं०-समते पएसे परमाणू ८।१६५। अज्जोति समणे भगवं महावीरे गोतमादी समणे णिग्गंथे आमंतेत्ता एवं वयासी-किंभया पाणा ? समणाउसो!, गोयमाती समणा णिग्गंथा समणं भगवं महावीरं उवसंकमंति उवसंकमित्ता वंदति नमसंति वंदित्ता नमंसित्ता एवं वयासी-णो खलु वयं देवाणुप्पिया ! एयमढे जाणामो वा पासामो वा, तं जदि णं देवाणुप्पिया एयमढे णो गिलायंति परिकहित्तते तमिच्छामो णं देवाणुप्पियाणं अंतिए एयमई जाणित्तए, अज्जोत्ति समणे भगवं महावीरे गोयमाती समणे निम्गंधे आमंतेत्ता एवं वयासी-दुक्खभया पाणा समणाउसो ! १, सेणं भंते! दुक्खे केण कडे ?, जीवेणं कडे पमादेण २, से गं मंते ! दुक्खे कहं बेइज्जति ?, अप्पमाएणं ३।१६६। अन्नउत्थिता णं भंते ! एवं आतिक्खंति एवं भासंति एवं पन्नवेंति एवं परूविंति-कहन्नं समणाणं निग्गंथाणं किरिया कजति !, तत्य जा सा कडा कजइ नो तं पुच्छंति, तत्व जा सा कडा नो कजति नो तं पुच्छति, तत्थ जा सा अकड़ानो कजति नो तं पुच्छंति, तत्थ जा सा अकडा कजति सं ८६ स्थानांर्ग-610-2 मुनि दीपरनसागर 48%8APARIPERSPINASPARASHTRIASPONSPSNEP6597843PMSPERMIRPELIGARBIPIRAT4878018 Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पुच्छंति, से एवं वत्तच्वं सिता ?- अकिचं दुक्खं अफुसं दुक्खं अकञ्चमाणकडं दुक्खं अकट्टु अकट्टु पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेदेतित्ति वत्तव्यं, जे ते एवमाहंसु मिच्छा ते एबमाइंस, अहं पुण एवमाइक्खामि एवं भासामि एवं पन्नवेमि एवं परूवेमि-किवं दुक्खं फुस्सं दुक्खं कज्जमाणकडं दुक्खं कट्टु २ पाणा भूया जीवा सत्ता वेयणं वेयंतित्ति वत्तव्यं सिया । १६७ । अ० ३ उ० २ ॥ तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्टु णो आलोतेज्या णो पडिकमेज्जा णो मिंदिज्जा णो गरहिज्जा णो विउद्देखा जो विसोहेज्जा जो अकरणाते अम्भुट्टेखा जो अहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं परिवज्जेज्जा, तं० अकरिंसु वाऽहं करेमि वाऽहं करिस्सामि वाऽहं १, तिहिं ठाणेहिं माथी मायं कट्टु णो आलोतेज्जा णो पडिकमिज्जा जाव णो पडिवजेचा अकित्ती वा मे सिता अवण्णे वा मे सिया अविणते वा मे सिता २, तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्टु णो आलोएज्जा जाव नो पडिवज्जेज्जा तं० कित्ती वा मे परिहातिस्सति जसो वा मे परिहातिस्सति पूयासकारे वा मे परिहातिस्सति ३, तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कटु आलोएजा पडिकमेजा जाव पडिवज्जेज्जा तं०- मायिस्स णं अस्सि लोगे गरहिते भवति उबवाए गरहिए भवति आयाती गरहिया भवति ४, तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्टु आलोएजा जाव पडिवजेज्जा तं० अमायिस्स णं अस्सि लोगे पसत्ये भवति उववाते पसत्थे भवइ आयाई पसत्था भवति ५, तिहिं ठाणेहिं मायी मायं कट्टु आलोएजा जाव पडिवजेज्जा, तं०-जाणताते दंसणट्टयाते चरित्तट्टयाते ६ । १६८ । ततो पुरिसजाया पं० तं० सुत्तधरे अत्थधरे तदुभयधरे । १६९ । कप्पति णिग्गंथाण वा णिग्गंधीण वा ततो वत्थाई धारित्तए वा परिहरित्तते वा, तं० जंगिते भंगिते खोमिते १, कप्पइ णिग्गंधाण वा णिग्गंथीण वा ततो पायाई धारित्तते वा परिहरित्तते वा, तं० लाउयपादे वा दारुपादे वा महियापादे वा २।१७०॥ तिहिं ठाणेहिं वत्थं घरेज्जा, तं०-हिरिपत्तितं दुगुंछापत्तियं परीसद्दवत्तियं । १७१ । तओ आयरक्खा पं० तं० धम्मियाते पडिचोयणाते पडिचोएत्ता भवति तुसिणीतो वा सिता उट्ठित्ता वा आताते एगंतमंतमवकमेज्जा, णिग्गंधस्स णं गिलायमाणस्स कप्पंति ततो वियडदत्तीओ पडिग्गाहित्तते, तं०-उक्कोसा मज्झिमा जहन्ना । १७२ । तिहि ठाणेहिं समणे निग्गंधे साहम्मियं संभोगियं विसंभोगियं करेमाणे णातिकमति, तं० सतं वा द, सड्ढस्स वा निसम्म, तच्च मोर्स आउट्टति चउत्थं नाउट्टति । १७३ । तिविधा अणुन्ना पं० तं०-आयरियत्ताए उवज्झायत्ताए गणित्ताते, विविधा समणुना पं० तं० आयरियत्ताते उवज्झायत्ताते गणित्ताते, एवं उपसंपया, एवं बिजणा । १७४ । तिविहे वयणे पं० तं० तत्रयणे तदन्नवयणे णोवयणे, तिविहे अवयणे पं० तं० णोतनयणे अणोतदन्नवयणे अवयणे, तिविहे मणे पं० [सं० तम्मणे तयन्नमणे णोअमणे, तिविहे अमणे पं० तं० णोतंमणे गोवयन्नमणे अमणे । १७५ । तिहिं ठाणेहिं अप्पबुट्टीकाते सिता, तं० तस्सि च णं देसंसि वा पदेसंसि वा णो बहवे उदगजोणिया जीवा य पोग्गला य उदगचाते वकमंति विउक्कमंति चयंति उववजंति, देवा णागा जक्खा भूता णो सम्ममारादिता भवंति तत्थ समुट्टियं उदगपोग्गलं परिणतं वासितुकामं अष्णं देसं साहरंति, अब्भवद्दलगं चणं समुतिं परिणतं वासितुकामं वाउकाए विधुणति, इच्चेतेहिं ठाणेहिं अप्पबुट्टिगावे सिता १, तिहिं ठाणेहिं महावुट्टीकाते सिता, तंजहा तंसि च णं देसंसि वा पतेसंसि वा बहवे उदगजोणिता जीवा य पोग्गला य उद्गत्ताते वकमंति विउकमंति चयंति उववज्जंति, देवा जक्खा नागा भूता सम्ममाराहिता भवंति अन्नत्थ समुट्टितं उदग पोग्गलं परिणयं वासिउकामं तं देसं साहरंति, अम्भवद्दलगं च णं समुट्टितं परिणयं वासितुकामं णो वाउआतो विधुणति, इथेतेहिं तिहिं ठाणेहिं महावुट्टिकाए सिआ २ । १७६ । तिहिं ठाणेहिं अहुणोवबन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेज्ज माणुस्सं लोगं हवमागच्छित्तते, णो चेव णं संचातेति त्रमागच्छित्तए, तं० अङ्गुणोववन्ने देवे देवलोगेस दिवेसु कामभोगेच्छ गिद्धे गढिते अज्झोववन्ने से णं माणुस्सते कामभोगे णो आढाति णो परियाणाति णो अहं बंधति णो नियाणं पगरेति णो ठिइपकप्पं पकरेति, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेस दिवे कामभोगे मुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोववने तस्स णं माणुस्सए पेम्मे वोच्छिण्णे दिवे संकंते भवति, अहुणोववने देवे देवलोगेस दिवेसु कामभोगेसु मुच्छिते जाव अज्झोवबन्ने तस्स णं एवं भवतिइयच्हिं न गच्छं मुहुत्तं गच्छं, तेणं कालेणमप्पाउया मणुस्सा काटयम्मुणा संजुत्ता भवति, इच्चेतेहिं तिहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेचा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तए णो चेवणं संचातेति हवमागच्छित्तते ३ तिहिं ठाणेहिं देवे अहुणोववत्रे देवलोगेस इच्छेज्जा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तए, संचाते हवमागच्छित्तते अगुणोववन्ने देवे देवलोगेस दिवे कामभोगे अमुच्छिते अगिद्धे अगढिते अणज्झोववन्ने तस्स णमेवं भवति अस्थि णं मम माणुस्सते भवे आयरितेति वा उवज्झातेति वा पवत्तीति वा थेरेति वा गणीति वा गणधरेति वा गणावच्छेदेति वा जेसिं पभावेणं मते इमा एतारूवा दिवा देविदी दिवा देवजुती दिवे देवाणुभावे रुद्धे पत्ते अभिसमन्नागते तं गच्छामि णं ते भगवंते वंदामि णमंसामि सकारेमि सम्माणेमि कलाणं मंगलं देवयं चेइयं पज्जुवासामि, अहुणोववले देवे देवलोगेस दिवेसु कामभोगेम अमुच्छिए जाव अणज्झोववन्ने तस्स णं एवं भवति एस णं माणुस्वते भवे पाणीति वा तवस्सीति वा अतिदुकरदुकरकारगे तं गच्छामि णं भगवंतं वंदामि णमंसामि जाव पज्जुवासामि, अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु जाव अणज्झोववन्ने तस्स णमेवं भवति८७ स्थानांगं ठाणे-३ मुनि दीपरत्नसागर - Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अस्थि णं मम माणुसते भवे माताति वा जाव सुण्हाति वा तं गच्छामि णं तेसिमंतियं पाउन्भवामि पासंतु ता मे इमं एतारूवं दिवं देविद्धिं दिवं देवजुतिं दिवं देवाणुभावं ल पत्तं अभिसमन्नागयं, इच्चेतेहिं तिर्हि ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु इच्छेज माणुसं लोगं हवमागच्छित्तते संचातेति हवमागच्छित्तते ४ । १७७। ततो ठाणाई देवे पीहेज्जा तं०माणुस्सं (प्र० सगं ) मवं १ आरिते खेत्ते जम्म २ सुकुलपच्चायातिं ३, ५, तिहिं ठाणेहिं देवे परितप्पेज्जा, तं० अहो णं मते संते बले संते बीरिए संते पुरिसक्कारपरकमे खेमंसि सुभिक्खसि आयरियउवज्झातेहिं विजमाणेहिं कसरीरेणं णो बहुते सुते अहीते ? अहो णं मते इहलोगपडिबद्धेणं परलोगपरंमुहेणं विसयतिसितेणं णो दीहे सामन्नपरिताते अणुपालिते २ अहो णं मते इदिरससायगरुएणं भोगामि ( स पा० ) समिद्धेणं णो विसुद्धे चरिते फासिते ३, इच्चेतेहिं० ६ १७८ । तिहि ठाणेहिं देवे चतिस्सामित्ति जाणइ, तंजहा-विमाणाभरणाई णिप्पभाई पासित्ता १ कप्परुस्वर्ग मिलायमाणं पासित्ता २ अप्पणो तेयलेस्सं परिहायमाणि जाणित्ता ३ इच्चे एहिं० ७, तिहिं ठाणेहिं देवे उब्वेगमागच्छेजा, तं०- अहो णं मए इमातो एवारूवातो दिष्वातो देविडीओ दिखाओ देवजुतीतो दिशाओ देवाणुभावाओ पत्तातो लद्वातो अभिसमण्णागतातो बतियां भविस्सति १ अहो णं मते माउओयं पिउसुकं तं तदुभयसंसद्धं तप्पढमयाते (- आहारो) आहारेयो भविस्सति २ अहो णं मते कलमलजंचालाते असुतीते उद्वेयणिताते मीमाते गन्भवसहीते बसियां भविस्सइ ३ इचेएहिं तिहिं० ८ । १७९ । तिसंठिया विमाणा पं० तं० वट्टा तंसा चउरंसा, तस्थ णं जे ते वट्टा विमाणा ते णं पुक्खरकन्नियासंठाणसंठिता सबओ समंता पागारपरिक्खित्ता एगदुवारा पन्नत्ता, तत्थ णं जे ते तंसा विमाणा ते णं सिंघाडगसंठाणसंठिता दुहतो पागारपरिक्खित्ता एगतो वेतितापरिक्खिता विदुवारा पन्नत्ता, तत्थ णं जे ते चउरंसविमाणा ते णं अक्खाडगसंठाणसंठिता सङ्घतो समंतावेतितापरिक्खित्ता चउदुवारा पं०, तिपतिट्टिया विमाणा पं० तं० घणोदधिपतिट्ठिता घणवातपइट्टिया ओवासंतरपइट्टिता, तिविधा विमाणा पं० तं० अवट्टिया वेशिता परिजाणिता । १८० । विविधा नेरइया पं० तं० सम्मादिट्टी मिच्छादिट्ठी सम्मामिच्छादिट्ठी, एवं विगलिंदियवज्जं जाव वैमाणियाणं १६ । ततो दुग्गतीतो पं० तं० णेरइयदुग्गती तिरिक्खजोणीयदुग्गती मणुयदुग्गती १ ततो सुगतीतो पं० तं० सिद्धिसोगती देवसोगती मणुस्ससोगती २. ततो दुग्गता पं० तं० णेरतितदुग्गता तिरिक्खजोणितदुग्गया मणुस्सदुग्गता ३, ततो गता पं० सं०-सिद्धिसोगता देवसोगता मणुस्समुग्गता ४ । १८१ । चत्यभत्तितस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए, तं०- उस्सेतिमे संसेतिमे चाउलधोवणे १, छट्ठभत्तितस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति तओ पाणगाई पडिगाहित्तए तं०-तिलोदए तुसोदए जबोदए २, अट्टमभत्तियस्स णं भिक्खुस्स कप्पंति ततो पाणगाई पडिगाहितए, तं० आयामते सोचीरते सुद्वियडे ३, तिविहे उवहडे पं० तं० फलिओवहडे सुद्धोवहडे संसढोवहडे ४, तिविहे उग्गहिते पं० तं०-जं च ओगिण्हति जंच साहरति जं च आसगंसि पक्खिवति ५, तिविधा ओमोयरिया पं० तं० उबगरणोमोदरिता भत्तपाणोमोदरिता भावोमोदरिता ६, उवगरणोमोदरिता तिविहा पं० तं०- एगे वत्थे एगे पाते चियत्तोवहिसातिजणता ७, ततो ठाणा णिग्गंथाण वा णिग्गंधीण वा अहियाते असुभाते अक्खमाते अणिस्तेयसाए अणाणुगामियत्ताएं भवति, तं०- कूअणता ककरणता अवज्झाणता ८, ततो ठाणा णिग्गंधाण वा णिग्गंधीण वा हिताते सुहाते खमाते जिस्सेयसाते आणुगामिअत्ताते भवति, तं० अकूजणता अककरणता अणवज्झाणया ९ ततो सहा पं० तं०-मायासले णियाणसले मिच्छादंसणस १०, तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंथे संखित्तविउलतेउलेस्से भवति, तं० आयावणताते १ खंतिखमाते २ अपाणगेणं तवोकम्मेणं ३, ११। तिमासितं णं भिक्खुपडिमं पडिवनस्स अणगारस्स कप्पंति ततो दत्तीओ भोजणस्स पडिगाहेत्तए ततो पाणगस्स १२, एगरातियं भिक्खुपडिमं सम्मं अणणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे ततो ठाणा अहिताते असुभाते अखमाते अणिस्सेयसाते अणाणुगामित्ताते भवंति, तं० उम्मायं वा लभिया १ दीहकालिय वा रोगायक पाउणेज्जा २ केवलिपन्नत्तातो वा धम्मातो भंसेज्जा ३, १३, एगरातियं भिक्खुपडिमं सम्मं अणुपालेमाणस्स अणगारस्स ततो ठाणा हिताते सुभाते खमाते णिस्सेसाते आणुगामितत्ताए भवति, तं० ओहिणाणे वा से समुप्पज्जेज्जा १ मणपज्जबनाणे वा से समुप्पज्जेज्या २ केवलणाणे वा से समुप्पज्जेज्जा ३, १४ । १८२ । जंबुद्दीवे २ ततो कम्मभूमिओ पं० तं० भरहे एरवते महाविदेहे, एवं धायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धे जाव पुक्खरवरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धे ५ । १८३ । तिविहे दंसणे पं० तं० सम्महंसणे मिच्छादंसणे सम्मामिच्छादंसणे १, तिविधा रुती पं० तं० सम्मरुती मिच्छरुती सम्मामिच्छरुई २, तिविधे पओगे पं० तं० सम्मपओगे मिच्छपओगे सम्मामिच्छपओगे ३ । १८४ । तिविहे वबसाए पं० तं० धम्मिते ववसाते अधम्मिए ववसाते धम्मियाधम्मिए ववसाते ४, अथवा तिविधे ववसाते पं० तं०-पञ्चक्खे पञ्चतिते आणुगामिए ५ अहवा तिविधे ववसाते पं० तं० इहलोइए परलोइए इइलोगितपरलो गिते ६, इहलोगिते बबसाते तिविहे पं० सं०-लोगिते वेतिते सामतिते ७, लोगिते वबसाते तिविधे पं० तं०-अत्थे धम्मे कामे ८, वेतिगे ववसाते तिविधे पं० तं०-रिउवेदे जउवेदे सामवेदे ९, सामइते ववसाते विविधे पं० तं० णाणे दंसणे चरिते १०, तिविधा अत्यजोणी पं० तं० सामे दंडे भेदे ११ । १८५ । तिविहा पोम्गला पं० तं० पओगपरिणता मीसापरिणता बीससापरिणता, तिपतिट्टिया परगा पं० तं० (२२) ८८ स्थानांगं ठाणं ३ - मुनि दीपरत्नसागर Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SHARABANTRVARIAARYAANKARANANJA31224284493ARSARYALOKSA3%3A4%ARYA53554 पुढवीपतिहिता आगासपतिहिता आयपइडिआ, णेगमसंगहबवहाराणं पुढवीपइट्ठिया उजुसुतस्स आगासपतिट्टिया तिव्हं सहणताणं आयपतिट्टिया । १८६।तिविधे मिच्छत्ते पं० त०. अकिरिता अविणते अन्नाणे १, अकिरिया तिविधा पं० सं०-पओगकिरिया समुदाणकिरिया अन्नाणकिरिया २, पओगकिरिया तिविधा पं० त०-मणपओगकिरिया वहपओगकिरिया कायपओगकिरिया ३. समदाणकिरिया तिषिधा पं० त० अणंतरसमुदाणकिरिया परंपरसमुदाणकिरिया तदुभयसमुदाणकिरिता ४, अनाणकिरिता तिविधा पं० तं०-मतिअचाणकिरिया सुतजन्नाणकिरिया विभंगअाणकिरिया ५, अविणते विविहे पं० सं०-देसचाती निरालंबणता नाणापेजदोसे ६, अनाणे तिविधे पं० त०-देसण्णाणे सवण्णाणे भावनाणे ७।१८७। तिविहे धम्मे पं०२०-सुयधम्मे चरित्तधम्मे अस्थिकायधम्मे, विविध उपक्रमे पं० सं०-धम्मिते उवकमे अधम्मिते उक्कमे धम्मिताधस्मिते उवक्कमे १, अहवा तिविधे उवकमे पं०२०आओवकमे परोक्कमे तदुभयोक्कमे २, एवं वेयावये ३, अणुम्गहे ४, अणुसट्ठी ५, उवालंभं ६, एवमेकेके तिथि २ आलावगा जहेव उवकमे। १८८ातिविहा कहा पं०२०-अत्यकहा धम्मकहा कामकहा ७,तिविहे विणिच्छते पं०२०-अत्यविणिच्छते धम्मविणिच्छते कामविणि०८।१८९। तहारूवं णं भंते! समणं वा माहणं वा पजुवासमाणस्स किंफला पजुवासणवा ?, सवणफला, सेणं भंते! सवणे किंफले ?, णाणफले, से णं मंते! णाणे किंफले?, विण्णाणफले, एवमेतेणं अभिलावेणं इमा गाधा अणुगंतचा-सवणे णाणे य विन्नाणे पचक्खाणे य संजमे। अणण्हते तवे चेव बोदाणे अकिरिय निधाणे ॥ १३ ॥ जाव से णं भंते ! अकिरिया किंफला?, निशाणफला, से णं भंते ! निशाणे किंफले ?, सिद्धिगइगमणपजवसाणफले पन्नत्ते समणाउसो!।१९०अ०३ उ०३॥ पडिमापडिवनस्स अणगारस्स कप्पंति तओ उपस्सया पडिलेहित्तए, तं०-अहे आगमणगिहंसि वा अहे वियडगिहंसिवा अहे रुक्समूलगिहंसि वा, एवमणुचवित्तते, उचाविणित्तते, पडिमापडिवनस्स अणगारस्स कप्पंति तओ संथारगा पडिलेहित्तते, तं०-पुढवीसिला कट्ठसिला अहासंथडमेव, एवं अणुण्णवित्तए, उवाइणित्तए।१९१शतिविहे काले पपणते तं०-वीए पडुप्पपणे अणागए, तिविहे समएपं० तं०-तीते पडुप्पो अणागए, एवं आवलिया आणापाणू थोवे लवे मुहुत्ते अहोरते जाच वाससतसहस्से पुवंगे पुछे जाव ओसप्पिणी, तिविधे पोग्गलपरियडे पं० २०-तीते पडप्पने अणागते।१९। तिविहे वयणे पं० त०-एगवयणे दुवयणे बहुवयणे, अहवा तिविहे वयणे पं० २०-इत्थिवयणे पुंबयणे नसगक्यणे, अहवा तिबिहे बयणे पं०२०-तीतवयणे पडुप्पनवयणे अणागयवयणे । १९३ । तिविहा पचर पंत-नाणसम्मे दंसणसम्मे चरित्तसम्मे २,तिविधे उवधाते पं० तं०-उम्गमोवघाते उप्पायणोवघाते एसणोवघाते ३, एवं विसोही४।१९४। तिविहा आराहणा पं०२०-णाणाराहणा दसणाराहणा चरिताराहणा ५, णाणाराहणा तिविहा पं० सं०-उकोसा मज्झिमा जहन्ना ६,एवं दंसणाराहणाऽवि७, चरित्ताराहणाऽवि ८,तिविधे संकिलेसे पं० त०-नाणसंकिलेसे दसणसंकिलेसे चरित्तसंकिलेसे ९,एवं असंकिलेसेऽवि १०, एक्मतिकमेऽवि ११, बइकमेवि १२, अइयारेऽवि १३, अणायारेऽवि १४। तिहमतिकमाणं आलोएज्जा पडिकमज्जा निविज्जा गरहिजा जाव पडिवजिज्जा, तं०- णाणाविकमस्स दंसणातिकमस्स चरित्तातिकमस्स १५, एवं वइकमाणऽवि १६, अतिचाराणं १७, अणायाराणं १८।१९५। तिनिधे पायच्छित्ते पं० त०-आलोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभयारिहे १९।१९६। जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पञ्चयस्स दाहिणेणं ततो अकम्मभूमिओ पं० तं०-हेमवते हरिवासे देवकुरा, जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पवयस्स उत्तरेणं तओ अकम्मभूमीओ पं०तं०-उत्तरकुरा रम्मगवासे एरण्णवए, जंवूमंदरस्स दाहिणेणं ततो वासा पं० तं०-भरहे हेमबए हरिबासे, जंबूमंदरस्स उत्तरेणं ततो वासा पं० तं-रम्मगवासे हेरन्नवते एखए, जंचूमंदरदाहिणेणंततो यासहरपव्यता पं० त०-चुद्धिहिमवंते महाहिमवंते णिसढे, जंवूमंदरउत्तरेणं तओ वासहरपव्यता पं० त०-णीलवंते रुप्पी सिहरी, जंबूमंदरदाहिणेणं तओ महादहा पं० त०-पउमदहे महापउमदहे तिगिंछदहे, तत्थ णं ततो देवताओ महिड्डियातो जाव पलिओवमट्टितीताओ परिवसंति, तं०-सिरी हिरी धिती, एवं उत्तरेणवि, णवरं केसरिदहे महापोंडरीयदहे पॉडरीयदहे. देवतातो कित्ती बुद्धी लच्छी, जंबूमंदरदाहिणणं चुहिमवंतातो वासघरपवतातो पउमदहाओ महादहातो ततो महाणतीओ पवईति. तं०-गंगा सिंघ रोहितंसा, जंबर्मदरउत्तरेणं सिहरीओ वासहरपवतातोपॉडरीयहहाओ महादहाओतओ महानदीओ पवहंति, तं०-सुवन्नकूला रत्ता रत्तवती.जंचमंदरपुरच्छिमेणं सीताए महाणतीते उत्तरेणं ततो अंतरणतीतो पं० सं०-गाहावती दहवती पंकवती, जंघूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महाणतीते दाहिणेणं ततो अंतरणतीतो पं० २०-तत्तजला मत्तजला उम्भत्तजला, जंचूमंदरपञ्चत्थिमेणं सीओदाते महाणईए दाहिणेणं ततो अंतरणतीतो पं० त०-खी(प० खा)रोदा सीतसोता अंतोवाहिणी, जंबूमंदरपञ्चत्यिमेणं सीतोदाए महाणदीए उत्तरेणं तओ अंतरणदीतो पं० सं०-उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिनी-एवं घायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्धेवि अकम्मभूमीतो आढवेत्ता जाब अंतरनदीओत्ति णिरवसेसं भाणियचं, जाव पुक्खरवरदीवड्ढपचत्थिमड्ढे तहेव निरक्सेसं माणिया।१९७३ तिहिं ठाणेहिं देसे पुढवीए चलेजा,तं०-अये णमिमीसे रयणप्पभाते पुढवीते उराला पोग्गला णिवतेजा, तते णं ते ८९ स्थानांग-60/ मुनि दीपरत्नसागर Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ धू उराला पोम्गला णिक्तमाणा देस पुढवीए चलेखा १ महोरते वा महिड्दीए जाब महेसक्खे इमीसे रयणप्पभाते पुढबीते अहे उम्मज्जणिमज्जियं करेमाणे देस पुढवीते चलेजा २ नागसुबन्ना (देवासुराण वा संगामंसि वट्टमाणंसि देस पुढवीते चलेज्जा ३, इवेतेहिं तिहिं०, तिहिं ठाणेहिं केवलकप्पा पुढवी चलेजा, तं०-अधे णं इमीसे रतणप्पभाते पुढवीते घणवाते गुप्पेखा, तए णं से घणवाते गुविते समाणे घणोदहिमेएजा, तए णं से घणोदही एइए समाणे केवलकप्पं पुढविं चालेखा, देवे वा महिड्ढिते जाव महेसक्से तहारूवस्स समणस्स वा माहमस्स वा इदि जुतिं जसं बलं वीरितं पुरिसकारपरकमं उवदंसेमाणे केवलकप्पं पुढविं चालिजा, देवासुरसंगामंसि वा वट्टमाणंसि केवलकप्पा पुढवी चलेजा, इवेतेहिं तिहिं० । १९८ । तिविधा देवकिपिसिया पं० तं० तिपलिओ मट्टितीता १ तिसागरोषमद्वितीता २ तेरससागरोवमद्वितीया ३, कहिं णं मंते! तिपलितोयमद्वितीता देवकिब्बिसिया परिवर्तति ?, उप्पिं जोइसियाणं हिडिं सोहम्मीसाणेसु कप्पेतु एत्थ णं तिपलिओवमद्वितीया देवा किब्बिसिया परिवर्तति १ कहिं णं भंते! तिसागरोवमट्टितीता देवा किब्बिसिया परिवसंति ?, उप्पिं सोहंमीसाणा कप्पाणं हेडिं सर्णकुमारमाहिंदे कप्पे एत्य णं तिसागरोवमद्वितीया देवकिम्बिसिया परिवर्तति २ कहिं णं भंते! तेरससागरोवमद्वितीया देवकिश्विसिता परिवसंति ?, उप्पि बंभलगस्स कप्पस्स हिहिं लंतगे कप्पे एत्थ णं तेरससागरोवमट्टितीता देवकिब्बिसिया परिवर्तति ३ । १९९ । सक्कस्स णं देविंदस्स देवरण्णो बाहिरपरिसाते देवाणं तिन्नि पलिओ माई ठिई पन्नत्ता, सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अग्भितरपरिसाते देवीणं तिन्नि पलिओवमाई ठिती पं० ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो बाहिरपरिसाते देवीणं तिन्नि पलिओ माई ठिवी पं० |२००। तिविहे पायच्छित्ते पं० तं० णाणपायच्छित्ते दंसणपायच्छित्ते चरित्तपायच्छिते, ततो अणुग्धातिमा पं० तं०-हत्यकम्मं करेमाणे मेहुणं (प्र० परि) सेवेमाणे राई भोयणं (प्र० परि)भुंजमाणे, तओ पारंचिता पं० तं० दुट्ठपारंचिते पमत्तपारंचिते अन्नमन्नं करेमाणे पारंचिते, ततो अणवटुप्पा पं० तं० साहंमियाणं तेणं करेमाणे, अन्नधम्मियाणं तेणं करेमाणे, इत्यातालं दलयमाणे (अत्थायाणं दलमाणो पा० ) । २०१। ततो णो कप्पंति पडावेत्तए, तं० पंढए वातिते (वाहिये पा०) कीवे १, एवं मुंडावित्तए २, सिक्खावित्तए ३, उवद्वावित्तए ४, संभुंजित्तते • संवासित्तते ६ । २०२ । ततो अवायणिज्जा पं० तं० अविणीए विगतीपडिबद्धे अविओसितपाहुडे, तओ कप्पंति वातित्तते, तं० विणीए अविगतीपरिषद्धे विउसियपाहुडे। तओ दुसन्नप्पा पं० [सं० दुट्टे मूढे वुम्गाहिते, तज सुसन्नप्पा पं० तं० अदुट्टे अमूढे अबुग्गाहिते । २०३ । ततो मंडलिया पश्ता पं० तं० माणुसुत्तरे कुंडलवरे रुअगवरे । २०४॥ ततो मदविमहालया पं० [सं० जंबुद्दीवे मंदरे मंदरेस सयंभुरमणे समुद्दे समुद्देसु बंभलोए कप्पे कप्पेसु । २०५। तिविधा कप्पठिती पं० तं० सामाइयकप्पठिती १ छेदोवद्वावणियकप्पट्टिती २ निविसमा कम्पट्टती ३, अहवा तिविहा कप्पट्टिती पं० तं० णिषिकप्पडिती १ जिणकप्पठिती २ धेरकप्पठिती ३ । २०६ । नेरइयाणं ततो सरीरमा पं० तं० वेउच्चिते तेयए कम्मए, असुरकुमाराणं ततो सरीरमा पं० [सं० एवं चेव, एवं समेसि देवाणं, पुढवीकाइयाणं ततो सरीरगा पं० तं० ओरालिते तेयए कम्मते, एवं वाउकाइयवजाणं जाव चउरिंदियाणं ॥ २०७॥ गुरुं पहुच ततो परिणीता पं० तं० आयरियपडिणीते उवज्झायपडिणीते थेरपडिणीते १ गतिं पहुच ततो पडिणीया पं० तं० इहलोगपडिणीए परलोगपडिणीए दुहओ (प्र० उभओ) लोगपडिणीए २ समूहं पडुच ततो पडिणीता पं० तं० कुलपडिणीए गणपडिणीए संघपडिणीते ३ अणुकंप पहुच ततो पडिणीया पं० तं० तबस्सिपडिणीए गिलाणपडिणीए सेहपडिणीए ४ भावं पडुच ततो परिणीता पं० [सं० णाणपडिणीए दंसणपडिणीए चरितपडिणीए ५. सुयं पहुच ततो पडिणीता पं० तं० सुत्तपडिणीते अत्यपडिणीते तदुभयपडिणीए ६ । २०८ । ततो पितियंगा पं० तं० अट्टी अट्टिमिजा केसमंसुरोमनहे (प्र० नहरोमे) । तओ माउयंगा पं० तं० मंसे सोणिते मत्युलिंगे । २०९॥ तिहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंधे महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति, तं०कया णं अहं अप्पं वा बहुयं वा सुयं अहिजिस्सामि ? कया णमहमेकाविहारपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरिस्सामि ? कया णमहमपच्छिममारणंतितसंलेहणासणासिते भत्तपाणपडियाइक्खिते पाओवगते कालं अणवकंसमाणे विहरिस्सामि ?, एवं समणसा सवयसा सकायसा पागडेमाणे ( पहारेमाणे पा० ) स० निग्धे महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति, तिहिं ठाणेहिं समणोवासते महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति, तं०-कया णमहमप्पं वा बहुयं वा परिग्गदं परिचइस्सामि ? १ कया णं अहं मुंडे भवित्ता आगारातो अणगारितं पञ्चइस्सामि ? २ कया णं अहं अपच्छिममारणंतियसंलेहणासणासिते भत्तपाणपडियातिक्खते पाओवगते कालं अणवकंसमाणे विहरिस्सामि ? ३, एवं समणसा सवयसा सकायसा पागडेमाणे [जागरमाणे] समणोवासते महानिज्जरे महापज्जवसाणे भवति । २१०। तिविहे पोम्गलपडिघाते पं० [सं० परमाणुपोग्गले परमाणुपोग्गलं पप्प पडिहन्निजा लक्खत्ताते वा पडिण्णिजा लोग वा परिहन्निजा । २११। तिविहे चक्लू पं० तं०- एगच विच तिचक्खू, उउमत्ये णं मणुस्से एगचक्खू देवे विचक्खू तहारूवे समणे वा माहणे वा उप्पन्ननाणदंसणघरे सेमं चिति वत्तब्वं सिता । २१२ । तिविधे अभिसमागमे पं० [सं० उड़ढं अहं तिरियं जया णं तहारूवस्स समणस्स वा माहणस्स वा अतिसेसे नाणदंसणे समुप्पज्जति से गं १० स्थानांगं ठाणं - ३ मुनि दीपरत्नसागर Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PENSPIGMEPTOARBPRANSPIRSAMREPHANBIPIONOP6848890658POSMASPEROFESSMSPHOREPHREPOMEPRSANEPRABP88 तप्पदमताते उड्ढमभिसमेति ततो तिरितं ततो पच्छा अहे, अहोलोगे णं तुरभिगमे पचत्ते समणाउसो ! ॥२१३३ तिविधा इड्ढी पं० त० देविड्डी राइहढी गणिड्ढी १ देविड्ढी तिविहा पं० त०-विमाणिड्दी विगुणिड्ढी परियारणिड्ढी २ अहवा देविड्डी विविहा पं० सं०-सचित्ता अचित्ता मीसिता ३ राइड्ढी तिविधा पं० सं०-रको अतियाणिड्ढी रगो निजाणिड्डी रष्णो बलवाहणकोसकोडागारिड्री४ अहवा रातिब्दी तिविहा पं०२०-सचित्ता अचित्ता मीसिता ५गणिड्ढी तिविहा पं० सं०-णाणिड्डी सणिड्ढी चरित्तिड्डी ६ अहवा गणिहदी तिविहा पं०२०-सचित्ता अचित्तामीसियाजा२१४॥ ततो गारषापं० सं०-इड्ढीगारवे रसगारवे सातागारव।२१५विविध करणे पं०२०-धम्मिते करणे अधम्मिए करणे धम्मिताधम्मिए । करणे ।२१६। तिविहे भगवता धम्मे पं० त०-सुअधिज्झिते सुज्झातिते सुतवस्मिते, जया सुअधिज्झितं भवति तदा सुज्झातियं भवति, जया सुज्झातितं भवति तया सुतपस्सियं भवति, से सुअधिज्झिते सुज्झातिते सुतवस्सिते सुतक्खाते णं भगवता धम्मे पणते ।२१७। तिविधा वावत्ती पं० सं०-जाणू अजाणू वितिगिच्छा, एवमझोववज्जणा परियावजणा।२१८। तिविषे अंते पं० तं०- लोगते वेयंते समयंते । २१९। ततो जिणा पं० सं०-ओहिणाणजिणे मणपज्जवणाणजिणे केवलणाणजिणे १, ततो केवली पं० २०-ओहिनाणकेवली मणपजकनाणकेवली केवलनाणकेवली २, तओ अरहा पं० तं०-ओहिनाणअरहा मणपजवनाणअरहा केवलनाणअरहा ३१२२०॥ ततो लेसाओ दुम्मिगंधाओ पं००-कव्हलेसा णीललेसा काउलेसा १, तो लेसाओ सुब्भिगंधातो पं० त०-तेऊ० पम्ह० सुक्कलेसा २ एवं दोग्गतिगामिणीओ ३ सोगतिगामिणीओ ४ संकिलिट्ठाओ ५ असंकिलिट्ठाओ ६ अमणुन्नाजो ७ मणुन्नाओ८ अविसुद्धाओ ९ विसुद्धाओ १० अप्पसत्याओ ११ पसत्याओ १२ सीतलुक्खाओ १३ णिधुण्हाओ १४॥२२१॥ तिविहे मरणे पं००-बालमरणे पंडियमरणे बालपडियमरणे, पालमरणे विविहे पं० त०-ठितलेसे संकिलिगुलेसे पजवजातलेसे, पंडियमरणे तिविहे पं० तं०-ठितलेसे असंकिलिगुलेसे पजवजातलेसे ३. बालपंडितमरणे तिविधे पं० २०. ठितलेसे असंकिलिट्ठलेसे अपजबजातलेसे ४२२२॥ ततो ठाणा अवसितस्स अहिताते असुभाते अखमाते अणिस्सेसाते अणाणुगामियत्ताते भवंति, तं०-से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पञ्चतिते णिग्गथे पावयणे संकिते कंखिते वितिगिच्छिते भेदसमावन्ने कलुससमावन्ने निग्गंथं पावयणं णो सदहति णो पत्तियति णो रोअति तं परिस्सहा अभिजुजिय२ अमिभवंति, णो से परिस्सहे अभिजंजिय २ अभिभवइ १,से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारितं पव्वतिते पंचहिं महव्यएहिं संकिते जाव कलुससमावने पंच महाताईनो सहहति जाव णो से परिस्सहे अभिजंजियर अभिभवति, सेणं मुंडे मवित्ता अगारातो अणगारियं पञ्चतिते छहिं जीवनिकाएहिं जाव अभिभवइ ३, ततो ठाणा ववसियस्स हिताते जाव आणगामितत्ताते भवंति, तं० से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पचतिते णिग्गंथे पावयणे णिस्संकिते णिकंखिते जाव नो कलुससमावने णिग्गंथं पावयणं सद्दहति पत्तियति रोतेति से परिस्सहे अभिजंजिय २ अभिभवति, नो तं परिस्सहा अभिजुजिय २ अभिभवंति १ से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पचतिते समाणे पंचहिं महाएहिं णिस्संकिए णिकंखिए जाव परिस्सहे अभिजुंजिय२ अभिभवइ, नो तं परिस्सहा अभिजुंजिय२ अभिभवंति २से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पञ्चइए छहिं जीवनिकाएहिं णिस्संकिते जाव परिस्सहे अमिज़ुजिय २ अभिभवति, नो तं परिस्सहा अभिजुंजिअ २ अभिभवंति३।२२३ । एगमेगा णं पुढवी तिहिं वलएहिं सबओ समंता संपरिक्खित्ता, तं०-घणोदधिवलएणं घणवातवलएर्ण तणुवायवलतेणं । २२४ । णेरड्या णं उकोसेणं तिसमतितेणं विम्गहेणं उववजंति, एगिदियवजं जाव वेमाणियाणं । २२५। खीणमोहस्स गं अरहओ ततो कम्मंसा जुगवं खिजति ता. नाणावरणिचं दसणावरणिजं अंतरातियं। २२६। अमितीणक्खत्ते तितारे पं० १ एवं सवणो २ अस्सिणी३ भरणी४ मगसिरे ५ पूसे ६ जेट्टा७२२७। धम्मातो णं अरहाओ संती | अरहा तिहिं सागरोवमेहिं तिचउम्भागपलिओवमऊणएहिं वीतिकतेहिं समुप्पन्ने। २२८। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स जाब तथाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकरभूमी, माडी णं अरहा तिहिं पुरिससएहिं सदि मुंडे भवित्ता जाब पव्यतिते, एवं पासेऽवि । २२९। समणस्म णं भगवतो महावीरस्स तिन्नि सया चउद्दसपुत्रीण अजिणाणं जिणसंकासाणं सव्वक्खरसन्निवातीणं जिण इव अवितहवागरमाणाणं उक्कोसिया चउहसपुग्विसंपया हुत्था। २३०॥ तओ तित्थयरा चकवट्टी होत्था तं०-संती कुंथू अरो। २३१॥ ततो गेविजविमाणपत्थडा पन्नत्ता तं०-हिडिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमगेविजविमाणपत्थडे उपरिमगेविजविमाणपत्थडे, हिडिमगेविजविमाणपत्थडे तिबिहे पं० तं०-हेट्ठिम २गेविजविमाणपत्थडे हेडिममझिमगेविजविमाणपत्थडे हेद्विमउपरिमगेविजविमाणपत्थडे, मजिझमगेविजविमाणपत्थडे तिविहे पं०२०- मज्झिमहेद्विमगेवेजविमाणपत्थडे मज्झिमरगेविज मजिसमउवरिमगेविज०. उवरिमगेविजविमाणपत्थडे तिविहे पं० २०-उबरिमहेहिमगेविज उवरिममज्झिमगेविज उवरिमरगेविजविमाणपत्थडे । २३२। जीवाणं तिहाणणिश्यत्तिते पोम्पाले पावकम्मत्ताते चिणिसु वा चिणिति वा चिणिस्संति वा, त० इस्थिणियत्तिते पुरिसनिवत्तिए णपुंसगनिवत्तिते, एवं चिणउवचिणबंधउदीरवेद तह णिज्जरा चेव ।२३३ । तिपतेसिता खंधा अणंता पण्णत्ता, ९१ स्थानांर्ग- ३ मुनि दीपरत्नसागर Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवं जाव तिगुणलुक्खा पोग्गला अणता पचत्ता । २३४ । उ०४ त्रिस्थानकाध्ययनम् ३ ॥ चत्तारि अंतकिरियातो पं० तं० तत्थ खलु पढमा इमा अंतकिरिया अप्पकम्मपचायाते यावि भवति, से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारिथं पचतिते संजमबहुले संवरबहुले समाहिबहुले लूहे तीरट्ठी उवहाणवं दुक्खक्खवे तबस्सी तस्स णं णो तहप्पगारे तवे भवति णो तहप्पगारा वेयणा भवति तहप्पगारे पुरिसज्जाते दीहेणं परितातेणं सिज्झति बुज्झति मुच्चति परिणिवाति सङ्घदुक्खाणमंतं करेइ, जहा से भरदे राया चाउरंतचकवही, पढमा अंतकिरिया १ अहावरा दोचा अंतकिरिया - महाकम्मे पचाजाते यावि भवति, से णं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पतिते संजमबहुले संवरबहुले जाव उवहाणवं दुक्खक्खये तबस्सी तस्स णं तदप्पगारे तवे भवति तहप्पगारा वेयणा भवति तत्पगारे पुरिसजाते निरुद्वेणं परिवातेणं सिज्झति जाव अंतं करेति जहा से गतस्माले अणगारे, दोघा अंतकिरिया २ अहावरा तथा अंत किरियामहाकम्मे पञ्चायाते यावि भवति, से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पव्वतिते, जहा दोचा नवरं दीहेणं परितावेण सिज्झति जाब सव्वदुक्खाणमंत करेति, जहा से सणकुमारे राया चाउरंतचकवट्टी, तथा अंतकिरिया ३ अहावरा चउत्था अंतकिरिया- अप्पकम्मे पञ्चायाते यावि भवति, से णं मुंडे भवित्ता जाव पव्वतिते संजमबहुले जाव तस्स णं णो तहष्पगारे तवे भवति णो तहम्पगारा वेयणा भवति तहप्पगारे पुरिसजाए णिरुदेणं परितातेण सिज्झति जाव सब्वदुक्खाणमंतं करेति, जहा सा मरुदेवा भगवती, चउत्था अंतकिरिया ४।२३५॥ चत्तारि रुक्खा पं० तं० उन्नए नामेगे उन्नए १ उन्नते नाममेगे पणते २ पणते नाममेगे उच्चते ३ पणते नाममेगे पणते ४. १, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० उन्नते नामेगे उन्नते, तहेब जाव पणते नामेगे पणते २, चत्तारि रुक्खा पं० तं० उन्नते नाममेगे उन्नतपरिणए १ उण्णए नाममेगे पणतपरिणते २ पणते णाममेगे उन्नतपरिणते ३ पणए नाममेगे पणयपरिणए ४, ३ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० उन्नते नाममेगे उन्नयपरिणते चउभंगो (प्र० चत्तारि भंगा) ४, ४ चत्तारि रुक्खा पं० तं० उन्नते नामेगे उन्नतरूबे तहेव चउभंगो ४, ५ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-उन्नए नाम० ४, ६, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० उन्नते नाममेगे उन्नतमणे उन्न० ४, ७ एवं संकप्पे ८ पन्ने ९ दिट्टी १० सीलायारे (सीले आयारे पा० ) ११ वबहारे १२ परकमे १३ एगे पुरिसजाए पडिवक्खो नत्थि, चत्तारि रुक्खा पं० तं० उज्जू नाममेगे उज्जू, उज्जू नाममेगे बंके, चउभंगो ४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० उज्जू नाममेगे ४, एवं जहा उन्नतपणतेहिं गमो तहा उज्जुवंकेहिवि भाणियो, जाव परक्कमे २६ । २३६ । पडिमापडिवन्नस्स णमणगारस्स कप्पंति चत्तारि भासातो भासित्तए, तं० जायणी पुच्छणी अणुन्नवणी पुट्ठस्स वागरणी । २३७। चत्तारि भासाजाता पं० तं० सञ्च्चमेगं भासज्जायं बीयं मोसं तईयं सचमोसं चउत्थं असचमोसं ४ । २३८ चत्तारि वत्था पं० तं०-सुदे णामं एगे सुद्धे १ सुद्धे णामं एगे असुदे २ असुदे णामं एगे सुद्धे ३ असुदे णामं एगे असुदे ४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० सुद्धे णामं एगे सुदे चभंगो ४, एवं परिणतरूवे वत्था सपडिक्क्खा, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० सुद्धे णामं एगे युद्धमणे चउभंगो ४ एवं संकप्पे जाव परकमे । २३९ । चत्तारि सुता पं० तं० अतिजाते अणुजाते अवजाते कुलिंगाले । २४० । चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० सच्चे नाम एगे सच्चे, सच्चे नाम एगे असच्चे ४, एवं परिणते जाव परकमे, चत्तारि वत्था पं० तं० सुती नाम एगे सुती, सुई नाम एगे असुई, चभंगो ४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० सुती णामं एगे सुती चउभंगो, एवं जहेब सुइणा वत्थेणं भणितं तहेव सुद्धेणावि जाव परकमे । २४१। चत्तारि कोरवा पं० तं०-अंबपलंबकोरवे तालपलंबकोरवे वडिपलंगकोरवे मेंढविसाणकोरवे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० अंचपलंचकोरवसमाणे तालपलंचकोरवसमाणे बलिपलंबकोरवसमाणे मेंढविसाणकोरवसमाणे । २४२ । चत्तारि घुणा पं० तं० तयक्खाते छलिक्खाते कटुक्खाते सारक्खाते, एवामेव चत्तारि भिक्खागा पं० तं० तयक्खायसमाणे जाव सारक्खायसमाणे, तयक्खातसमाणस्स णं भिक्खागस्स सारक्खातसमाणे तवे पण्णत्ते, सारक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स तयक्खातसमाणे तवे पण्णत्ते, छलिक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स कटुक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते, कटुक्खायसमाणस्स णं भिक्खागस्स छलिक्खायसमाणे तवे पण्णत्ते । २४३ । चउविहा तणवणस्सतिकातिता पं० तं० अग्गवीया मूलवीया पोरबीया खंधवीया । २४४ । चहिं ठाणेहिं अणोववण्णे णेरइए णेरइयलोगंसि इच्छेज्जा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तते, णो चेव णं संचातेइ हवमागच्छित्तते, अहुणोववण्णे नेरइए णिरयलोगंसि समुन्भूयं (सम्मुहभूयं समह भूयं पा० ) वेयणं वेयमाणे इच्छेजा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तते णो चेव णं संचातेति दृष्ट्वमागच्छित्तते १ अङ्गुणोववने रइए निरतलोगंसि णिरयपालेहिं भुज्जो २ अहिद्विजमाणे इच्छेजा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तते, णो चेव णं संचातेति दृष्श्वमागच्छित्तते २. अहुणोववन्ने णेरइए णिरतवेयणिज्जंसि कम्मसि अक्खीणंसि अवेतितंसि अणि इच्छेजा० नो चेव णं संचाएइ ३, एवं णिरयाउअंसि कम्मंसि अक्खी। सि जाव नो चेव णं संचातेति दृष्टमागच्छित्तते ४ इन्चेतेहिं चउहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने नेरतिते जाय नो चेव णं संचातेति हवमागच्छित्तए । २४५ । कप्पंति णिग्गंचीणं चत्तारि संघाडीओ धारितए वा परिहरितते वा, तं० एवं दुहत्यवित्थारं दो तिहत्यवित्थारा एवं चउहत्यवित्थारं । २४६ । चत्तारि झाणा पं० तं० अट्टे झाणे रोदे झाणे धम्मे झाणे सुके झाणे, अहे झाणे चउविहे पं० तं० अम ( सम० पा० ) णुनसंपओगसंपत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णागते यावि (२३) ९२ स्थानांगं - ठाणे-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ भवति १ मणुनसंपओगसंपत्ते तस्स अविप्पओगसतिसमण्णागते यावि भवति २ आयंकसंपओगसंपत्ते तस्स विप्पओगसतिसमण्णागए यावि भवति ३ परिजुसितकामभोगसंपओ - संपत्ते तस्स अविप्पओगसतिसमण्णागते यावि भवइ ४, अट्टस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० [सं० कंदणता सोतणता तिप्पणता परिदेवणता, रोद्दे झाणे चउविहे पं० तं०हिंसाणुबंधि मोसाणुबंधि तेणाणुबंधि सारक्खणाणुबंधि, रुदस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० तं० ओसण्णदोसे बहुदोसे अक्षाण (नाणाविह पा० ) दोसे आमरणंतदोसे, धम्मे झाणे चविहे चउप्पडोयारे (यावयारे पा०) पं० तं० आणाविजते अवायविजते विवागविजते संठाणविजते, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० तं० आणाई निसारुई सुत्तरुई ओगाढस्ती, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा पं० [सं० वायणा पंडिपुच्छणा परियहणा अणुप्पेद्दा, धम्मस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पं० तं०-एगाणुप्पेहा अणिचाणुपेहा असरणाणुप्पेहा संसाराणुप्पेहा, सुक्के झाणे चउब्विहे चउप्पडोआरे पं० तं० पुहुत्तवितके सवियारी १ एगत्तवितके अवियारी २ सुमकिरिते अणियट्टी ३, समुच्छिनकिरिए अप्पडिवाती ४, सुकस्स णं झाणस्स चत्तारि लक्खणा पं० तं० अवहे असम्मोहे विवेगे विउस्सम्गे, सुकस्स णं झाणस्स चत्तारि आलंबणा पं० तं० खंती मुत्ती महवे अज्जवे, सुकस्स णं झाणस्स चत्तारि अणुप्पेहाओ पं० [सं० अणंतवत्तियाणुप्पेहा विष्परिणामाणुप्पेहा अनुभाणुप्पेहा अवायाणुप्पेहा । २४७। चउब्विहा देवाण ठिती पं० तं० देवे णाममेगे १ देवसिणाते नाममेगे २ देवपुरोहिते नाममेगे ३ देवपज्जलणे नाममेगे ४, चउव्विधे संवासे पं० तं० देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेज्जा, देवे णाममेगे छवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा, छवी णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेज्जा, छवी णाममेगे छबीते सदि संवासे गच्छेज्जा । २४८ । चत्तारि कसाया पं० तं० कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए, एवं रइयाणं जाव बेमाणियाणं २४, चउपतिट्टिते कोहे पं० तं० आतपट्टिते परपतिट्टिए तदुभयपइट्टिते अपतिट्ठिए, एवं शेरइयाणं जाव वैमाणियाणं २४, एवं जाव लोमे, बेमाणियाणं २४, चउहिं ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिता, तं०-खेत्तं पहुंचा वत्युं पड़च्चा सरीरं पडुच्चा उवहिं पडुब्बा, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं २४, चउब्विधे कोहे पं० तं० अणताणुबंधिकोहे अपश्चक्खाणको पञ्चक्खाणावरणकोहे संजलणकोहे, एवं नेरइयाणं जाव बेमाणियाणं २४, एवं जाव लोभे वेमाणियाणं २४, चउव्विहे कोहे पं० तं० आभोगणिव्यत्तिए अणाभोगणिव्वत्तिते वसंते अणुवसंते, एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं २४, एवं जाब लोभे जाव वैमाणियाणं २४ । २४९ । जीवा णं चउहिं ठाणेहिं अट्ट कम्मपगडीओ चिणिसु, तं०- कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं जाव वैमाणियाणं २४, एवं चिणंति एस दंडओ, एवं चिणिस्संति एस दंडओ, एवमेतेणं तिमि दंडगा, एवं उवचिर्णिसु उवचिणंति उपचिणिस्संति बंधिसु ३ उदीरि ३ वेदसु ३ निज्जरेंसु निज्जरंति निज्जरिस्संति जाब वेमाणियाणं, एवमेकेके पदे तिनि २ दंडगा भाणिया, जाव निज्जरिस्तंति । २५० । चत्तारि पडिमाओ पं० तं० समाहिपडिमा उवहाणपडिमा विवेगपडिमा विउस्सग्गपडिमा चत्तारि पडिमाओ पं० तं० भद्दा सुभदा महाभद्दा सवतोभदा, चत्तारि पडिमातो पं० तं० खुड्डिया मोयपडिमा महलिया मोयपडिमा जवमज्झा वरमज्झा | २५१। चत्तारि अस्थिकाया अजीवकाया पं० तं० धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए पोम्गलत्थिकाए, चत्तारि अस्थिकाया अरूविकाया पं० सं०धम्मत्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासत्थिकाए जीवत्थिकाए। २५२ । चत्तारि फला पं० तं० आमे णामं एगे आममहुरे १ आमे णाममेगे पक्कमहुरे २ पक्के णाममेगे आममहुरे ३ पक्के णाममेगे पकमहुरे ४. एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० आमे णाममेगे आममहुरफलसमाणे ४। २५३ । चविहे सचे पं० तं० काउज्जुयया भाज्जुयया भावज्जुयया अविसंवायणाजोगे, चउविहे मोसे पं० तं०-कायअणुज्जुयया भासअणुज्जुयया भावअणुज्जुयया विसंवादणाजोगे, चउविहे पणिहाणे पं० तं०-मणपणिहाणे वहपणिहाणे कायपणिहाणे उवकरणपणिहाणे, एवं णेरइयाणं पंचिंदियाणं जाव वैमाणियाणं २४, चउष्विहे सुप्पणिहाणे पं० तं० मणसुप्पणिहाणे जाव उवगरणसुप्पणिहाणे, एवं संजयमणुस्साणऽवि, चउविहे दुष्पणिहाणे पं० तं० मणदुप्पणिहाणे जाव उवकरणदुप्पणिहाणे, एवं पंचिंदियाणं जाव वेमाणियाणं २४ । २५४ । चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०-आवातभद्दते णाममेगे णो संवासम १ संवासभद्दए णाममेगे णो आवातमद्दए २ एंगे आवातभद्दतेऽवि संवासभहतेऽवि ३ एगे णो आवायभद्दते नो वा संवासभदए ४ १. चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० अप्पणो नाममेगे वज्रं पासति णो परस्स, पुरस्स णाममेगे वज्रं पासति ४, २ चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० अप्पणो णाममेगे वज्रं उदीरड णो परस्स ४, ३, अप्पणो नाममेगे वज्रं उवसामेति णो परस्स ४, ४, चत्तारि पुरिसजा, पं० तं० अब्भुट्टेइ नाममेगे णो अब्भुद्वावेति, ५, एवं वंदति णाममेगे णो वंदावेइ ६, एवं सकारेइ ७ सम्माणेति ८ पूएइ ९ वाएड १० पडिपुच्छति (म० पडिच्छइ) ११ पुच्छइ १२ बागरेति १३, सुत्तधरे णामयेंगे णो अत्यधरे अत्यधरे नाममेगे णो सुत्तधरे १४ । २५५ । चमरस्स णं असुरिंदरस असुरकुमाररनो चत्तारि लोगपाला पं० तं०-सोमे जमे वरुणे वेसमणे, एवं बलिस्सवि सोमे जमे वेसमणे वरुणे, घरणस्स कालपाले कोलपाले सेलपाले संखपाले, एवं भूयाणंदस्स चत्तारि कालपाले कोलपाले संखपाले सेलपाले, ९३ स्थानांगं ठाणे- ४ मुनि दीपरत्नसागर Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ वेणुदेवस्स चित्ते विचिते चित्तपक्खे विचित्तपक्खे, वेणुदालिस्स चित्ते विचित्ते विचित्तपकले चित्तपक्खे, हरिकंतस्स पभे सुप्पभे पथकंते सुप्पमकंते, हरिस्सहस्स पमे सुप्पमे सुप्पमकंते भकंते, अग्गिसिहस्स तेऊ तेउसिहे तेउकंते तेउप्पभे, अग्गिमाणवस्स तेऊ तेउसिहे तेउपमे तेउकंते, पुनस्स रूए रूयंसे रूदकंते रूदप्यमे, एवं विसिद्धस्स रूते रूतंसे रूतप्पमे रूपकंते, जलकंतस्स जले जलरते जलकंते जलप्पभे, जलप्पहस्स जले जलरते जलप्पहे जलकंते, अमितगतिस्स तुरियगती खिप्पगती सीहगती सीहविकमगती, अमितवाहणस्स तुरियगती विप्पगती सीह विकमगती सीहगती, वेलंबस्स काले महाकाले अंजणे रिट्टे, पभंजणस्स काले महाकाले रिट्ठे अंजणे, घोसस्स आवत्ते वियावत्ते नंदियावत्ते महाणंदियावत्ते, महापोसस्स आवत्ते विद्यावत्ते महाणंदियावत्ते मंदियावत्ते २०, सफस्स सोमे जमे वरुणे वेसमणे, ईसागस्स सोमे जमे बेसमणे वरुणे, एवं एगंतरिता जावऽचुवस्स, चउडिहा पाउकुमारा० पं० तं०काले महाकाले बेलंबे पभंजणे । २५६ चउविहा देवा पं० तं०-भवणवासी वाणमंतरा जोइसिया विमाणवासी । २५७। चउविहे पमाणे पं० तं दद्वप्पमाणे खेत्तप्पमाणे कालप्पमाणे भावप्यमाणे । २५८ । चत्तारि दिसाकुमारी महत्तरियाओ पं० तं०-रूया रूयंसा सुरूवा रूयावती, चत्तारि विज्जुकुमारीमहत्तरियाओ पं० तं० चित्ता चित्तकणगा सवेरा सोतामणी |२५९। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरत्नो मज्झिमपरिसाते देवाणं चत्तारि पलिओ माई ठिती पं० ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो मज्झिमपरिसाए देवीणं चत्तारि पलिओ माई ठिई पं० । २६० । चउष्विहे संसारे पं० तं०दव्यसंसारे खेत्तसंसारे कालसंसारे भावसंसारे । २६१। चउविहे दिद्विवाए पं० तं० परिकम्मं सुत्ताइं पुषगए अणुजोगे । २६२ । चउविहे पायच्छिते पं० तं० णाणपायच्छित्ते दंसणपायच्छित्ते चरित्तपायच्छित्ते चि (वि० पा० ) यत्तकिञ्चपायच्छिते १ चउत्रिहे पायच्छिते पं० [सं० परिसेवणापायच्छित्ते संजोयणापायच्छित्ते आरोअणापायच्छित्ते पलिउंचणापायच्छित्ते २।२६३। चउब्विहे काले पं० तं० पमाणकाले अहाउयनिव्वत्तिकाले मरणकाले अद्धाकाले । २६४। चउब्विहे पोम्गलपरिणामे पत्ते तं० वन्नपरिणामे गंधपरिणामे रसपरिणामे फासपरिणामे । २६५। भरहेरवएसु णं वासेषु पुरिमपच्छिमकज्जा मज्झिमगा बाबीसं अरहंता भगवंतो चाउज्जामं धम्मं पण्णवेति वं०-सव्वातो पाणातिवायाओ वेरमणं एवं मुसावायाओ वेरमणं सव्वातो अदिन्नादाणाओ वेरमणं सब्वाओ बहिद्धादाणाओ वेरमणं, सधेसु णं महाविदेहेषु अरहंता भगवंतो चाउज्यामं धम्मं पण्णवयंति, तं०-सङ्घातो पाणातिवायाओ वेरमणं जाव सप्तातो महिदादाणाओ वेरमणं । २६६ । चत्तारि दुग्गतीतो पं० तं० णेरइयदुग्गती तिरिक्खजोणियदुग्गती मणुस्सदुग्गती देवदुग्गई १, चत्तारि सोम्मईओ पं० तं०- सिद्धसोगती देवसोग्गती मणुयसोग्गती सुकुलपचायाती २, चत्तारि दुग्गता पं० तं०-नेरइयदुम्या तिरिक्खजोणियदुग्गता मणुयदुग्गता देवदुग्गता ३, चत्तारि सुग्गता पं० तं०-सिद्धसुगता जाव सुकुलपचायाया ४।२६७। पढमसमयजिणस्स णं चत्तारि कम्मंसा खीणा भवंति तं ० णाणावरणिज्जं दंसणावरणिज्जं मोहणिज्जं अंतरातितं १, उप्पन्ननाणदंसणघरे अरहा जिणे केवली चत्तारि कम्मंसे वेदेति तं० वेदणिज्जं आउयं णामं गोतं २, पढमसमयसिद्धस्स णं चत्तारि कम्मंसा जुगवं खिज्वंति तं० वेयणिज्जं आउयं णामं गोतं ३ । २६८। चहिं ठाणेहिं हामुप्पत्ती सिता तं०-पासित्ता भासेत्ता सुणेत्ता संभरेत्ता । २६९ । चउविहे अंतरे पं० तं० कटुंतरे पम्हंतरे लोहंतरे पत्थरंतरे, एवामेव इत्थीए वा पुरिसस्स वाचवि अंतरे पं० तं०-कटुंतरसमाणे पम्हंतरसमाणे लोहंतरसमाणे पत्थरंतरसमाणे । २७० । चत्तारि भयगा पं० तं० दिवसभयते जत्ताभयते उच्चत्तभयते कब्बालभयते । २७१ । चत्तारि पुरिसजाता पं० [सं० संपागडपडिसेवी णामेगे णो पच्छन्नपडिसेवी पच्छन्नपडिसेवी णामेगे जो संपागडपडिसेवी एगे संपागडपडिसेवीवि पच्छन्नपडिसेवीवि एगे नो संपागडपडिसेवी जो पच्छन्नपडिसेवी । २७२। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं० कणगा कणगलता चित्तगुत्ता वसुंधरा, एवं जमस्स वरुणस्स वेसमणस्स, बलिस्स णं वतिरोयणिंदस्स वतिरोयणरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं० मित्तगा सुभद्दा विज्जुता असणी, एवं जमस्स वेसमणस्स वरुणस्स, धरणस्स नागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो कालवालस्स महारन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं० असोगा विमला सुप्पभा सुदंसणा एवं जाव संावालस्स, भूतानंदस्स णं णागकुमारिदस्स नागकुमाररन्नो कालवालस्स महारन्नो चत्तारि अग्ग० पं० तं० सुनंदा सुभदा सुजाता सुमणा, एवं जाव सेलवालस्स, जहा धरणस्स एवं सवेसिं दाहिणिदलोगपालाणं जाव घोसरस, जहा भूतानंदस्स एवं जाव महाघोसस्स लोगपालाणं, कालस्स णं पिसाइंदस्स पिसायरन्नो चत्तारि अम्गमहिसीओ पं० तं० कमला कमलप्पभा उप्पला सुदंसणा एवं महाकालस्सवि, सुरुवस्स णं मूर्तिदस्स भूतरन्नो चत्तारि जग्गमहिसीओ पं० तं० रूपवती बहुरूवा सुरूवा सुभगा, एवं पडिरूवरसवि, पुण्णभद्दस्स णं जक्खिदस्स जक्खरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं पुत्ता बहुपुत्तिता उत्तमा तारगा, एवं माणिभद्दस्सवि, मीमस्स णं रक्खसिंदरस रक्खसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं० पउमा वसुमती कणगा रतणप्पभा, एवं महाभीमस्सवि, किंनरस्स णं किमरिंदस्स० चत्तारि अग्ग० पं० तं०-वडेंसा केतुमती रतिसेणा रतिप्पभा, एवं किंपुरिसस्सवि, सप्पुरिसस्स णं किंपुरिसिंदस्स० चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० तं०९४ स्थानांग ठाण४ मुनि दीपरत्नसागर Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ BIRHAYARISM3998498ARRANTS438249184993598612HARSA8933689849993689542 रोहिणी णवमिता हिरी पुष्फवती, एवं महापुस्सिस्सवि, अतिकायस्सणं महोरगिंदस्स.चत्तारि अग्गमहिसीओ पं०२०-भुयगा भुयगवती महाकच्छा फुडा, एवं महाकायस्सवि, गीत. रतिस्स णं गंधादिस्सः चत्तारि अग्गः पं० त०-सुघोसा विमला सुस्सरा सरस्वती, एवं गीयजसस्सवि, चंदस्सणं जोतिसिंदस्स जोतिसरन्नो चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० २०-चंदप्पभा दोसिणाभा अचिमाली पभंकरा,एवं सूरस्सवि, णवरं सूरप्पभा दोसिणाभा अश्चिमाली पमंकरा, इंगालस्सणं महागहस्स चत्तारि अग्गमहिसीओ पं० त०- विजया वेजयंती जयंती अपराजिया, एवं ससि महम्गहाणं जाव भावकेउस्स, सकस्स णं देविंदस्स देवरको सोमस्स महारन्नो चत्तारि अग्ग०५० सं०-रोहिणी मयणा चित्ता सोमा, एवं जाच बेसमणस्स, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो चत्तारि अम्ग०प००-पुढवी राती रयणा विजू, एवं जाव वरुणस्स ।२७३। चत्तारि गोरसविगतीओ पं०तं०-खीरं दहिं सप्पिणवणीतं, चत्तारि सिणेहविगतीओ पं० त०-तेहं घयं वसा णवणीतं, चत्तारि महाविगतीओ पं० त०-महुं मंसंमजं गवणीतं ।२७४॥ चत्तारि कूडागारा ५० त०-गुत्ते णामं एगे गुत्ते गुत्ते णाम एगे अगुत्ते अगत्ते णामंएगे गुत्ते अगुत्ते णामं एगे अगुत्ते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं०तं०-गुत्ते णाममेगे गुत्ते ४, चत्तारि कूडागारसालाओ पं० २०-गुत्ताणाममेगा गुत्तदुवारा गुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा अगुत्ता णाममेगा गुत्तदुवारा अगुत्ता णाममेगा अगुत्तदुवारा, एवामेव चत्तारित्थीओ पं० २०-गुत्ता नाममेगा गुतिंदिता गुत्ता णाममेगा अगुत्तिदिआ४२७५। चउविहा ओगाहणा पं० सं०-दवोगाहणा खेत्तोगाहणा कालोगाहणा भावोगाहणा।२७६ । चत्तारि पन्नत्तीओ अंगवाहिरियातो पं० तं०- चंदपनत्ती सूरपन्नत्ती जंबुद्दीवपन्नत्ती दीवसागरपचत्ती १२७७। अ०४ उ०१॥ चत्तारि पडिसलीणा पं० सं०-कोहपडिसंलीणे माणपडिसंलीणे मायापडिसंलीणे लोभपडिसलीणे १, चत्तारि अपडिसंलीणा पं०२०-कोहअपडिसंलीणे जाव लोभअपडिसलीणे २, चत्तारि पडिसंलीणा पं० सं०-मणपडिसंलीणे वतिपडिसलीणे कायपडिसलीणे इंदियपडिसलीणे ३, चत्तारि अपडिसंलीणा पं० तं०-मणअपडिसंलीणे जाव इंदियअपडिसंलीणे ४१२७८॥ चत्तारि पुरिसजाता पं० त०-दीणे णाममेगे दीणे दीणे णाममेगेअदीणे अदीणे णाममेगे दीणे अदीणे णाममेगे अदीणे १, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०दीणे णाममेगे दीणपरिणते दीणे णाम एगे अदीणपरिणते अदीणे णाम एगे दीणपरिणते अदीणे णाममेगे अदीणपरिणते २, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०-दीणे णाममेगे दीणरूवे हू४,३, एवं दीणमणे ४-४, दीणसंकप्पे ४-५, दीणपन्चे ४-६, दीणदिट्ठी ४-७, दीणसीलाचारे ४-८, दीणववहारे ४-९, चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-दीणे णाममेगे दीणपरकमे, दीणे णाममेगे अदीण हु-४,१०,एवं सवेसिं चउभंगो भाणियो, चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-दीणे णाममेगे दीणवित्ती ४-११, एवं दीणजाती १२, दीणभासी १३, दीणोभासी१४, चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-दीणे णाममेगे दीणसेवी ह-४, १५, एवं दीणे णाममेगे दीणपरियाए ४,१६, दीणे णाममेगे दीणपरियाले ह-४,१७, सवत्थ चउभंगो।२७९। चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०-अज्जे णाममेगे अजे ४,१, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०- अज्जे णाममेगे अज्जपरिणए ४,२ एवं अज़रुवे ३ अज्जमणे ४ अज्जसंकप्पे ५ अजपन्ने ६ अजदिट्ठी ७अज्जसीलाचारे ८ अज्जववहारे ९ अज्जपरक्कमे १० अज्जवित्ती ११ अजजाती १२ अजभासी १३ अजओभासी १४ अजसेवी १५ अज्जपरियाए १६ अजपरियाले १७ एवं सत्तर आलावगा १७ जहा दीणेणं भणिया तहा अज्जेणवि भाणियव्वा, चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-अजे णाममेगे अज्जमावे अज्जे नाममेगे अणज्जभावे अणजे नाममेगे अजभावे अणजे नाममेगे अणज्जभावे १८।२८०। चत्तारि उसभा पं० त०-जातिसंपने कुलसंपन्ने बलसंपन्ने रूवसंपन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० त०-जातिसंपन्ने जाब रूबसंपन्ने१, चत्तारि उसभा पं० तं०-जातिसंपन्ने णामं एगे नो कुलसंपण्णे, कुलसंपण्णे नामं एगे नो जाइसंपण्णे, एगे जातिसंपण्णेऽवि कुलसंपण्णेऽवि, एगे नो जातिसंपण्णे नो कुलसं. पन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं०२०-जातिसंपन्ने नाममेगे ४,२, चत्तारि उसभा पन्नत्ता तं०-जातिसंपन्ने नामं एगेनो बलसंपन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पंतं०-जातिसंपन्ने ४, ३, चत्तारि उसभा पं० २०-जाइसंपने नाम एगे नो रूवसंपन्ने ४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-जातिसंपन्ने नाम एगे नो रूवसंपन्ने रुवसंपन्ने णाममेगे ४,४, चत्तारि उसमा पं० २०-कुलसंपन्ने नाम एगे नो बलसंपन्ने ४ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-कुलसंपने नाममेगे नो बलसंपन्ने ४, ५, चत्तारि उसभा पं० तं०- कुलसंपन्ने णाममेगेणो रूवसंपन्ने, ४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं०२०-कुल०४,६, चत्तारि उसभा पं०तं०- बलसंपन्ने णामं एगे नो रुवसंपण्णे ४ एवामेव चत्तारि पुरिसज़ाया पण्णत्ता तं०बलसंपण्णे नाममेगे ४,७। चत्तारि हत्थी पं० तं०-भद्दे मंदे मिते संकिन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-भद्दे मंदे मिते संकिन्ने, चत्तारि हत्थी पं०२०-भहे णाममेगे भद्दमणे, भदे णाममेगे मंदमणे, भद्दे णाममेगे मियमणे, भहे णाममेगे संकिन्नमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-भद्दे णाममेगे भहमणे भदे णाममेगे मंदमणे भद्दे णाममेगे मियमणे भद्दे णाममेगे संकिन्नमणे, चत्तारि हत्थी पं० सं०-मदेणाममेगे भहमणे मंदे नाममेगे मंदमणे मंदे णाममेंगे मियमणे मंदे णाममेगे संकिन्नमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता, ९५ स्थानांर्ग-8001-3 मुनि दीपरत्नसागर Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पं० [सं० मंदे णाममेगे भद्दमणे तं चैव चत्तारि हत्थी पं० तं०-मिते णाममेगे महमणे मिते णाममेगे मंदमणे मिते णाममेगे मियमणे मिते णाममेगे संकिन्नमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० तं मिते णाममेगे भदमणे तं चैव चत्तारि हत्थी पं० तं० संकिण्णे नाममेगे महमणे संकिले नाममेगे मंदमणे संकिन्ने नाममेगे मियमण सकिने णाममेगे संकिन्नमणे, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० सकिने नाममेगे भद्दमणे तं चैव जाव संकिन्ने नाममेगे संकिन्नमणे 'मधुगुठियपिंगलक्खो अणुपुष्वसुजायदीहणंगूलो। पुरजो उद्ग्गधीरो सवंगसमाधितो भदो ॥ १४ ॥ चलबहलविसमचम्मो धूलसिरो थूलएण पेएण धूलणहदंतबालो हरिपिंगललोयणो मंदो ॥ १५॥ तणुओ तणुतम्गीय तणुयततो तणुयदंतणहवालो। भीरू तत्युविगो तासीय भवे मिते णामं ॥ १६ ॥ एतेसिं इत्थीणं थोवं थोवं तु जो हरति हत्थी रूवेण व सीलेण व सो संकिन्नोति नायो ॥१७॥ मद्दो मज्जइ सरए मंदो उण मज्जते वसंतंमि। मिठ मज्जति हेमंते संकिन्नो सङ्घकालंमि ॥ १८ ॥ २८१ । चत्तारि विकहातो पं० तं०- इत्विका भत्तकहा देसकहा रायकहा, इत्यिकहा चउविहा पं० तं० इत्थीर्ण जाइकदा इत्थीर्ण कुलकहा इत्यीणं रूवकहा इत्थीणं णेवत्थकहा, भत्तकहा चउडिहा पं० तं० भत्तस्स आवावकहा भत्तस्स णिवावकडा भत्तस्स आरंभकहा भत्तस्स निद्वाणकहा, देसकहा चउडिहा पं० तं० देसविहिकहा देसविकप्पकड़ा देसच्छंदकहा देखनेवत्यकहा, रायकहा चउबिहा पं० [सं० रत्नो अतिताणकहा रनो निज्जाणकहा रन्नो बलवाहणकहा रनो कोसकोद्वागारकहा, चहा धम्मका पं० तं० अक्खेवणी विक्खेवणी संवेयणी निवेगणी, अक्खेवणी कहा चउडिहा पं० तं०- आयारअक्खेवणी ववहारअक्खेवणी पनत्तिअक्खेवणी दिट्ठीवाय अक्खेवणी, विक्खेवणी कहा चउडिहा पं० तं० ससमयं कहेइ ससमयं कहित्ता परसमयं कहेइ १ परसमयं कहेत्ता ससमयं ठावतित्ता भवति २ सम्मावातं कहेइ सम्मावातं कहेत्ता मिच्छावातं कहेइ ३ मिच्छावात कट्टेत्ता सम्मावानं ठावइत्ता भवति ४, संवेगणी कथा चउष्विहा पं० [सं० इहलोगसंवेगणी परलोगसंवेगणी आतसरीरसंवेगणी परसरीरसंवेगणी, णिवेगणीकहा चउडिहा पं० तं०-इहलोगे दुच्चिन्ना कम्मा इहलोगे दुह्फलविवागसंजुत्ता भवंति १ इहलोगे दुञ्चिन्ना कम्मा परलोगे दुइफलविवागसंजुत्ता भवति २ परलोगे दुश्चिन्ना कम्मा इइलोगे दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ३ परलोगे दुचिन्ना कम्मा परलोये दुहफलविवागसंजुत्ता भवंति ४, इहलोगे सुचिन्ना कम्मा इहलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति १ इहलोगे सुचित्रा कम्मा परलोगे सुहफलविवागसंजुत्ता भवंति २ एवं चउभंगो तहेब । २८२॥ चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०- किसे णाममेगे किसे किसे णाममेगे दढे दढे णाममेगे किसे दढे णाममेगे दढे, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० किसे णाममेगे किससरीरे किसे णाममेगे दढसरीरे दढे णाममेगे किससरीरे दढे णाममेगे दढसरीरे ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-किससरीरस्स नाममेगस्स णाणदंसणे समुप्पज्जति णो दढसरीरस्स दढसरीरस्स णाम एगस्स णाणदंसणे समुप्पज्जति णो किससरीरस्स एगस्स किससरीरस्सवि णाणदंसणे समुप्पज्जति दृढसरीरस्सवि एगस्स नो किससरीरस्स णाणदंसणे समुप्पज्जति णो दढसरीरस्स । २८३ । चउहिं ठाणेहिं निम्याण वा निम्गंचीण वा अस्सि समयंसि अतिसे नाणदंसणे समुप्पजिउकामेऽवि न समुप्पज्जेज्जा, वं०- अभिक्खणं अभिक्खणमित्थिकहं भत्तकहं देसकहं रायकहं कहेत्ता भवति १ विवेगेण विउस्सग्गेणं णो सम्ममप्पाणं भावित्ता भवति २ पुञ्चरत्तावरत्तकालसमयंसि णो धम्मजागरितं जागरतित्ता भवति ३ फासूयस्स एसणिज्जस्स उंछस्स सामुदाणियस्स णो सम्मं गवेसित्ता भवति ४, इचेतेहिं चउहिं ठाणेहिं निम्गंथाण वा निग्गंधीण वा जाव नो समृप्पज्जेज्जा, चउहिं ठाणेहिं निग्गंथाण वा निग्गंथीण वा अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पजिउकामे समुप्पज्ज्ञेजा, तं० इत्थीकहं मत्तकहं देसकहं रायकहं नो कहेत्ता भवति १ विवेगेण विउस्सम्गेणं सम्ममप्पाणं भवेत्ता भवति २ पुवरत्तावरतकालसमयंसि धम्मजागरियं जागरतित्ता भवति ३ फासूयस्स एसणिस्स उंछस्स सामुदाणियस्स सम्मं गवेसिया भवति, इचेएहिं चउहिं ठाणेहिं निम्गंथाण वा निम्गंथीण वा जाव समुप्पज्जेज्जा । २८४ । नो कप्पति निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा चउहिं महापडिवएहिं सज्झायं करेत्तए, तं० आसाढपाडियए इंदमहपाडियए कत्तियपाडिवए सुगिम्हपाडिवर १, णो कप्पइ निग्गंथाण वा निग्गंधीण वा चउहिं संझाहिं सज्झायं करेत्तए, तं० पढमाते पच्छिमाते मज्झण्डे अड्ढरते २. कप्पइ निग्गंधाण वा निम्गंधीण वा चाउक्कालं सज्झायं करेत्तए, तं पुण्हे-अवरव्हे पओसे पच्चूसे । २८५ चउडिहा लोगद्विती पं० [सं० आगासपतिट्ठिए बाते वातपतिट्टिए उदधी उदधिपतिट्ठिया पुढवी पुढवीपइडिया तसा थावरा पाणा ४।२८६ । चत्तारि पुरिसजाता पं०सं० तहे नाममेगे नोतहे नाममेगे सोवत्थी नाममेगे पधाणे नाममेगे ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० आयंतकरे नाममेगे णो परंतकरे १ परंतकरे णाममेगे जो आतंतकरे २ एगे आतंतकरेवि परंतकरेवि ३ एगे णो आतंतकरे णो परंतकरे ४,२, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०-आतंतमे नाममेगे नो परंतमे, परंतमे नो ४,३, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-आयंदमे नाममेगे णो परंदमे ४,४ । २८७ । चउद्दिधा गरहा पं० तं० उवसंपज्जामित्तेगा गरहा वितिगिच्छामित्तेगा गरहा जंकिंचिमिच्छामीत्तेगा गरहा एवंपि पद्मत्तेगा गरहा | २८८ । चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० अप्यणो नाममेगे अलमंथू भवति णो परस्स परस्स नाममेगे अलमंधू भवति णो अप्पणो एगे अप्पणोऽवि अलमंबू भवति परस्सवि एगे नो अप्पणो अल मंचू भवति णो परस्स १, चत्तारि भग्गा पं० तं० उज्जू नाममेगे उज्जू उज्जू नाममेगे बँके बँके नाममेगे उज्जू वंके नाममेगे वंके २, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० (२४) ९६ स्थानांगं ठा मुनि दीपरत्नसागर Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ REPROMISHRAISHINGHASPICAROPIEMISPIRABP OINSPONSPIONASIFICANSPIROMEPOSSMSPRANEPRIMEPTEMRAPEOHRSPICHR तं०-उज्जू नाममेगे उजू ४,३, चत्तारि मग्गा पं००-खेमे नाममेगे खेमे खेमे णाममेगे अखेमे ४,४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं०२०- खेमे णाममेगे खेमे, ४,५, चत्तारि मग्गा पं० तं०-खेमे णाममेगे खेमरूवे, खेमे णाममेगे अखेमरुवे ४, ६, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-खेमे नाममेगे खेमरूवे ४,७, चत्तारि संयुक्का पं० त०-वामे नाममेगे वामावत्ते वामे नाममेगे दाहिणावत्ते दाहिणे नाममेगे वामावत्ते दाहिणे नाममेगे दाहिणावते ८, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० सं०-वामे नाममेगे वामावते, ४,९, चत्तारि धूमसिहाओ पं० सं०-वामा नाममेगा वामावत्ता ४,१०, एवामेव चत्तारित्थीओ पं० त०-वामा णाममेगा वामावत्ता ४,११, चत्तारि अम्गिसिहाओ पं० तं०-वामा णाममेगा वामावत्ता ४,१२, एवामेव चत्तारित्थीओ पं० २०-वामा णा०४,१३, चत्तारियायमंडलिया पं० तं०-वामा णाममेगा वामावत्ता ४,१४, एवामेव चत्तारित्थीओ पं०२०-वामा णाममेगा वामावत्ता ४, १५, चत्तारि वणसंडा पं० २०-वामे नाममेगे वामावत्ते ४, १६, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-वामे णाममेगे वामावत्ते ४,१७१२८९ । चरहिं ठाणेहिं णिग्गये णिग्गंथि आलवमाणे वा संलबमाणे वा णातिकमति तक पंथं पुच्छमाणे वा १ पंथ देसमाणे वा २ असणं वा पाणं वा खाइमंवा साइमं वा दलेमाणे वा ३ दलावेमाणे वा ४।२९० । तमुक्कायस्स णं चत्तारि नामधेजा पं० तं०-तमिति वा तमुकातेति या अंधकारेति वा महंधकारेति वा, तमुक्कायस्स णं चत्तारि णामधेजा पं० सं०-लोगंधगारेति वा लोगतमसेति वा देवंधगारेति वा देवतमसेति वा, तमुकायस्स णं चत्वारि नामधेजा पं० तं० वातफलिहेति वा वातफलिहखोभेति वा देवरोति वा देवबूढे(प० हे)ति वा, तमुक्काते णं चत्तारि कप्पे आवरित्ता चिट्ठति तं०सोधम्मीसाणं सणंकमारमाहिदं । २९१ । चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-संपांगडपडिसेवी णाममेगे पच्छन्नपडिसेवी णाममेगे पहुप्पननंदी (सेवी पा०) नाममेगे णिस्सरणणंदी णाममेगे १, चत्तारि सेणाओ पं० सं०-जतित्ता णाममेगे णो पराजिणित्ता पराजिणित्ता णाममेगे णो जतित्ता एगा जतित्तावि पराजिणित्तावि एगा नो जतित्ता नो पराजिणित्ता २, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० २०-जतित्ता नामभेगे नो पराजिणित्ता ४,३, चत्तारि सेणाओ पं० सं०-जतित्ता णामं एगा जयई जइत्ता णाममेगा पराजिणति पराजिणित्ता णाममेगा जयति पराजिणित्ता नाममेगा पराजिणति ४,५, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० त०-जइत्ता नाममेगे जयति ४,५।२९। (चत्तारि राइओ पन्नत्ताओ तं०-पवयराई पुढवीराई रेणराई जलराई, एवामेव चउबिहे कोहे० पा०) चत्तारि केतणा पं० त०-सीमूलकेतणते मेंढविसाणकेतणते गोमुत्तिकेतणते अवलेहणितकेतणते, एवामेव चउविधा माया पं० २०वसीमूलकेतणासमाणा जाव अक्लेहणितासमाणा, वंसीमूलकेतणासमाणं मायं अणुपविढे जीवे कालं करेति णेरइएसु उववज्जति, मेंढविसाणकेतणासमाणं मायमणुप्पविढे जीवे कालं करेति तिरिक्खजोणितेसु उववजति, गोमुत्ति० जाव कालं करेति मणुस्सेसु उववज्जति, अवलेहणिता जाव देवेसु उववजति, चत्तारि थंमा पं० त०-सेलथंभे अहिथंभे दास्यभे तिणिसलताधमे, एवामेव चउविधेमाणे पं० २०. सेलथंभसमाणे जाब लिणिसलताथंभसमाणे, सेलथंभसमाणं माणं अणुपविढे जीवे कालं करेति नेरतिएसु उववज्जति, एवं जाव तिणिसलतार्थभसमाणं माणं अणुपविठू जीवे कालं करेति देवेसु उवज्जति, चत्तारि वत्था पं० तं०-किमिरागरत्ते कद्दमरागरते खंजणरागरते हलिहरागरते, एवामेव चउविधे लोभे पं० त०किमिरागरत्तवत्थसमाणे कदमरागरत्तवत्यसमाणे खंजणरागरतवत्थसमाणे हलिहरागरत्तवत्थसमाणे, किगिरागरत्तवत्यसमाणं लोभमणुपबिट्टे जीवे कालं करेइ नेरइएसु उववजाइ, तहेव जाव हलिहरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपचिट्टे जीवे कालं करेइ देवेसु उवयजति ।२९३। चउबिहे संसारे पं० सं०-णेरतियसंसारे जाव देवसंसारे, चउबिहे आउते पं० तं-रतिआउते जाव देवाउते, चउबिहे भवे पं० त०- नेरतियभवे जाव देवभवे।२९४। चलविहे आहारे पं० त०- असणे पाणे खाइमे साइमे, चउबिहे आहारे पं० तं०-उक्क्ख रसंपन्ने (नोउवक्खरसंपन्ने पा०) उवक्खडसंपन्ने सभातसंपन्ने परिजुसियसंपन्ने । २९५। चउबिहे बंधे पं०२०-पगतिबंधे ठितीबंधे अणुभावबंधे पदेसबंधे, चउबिहे उवक्कमे पं० त०-बंधणोवक्कमे उदीरणोवकमे उक्समणोक्कमे विप्परिणामणोवकमे, पंधणोवकमे चउबिहे पं० तं०-पगतिबंधणोवक्कमे ठितिबंधणोक्कमे अणुभावबंधणोवफमे पदेसबंधणोषकमे, उदीरणोवकमे चउबिहे पं० तं०-पगतीउदीरणोक्कमे ठितीउदीरणोक्कमे अणुभाक्उदीरणोषकमे पदेसउदीरणोवक्कमे, उक्समणोवक्कमे चउबिहे पं०२०-पगतिउवसामणोवकमे ठिति० अणु० पतेसुक्सामणोवक्कमे, विप्परिणामणोवक्कमे चउबिहे पं० २०-पगति० ठिती. अणु० पतेसविप्प०, चउव्यिहे अप्पाबहुए पं० तं०-पगतिअप्पाचहुए ठिति० अणु० पतेसप्पाबहुते, चउबिहे संकमे ५० तेकपगतिसंकमे ठिती. अणु० पएससंकमे, चउबिहे णिधत्ते पं० सं०-पगतिणिवत्ते ठिती० अणु० पएसणिवत्ते, चउब्विहे णिकायिते पं० त०-पगतिणिकायिते ठिती अणु पएसणिकायिते।२९६। चत्तारि एका पं० तं०-दविएकते माउपएकते पजतेकते संगहेकते।२९७१चत्तारि कती पं० सं०-दवितकती माउयपयकती पजवकती संगहकती।२९८ा चत्तारि सचा पं० तं०-नामसम्बए ठवणसमए आएससमते निरवसेससयते ।२९९ माणुसुत्तरस्स णं पवयस्स चउदिसिं चत्तारि कूडा पं०२०- रयणे रतणुचते सबरयणे रतणसंचये।३००। जंबुद्दीवे २ ९७ स्थानांर्ग-60-7 मुनि दीपरत्नसागर POSPIRNAYEMBPOMISESREPARASPRESPICASTR878640PERSPEARNERBPARISPENSPARSHIPRAAHEN Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SPICKASPIRAASP8ASPICAISHRASPEMBPERSPENSIPHARMANAGPIONSSPRIMI871848PICARSPIRSMSPARRIPO4N8HIGHRE भरहेखतेसु वासेसु तीताते उस्मप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था, जंबुद्दीवे २ भरहेरखते इमीसे ओसप्पिणीए सुसमसुसमाए समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो हुत्था, जंबुद्दीवे २ भरहेरखएसु वासेसु आगमेस्साते उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए चत्तारि सागरोवमकोडाकोडीओ कालो भविस्मइ ।३०१॥ जंबुद्दीवे २ देवकुरुउत्तरकुरुखजाओ चत्तारि अकम्मभूमीओ पं० तं०-हेमवते हेरनवते हरिवस्से रम्मगवासे, चत्तारि बट्टवेयड्ढपत्रता पं० २०-सदावई वियडावई गंधावई मालवंतपरिताते, तत्थ णं चत्तारि देवा महिद्वितीया जाव पलिओवमद्वितीता परिवसंति,त-साती पभासे अरुणे पउमे, जंबुद्दीवे २महाविदेहे वासे चउविहे पं० २०-पृश्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा, सोऽविणं णिसढणीलवंतवासहरपाता चत्तारि जोयणसयाई उड्ढउच्चत्तेणं चत्ता उत्तरकले चत्तारि वक्खारपच्या पं० तं०-चित्तकडे पम्हकडे णलिणकडे एगसेले, जंबू०मंदरपुर०सीताए महानदीए दाहिणकले पत्तारि वक्खारपत्रया पं० २०-तिकडे येसमणकडे अंजणे मातंजणे, जंबू० मंदर० पञ्चस्थिमेणं सीओदाए महानतीए दाहिणकूले चत्तारि वक्खारपवता पं० त०-अंकावती पम्हावती आसीविसे सुहावहे, जंबू०मंदर० पञ्च०सीओदाए महाणतीते उत्तरकूले चत्तारि वक्खारपचया पं० तं०-चंदपवते सूरपवते देवपञ्चते गागपक्वते, जंबू०मंदरस्स पवयस्स चउसु विदिसासु चत्तारि वक्खारपत्रया पं० त०-सोमणसे विजुपभे गंधमायणे मालवंते, जंबुद्दीवे २ महाविदेहे वासे जहन्नपते चत्तारि अरहंता चत्तारि चकवट्टी चत्तारि बलदेवा चत्तारि वासुदेवा उप्पणिसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा, जंबुडीवे २ मंदरपञ्चते चत्तारि वणा पं० सं०-भहसालवणे नंदणवणे सोमणसवणे पंडगवणे, जंचू०मन्दरे पवए पंडगवणे चत्तारि अभिसेगसिलाओ पं० तं०- पंडुकंबलसिला अइपंडुकंबलसिला रत्तकंबलसिला अतिरत्तकंबलसिला, मंदरचूलिया णं उवरिं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं पन्नत्ता, एवं धायइसंडदीवपुरच्छिमद्धेऽवि कालं आदि करेता जाव मंदरचूलियत्ति, एवं जाव पुक्खरवरदीवपञ्चच्छिमद्धे जाव मंदरचूलियत्ति- जंबूढीवग(वे जं पा०)आवस्सगं तु कालाओ चूलिया जाव। घायइसंडे पुक्खरवरे य पुवावरे पासे ॥१९॥३०२। जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स चत्तारि दारा पं०२०-विजये वेजयंते जयंते अपराजिते, ते णं दारा चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तापतितं चेव पवेसेणं पं०,तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढीया जाव पलिओवमट्टितीता परिवसंति-विजते बेजयंते जयंते अपराजिते । ३०३। जंबुद्दीवे २ मंदरस्स पवयस्स दाहिणणं चुडहिमवंतस्स वासहरपत्रयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुई तिनि २ जोयणसयाई ओगाहित्ता एत्य णं चत्तारि अंतरदीवा पं० सं०-एगूरूयदीवे आभासियदीवे वेसाणितदीवे णंगूलियदीवे, तेसु णं दीवेसु चउविहा मणुस्सा परिचसंति, तं०-एगूरूता आभासिता वेसाणिता णंगोलिया, तेसि णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुहं चत्तारि २ जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पं० २०-हयकन्नदीचे गयकन्नदीवे गोकन्नदीवे संकुलिकन्नदीचे, तेसुणं दीवसुचविधामणुस्सा परिचसंतिते-हयकन्ना गयकन्ना गोकन्ना संकुलिकन्ना, तेसिणं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुह पंच२जायणसयाई ओगाहित्ता एत्य णं चत्तारि अंतरदीवा पं० २०.आयंसमुहदीवे मेंढमुहदीवे अओमूहदीवे गोमुहदीचे, तेसु णं दीवेसु चउबिहा मणुस्सा भाणियबा, तेसि क दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुई छ छ जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पं० तं- आसमुहदीवे हत्थिमुहदीवे सीहमुहदीवे वग्घमुहदीवे, तेमु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियब्वा, तेसिं णं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुई सत्त सत्त जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पं०तं-आसकन्नदीवे हस्थिकन्नदीवे अकन्नदीवे कन्नपाउरणदीवे, तेसुणं दीवेसु मणुया भाणिया, तेसिणं दीवाणं चउसु विदिसासु लवणसमुदं अट्ठढ जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्थ णं चत्तारि अंतरदीवा पं० तं०-उकामुहदीवे मेहमुहदीचे विजुमुहदीवे विजुदंतदीवे, तेसु णं दीवेसु मणुस्सा भाणियचा, तेसिं गं दीवाणं चउसु विदिसामु लवणसमुई णवणव जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्य णं चत्तारि अंतरदीवा पं०तं० घणदंतदीचे लट्ठदंतदीवे गूढदंतदीवे सुदंतदीये, तेसुणं दीवेसु चरब्बिहा मणुस्सा परिवसंति, तं०-घणदंता लट्ठदंता गूढदंता सुद्धदंता, जंबुद्दीवे२ मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरेणं सिहरिस्स वासहरपब्वयस्स चउसु विदिसासु लवणसमुई तिनि२ जोयणसयाई ओगाहेत्ता एत्य णं चत्तारि अंतरदीवा पं० तं०-एगूरूयदीवे सेसं तदेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव सुद्धदंता ।३०४। जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बाहिरिलाओ वेतितंताओ चउदिसिं लवणसमुदं पंचाणउई जोयणसहस्साई ओगाहेत्ता एत्थ णं महतिमहालता महालंजरसंठाणसंठिता चत्तारि महापायाला पं० २०-बलतामुहे केउते जूवए ईसरे, एत्य (म० तत्थ)णं चत्तारि देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमट्टितीता परिवसंति, तं०-काले महाकाले वेलंबे पभंजणे, जंबुद्दीवस्म णं दीवस्स बाहिरिडाओ चेतितंताओ चउद्दिसिं लवणसमुई बायालीसं २जोयणसहस्साई ओगाहेत्ता एत्थ णं चउण्हं वेलंधरनागराईणं चत्तारि आवासपब्वता पं० तं०-गोधूमे उदयभासे संखे दगसीमे, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमट्टितीता परिवसंतितं०-गोथूभे सिवए संखे मणोसिलाते, जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बाहिरिडाओ वेइयंताओ चउसु विदिसासु लवणसमुदं वायालीसं २जोयणसहस्साई ओगा९८ स्थानांर्ग-ठा-7 मुनि दीपरत्नसागर 9488443892AAZRAM-292043993418982434345893860544899813395843RAKSHRAD2-4389931418RIMINSARK3428 Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2432 0KBARNAKOSMARROSARKARMATRIKSHARMENDARVASHIKSHARMIRDER | हेत्ता एत्य णं चउण्हं अणुवेलंधरणागरातीणं चत्तारि आवासपव्वता पं० त० ककोडए विजुप्पभे केलासे अरुणप्पभे, तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमद्वितीता परिखसंति, | तं०-कक्कोडए कदमए केलासे अरुणप्पभे, लवणे णं समुहे णं चत्तारि चंदा पभासिंसु वा पभासंति वा पमासिस्संति वा, चत्तारि सरिता तर्विसु वा तवंति वा तविस्संति वा, चत्तारि कत्तियाओ जाव चत्तारि भरणीओ, चत्तारि अग्गी जाव चत्तारि जमा, चत्तारि अंगारा जाव चत्तारि भावकेऊ, लवणस्स णं समुहस्स चत्तारि दारा पं० सं०-विजए विजयंते जयंते अपराजिते, तेणं दाराणं चत्तारि जोयणाई विक्खंभेणं तावतितं चेव पवेसेणं पं०,तत्थ णं चत्तारि देवा महिड्ढिया जाव पलिओवमद्वितिया परिवसंति-विजये वेजयंते जयंते अपराजिए ।३०५। धायइसंडे दीवे चत्तारि जोयणसयसहस्साई चक्कवालविक्खंभेणं पं०, जंबुद्दीवस्स णं दीवस्स बहिया चत्तारि भरहाई चत्तारि एरवयाई, एवं जहा सहुद्देसते तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चत्तारि मंदरा चत्तारि मन्दरचूलिआओ।३०६।[अथ नन्दीश्वरविचारः] गंदीसरवरस्स णं दीवस्स चक्कवालविक्खंभस्स बहुमज्झदेसभागे चउदिसिं चत्तारि अंजणगपवता पं० २०. पुरथिमिल्छे अंजणगपचते दाहिणिले अंजणगपवए पञ्चस्थिमिले अंजणगपवते उत्तरिले अंजणगपबते, ते णं अंजणगपञ्चता चउरासीति जोयणसहस्साई उड्दउच्चनेणं (सहस्स) उज्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई चिक्खंभेणं तदणंतरं च णं मायाए २ परिहातेमाणा २ उवरिमेगं जोयणसहस्सं विक्खंभेणं पण्णत्ता, मूले इकतीसं जोयणसहस्साइंछच्च तेवीसे जोयणसते एर्ग जोयणसहस्सं परिक्खेवेणं, उपरि तिनि२जोयणसहस्साई एगंच छावटुंजोयणसतं परिक्खेवणं, मूले विच्छिन्नामझे संखेत्ता उप्पिं तणुया गोपुच्छसंठाणसंठिता सव्वअंजणमया अच्छा सहा लण्हा घट्ठा मट्ठा नीरया निप्पंका निकंकडच्छाया सप्पभा समिरीया सउज्जोया पासाईया दरिसणीया अभिरूवा पडिरूवा, तेसिं णं अंजणगपञ्चयाणं उरि बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पं०, तेसिं णं बहुसमरमणिजभूमिभागाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि सिद्धाययणा पण्णता, ते णं सिद्धाययणा एगं जोयणसयं आयामेणं पण्णत्ता पण्णासं जोयणाई विक्खंभेणं यावत्तरि जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं, तेसि सिद्धाययणाणं चउदिसिं चत्तारि दारा पं० तं-देवदारे असुरदारे णागदारे सुवनदारे, तेसुणं दारेसु चउबिहा देवा परिवसंति, तं०-देवा असुरा नागा सुवण्णा, तेसिं णं दाराणं पुरतो चत्तारि मुहमंडवा पं०, तेर्सिणं मुहमंडवाणं पुरओ चत्तारि वइरामया अक्खाङगा पं०, तेसिं णं वइरामयाणं अक्खाडगाणं वहुमज्झदेसभागे चत्तारि मणिपेढियातो पं०, तासिं णं मणिपेढिताणं उवार चत्तारि सीहासणा पं०,तेसिंणं सीहासणाणं उवरिं चत्तारि विजयदूसा पन्नत्ता, तेसिं णं विजयदूसगाणं बहुमज्झदेसभागे चत्तारि बइरामता अंकुसा पं०, तेसु णं वतिरामतेसु अंकुसेसु चत्तारि कुंभिका मुत्तादामा पं०, ते णं कुंभिका मुत्तादामा पत्तेयं २ अन्नेहिं तददउच्चत्तपमाणमित्तेहिं चरहिं अद्धकुंभिकेहिं मुत्तादामेहिं सब्बतो समंता संपरिक्खित्ता, तेसिं णं पेच्छाघरमंडवाणं पुरओ चत्तारिमणिपढिताओ पण्णत्ताओ, तार्सि णं मणिपेढियाणं उवार चत्तारि२ चेतितथूभा पण्णत्ता, तासि णं चेतितथूभाणं पत्तेयं २ चउहिसिं चत्तारि मणिपेढियातो पं०, तासि णं मणिपेढिताणं उवरि चत्तारि जिणपडिमाओ सबरयणामईतो संपलियंकणिसभाओथूभाभिमुहीओ चिट्ठति, तं०-रिसभा वदमाणा चंदाणणावारिसेणा, तेसिंणं चेतितथूभाणं पुरतो चत्तारि मणिपेदिताओ पं०, तासि णं मणिपेदिताणं उवरिं चत्तारि चेतितरुक्खा पं०, तेसि णं चेतितरुक्खाणं पुरओ चत्तारि मणिपेढियाओ पं०, तासि णं मणिपेढियाणं उरि चत्तारि महिंदज्झया पं०, तेसि णं महिंदज्झतार्ण पुरओ चत्तारि णंदातो पुक्खरिणीओ पं०, तासिंणं पुक्वरिणीणं पत्तेयं २ चउदिसिं चत्तारि वणसंडा पं० २०-पुरच्छिमेणं दाहिणेणं पचत्धिमेणं उत्तरेणं-पुवेण असोगवणं दाहि. णओ होइ सत्तवण्णवर्ण। अवरेण चंपगवणं चूतवणं उत्तरे पासे ॥२०॥ तत्थ गंजे से पुरच्छिमिल्ले अंजणगपचते तस्स णं चउदिसिं चत्तारिणंदाओ पुक्खरिणीतो पं० तं०-णंदुत्तराणंदा आणंदा नंदिवद्धणा, ताओ णंदाओ पुस्खरिणीओ एग जोयणसयसहस्सं आयामेर्ण पन्नासं जोयणसहस्साई विक्वंमेणं दस जोयणसताई उज्वेहेणं, तासिक पुस्खरिणीणं पत्तेयं २ चउहिसि चत्तारि तिसोवाणपडिरूवगा, तेसिं णं तिसोवाणपडिरूवगाणं पुरतो चत्तारि तोरणा पं० त०-पुरच्छिमेणं दाहिणणं पञ्चस्थिमेणं उत्तरेणं, तासिं णं पुक्खरणीणं पत्तेयं २ चउदिसि चत्तारि वणसंडा पं० २०-पुरतो दाहिण पच० उत्तरेणं, पुवेणं असोगवणं जाव चूयवणं उत्तरे पासे, तासिं णं पुक्खरिणीर्ण बहुमज्झदेसभागे चत्तारि दधिमुहगपञ्चया पं०, ते णं दधिमुहगपचया चउसर्दुि जोयणसहस्साई उड्डंउच्चत्तेणं एग जोयणसहस्सं उचहेर्ण सय्वस्थ समा पछगसंठाणसांठवा दस जोयण परिक्खेवेणं सब्बरयणामता अच्छा जाव पडिरुवा, तेसिं णं दधिमुहगपव्वताणं उवरि बहुसमरमणिज्जा भूमिभागा पं०, सेसं ज़हेव अंजणगपञ्चताणं तहेव निरवसेसं भाणियव्वं जाव चूतवणं उत्तरे पासे, तत्थ णं जे से दाहिणिले अंजणगपञ्चते तस्स णं चउदिसिं चत्तारि गंदाओ पुक्खरिणीओ पं० सं०-महा विसाला कुमुदा पुंडरीगिणी, तातो गंदातो. एग जोयणसयसहस्सं सेसं तं चेव जाव दधिमुहगपव्वता जाव वणसंडा, वत्य णं जे से पञ्चत्यिमिल्ले अंजणगपब्बते तस्स णं चउद्दिसिं चत्तारि गंदाओ पुक्खरिणीओ पं००-णदिसेणा अमोहा ९९ स्थानांग-60-7 मुनि दीपरत्नसागर Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गोबूभा सुदंसणा, सेसं तं चैव तहेव दधिमुहगपव्वता तदेव सिद्धाययणा जाव वणसंडा, तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले अंजणगपचते तस्स णं चउहिसिं चत्तारि णंदाओ पुक्खरिणीओ पं० तं०-विजया वेजयंती जयंती अपराजिता, तातो गं पुक्खरिणीओ एगं जोयणसयसहस्सं तं चैव पमाणं तद्देव दधिमुहगपक्षता तहेब सिद्धाययणा जाव वणसंडा, दीसरवरस्स दीवस्स चक्कवालविक्खंभस्स बहुमज्झदेसभागे चउसु विदिसासु चत्तारि रतिकरगपव्वता पं० तं० उत्तरपुरच्छिमिल्ले रतिकरगपव्वते दाहिणपुरच्छिमिले रइकरगपव्वए दाहिणपचथिमिले रतिकरगपव्वते उत्तरपचत्थिमिले रतिकरगपव्वए, ते णं रतिकरगपव्वता दस जोयणसयाई उढउचत्तेणं दस गाउतसताई उच्वेहेणं सव्वत्थ समा झरिसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साई विक्खभेणं एकतीसं जोयणसहस्साई छब तेवीसे जोयणसते परिक्लेवेणं सव्वरयणामता अच्छा जाव पडिरूवा, तत्थ णं जे से उत्तरपुरच्छिमिले रतिकरगपव्यते तस्स णं चउदिसिं ईसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्हमग्गमहिसीणं जबुद्दीवपमाणाओ चत्तारि रायहाणीओ पं० तं० णंदुत्तरा गंदा उत्तरकुरा देवकुरा, कण्हाते कव्हरातीते रामाए रामरक्खियाते, तत्थ णं जे से दाहिणपुरच्छिमिले रतिकरगपच्यते तस्स णं चउद्दिसिं सकस्स देविंदस्स देवरन्नो चउन्हमग्गमहिसीणं जंबुदीवपमाणातो चत्तारि रायहाणीओ पं० नं०समणा सोमणसा अचिमाली मणोरमा, पउमाते सिवाते सतीते अंजूए तत्थ णं जे से दाहिणपचत्थिमिले रतिकरगपव्वते तत्व णं चउदिसिं सकस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्डमग्गमहिसीणं जंबुद्दीवपमाणमेत्तातो चत्तारि रायहाणीओ पं० तं०- भूता भूतवडेंसा गोथूभा सुदंसणा अमलाते अच्छराते णवमिताते रोहिणीते, तत्थ णं जे से उत्तरपचत्थिमिले रतिकरगपव्वते तस्स णं चउदिसिमीसाणस्स देविंदस्स देवरन्नो चउण्ड मग्गमहिसीणं जंबुद्दीवप्पमाणमित्तातो चत्तारि रायहाणीओ पं० तं० रयणा रतणुच्चता सव्वरतणा स्तणसंचया, वस्ते वसुगुत्ताते वसुमित्ताने वसुंधराए । ३०७ चउब्विहे सच्चे पं० तं० णामसचे ठवणसच्चे दव्बसचे भावसचे ३०८। आजीवियाणं चउब्विहे तवे पं० तं० उग्गतवे (ओरालतवे पा०) घोरतवे रसणिज्जूहणता जिम्मिदियपडिलीणता । ३०९ । चउविहे संजमे पं० तं०- मणसंजमे वतिसंजमे कायसंजमे उवगरणसंजमे, चउविधे चिताते पं० तं मणचिताये वतिचियाते कायचियाते उवगरणचियाते, चउत्रिहा अकिंचणता पं० तं० मणअकिंचणता वतिअकिंचणता कायअकिंचणता उबगरणअकिंचणता । ३१० ॥ अ० ४ उ० २ ॥ चत्तारि रातीओ पं० ० पत्रयराती पुढवीराती वालयराती उदगराती, एवामेव चउविहे कोहे पं० तं० पवयरातिसमाणे पुढवीरातिसमाणे वालयरातिसमाणे उदगरातिसमाणे, पचयरातिसमाणं कोहं अणुपविट्टे जीवे कालं करे णेरइतेसु उवजति, पुढवीरातिसमाणं कोह्मणुप्पविद्वे तिरिक्खजोणितेसु उववज्जति, वालुयरातिसमाणं कोहं अणुपविट्टे समाणे० मणुस्सेसु उववज्जति, उद्गरातिसमाणं कोणुपविद्वे समाणे० देवेसु उबवज्जति । चत्तारि उदगा पं० तं० कदमोदर खंजणोदए वालुओदए सेलोदए, एवामेव चउविहे भावे पं० तं० कदमोदगसमाणे खंजणोदग समाणे वालुओदगसमाणे सेलोदगसमाणे, करमोदगसमाणं भावमणुपविट्टे जीवे कालं करेइ र इएस उववज्जति, एवं जाव सेलोदगसमाणं भावमणुपविट्टे जीवे कालं करेइ देवेषु उववज्जइ ॥३११। चत्तारि पक्खी पं० तं०- रुयसंपन्ने नाममेगे णो रुवसंपन्ने रूवसंपन्ने नाममेगे नो रुतसंपन्ने एगे रूपसंपन्नेऽवि रुतसंपन्नेवि नो रुतसंपन्ने णो रूवसंपन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० रुयसंपन्ने नाममेगे णो रूवसंपत्रे ० ४ चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० पत्तियं करेमीतेगे पत्तियं करेइ पत्तियं करेमीतेगे अपसितं करेति अप्पत्तियं करेमीतेगे पत्तितं करेइ अप्पत्तियं करेमीतेगे अप्पत्तितं करेति चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० अप्पणो णाममेगे पत्तितं करेति णो परस्स परस्स नाममेगे पत्तियं करेति णो अप्पणो० ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० पत्तियं पवेसानीतेगे पत्तितं पत्रेसेइ पत्तियं पवेसामीतेगे अप्पत्तितं पवेसेति० ४ चत्तारि पुरिसजाता पं० तं० अप्पणो नाममेगे पत्तितं पवेसेइ णो परस्स परस्स० ४।३१२ । चत्तारि रुक्खा पं० [सं० पत्तोवर पुष्फोवए फलोवए छायोवए, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं० पत्तोवारुक्खसमाणे पुष्फोवारुम्वसमाणे फलोवारुक्खसमाणे छातोवारुक्समाणे । ३१३ । भारण्णं वमाणस्स चत्तारि आसासा पन्नत्ता, तं० जत्थ णं अंसातो असं साहरइ तत्थऽविय से एगे आसासे पण्णत्ते १ जत्यऽविय णं उच्चारं वा पासवणं वा परिद्वावेति तत्थऽविय से एगे आसासे पण्णत्ते २ जत्थडविय णं णागकुमारावासंसि वा सुवन्नकुमारावासंसि वा वासं उचेति तत्यऽविय से एंगे आसासे पन्नत्ते ३ जत्थऽविय णं आवकधाते चिट्ठति तत्थऽविय से एगे आसासे पन्नते ४, एवामेव समणोवासग्गस्स चत्तारि आसासा पं० तं० जत्थ णं सीलवतगुणवतवेरमणपचक्खाणपोसहोववासाई पडिवज्जेति तत्थऽविअ से एगे आसासे पण्णत्ते १ जत्थडविय णं सामाइयं देसावगासियं सम्ममणुपालेइ तत्थऽविय से एगे आसासे पं० २ जत्थऽविय णं चाउदसमुद्दिपुन्नमासिणीसु पडिपुन्नं पोसहं सम्मं अणुपालेइ तत्थऽविय से एगे आसासे पण्णत्ते ३ जत्थऽवि य णं अपच्छिममारणंतितसंलेहणाजूसणाजूसिते भत्तपाणपडितातिक्खिते पाओवगते कालमणवकखमाणे विहरति तत्थऽविय से एगे आसासे पन्नत्ते । ३१४ । चत्तारि पुरिसजाया पं० सं० उदितोदिते णाममेगे उदितत्थमिते णाममेगे अत्थमितोदिते णाममेगे अत्थमियत्थमिते णामयेगे, भरहे राया चाउरंतचकवट्टी णं उदितोदिते १ बंभदत्ते णं राया चाउरंतचक्कवट्टी उदिअत्थमिते २ हरितेसबले णमणगारे णमत्थमिओदिते ३ काले णं सोयरिये अत्थमितत्थमिते ४।३१५ चत्तारि जुम्मा पं० तं०- कडजुम्मे तेयोए (२५) १०० स्थानांगं ठाणे-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दावरजुम्मे कलिओए, नेरतिताणं चत्तारि जुम्मा पं० सं०-कडज़म्मे तेओए दावरजुम्मे कलितोए, एवं असुरकुमाराणं जाव थणियकुमाराणं, एवं पुढवीकाइयाणं आउ० तेउ० पाउ० वणस्सति दिताणं तेंदियाणं चरिंदियाणं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं मणुस्साणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वेमाणियाणं सव्वेसि जहा णेरइयाणं ।३१६। चत्तारि मरा पं० २०. खंतिसरे तवस्रे दाणसूरे जुडसरे, खंतिसूरा अरहता तबसूरा अणगारा दाणमरे वेसमणे जुद्धसरे वासुदेवे।३१७१चत्तारि पुग्मिजाया पं०२०-उच्चे णाममेगे उच्चच्छंदै उच्चे णाममंगे णीतच्छदणीत णाममग उचच्छंदनीए णाममग णीयच्छद।३१८ा असुरकुमाराण चत्तारिलसाता प० त० कण्हलसा काललसा काउलसा तउलसा.वजावाणयकुमाराण. एवं पुढबीकाइयाणं आउवणस्सइकाइयाणं वाणमंतराणं सब्वेसि जहा असुरकुमाराण।३१९। चत्तारि जाणा पं० सं०-जुत्ते णाममंगेजुत्ते जुत्ते नाममेगे अजने अजने नाममंग जुत्ते अजत्ने णाममंगे अजुत्ते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०- जुत्ते णाममेगे जुत्ते जुत्ते णाममंगे अजुने०४, चत्तारि जाणा पं० नं०-जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणने जुत्ते णाममंग अजुनपनि । णते, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं०तं- जुत्ते णाममेगे जुत्तपरिणते०४, चत्तारि जाणा पं०२०- जुत्ते णाममेगे जुत्तरुवे जुत्ते णाममेगे अजुनरूवे अजुन णाममेगे जुनरूवे ४. एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पंतं जुत्ते णाममेगे जुत्तरुवे०४. चत्तारि जाणा पं००-जुत्ते णाममेगे जुत्तसोभे०४. एवामेव चत्वारिपुरिसजाया पंतं- जुत्ते णाममेंगे जुत्तमोभे०४, चत्तारि जुग्गा पं०तं- जुत्तेनाममेगे जुत्ते०४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं०तं०-जुत्ते णाममेगे जुत्ते०४.एवं जधा जाणेण चत्तारि आलावगा तथा जुग्गेणवि. पडिपक्खो तहेव पुग्मिजाता जाब सोभेति। चत्तारि सारही पं० सं०-जोयावइत्ता णामं एगे नो विजोयावइत्ता विजोयावहत्ता नामं एगे नो जोयावइत्ता एगे जोयावइत्तावि विजोयावइनावि एगे नो जोयाबइत्ता नो विजोयावइत्ता, एवामेव चत्तारि हया पं० २० जुत्ते णाम एगे जुत्ते जुत्ते णाममेगे अजुत्ते०४. एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं जुत्ते णाममेगे जुने०४ एवं जुत्तपरिणते डिवक्खो पुरिसजाता। चत्तारि गया पं०तं०-जुत्ते णाममग जुत्त०४.एवामव चत्तारि परिसजाया पं०२०- जुत्ते णाममेगे जुत्ते०४. एवं जहा हयाणं तहा गया. णऽवि भाणियन्त्र, पडिवक्खा तहेव पुरिसजाया। चत्तारि जुग्गारिता पं० २०-पंथजाती णाममेगे णो उप्पहजाती उप्पथजाती णाममेगे णो पंथजाती एगे पंथजातीऽवि उप्पहाजातीऽषि एगे णो पंथजाती णो उप्पहजाती, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया। चत्तारि पुष्पा पं० २०-रूवसंपन्ने नाममेगे णो गंधसंपन्ने गंधसंपन्ने णाममेगे नो रूपसंपन्ने एगे रूपसंपन्नेऽपि गंधसंपन्नेऽवि एगे णो रुवसंपन्ने णो गंधसंपन्ने, एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-रूवसंपन्ने णाममेगे णो सीलसंपन्ने०४, चत्तारि पुरिसजाया पं०० जातिसंपन्ने नाममेगे नो कलसंपन्ने०४, १. चत्तारि पुरिसजाया पं० त० जातिसंपण्णे नामं एगे णो बलसंपन्ने बलसंपन्ने नामं एगे णो जातिसंपन्ने० ४.२, एवं जातीते रुवेण चत्तारि आलायगा ३, एवं जातीते सुएण ४. ४. एवं जातीते सीलेण ४,५, एवं जातीते चरितेण ४, ६, एवं कुलेण चलेण ४, ७, एवं कुलेण रूवेण ४,८. कुलेण सुतेण ४,९, कुलेण सीलेण ४,१०, कुलेण चरित्तेण ४.११. चत्तारि पुरिसजाता पं० २०-बलसंपण्णे नाममेगे णो रुवसंपने०४.१२, एवं बलेण सुतेण ४,१३, एवं बलेण सीलेण ४,१४, एवं बलेण चरित्तेण ४, १५, चत्तारि पुरिसजाया पंतं. रूवसंपन्ने नाममेगे णो सुयसंपण्णे ४,१६, एवं रूवेण सीलेण ४,१७, रुवेण चरित्तेण ४.१८, चत्तारि पुरिसजाता पं०तं०-सुयसंपन्ने नाममेगे णो सीलसंपन्ने०४.१९. एवं सुतेण तेण य ४,२०, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०-सीलसंपन्ने नाममेगनो चरित्तसंपन्ने०४,२१. एते एकवीसं भंगा भाणितवा. चत्तारि फला पं०तं०-आमलगमहरे महितामहरे खीर. 12 महरे खंडमहुरे, एवामेव चत्तारि आयरिया पं० त०-आमलगमहुरफलसमाणे जाव खंडमहुरफलसमाणे, चत्तारि परिसजाया पं००-आतचेतावच्चको नाममेगेनो परवेतावनकरे०४. चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०- करेति नाममेगे वेयावच्च णो पडिच्छइ पडिच्छइ नाममेगे वेयावच्चं नो करेइ०४, चत्तारि पुरिसजाता पं० तं०-अट्ठकरे णाममेगे णो माणकरे माणकरे णाममेगे णो अट्टकरे एगे अट्ठकरेऽवि माणकरेऽवि एगे णो अट्टकरे णो माणकरे, चत्तारि पुरिसजाता पं० त०-गणट्टकरे णाममेगे णो माणकरे०४, चत्तारि परिसजाता पं० ते०- गणसंग्गहकरे णाममेगे णो माणकरे ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-गणसोभकरे णाम एगं णो माणकरे०४, चत्तारि परिसजाया पं० २०-गणसोहिकरे णाममेगे नो माणकरे०४, चत्तारि पुरिसजाया पं००-रूवं नाममेगे जहति नो धम्मं धम्म नाममेगे जहति नो रुवं एगे रूबंपि जहति धम्मपि जहति एगे नो रूवं जहति नो धम्म, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-धर्म नाममेगे जहति नो गणसंठिति०४, चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-पियधम्मे नाममेगे नो दढधम्मे दढधम्मे नाममेगे नो पितधम्मे एगे पियधम्मेऽवि दढधम्मेऽपि एगे नो पियधम्मे नो दढधम्मे, चत्तारि आयरिया पं० २०. पचायणायरिते नाममेगे णो उवट्ठावणायरिते उवट्ठावणायरिए णाममेगे णो पञ्चायणायरिए एगे पचायणातरितेऽवि उवट्ठावणातरितेऽवि एगेनो पचायणातरितेनो उद्दावणातरित धम्मायरिए ४.चत्तारि आयरिया ५००- उद्देसणायरिए णाममेगे णो वायणायरिए. धम्मायरिए ४, चत्तारि अंतेवासी पं०० पायर्णतेवासी नामं १०१ स्थानांग-6101-3 मुनि दीपरत्नसागर Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ । न एगे जो उबट्टावणंतेवासी० धम्मंतेवासी ४, चत्तारि अंतेवासी पं० तं०-उद्देसणंतेवासी नाम एगे नो वायणंतेवासी० धम्मतेवासी ४, चत्तारि निग्गंथा पं० त०-रातिणिये समणे निम्गंथे महाकम्मे महाकिरिए अणायावी असमिते धम्मस्स अणाराधते भवति १राइणिते समणे निम्गंथे अप्पकम्मे अप्पकिरिते आतापी समिए धम्मस्स आराहते भवति २ ओमरातिणिते समणे निग्गंधे महाकम्मे महाकिरिते अणातावी असमिते धम्मस्स अणाराहते भवति ३ ओमरातिणिते समणे निग्गंधे अप्पकम्मे अप्पकिरिते आतावी समिते धम्मस्स आराहते पं०२०-रातिणिया समणी निम्गंधी-एवं चेव४. चत्तारि समणोवासगा पं० तं०-रायणिते समणोवासए महाकम्मे० तहेव४,चत्तारि समणोवासिताओ पं० तं०-राइणिया समणोवासिता महाकम्मा० तहेव पत्तारि गमा।३२०॥ चत्तारि समणोवासगा पं० ते- अम्मापितिसमाणे भातिसमाणे मित्तसमाणे सवत्तिसमाणे, चत्तारि समणोवासमा पं० तं०-अदागसमाणे पटागसमाणे खाणुसमाणे सरकंटयसमाणे । ३२१। समणस्स णं भगवतो महावीरस्स समणोवासगाणं सोधम्मकप्पे अरुणाभे विमाणे चत्तारि पलिओवमाइं ठिती पन्नत्ता।३२२। चरहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसुइच्छेज्जा माणुसं लोग हबमागच्छित्तते णो चेव णं संचातेति हवमागच्छित्तते,तं०- अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिल्वेसु कामभोगेसु सुच्छिते गिद्धे गढिते अज्झोक्यन्ने से णं माणुस्सए कामभोगे नो आढाइ नो परियाणाति णो अटुं बंधइ णो णिताणं पगरेति णो ठितिपगप्पं पगरेति १ अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिवेसु कामभोगेसु मुच्छिते. तस्स णं माणुस्सते पेम्मे वोच्छिन्ने दिव्ये संकंते भवति २ अहुणोक्वन्ने देवे देवलोएस दिव्येसु कामभोगेसु मुच्छिते. तस्स णं एवं भवतिइण्डिं गच्छं मुहुत्तेणं गच्छं तेणं कालेणमप्पाउया मणुस्सा कालधम्मुणा संजुत्ता भवंति ३ अहुणोववन्ने देवे देवलोएम दिब्बेसु कामभोगेसु मुच्छिते. तस्मणं माणुस्सए गंधे पडिकले पडिलोमे तापि भवति, उदंपिय णं माणुस्सए गंधे जाव चत्तारि पंच जोयणसताई हव्वमागच्छति ४. इबेतेहिं चरहिं ठाणेहिं अटुणोववष्णे देवे देवलोएसु इच्छेजा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तए णो चेवणं संचातेति हवमागच्छित्तए। चउहिं ठाणेहिं अहुणोववन्ने देवे देवलोएम इच्छेजा माणुसं लोगं हवमागच्छित्तते संचाएइ हबमागच्छित्तए, तं-अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु दिवेसु कामभोगेसु अमुच्छिते जाव अणज्झोववन्ने तस्स णं एवं भवति-अस्थि खलु मम माणुस्सए भवे आयरितेति वा उवज्झाएति वा पवत्तीति या थेरेति वा गणीति वा गणधरत या गणावच्छेएति वा जेसि पभावणं मएइमा एतारूवा दिघा देविड्ढी दिशा देवजत्ती लद्धा पत्ता अभिसमन्नागया,तं गच्छामि णं ते भगवते वदामि जाच पजवासामि अहुणोववन्ने देवे देवलोएसु जाव अणज्झऐववन्ने तस्स णमेवं भवति-एस णं माणुस्सए भवे णाणीति वा तवस्तीति वा अइदुकरदुकरकारते तं गच्छामि णं ते भगवते बंदामि जाव पवासामि२ अहुणोक्वन्ने देवे देवलोएमु जाव अणज्झोववन्ने तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम माणुस्सए भवे माताति वा जाव सुण्हाति वा तं गच्छामि णं तेसिमंतितं पाउम्भवामि पासंतु ता मे (इमे पा०) इममतारुवं दिवं देविदि दिवं देवजुत्ति लदं पत्तं अभिसमन्नागतं ३ अहुणोववन्ने देवे देवलोगेसु जाव अणज्झोववन्ने तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम माणुस्सए भवे मित्तेति वा सहीति वा सुहीति वा सहाएति वा संगएति वा तेसिं च णं अम्हे अन्नमन्नस्स संगारे पडिसुते भवति जो मे पुष्विं चयति से संबोहेतवे, इच्चेतेहिं जाव संचातेति हवमागच्छित्तते ४।३२३। चडहिं ठाणेहि लोगंधगारे सिया, तं-अरहंतेहिं योच्छिज्जमाणेहिं १ अरसंतपन्नत्ते धम्मे वोच्छिज्जमाणे २ पुत्वगते बोच्छिज्जमाणे ३जायतेते वोच्छिजमाणे ४ । चउहि ठाणेहि लोउज्जोते सिता, तं० अरहतेहिं जायमाणेहि १ अरहतेहिं पक्वतमाणेहि २ अरहंताणं णाणुष्पायमहिमासु ३ अरहंताणं परिनिवाणमहिमासु ४, एवं देवंधगारे देवजोते देवसन्निवाते देवकालताते देवकहकहते, चउहि ठाणेहिं देविंदा माणुस्सं लोगं हवमागच्छंति एवं जहा तिठाणे जाव लोगंतिता देवा माणुस्सं लोग हब्वमागच्छेजा, तं०अरहंतेहिं जायमाणेहिं जाय अरिहंताणं परिनिव्वाणमहिमासु ।३२श चत्तारि दुहसेजाओ पं०, तत्थ खलु इमा पढमा दुइसेज्जा तं-से णं मुंडे भवित्ता अगारातो अणगारियं पवतिते निरगंथे पावयणे संकिते कंखिते वितिगिच्छिते भेयसमावन्ने कलुससमावन्ने निग्गंथं पावयणं णो सदहति णो पत्तियति णो रोएइ. निग्गंध पावयणं असदहमाणे अपत्तितेमाणे अरोएमाणे मणं उच्चावतं नियच्छति विणिघातमावजति पढमा दुहसेजा १ अहावरा दुचा दुहसेज्जा-सेणं मुंडे भवित्ता आगारातो जाव पवतिते सएणं लाभेणं णो तुस्सति परस्स लाभमासाएति पीहेति पत्थेति अभिलसति परस्स लाभमासाएमाणे जाव अभिलसमाणे मणं उच्चावयं नियच्छइ विणिघातमाक्जति दोचा दुहसेज्जा २ अहावरा तच्चा दुहसेज्जा-से णं मंडे भवित्ता जाय पचहए दिवमाणस्सए कामभोगे आसाएछ जाव अभिलमति दित्रमाणुस्सए कामभोगे आसाएमाणे जाव अभिलसमाणे मणं उच्चावयं नियच्छति विणिघातमावजति तचा दुहसेज्जा३ अहावरा चउत्था दुद्दसेजा-सेणं मुंडे जाव पव्वइए तस्स णमेवं भवति जया णं अहमगारवासमावसामि तदा णमहं संवाहणपरिमद्दणगातम्भंगगातुच्छोलणाईलभामि जप्पभिई च णं अहं मुंडे जाव पचतिते तप्पभिई च णमहं संवाहण जाव गातुच्छोलणाई णो लभामि, से णं संवाहण जाव गातुच्छोलणाई आसाएति जाव अभिलसति से णं संवाहण १०२ स्थानांगं - 60-7 मुनि दीपरत्नसागर Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जाव गातुच्छोलणाई आसाएमाणे जाब मणं उच्चावतं नियच्छति विणिघायमाक्जति, चउत्था दुहसेज्जा ४। चत्तारि सुहसेजाओ पं०, तत्थ खल इमा पढमा सुहसंजा-से णं 8 मुंडे भवित्ता आगारातो अणगारियं पव्वतिए निग्गंथे पावयणे निस्संकिते णिकंखिते निवितिगिच्छिए नो भेदसमावन्ने नो कलुससमावन्ने निग्गंथं पावयणं सहहइ पत्तियइ रोतेति निग्गंधं पावयणं महहमाणे पत्तितेमाणे रोएमाणे नो मणं उच्चावतं नियच्छति णो विणिघातमारजति, पढमा सुहसेज्जा १ अहाचरा दोच्चा सुहसेज्जा-से णं मुंडे जाय पञ्चतिते सतेणं लाभेणं तुस्सति परस्स लाभ णो आसाएति णो पीहेवि णो पत्थेइ णो अभिलसति परस्स लाभमणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे नो मणं उच्चावतं णियच्छति णो विणिघातमावजति, दोचा सुद्दसेज्जा २ अहावरा तथा सुहसेज्जा-से णं मुंडे जाव पव्वइए दिवमाणुस्सए कामभोगे णो आसाएति जाब नो अभिलस्सति दिवमाणुस्सए कामभोगे अणासाएमाणे जाव अणभिलसमाणे नो मणं उच्चावतं नियच्छति णो विणिघातमावजाति, तथा सुहसेज्जा ३ अहावरा चउत्था सुहसेज्जा-से णं मुंडे जाव पञ्चतिते तस्स णं एवं भवति-जइ ताव अरहंता भगवंतो हट्टा आरोग्गा बलिया कसरीरा अन्नयराई ओरालाई कडाणाई विउलाई पयताई पम्महिताई महाणुभागाई कम्मक्खयकारणाई तबोकम्माई पडिवजंति किमंग पुण अहं अम्भोवगमिओवक्कमियं वेयणं नो सम्मं सहामि खमामि तितिक्खेमि अहियासमि? ममं च णं अभावगमिओवकमियं० सम्ममसहमाणस्स अक्खममाणस्स अतितिक्बमाणस अणहियासेमाणस्स किं मन्ने कजति ?. एगंतसो मे पावे कम्मे कज्जति, ममं च णं अब्भोवगमिओ जाव सम्म सहमाणस्स जाव अहियासेमाणस्स किं मन्ने कजति ?. एगंतसो मे निजरा कजति, चउत्था सुहसज्जा ४३२५। चत्तारि अवायणिज्जा पं० तं०-अविणीए विगईपडिबद्ध अविओसवितपाहुडे माई, चत्तारि पातणिज्जा पं० तं-विणीते अविगतीपडिबई वितासवितपाहुडे अमाती।३२६॥ चत्तारि पुरिसजाया पं००-आतंभरे नाममेगेनो परंभर परंभरनाममेगेनो आतंभरे एगे आतंभरेऽवि परंभरेऽपि एगेनो आर्यभरे नो परंभरे, चत्तारि परिसजाया पंतं-दुग्गए नाममेगे दुग्गए दुग्गए नाममेगे सुग्गत सुग्गतेनाममंगे दुग्गए सुग्गए नाममेगे सुग्गए, चत्तारि पुरिसजाया पं० सं०- दुग्गते नाममेगे दुव्बए दुग्गए नाममेगे सुब्बए सुग्गए नाममेगे दुब्बते सुग्गए नाममेगे सुब्बए ४, चत्तारि पुरिसजाया पं०-दुग्गते नाममेगे दुष्पडिताणंदे दुग्गते नाममेगे सुप्पडिताणंदे०४. चत्तारि पुरिसजाया पंत-दुग्गते नाममेगे दुग्गतिगामी दुग्गए नाममेगे सुग्गतिगामी ४, चत्तारि पुरिसजाया पं० २०-दुग्गते नागमगे दुग्गतिं गते दुग्गते नाममंगे सुगतिं गते ४. चत्तारि परिसजाता पं० त० तमे नाममेगे तमे तमे नाममेगे जोती जाती णाममेगे तमे जोती णाममेगे जोती ४. चत्तारि पुरिसजाता पं००-तमे नाममेगे तमबले तमे नाममेगे जातिचले जाती नाममेगे तमचले जोती नाममेगे जोतीवले. चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-तमे नाममेगे तमचलपलजणे (पज्जलणे पा०) तमे नाममेगे जोतीचलपलजणे०४. चत्तारि पुरिसजाता पं० २०-परिन्नायकम्मे नाममेगे कानो परिजातसन्ने परिन्नातसने णाममंग णो परिन्नातकम्मे एगे परिन्नातकम्मवि०४. चत्तारि परिसजाता पं००-परिणातकम्मे नाममेगे नो परिन्नातगिहावासे परित्रातगिहानासे णाम एगे णो परिन्नातकम्मे०४, चत्तारि पुरिखजाता पं० सं०-परिण्णायसन्ने णाममेगे नो परिन्नातगिहावासे परिन्नातगिहावासे णाम एगे०४, चत्तारि पुरिसजाता पं० सं०-इहत्थे णाममेगे नो परत्थे परत्थे नाममंगे नो इहत्थे०४, चत्तारि पुरिसजाता पं० त०-एगेणं णाममेगे वहढति एगेणं हायति एगेणं णाममेगे वड्डइ दोहिं हायति दोहि णाममेगे बढति एगणं हानति एगे दोहिं नाममेगे बढति दाहिं हायति, चत्तारि कंथका (पकंथका पा०)पं० तं०-आइन्ने नाममेगे आइन्ने आइन्ने नाममेगे खलंके खलंके नाममेगे आइन्ने खलंके नाममेगे खलंक ४, एवामेव चत्नारि पुरिसजाता पं० २०-आइन्ने नाममेगे आइन्ने० चउभंगो, चत्तारि कंथगा पं०तं.-आतिन्ने नाममेगे आतिन्नताते विहरति (वहइ पा०) आइन्ने नाममेगे खलंकताए विहरति०४. एवामेव चत्तारि परिसजाता पं०तं०- आइने नाममेगे आइन्नताए विहरइ० चउभंगो, चत्तारि पकंथगा पं०२०-जातिसंपन्ने नाममेगेणो कुलसंपन्ने०४.एवामेव चत्तारि पुग्सिजाता पं० २० जातिसंपन्ने नाममेगे चउभंगो, चत्तारि कंथगा पं० तुं०-जातिसंपन्ने नाममेगे णो बलसंपन्ने०४. एवामेव चत्तारि पुरिसजाता पं० त०-जातिसंपन्ने नाममेगे णो बन्दसंपण्णे ४.चनारि कंथगा पं० तं-जानिसंपन्ने णाममेगे णो रूवसंन्ने०४, एवामेव चत्तारि परिसजाता पं० तं०-जातिसंपन्ने नाममेगे णो रूपसंप्पण्णे०४. चत्तारि कंथगा पं० २-जाइमपन्ने णाममेगे णो जयसंपण्णे०४, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-जातिसंपन्ने०४. एवं कुलसंपन्नेण य चलसंपण्णेण त ४.कुलसंपन्नेण य रूवसंपण्णण तर कुलसंपण्णेण त जयसंपन्नेणत एवं बलसंपन्नेण न रुवसंपन्नण तबलसंपन्नेण त जयसंपण्णेण त ४, सनत्य पुरिसजाया पडिवक्खो, चत्तारि कंथगा पं० त०-रूवसंपन्ने. | णाममेगे णो जयसंपन्ने०४, एवामेव चत्तारि परिसजाया पंत-रूपसंपण्णे नाममेगे णो जयसंपण्णे०४, चत्तारि पुरिसजाया पं० तंजहा-सीहत्ताते णाममेगे निक्खंते सीहत्ताते | बिहरइ सीहत्ताने नाममेगे निक्वते सियालत्ताए विहरइ सियारत्ताए नाममेगे निक्खंते सीहत्ताए विहरइ सियालत्ताए नाममेगे निक्खते सियालत्ताए विहरइ ।३२७। चत्तारि लोगे १०३म्थानांगं - ठाणे मुनि दीपरत्नसागर Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ समा पं० सं०-अपइहाणे नरए १जंबुद्दीवे दीवे २ पालते जाणविमाणे ३ सबट्ठसिद्ध महाविमाणे ४, चनारि लोगे समा सपक्खि सपडिदिमि पं० नं.-सीमंतए ना समयक्वेने PA उडुपिमाणे ईसीपम्भारा पुढवी।३२८। उड्ढलोगे णं चत्तारि चिसरीरा पं० तं०- पुढवीकाइया आउ० वणस्मइ उराला तमा पाणा १ अहोलोगे णं चत्तारि बिसरीरा पं० नं०-एवं चेव. एवं तिरियलोएवि । ३२९। चत्तारि पुरिसजाया पं० सं०-हिरिसत्ते हिरिमणसत्ते चलसत्ते थिरसत्ते । ३३०। चत्तारि सिजपडिमाओ पं०, चन्दारि बत्यपडिमाओ पं०, चत्तारि पायपडिमाओ पं०. चत्तारि ठाणपडिमाओ पं०।३३१श चत्तारि सरीरगा जीवफुडा पं० तेक वे उदिवए आहारए नेयए कम्मए, चनारि सरीरमा कम्मम्मीमगा पं० नं.-ओगलिए वेठ थिए आहारते तेउते।३३२। चउहिं अस्थिकाएहिं लोगे फुडे पं० तं०-धम्मन्थिकाएक अधम्मस्थिकाएणं जीवस्थिकाएणं पुग्गलस्थिकाएणं, चउहि बादरकानहिं उववजमाणेहिं लोगे । फुडे पं० २०-पुडविकाइएहि आउ० वाउ० वणस्सइकाइएहि।३३श चत्तारि पएसग्गोणं तुड़ा पं० २०-धम्मस्टिकाए अधम्मन्थिकाए लोगागासे एगजीवे ।३३४ा चउण्हमेगं सरीरं नो सुप्पस्सं (पस्सं पा०) भवइ. तं०- पुढविकाइयाणं आउ० तेउ वणस्सकाइयाणं । ३३५। चत्तारि इंदियन्था पुट्ठा वेदेति, नं०-सोनिंदियन्थे पाणिदियन्ये जिभिदियत्ये फामिदियाय 1३३६। चउहि ठाणेहिं जीचा य पोग्गला य णो संचातेनि चहिया लोगंता गमणतात. तं०-गतिअभावणं णिरुवम्गद्दताते लुक्खताते लोगाणभावेणं । ३३७ उबिहे णाने पं.नंआहरणे आहरणतहेसे आहरणतदोसे उक्नासोवणए १, आहरणे चाउधिहे पं० नं-अवाते उवाते ठवणाकम्मे पड़प्पन्नविणासी २, आहरणतसे चढविहे पं० नं-अणुसिट्ठी उबालंभे पृच्छा निस्सावयणे ३, आहरणतहोसे चउबिहे पं० त०-अधम्मजुत्ते पडियोमे अनोवणीत दुरूवणीते ४, उपन्नासोवणए चाउधिहे पं० नंतवत्थुने नदन्नवथुने पडिनिभे हेतृ ५.हेऊ चाउबिहे पं० २०-जावते थावते वंसते लूसते. अथवा हेऊ चउबिहे पं० नं०-पचकवे अणुमाणे ओचम्मे आगमे, अहवा हेऊ चउबिहे पं० २०-अस्थित्तं अस्थि सो हेऊ १ अन्थिनं णन्थि सो हेऊ२ णस्थित्ते अस्थि सो हेऊ३णस्थित्ते णस्थि सो हेऊ४।३३८ा चउबिहे संखाणे पंत-पडिकम्म १ ववहारे २ र ३ रासी ४॥ अहोलोगे णं चत्तारि अंधगारं करेंति. तं-नग्गा जेरइया पावाई कम्माई असुभा पोग्गला १ तिरियलोगे णं चत्तारि उज्जोनं करेंति. नं०-चंदा सरा मणी जोनी २ उहालोगे णं चनारि उजोतं करेंनि. नं- देवा देवीओ विमाणा आभरणा ३।३३९॥४३०३॥ चत्तारि पसप्पगा पं० २०-अणुप्पन्नाणं भोगाणं उप्पाएना एगे पसप्पए पृथ्युपत्राण (पप्पमार्ण पा०) भोगाणं अविष्पतोगेणं एगे पमप्पते अणणमाणं सोक्खाणं उपाइत्ता एगे पसप्पए पुचुप्पनाणं सोक्खाणं अविष्पओगेणं एगे पसप्पए।३४०॥णेरतिताणं पउधिहे आहारे पं० तं०-इंगालोवमे मुम्मरोवमे मीतले हिमसीतले. तिरि. क्खजोणियाणं चाउविहे आहारे पं० त०-कंकोबमे बिलोबमे पाणमंसोवमे पुत्तमंसोबमे. मणुस्साणं चउबिहे आहारे पं० त० असणे जाव सातिमे, देवाणं चउबिहे आहारे पं० तं-बन्नमंते गंधमंते रसमंते फासमंत।३४शचत्तारि जातिआसीविसा पं० तं-विच्छ्तजातीयासीबिसे मंडवजातीयासीविसे उरगजातीयासीविसे मणुस्सजातिआसीविसे. विच्छ्यजातिआसीविसस्म णं भंते ! केवइए विसए पन्नने?. पणं विच्छ्यजातिआसीविस अदभरहप्पमाणमेनं बोंदि विसेणं विसपरिणयं विसट्टमाणि करिनए विसए से विसठ्ठताए नो चेव णं संपनीए करेंसु वा करेंनि वा करिस्संति वा. मंडकजातिआसीविसस्स पुच्छा. पभ णं मंडकजातिआसीबिसे भरहप्पमाणमेत्तं बोंदि विसणं विसट्टमाणिं सेसं तं चव जाव करेस्संति वा. उरगजातिपुच्छा, पभू णं उरगजानिआसीबिसे जंबुद्दीवपमाणमेनं बोंदि विसेणं सेसं तं चेव जाव करेस्संनि वा, मणुस्सजानिपुच्छा. पभू णं मणुस्मज्ञानिआमाविसे समनखेत्तपमाणमेनं बोदिं विसेणं विसपरिण(ग पा)तं विसहमाणि करेत्तए, विसते से विसद्रुताते नो चेव णं जाव करिस्संति वा । ३४२। चउबिहे याही पं० २०-वातित पिलिते सिंभिते सन्निवानित. चउधिहा तिगिच्छा पं० तं-बिजो ओसधाई आउरे परिचारने १।३४३। चत्तारि तिगिच्छगा पंतं-आततिगिच्छने नाममेगे णो परतिगिच्छते? परतिगिच्छए नाममेगे०४.२.12 चत्तारि पुरिसजाया पंदन-वणकरे णाममेगे नो वणपरिमासी वणपरिमासीनाममेगे णा वणकरे एगे वणकरेऽवि वणपरिमासीऽपि एगेणो वणकर णो व जाया पं०२०-वणकरे नाममेगे णो वणसारखी ४.२, चत्नारि पुरिसजाया पं० तं-वणकरे नामं एगे णो वणसरोही ४.३. चत्तारि वणा पं० तं-अंतोसाड़े नाममेगे णो बाहिंसाडे ४.१, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०- अंतोमड़े णाममेगे णो बाहिंसः ४.२. चनारि वणा पं० तं-अंतोदुढे नामं एगे णो बाहिंदुढे चाहिंदुट्टे नाम एगे नो अंतो०४.३, एवामेव चत्तारि परिसजाया पं०२०-अंतोडे णो चाहिंडे०४.४, चत्तारि पुरिमजाया पं० तं-सतंसे णाममेगे सेयंसे सेयंसे नाममेगे पावसे पावसे णामं एगे सेयंसे पावंसे णाममेगे पार्वमे १, चनारि परिसजाया पं० नं-मेतंसे णाममेगे सेतंसेत्ति मालिसए सेतंसे णाममेगे पावसत्ति सालिसते.४.०. चत्तारि परिसा पं.नं-सेतंसेत्ति णाममंगे सेतंसेत्ति मणति सेतंसेत्ति णाममेगे पावंसेनि मण्णनि०४,३, चत्तारि परिसजाता पं० त० सेयंसे णाममेगे सेयंसेत्ति सालिसते मन्नति सेतंसे णाममंगे पावंसेनि सालिसते मन्नतिः४.४. चत्तारि पुरिसजाता पं० तं-आपतित्ता णाममेगे णो परिभावइत्ता परिभावइत्ता णाममेगे णो आघवतित्ता०४,५, चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-आघवतित्ता णाममंगे नो उंछजीविसंपन्ने (२६) १०४ स्थानांग - 8700-3 मुनि दीपरत्नसागर Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उंछजीविसंपन्ने णाममेगे णो आघवइत्ता ४, ६, बउबिहा रुक्सविषणा पं० सं०-पबालत्ताए पत्तत्ताए पुष्फत्ताए फलत्ताए।३४४ाचत्तारि वातिसमोसरणा पं० २०-किरियावादी || अकिरियावादी अन्नाणितवादी वेणतियवादी । णेरइयाणं चत्तारि वादिसमोसरणा पं० त०-किरियावादी जाव वेणतितवादी, एवमसुरकुमाराणऽवि जाव थणियकुमाराणं, एवं विगलिंदि माणियाणं । ३४५। चत्तारि मेहा पं० तं०-गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता बासित्ता णाममेगे णो गजित्ता एगे गजित्तावि वासित्तावि एगे णो गजित्ता णो वासित्ता १. एवामेव चत्तारि परिसजाया पं०1०-गजित्ता णाममेगे णो वासित्ता०४,२, चत्तारि मेहा पं००-गजित्ता णाममेगे णो विजयाइत्ता विजुयाइत्ता णाममेगे०४,३, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-गजित्ता णाममेगे णो विजुयाइत्ता०४,४, चत्तारि मेहा पं० तं०-वासित्ता णाममेगेणो बिजुयाइत्ता०४.५, एवामेव चत्तारि पुरिम वासित्ता णाममेगे णो विजुया. इना.४,६, चत्तारि मेहा पं० सं०- कालवासी णाममेगे णो अकालवासी०४,७, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-कालवासी णाममेगे नो अकालवासी०४,८, चत्तारि मेहा पं० त०. खेतवासी णाममेगे णो अखित्तवासी०४,९. एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० २०-खेत्तवासी णागमेगे णो अखेत्तवासी०४,१०, चत्तारि मेहा पं० २० जणतित्ता णाममेगे णो णिम्मवइना णिम्मवइत्ता णाममेगे णो जणतित्ता०४, ११, एवामेव चत्तारि अम्मापियरो पं० त०-जणइत्ता णाममेगे णो णिम्मवइत्ता०४.१२. चत्तारि मेहा पं० २० देसवासी णाममेगे णो सववासी०४,१३, एवामेव चत्तारिरायाणो पं० सं०-देसाधिवती णाममेगे णो सवाधिवती०४.१४३४६। चत्तारि मेहा पं० तं-पुक्खलसंवढ़ते पजुन्ने जीमूते जिम्हे, पुरवलसंवट्टए णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वाससहस्साई भावेति, पजुन्ने णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वाससयाई भावेति, जीमूते णं महामेहे एगेणं वासेणं दस वासाई भावेति.जिम्हे णं महामेहे वहहिं वासेहिं एगं वासं भावेति वा ण वा भावेइ १५॥३४७। चत्तारि करंडगा पं० तं०-सोवागकरंडते वेसिताकरंडते गाहावतिकरंडते रायकरंडते १६. एवामेव चत्तारि आयरिया पं० त०-सोवागकरंडगममाणे वेसिताकरंडगसमाणे गाहावइकरंडगममाणे रायकरंडगसमाणे १७॥३४८चत्तारि रुक्या पं०२०-साले नाममेगे सालपरियाते साले नाममेगे एरंडपरियाए एरंडे० ४.१८ एवामेव चत्तार आयरिया पं० सं०- साले णाममेगे सालपरियाते साले णाममेगे एरंडपरियाए एरंडे णाममेगे०४.१९ चत्तारि सक्या पं०२० साले णाममेगे सालपरिवारे ४,२० एवामेव चत्तारि आयरिया पं० त० साले नाममेगे सालपरिवारे०४,२१ सालदुममज्झयारे जह साले णाम होइ दुमराया। इय सुंदरआयरिए सुंदरसीसे मुणेयवे ॥२१॥ एरंडमज्झयारे जह साले णाम होइ दुमराया। इय सुंदरआयरिए मंगुलसीसे मुणयचे ॥२२॥ सालदुममज्झयारे एरंडे णाम होति दुमराया। इय मंगुलआयरिए सुंदरसीसे मुणेयवे ॥२३॥ एरंडमज्झयारे एरंडे णाम होइ दुमराया। इय मंगुलआयरिए मंगुलसीसे मुणेयवे ॥२४॥ चत्तारि मच्छा पं० २० अणुसोयचारी पडिसोयचारी अंतचारी मज्झचारी, २२ एवामेव चत्तारि भिक्खागा पं० त० अणुसोयचारी पडिसोयचारी अंतचारी मज्झचारी, २३ चत्तारि गोला पं० तं-मधुसिस्थगोले जउगोले दारुगोले मट्टियागोले. २४ एवामेव चत्तारि परिसजाया पं० सं०-मधुसिस्थगोलसमाणे० ४,२५ चत्तारि गोला पं०२०-अयगोले तउगोले तंबगोले सीसगोले, २६एवामेव चत्तारि परिसजाया पं०० अयगोलसमाणे जाव सीसगोलसमाणे,२७चत्तारि गोला पं० सं०-हिरण्णगोले सुबनगोले रयणगोले वयरगोले,२८ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं०२०-हिरण्णगोलसमाणे जाव बहरगोलसमाणे, २९ चत्तारि पत्ना पं० त०-असिपत्ते करपत्ते खुरपने कलम्बचीरितापत्ते, ३० एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-असिपत्तसमाणे जाव कलंबीरितापत्तसमाणे, ३१ चत्तारि कडा पं० त०-सुंचकडे विदलकडे चम्मकडे कंचलकडे, ३२ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० त०-मुंबदलकडसमाणे जाव कंबलकड़समाणे ३३१३४९। चउबिहा चउप्पया पं० ०. एगखुरा दुखुरा गंडीपदा सणप्फदा. ३४ चउचिहा पक्खी पं० नं०-चम्मपक्खी लोमपक्खी समुग्गपक्षी विततपक्षी, ३५ चउश्विहा खुड्डपाणा पं० २०-बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया समुच्छिमपंचिंदियतिरिक्खजोणिया ३६।३५०। चत्तारि पक्खी पं० तं०-णिवत्तित्ता णाममेगे नो परिवतित्ता परिवइत्ता नाम एगे नो निवइना एगे निवतित्तावि परिवतित्तावि एगे नो निवतित्ता नो परिवतिना, ३७ एवामेव चत्तारि भिक्खागा पं०२०-णिवतित्ता णाममेगे नो परिवतित्ता०४.३८।३५१। चत्तारि पुरिसजाया पं०२०-णिकट्टे णाममेगे | णिकट्टे निक्कडे नाममेगे अणिकटे ४.३९ चत्तारि पुरिसजाया पं० सं०-णिक्कट्टे नाममेगे निकटुप्पा निकटे नाममेगे अनिकट्टप्पा०४.४० चत्तारि पुरिसजाया पं० तं-बहे नाममेगे बुहे बुहे नाममेगे अबुहे.४,४१ चत्तारि पुरिसजाया पं०२०-बुधे नाममेगे बुधहियए ४,४२ चत्तारि पुरिसजाता पं० ते०-आयाणुकंपते णाममेगे नो पराणुकंपते ४,४३।३५२। |चउबिहे संवासे पं० २०-दिवे आसुरे रक्खसे माणुसे १, चउविधे संवासे पं० तं०-देवे णाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे असुरीए सद्धि संवासं गच्छति अमुरे णाममंगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छा असुरे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति २, चउविधे संवासे पं० २०-देवे नाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति देवे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवास १०५ स्थानांगं - ठाण मुनि दीपरत्नसागर Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ गच्छति रक्खसे नाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छति रक्खसे नाममेगे रक्खसीए साद संवासं गच्छति ४, ३, चउविधे संवासे पं० तं देवे नाममेगे देवीए सद्धिं संवामं गच्छनि देवे नाममेगे मणुस्सीहि सदि संवामं गच्छति मणुस्से नाममेगे देवीहिं सद्धिं संवासं गच्छति मणुस्से नाममेगे मणुस्सीइ सद्धिं संवासं गच्छति ४, ४ चउविधे संवासे पं० नं० असुरे णाममेगे असुरीए सदि संवासं गच्छति असुरे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति० ४, ५, चविधे संवासे पं० तं० असुरे नाममेगे असुरीए सद्धिं संवासं गच्छति असुरे णाममेगे मणुस्सीए सद्धि संवासं गच्छति० ४. ६. चउष्विधे संवासे पं० तं०-रक्खसे नाममेगे रक्खसीए सद्धिं संवासं गच्छति रक्खसे नाममेगे माणुसीए सद्धिं संवासं गच्छति० ४ ७।३५३ । बिहे असे पं० नं० आसुरे आभिओगे संमोहे देवकिब्बिसे, चउहिं ठाणेहिं जीवा आसुरत्ताते कम्मं पगति, तं०-को सीलता पाहुडसीलयाते संसप्ततवोकम्मेणं निमित्ताजीवयाते, चउहि ठाणेहिं जीवा आभिओगनाते कम्मं परेति तं अनुकोसेणं परपरिवाणं भूतिकम्मेणं कोउयकरणेणं, चउहिं ठाणेहिं जीवा सम्मोहत्ताते कम्मं पगरेंति, तं० उम्मग्गदेसणाए मगंतरापुर्ण कामासंसपओगेणं भिज्जानियाणकरणेणं, चउहिं ठाणेहिं जीवा देवकिब्बिसियत्ताते कम्मं पगरेंति तं०-अरहंताणं अवन्नं वयमाणे अरहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अवन्नं वयमाणे आयरिवउवज्झायाणमवन्नं वदमाणे चाउवन्नस्स संघस्स अवन्नं वदमाणे । ३५४। चउब्विा पव्वज्जा पं० तं० इहलोगपडिवदा परलोगपडिवद्धा दुहतोलोगपडिवदा अप्पडिबद्धा १, चडव्हिा पवजा पं० [सं० पुरओपडिपदा मग्गओपडिवदा दुहतोपडिबद्धा अपडिबद्धा २, चउव्विहा पव्वज्जा पं० तं० ओवायपव्वज्जा अक्खातपव्वज्जा संगारपव्वज्जा विहगगइपव्वज्जा (विहगपब्बा पा० ) ३ चउब्विा पव्वज्जा पं० तं० तुयावइत्ता (उयावइत्ता पा० ) पुयावइत्ता बुयावइत्ता (मोयावइत्ता पा० ) परिपूयावइत्ता ४, चउब्विहा पव्वज्जा पं० नं०-नडवइया भडखइया सीहखइया सियालक्खइया ५, चउब्विहा किसी पं० तं० वाविया परिवाविया निंदिता परिणिदिता ६, एवामेव चउब्विा पव्वज्जा पं० तं० वाविता परिवाविता णिदिता परिणिदिता ७ चउब्विा पव्वज्जा पं० तं०-धन्नपुंजितसमाणा धन्नविरहितसमाणा धन्नविक्खित्तसमाणा धन्नसङ्घट्टितसमाणा ८ । ३५५॥ चत्तारि सन्नाओ पं० तं० आहारसन्ना भयसन्ना मेहुणसन्ना परिग्गहसन्ना १. चउहिं ठाणेहिं आहारसन्ना समुप्पज्जति, तं० ओमको ताते १ छुहावेयणिजस्स कम्मस्स उदएणं २ मतीते ३ तदट्ठोवओगेणं ४, २ चउहिं ठाणेहिं भयमन्ना समुष्पजति नं०-हीणसन्नत्ताते भयवेयणिज्जस्स कम्मस्स उदएणं मतीते तदट्ठोवजोगेणं ३ चउहिं ठाणेहिं मेहुणसन्ना समुप्पज्जति, तं० चितमंससोणिययाए मोहणिजस्स कम्मस्स उदपूर्ण मतीने तदोवओगेणं ४ चउहिं ठाणेहिं परिग्गहसन्ना समुप्पज्जइ, तं० अविमुत्तयाए लोभवेयणिञ्चस्स कम्मस्स उदपूर्ण मतीते तदोवओगेणं ५। ३५६१ विहाकामा पं० नं०- सिंगारा कलणा बीभत्मा रोहा, सिंगारा कामा देवाणं करुणा कामा मणुयाणं बीभत्सा कामा तिरिक्खजोणियाणं रोदा कामा णेरइयाणं । ३५७। चत्तारि उदगा पं० नं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदए उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदए गंभीरे णाममेगे उत्ताणोदए गंभीरे णाममेगे गंभीरोदए १ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० नं० उत्ताणे नाममेगे उत्ताणहिदए उताणे णाममेगे गंभीरहिदए० ४ २ चत्तारि उदगा पं० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी० ४.३ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० नं० उत्नाणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे नाममेगे गंभीरोमांसीः ४, ४ चत्तारि उदही पं० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोदही उत्ताणे णाममेगे गंभीरोदही ० ४.५ एवामेव चत्तारि पुरिसजाना पं० [सं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणहियए० ४, ६ चत्तारि उदद्दी पं० तं० उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी उत्ताणे णाममेगे गंभीरोभासी० ४. ७ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं उत्ताणे णाममेगे उत्ताणोभासी० ४.८ । ३५८ । चत्तारि तरगा पं० नं० समुहं तरामीतेगे समुदं तर समुहं तरामीतेगे गोप्पतं तरति गोप्पतं तरातीतेगे० ४. १ चत्तारि तरगा पं० तं समुदं नरिता नाममेगे समुहे विसीनने समुदं तरेत्ता णाममेगे गोप्पते विसीतति गोपतं ४ २ । ३५९। चत्तारि कुंभा पं० तं० पुन्ने नाममेगे पुत्रे पुन्ने नाममेगे तुच्छे तुच्छे णाममेगे पुत्रे तुच्छे णाममेगे तुच्छे, एवामेव चन्नारि पुरिसजाया पं० [सं० पुन्ने नाममेगे पुन्ने० ४ चत्तारि कुंभा पं० तं० पुझे नाममेगे पुन्नोभासी पुन्ने नाममेगे तुच्छोभासी तुच्छे नाममेगे पुन्नोभामी तुच्छे नाममेगे तुच्छोभासी एवं चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-पुत्रे णाममेगे पुन्नोभासी० ४ चत्तारि कुंभा पं० तं० पुन्ने नाममेगे पुनरुत्रे पुन्ने नाममेगे तुच्छरुवे० ४. एवामेव चत्तारि पुरिमजाया पं० नं० - पुत्रे नाममेगे पुनरूवे० ४ चत्तारि कुंभा पं० तं० पुत्रेऽवि एगे पितट्टे पुन्नेऽवि एगे अबदले तुच्छेऽवि एगे पियट्टे तुच्छेऽवि एगे अबदले, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० नं० पृचेऽवि एगे पितट्टे० ४, तहेब चत्तारि कुंभा पं० तं० पुत्रेऽवि एगे विस्संदति पुन्नेऽवि एगे णो विस्संदति तुच्छेऽवि एगे विस्संदति तुच्छेऽवि एगे नो विस्संद, एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० नं० पुन्नेऽवि एगे विस्संदति० ४, तहेव चत्तारि कुंभा पं० तं०-भिन्ने जजरिए परिस्साई अपरिस्साई एवामेव चउबिहे चरिते पं० तं० - भिन्ने जाव अपरिस्साई, चत्तारि कुंभा पं० तं महुकुंभे नाम एगे महुष्पिहाणे महुकुंभे णामं एगे विसपिहाणे विसकुंभे नामं एगे महुपिहाणे विसकुंभे णाममेगे विसपिहाणे, १०६ स्थानांगं ठाणे-४ मुनि दीपरत्नसागर Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-महुकुंभे नाम एगे मधुपिहाणे०४-'हिययमपावमकलसं जीहाऽवि य महुरभासिणी निचं । जंमि परिसंमि विजति से मधुकंभे मधुपिहाणे ॥२५॥ हिययमपावमकरसं जीहाऽपि य कड्यभासिणी निचं । जंमि परिसंमि विजति से मधुकुंभे विसपिहाणे ॥२६॥ जं हिययं कलसमयं जीहाऽपि य मधुरभासिणी निचं । जमि पुरिसंमि विनति से विसकुंभे महुपिहाणे ॥२७॥ जं हिययं कलुसमयं जीहाऽपि य कडुयभासिणी निचं। जंमि परिसंमि विजति से विस कुंभे विसपिहाणे ॥२८॥३६७। चउबिहा भउवमम्मा पं० तं०-दिशा माणुस्सा तिरिक्खजोणिया आयसंचेयणीया १,दिवा उक्सग्गा चउबिहा पंत-हासा पोसा बीमंसा पुढोविमाता २, माणुस्सा उपसग्गा चउविधा पं० त०. सहामा पोसा बीममा कुसीन्लपडिसेषणया ३, तिरिक्खजोणिया उपसग्गा चउचिहा पं० तं-मता पदोसा आहारहेउं अपचलेणसारक्खणया ४, आतसंचेयणिजा उपसग्गा चउबिहा पंतं. घट्टणना पवरणता धभणता लेमणता ५।३६१ । चाउविहे कम्मे पं०तं-सुभे नाममेगे सुभे सुभे नाममेगे असुभे असुभे नाम०४.१ षडचिहे कम्मे पं० त०-सुभे नाममेगे सुभविभागे सुभे णाममेगे असुभविवागे असुभे नाममेगे सुभविवागे असुभे नाममेगे असुभविवागे ४.२ चउच्चिहे कम्मे पं० त० पगडीकम्मे ठितीकम्मे अणुभावकम्मे पदेसकम्मे ४. ३३६श चउचिहे मंघे पं० २०.समणा समणीओ सागा साचियाओ ।३६३। चउबिहा बुद्धी पं०तं०-उप्पत्तिता पेणतिता कम्मिया परिणामिया, चउविधा मई पं० २०- उम्गहमती हामती अवायमई धारणामती, अथवा चउबिहा मती पं० सं० अरंजरोदगसमाणा वियरोदयसमाणा सरोदगसमाणा सागरोदगसमाणा।३६४ाचउबिहा संसारसमावन्नगा जीचा पं० मानणेरडता तिरिक्खजोणीया मणस्सा देवा. चाउनिहा सत्रजीचा पं० त०-मणजोगी बहजोगी कायजोगी अजोगी. अहवा पबिहा सबर्जाचा पं० तं- इस्थिवेयगा परिसवेदगा ण-14 मकवेदगा अबेदगा. अथवा घडविहा मन्त्रीवा पं० नं० चपसुदंसणी अचक्खुदंसणी ओहिदसणी केवलदसणी, अहवा चउबिहा सबजीचा पं० त०-संजया असंजया मंजयासंजया प्राणोसंजयाणोअसंजया । ३६५। चत्तारि पुग्सिजाया पं० सं०-मिने नाममेगे मित्ते मित्ते नाममेगे अमिने अमित्ते नाममेगे मित्ते अमित्ते णाममेगे अमिते १ चत्तारि पुरिसजाया पं. तं०-मिले णाममेगे मित्तरूवे चउभंगो, ४.२ चत्तारि पुरिसजाया पं० तं मुत्ते णाममेगे मुत्ते मुत्ते णाममेगे अमुत्ते०४.३ चत्तारि पुरिसजाया पं० तं०-मुत्ते णाममेगे मुनरुवे: ४.४।३६६। पंचिदितिरिक्खजोणिया पउगईआ चउआगईया पं० तं-पंचिंदियतिरिक्वजोणिया पंचिंदियतिरिक्खजोणिएसु उववजमाणा णेरडएहितो वा तिरिक्खजोणिएहितो वा मणुस्सेहितो बा देवेहिंतो वा उचक्जेजा, से चेव से पंचिदियतिरिक्वजोणिए पंचिंदियतिरिक्वजोणियत्तं विपजहमाणे णेरइतत्ताए वा जाव देवत्ताते वा उवागच्छेजा, मणुस्सा चउगईआ चउआगनिता. एवं चेव मणुस्साथि ।३६७। येइंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स चउबिहे संजमे कजति, तं-जिभामयातो सोक्खातो अववरोवित्ता भवति, जिम्भामएणं | वेणं असंजोगेत्ता भवति. फासमयातो सोफ्यातो अवबरोबेत्ता भवइ. एवं चेच ४, वेइंदिया णं जीचा समारभमाणस्स चउविधे असंजमे कजति, तं०-जिम्भामयातो सोमवाओ ववरोचित्ता भवति, जिम्मामतेणं दुक्खेणं संजोगिता भवति, फासामयातो सोक्खाओ ववरोवेत्ता भवइ०३६८ा सम्मदिट्टिताणं णेरइयाणं चत्तारि किरियाओ पंतं.-आरंभिता परिम्गहिता मानाचनिया अपचक्याकिरिया, सम्मदिडिताणमसुरकुमाराणं चत्तारि किरियाओ पंत-एवं चेव, एवं विगलिंदियवज जाप वेमाणियाणं ।३६९। चउहिं ठाणेहिं संते गणे नासेजा, नं०-कोहेणं पडिनिवेसेणं अकयण्णुयाए मिच्छत्ताभिनिवेसेणं, चरहिं ठाणेहिं संते (अमंने पा) गुणे दीवेजा तंजहा-अम्भासयत्तितं परच्छंदाणुवत्तितं कजहेउं कतपडिकतिते वा, ॥३७॥णेरइयाणं चडहिं ठाणेहिं मरीरुप्पत्ती सिता तंजहा-कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं, एवं जाव वेमाणियाणं. णेरइयाणं चरहिं ठाणेहि निष्वत्तिते सरीरे पंतं-कोहनिवत्तिए जाव लोभणित्तिए एवं जाव वेमाणियाणं ।३७१। चनारि धम्मदारा पन्नत्ता, तंजहा-खंनी मुत्ती अजवे महवे।३७२। चरहिं ठाणेहिं जीवा रतियत्ताए कम्मं पकरेंति. तंजहामहारंभनाते महापरिग्गहयाते पंचिंदियवहेणं कुणिमाहारेणं १ चउहि ठाणेहिं जीचा तिरिक्खजोणियत्ताए कम्मं पगरेंति, तं०-माइडताते णियडिडताते अलियवयणेणं कडतुलकुट माणेणं २ चहि ठाणेहि जीवा मणुस्सत्ताते कम्मं पगरेंति, तं०-पगतिभहताते पगतिविणीययाए साणुकोसयाते अमच्छरिताते ३ चाहिं ठाणेहिं जीवा देवाउयत्ताए कम्मं पगरति, मत-मरागसंजमेणं संजमामंजमेणं बालतपोकम्मेणं अकामणिजराए ४३७३ चउबिहे वजे पं० त०-तते वितते घणे मुसिरे १ चउनिहे नट्टे पं० तं०- अंचिए रिभिए आरभडे भसोले २चउबिहे गेए पं० त० उक्वित्तए पत्तए मंदएरोविंदए ३चउबिहे माड़े पं० तं-गंधिमे बेढिमे परिमे संघातिमे ४ चउबिहे अलंकारे तं०- केसालंकारे वस्थालंकारे माहालंकारे आभरणालंकारे५ चउबिहे अभिणते पं०२०-दिट्ठतिते पांड(पार्ड)सुते सामंतोषणिवातणिते ग्रेगमम्भावसिते ६३७४० सणंकुमारमाहिदेसुण कप्पेसु विमाणा चउक्मा पं०२०-णीला लोहिता हालिदा सुकिनडा, महामुकसहस्सारेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजा सरीरमा उक्कोसेणं चत्तारि रयणीओ उड्ढंउच्चत्तेणं पन्नत्ता।३७५॥ चत्तारि उदकगम्भा पं० तं०-उस्सा महिया १०७ म्यानांर्ग-81-7 मुनि दीपरत्नसागर Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यसीता उसिणा, चत्तारि उदकगम्भा पं० त-हेमगा अम्भसंथडा सीतोसिणा पंचरूविता-माहे उ हेमगा गम्भा, फग्गणे अच्भसंबडा। सीतोसिणा उ चित्ते, बतिमाहे पंचरूविता ॥२९॥ ३७६। चत्तारि माणुस्सीगम्भापं० तं०-इस्थित्ताए पुरिसत्ताए णपुंसगत्ताते बिंबताए-'अप्पं सुकं बहुं ओयं, इत्थी तत्थ पजातति । अप्पं ओयं चहुं मुकं, पुरिसो तत्थ पजातति ॥३०॥ | दोण्टंपि रत्तसुकाणं, तुाइभावे णपुंसओ। इत्थीतोतसमाओगे, बिचं तत्थ पजायति ॥३१॥३७७। उपायपुवस्स णं चत्तारि चूलवत्थू प०।३७८। चउबिहे को पं० तं०-गजे पजे कन्थे गेए ।३७९। णेरतिताणं चत्तारि समुग्धाता पं० ते०-वेयणासमुग्धाते कसायसमुग्घावे मारणंतियसमुग्घाए वेउधियसमुग्याए, एवं बाउकाइयाणयि । ३८० । अरिहतो णं अरिहनेमिस्स चत्तारि सया चोदसपुषीणमजिणाणं जिणसंकासाणं सक्खरसन्निवाईणं जिणो इव अक्तिधं वागरमाणाणं उकोसिता चउदसपुच्चिसंपया हुत्या । ३८१। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स चत्तारि सया वादीणं सदेवमणुयासुराते परिसाते अपराजियाणं उक्कोसिता वातिसंपया हुत्या ।३८२। हेहिडा चत्तारि कप्पा अद्धचंदसंठाणसंठिया पं० तं०-सोहम्मे ईसाणे सणकुमारे माहिंदे, मजिवाडा चत्तारि कप्पा पडिपुन्नचंदसंठाणसंठिया पंता-बंभलोगे लंतते महामुक्के सहस्सारे, उपरिडा चत्तारि कप्पा अद्धचंदसंठाणसंठिता पं० २०-आणते पाणते आरणे अनुते । ३८३ । चत्तारि समुदा पत्तेयरसा पं० त०-लवणे (लवणोदे पा०) वरुणोदे खीरोदे घतोदे।३८४॥ चत्तारि आवत्ता पं० सं०-खरावत्ते उन्नतावत्ते गूढावत्ते आमिसावत्ते, एवामेव चत्तारि फसाया पं० सं०- खराबत्तसमाणे कोहे उन्नतावत्तसमाणे माणे गूढावत्तसमाणा माता आमिसावत्तसमाणे लोभे, खरावत्तसमाणं कोई अणुपविढे जीवे कालं करेति बाणेरइएसु उववज्जति, उन्नतावत्तसमाणं माणं एवं चव गृढावत्तसमाणं मातमेवं चेव आमिसावत्तसमाणं लोभमणपबिट्टे जीव कालं करेति नेरहएस उवबजेति ।३८५/अणुराहानक्खत्ते ढे एवं चेव।३८६। जीवाणं चउठाणनिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिसुवाचिणंति वा चिणिस्संति वा (तं०-)नेरवियनिव्यत्तिते तिरिक्खजोणितनिवत्तिते मणुस्स० देवनिव्यत्तिते, एवं उपचिणिसु या उवचिणंति वा उवचिणिस्संति वा, एवं चिय उवचिय बंध उदीर येत तह निजरे चेय। ३८७। चउपदेसिया खंधा अणंता पन्नत्ता चउपदेसोगाढा पोग्गला अर्णता. चउसमयठितिया पोग्गला अणंता० चउगुणकालगा पोग्गला अणंता जाव चउगुणलक्खा पोग्गला अर्णता पण्णत्ता । ३८८ ।। उ०४ चतु:स्थानकाध्ययनम् ४॥ पंच महाया पं० त०-सबातो पाणातिवायाओ वेरमणं जाद सबातो परिगहातो बेरमणं, पंचाणुक्ता पं० सं०-थूलातो पाणाइवायातो वेरमणं थूलातो मुसावायातो वेरमणं थूलातो अदिनादाणातो रमणं सदारसंतोसे इच्छापरिमाणे ।३८९।पंच वना पं० सं०-किण्हा नीला लोहिता हालिदा सुकिला १पंच रसा पं००-सित्ता जाव मधुरा २ पंच कामगुणा पं० सं०- सदा रूवा गंधा रसा फासा ३ पंचहिं ठाणेहिं जीवा सज्जति तं०-सदेहिं जाव फासेहिं ४ एवं रज्जति ५ मुच्छंति ६ गिज्झति ७ अझोक्वजति ८पंचहि ठाणेहिं जीवा विणिघायमावज्जति, तं०. सदेहिं जाय फासेहिं ९पंच ठाणा अपरिष्णाता जीवाणं अहिताते असुभाते अखमाते अणिस्सेयसत्ताते अणाणुगामितत्ताते भवंति, तं०-सहा जाव फासा १० पंच ठाणा सुपरिनाता जीवाणं हिताते सुभाते जाच आणुगामियत्ताए भवंति, ते०-सदा जाव फासा ११ पंच ठाणा अपरिष्णाता जीवाणं दुग्गतिगमणाए भवंति तं सदा जाव फासा १२ पंच ठाणा परिषणाया जीवाणं सुग्गतिगमणाए भवंति तं०-सहा जाव फासा १३॥३९॥ पंचहिं ठाणेहिं जीवा दोग्गतिं गच्छंति, तं०- पाणातिवातेणं जाव परिग्गहेणं, पंचहि ठाणेहिं जीवा सोगतिं गच्छति, सं०-पाणातिपातवेरमणेणं जाय परिग्गहबेरमणेणं।३९११पंच पडिमातो पं० सं०-भदा सुभद्दा महाभद्दा सवतोभद्दा भद्दुत्तरपडिमा ।३९।पंच धावरकाया पं० तं०इंद थावरकाएबंमे सिप्पे० सं(प० सु)मती थावरकाए पाजावचे थावरकाए, पंच थावरकायाधिपती पं० तं०-इंदे थावरकाताधिपती जाव पातावचे थावरकाताहिए ठाणेहिं ओहिदसणे समुष्पजिउकामेऽपि तप्पढमयाते खंभातेजा, तं०-अप्पभूतं वा पुढवि पासित्ता तप्पढमयाते खंभातेजा कुंथुरासिभूतं वा पुढविं पासित्ता तप्पढमयाते खंभातेजा महतिमहालतं वा महोरगसरीरं पासित्ता तप्पढमताते खंभातेजा देवं वा महइढियं जाय महेसक्खं पासित्ता तप्पढमताते खंभातेजा पुरेसुवा पोराणाई (ओरालाई पा०) महतिमहालतानि महानिहाणाई पहीणसामितातिं पहीणसेउयाति पहीणगुत्तागाराई उच्छिन्नसामियाई उच्छिन्नसेउयाई उच्छिन्नगुत्तागाराई जाई इमाई गामागरणगरखेडकबडदोणमुहपट्टणासमसंबाहसन्निवेसेसु सिंघाडगतिगचाउकचचरचउम्मुहमहापहपहेसु णगरणिदमणेसु सुसाणसुत्रागारगिरिकंदरसन्तिसेलोवट्ठावणभवणगिहेसु संनिक्खित्ताई चिट्ठति ताई वा पासित्ता तप्पढमताते खंभातेजा, इचएहिं पंचहि ठाणेहिं ओहिदसणे समुपजिउकामेऽवि तप्पढमताते खंभाएजा, पंचहि ठागेहिं केवलवरनाणदसणे समुप्पजिउकामे तपढमताते नो खंभातेजा, तं०-अप्पभूतं वा पुढपिं पासित्ता तप्पढमताते णोखंभेजा सेसं तहेव जाच भवणगिहेसु संनिक्सित्ताई चिट्ठति ताई वा पासित्ता तप्पढमताते णो संभातेजा, इचेएहिं पंचहि ठाणेहिं जाव | नो खंभातेजा।३९४। रइयाणं सरीरगा पंचवन्ना पंचरसा पं० तंभ-किण्हा जाव मुकिडा, तित्ता जाव मधुरा,एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं, पंच सरीरमा पं०तं०-ओरालिते बेउविते आहारते तेयते कम्मते, ओरालितसरीरे पंचवने पंचरसे पं० त०-किण्हे जाव सुक्किाडे, तित्ते जाव महुरे, एवं जाव कम्मगसरीरे, सब्वेऽपि णं चादरचोदिधरा कलेवरा पंचवना (२७) १०८ स्थानांग-6101-4 मुनि दीपरत्नसागर Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पंचरसा दुगंधा अट्टफासा। ३९५। पंचहि ठाणेहिं पुरिमपच्छिमगाणं जिणाणं दुग्गमं भवति, तं०-दुआइक्खं दुविभजं (दुविभवं पा०) दुपस्सं दुतितिक्खं दुरणुचरं, पंचहिं ठाणेहि मज्झिमगाणं जिणाणं सुगमं भवति, तं०-सुआतिक्वं सुविभज सुपस्सं सुतितिक्वं सुरणुचर, पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिग्गंधाणं णिचं वनिताई निचं कित्तिताई णिचं बुतिताई णिचं पसत्थाई निश्चमम्भणुन्नाताई भवंति, तं०-खंती मुत्ती अजवे महवे लाघवे, पंच ठाणाई समणेणं भगवता महावीरेणं जाव अभणुनायाई भवंति, तं०-सच्चे संजमे तवे चिताते बंभचेरवासे, पंच ठाणाई समणाणं जाय अब्भणुन्नाई भवति, तं०- उक्खित्तचरते निक्खित्तचरते अंतचरते पंतचरते लूहचरते, पंच ठाणाई जाव अमणुपणायाई भवंति, तं०-अन्नातचरते अन्नइलायचरे (अन्नवेलाचरे पा०) मोणचरे संसट्टकप्पिते तज्जातसंसट्टकप्पिते, पंच ठाणाई जाव अग्भणुनाताई भवति, तं- उवनिहिते सुद्धेसणिते संखादत्तिते दिट्ठलाभिते पुट्ठलाभिते, पंच ठाणाई जाव अब्भणुण्णाताई भवंति, तं०-आयचिलिते निश्चियते पुरमड्ढिते परिमितपिंडवातिते मिन्नपिंडवातिते, पंच ठाणाई अब्भणभन्नायाई भवंति,तं०-अरसाहारे विरसाहारे अंताहारे पंताहारे लूहाहारे, पंच ठाणाइं० अब्भणुनायाई भवति, तं०-अरसजीर्व भवंति, तं०-ठाणातिते उक्कडुआसणिए पडिमट्टाती बीरासणिए सजिए, पंच ठाणाई भवंति, तं०-दंडायतिते लगंडसाती आतावते अवाउडते अकंडूयते । ३९६ । पंचहि ठाणेहि समणे निग्गथे महानिजरे महापज्जवसाणे भवति, ते०- अगिलाते आयरियवेयावचं करेमाणे एवं उबज्झायवेयावच्चं करेमाणे थेरवेयावच्चं तवस्सिवेयावच्चं० गिलाणवेयावचं करेमाणे, पंचहि ठाणेहि समणे निग्गथे महानिजरे महापज्जवसाणे भवति, तं०-अगिलाते सेहवेयावर्च करेमाणे, अगिलाते कुलवेया०, अगिलाए गणवे०, अगिलाए संघचे०, अगिलाते साहम्मियवेयावच्चं करेमाणे।३९७१ पंचहि ठाणेहि समणे णिगंथे साहम्मितं संभोतितं विसंभोतितं करेमाणे णातिकमति, तं०-सकिरितद्वाणं पडिसेवित्ता भवति, पडिसेवित्ता णो आलोएइ, आलोइत्ता णो पट्टवेति, पट्टवेत्ता णो णिब्बिसति, जाई इमाई थेराणं ठितिपकप्पाई भवंति ताई अतियंचियर पडिसेवेति से हंदऽहं पडिसेवामि किं मं घेरा करिस्संति?, पंचहिं ठाणेहि समणे निग्गंधे साहमितं पारंचितं करेमाणे णातिकमति, तं०-कुले वसति सकुलस्स भेदाते अम्भुट्टित्ता भवति, गणे वसति सगणस्स भेताते अभुढेत्ता भवति, हिंसप्पेही. छिद्दप्पेही, अभिक्खणं २ पसिणाततणाई पउंजित्ता भवति ।३९८। आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंच चुग्गहट्टाणा पं० त०-आयरियउवज्झाए णं गणंसि आणं वा धारणं वा नो सम्मं पउंजेत्ता भवति, आयरियउवज्झाए णं गणंसि आधारातिणियाते कितिकम्मं नो सम्मं पउंजित्ता भवति, आयरियउवज्झाते गणंसि जे सुत्तफज्जवजाते धारेति ते काले २णो सम्ममणुप्पवातित्ता भवति, आयरियउवज्झाए गणंसि गिलाणसेहवेयावचं नो सम्ममभुट्टित्ता भवति, आयस्यिउवझाते गणंसि अणापुच्छितचारी यावि हबइ, नो आपुच्छियचारी आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंचायुम्गहट्ठाणा पं००-आयरियउवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा सम्म पउंजित्ता भवति, एवमधारायणिताते सम्मं किइकम्मं पउंजित्ता भवइ, आयरियउवज्झाए णं गणंसि जे सुतपज्जबजाते धारेति ते काले २ सम्म अणुपवाइत्ता भवइ, आयरिबउवज्झाए गणंसि गिलाणसेहवेतावचं सम्मं अग्भुट्टित्ता भवति, आयरियउवज्झाते गणंसि आपुच्छियचारी यावि भवति णो अणापुच्छियचारी।३९९ । पंच निसिजाओ पं० तं०- उक्कुडती गोदोहिता समपायपुता पलितंका अद्धपलितंका, पंच अजवट्ठाणा पं० तं०-साधुअजब साधुमहवं साधुलाघवं साधुखंती साधुमुत्ती।४००। पंचविहा जोइसिया पं० २०-चंदा सूरा गहा नक्खत्ता ताराओ, पंचबिहा देवा पं० सं०-भवितदव्वदेवा परदेवा धम्मदेवा देवातिदेवा भावदेवा ।४०१॥ पंचविहा परितारणा पं० त०-कावपरिचारणा फासपरितारणा रूवपरितारणा सहपरितारणा मणपरितारणा।४०२। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो पंच अग्गमहिसीओ पं० त०-काले राती रतणी विजू मेहा, पलिस्म णं वतिरोतणिंदस्स पतिरोतणरन्नो पंच अम्गमहिसीओ पं० त०-सुभा णिसुभा रंभा णिरंभा मतणा। ४०३। चमरस्स णमनुरिदस्स असुरकुमाररण्णो पंच संगामिता अणिता पंच संगामिया अणियाधिवती पं० त०-पायत्ताणिते पीढाणिते कुंजराणिते महिसाणिते रहाणीते, दुमे पायत्ताणिताधिवती सोदामी आसराया पीढाणियाधिवती कुंथू हस्थिराया कुंजराणिताधिवती लोहितक्खे महिसाणिताधिवती किन्नरे रथाणिताधिवती, पलिस्स णं वतिरोतणिदस्स बतिरोतणरन्नो पंच संगामिताणिता पंच संगामिताणीयाधिवती पं० सं०-पायत्ताणिते जाव रपाणिते, महदुमे पायत्ताणिताधिवती महासोतामो आसराता पीढाणिवाधिवती मालंकारो हस्थिराया कुंजराणिताधिपती महालोहिअक्खो महिसाणिताधिवती किंपुरिसे रथाणिताधिपती, धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररमो पंच संगामिता अणिता पंच संगामिताणीयाधिपती पं०० पायत्ताणिते जाव रहाणीए, भहसेणे पायत्ताणिताधिपती जसोधरे आसराया पीठाणिताधिपती सुदंसणे हत्थिराया कुंजराणिताधिपती नीलकंठे महिसाणियाधिपती आणंदे रहाणिताहिबई, भूयाणंदस्स नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो पंच संगामियाणिया पंच संगामियाणीयाहिबई पं० सं०-पायत्ताणीए जाब रहाणीए, दक्खे पायत्ताणियाहिवई सुग्गीवे आसराया पीढा१०९ स्थानांग-हा मुनि दीपरत्नसागर Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णियाहिवई सुविकमे हस्थिराया कुंजराणिताहिवई सेयकंठे महिसाणियाहिबई नंदुत्तरे रहाणियाहिबई, वेणुदेवस्म णं सुवन्निदस्स सुवन्नकुमाररन्नो पंच संगामियाणिता पंच संगामिनाणिनाहिपती पं० नं.-पायत्ताणीते एवं जधा धरणस्म तथा वेणुदेवस्सचि, वेणुदालियस्स जहा भूताणंदस्स, जघा धरणस्स तहा मवेसि दाहिणिडाणं जाव घोसस्स, जघा भूताणदस्म तथा सबेसिं उत्तरिडाणं जाव महाघोसस्स, सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो पंच संगामिता अणिता पंच संगामिताणिताधिवती पं० नं०-पायत्ताणिते जाव उममाणिते, हरिणेगमेमी पायत्नाणिनाधियती वाऊ, आसगता पीढाणिताधिवई एरावणे हस्थिराया कुंजराणिताधिपई दामड्ढी उसमाणिताधिपती माढरो रधाणिताधिपती, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो पंच संगामिया अणिता जाच पायत्ताणिते पीढाणिए कुंजराणिए उसमाणिय स्थाणिते, लहुपरकमे पायत्ताणिताधिवती महावाऊ आसराया पीढाणियाहिबई पुष्पदंते हस्थिगया कुंजराणियाहिवनी महादामड्ढी उसमाणियाहिबई महामाढरे रथाणिवाहिवती, जपा सकस्स तहा मवेसि दाहिणिलार्ण जाव आरणम्म, जया ईमाणस्स तहा सधेसि उत्तरिताणं जाब अचुतस्म । ४०४ा सकस्स णं देविंदस्य देवरन्नो अभंतरपरिसाए देवाणं पंच पलिओवमाई ठिती पं०, ईसाणस्स णं देविदस्स देवरो अभंतरपरिसाते देवीणं पंच पलिओवमाई ठिती पं०1४०५। पंचविहा पडिहा पं० नं०-गतिपडिहा ठितीपडिहा बंधणपडिहा भोगपडिहा बलबीरियपुरिसयारपरकमपडिहा।४०६॥ पंचविधे आजीविते पं० नं-जातिआजीवे कुलाजीचे कम्माजीवे मिप्पाजीव लिंगाजीये।४०७। पंचरातककुहा पं० सं०-खग्गं छत्तं उप्फेस उवाणहाओ वालवीअणी।४०८पंचहि ठाणहिं छउमत्थे णं उदिने परिस्सहोवसगे सम्मं सहेजा खमेजा तिनिक्वेज्जा अहियासेज्जा. नं-उदिन्नकम्मे खलु अयं पुरिसे उम्मत्तभूते तेण मे एस पुरिमे अकोसनि वा अवहमति वा णिच्छोडेति वा णिभंछनि वा बंधति वा भनि रंवानेति उडवेइ वा वस्य वा पडियाहं या कंबलंबापायपंछणम(णंबाआ)चिंछदति वा विच्छिदति वा भिंदति वा अवहनिवा१जक्यानिट्टे खल अयं पग्मेि नेण मे एस पुरिसे अक्कामति वा नहेच जाप अवहरनि वा २ मर्म च णं तब्भववेयणिजे कम्मे उतिन्ने भवति तेण मे एस परिसे अकोसति वा जाच अवहरति वा ३ ममं च णं सम्मममहमा. णम्म अखममाणम्म अतिनिक्खमाणस्म अणधितासेमाणस्म किं मन्ने कज्जति?, एगंतसो मे पावे कम्मे कन्जनि ४ ममं च णं सम्म सहमाणस्स जाय अहियामेमाणस्म किं मन्ने कजनि?. एगनमो मे णिजरा कजति ५ इचेतेहि पंचहि ठाणेहिं छउमत्थे उदिन्ने परीसहोबसगे सम्म सहेजा जाव अहियासेजा। पंचहि ठाणेहि केवली उदिने परीमहोचमरगे सम्म सहेजा जाव अहियासेजा.तं-खित्तचिने ग्बल अतं पुरिसे तेण मे एस पुरिसे अक्कोसति वा तहेव जाव अवहरति वादितचिने खलु अयं पुरिसे लेण मे एस पुरिसे जाव अवहरति EM वा २ जखातिट्टे खल अयं पुरिसे तेण मे एस परिसे जाव अवहरति वा ३ ममं च णं तब्भववेयणिजे कामे उदिन्ने भवति तेण मे एस परिसे जाब अवहनि वा ४ ममं च णं ममा महमाणं म्यममाणं तितिक्खमाणं अहियासेमाणं पामेत्ता वहये अन्ने छउमरथा समणा णिगंथा उदिन्ने २ परीसहोवसम्गे एवं सम्मं सहिस्संति जाव अहियामिस्मति ५. इचेतेहिं पंचहि ठाणेहि केवली उदिने परीसहोयसग्गे सम्मं सहेजा जाव अहियानेज्जा । ४०९। पंच हेऊ पं० नंकहेउं न जाणति हेउं ण पासति हेउं ण बुज्झति हेउं णाभिगच्छति हेर्ड अन्नाणमग्णं मति १ पंच हेऊ. पं० नं-उणा ण जाणति जाव हेउणा अन्नाणमरणं मरति २ पंच हेऊ पं० नं०-हेउं जाण जाच हेउं छउमस्थमरणं मरइ३ पंच हेऊ पं० हेउणा -अहे ण याणति जाव अहउँ छउमस्थमरणं मरति ५पंच अहे ऊपं०ते-अहउणा न जाणति जाव अहे उणा छउमस्थ- 15 मरणं मरति ६ पंच अहे ऊ पं० २०- अद्देउं जाणति जाव अहे केवलिमरणं मरति पंच अहेऊ पंत-अहे उणा ण जाणति जाय अहेउणा केवलिमरणं मरति ८ केवलिस्स णं पंच । अणुनग पं०नं-अणुनरे नाणे अणुत्तरे दंसणे अणुत्तरे चरिते अणुचरे तवे अणुनरे वीरिते ९।४१०। पउमप्पहे णमरहा पंचचित्ते दुस्था. त-चित्तादि घृते चइत्ता गन्मं वक्रते चित्ताहिं जाते चित्ताहि मुंडे भवित्ता अगागओ अणगारितं पचाइए चित्ताहि अणंने अणुनरे णिवाधाए णिरावरणे कसिणे पडिपुन्ने केवलवरनाणदसणे समुप्पन्ने चित्ताहि परिणिच्युते. पुष्पदंते णं अरहा पंचमूले हुस्था,नं-मूलेणं चुते चइता गम्भं पकते एवं चेव एक्मेतेणं अभिलावेणं इमातो गाहातो अणुगंतव्बातो 'पउमप्पभस्स चित्ता १ मूले पुण होइ पुष्पदंतस्स २। पुवाई असाढा ३ सीयलस्मुनर विमल भदवता ४ ॥३२॥ रेवतिताऽणंतजिणो ५ पूसो धम्मस्स ६ संतिणी भरणी ७॥ कुंथुस्स कत्तियाओ ८ अरस्स तह रेवतीतो य ९॥३३॥ मुणिसुव्ययस्स सवणो १० आसिणि णमिणो ११ य नेमिणो चित्ता १२॥ पासस्स विसाहाओ १३पंचयहत्थुत्तरो वीरो १४॥३४॥समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे होस्था तं०-हत्थुत्तराहिं चुए चइत्ता गम्भ वकंने हत्थुनराहिं गम्भाओ गम्भं साहरिए हत्थुत्तराहि जाते हत्युत्तराहि मुंडे भवित्ता जाव पव्वइए हत्थत्तराहिं अणते अणुत्तरे जाव केवलवरनाणदंसणे समुप्पन्ने ।४११॥अ०५ उ०१॥नो कप्पइ नियांधाण या निम्गंधीण वा इमाओ उडिट्ठाओ गणियाओ वितंजितातो पंच महण्णवातो महाणदीओअंतो मासस्स दुक्खुत्तो वा तिक्सुत्तो वा उत्तरित्तए वा संतरित्तए वा. । ११० स्थानांग-670- मुनि दीपरत्नसागर Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 2444444 ने-गंगा जउणा सरऊ एरावती मही, पंचहिं ठाणेहिं कप्पति, सं०-भतंसि वा दुभिक्खसि वा २ परहेज व ण कोई ३ दओघमि वा एजमाणमि ४ महना वा अणारितेमु ५४१२॥ णो कप्पद णिग्गंथाण वा णिग्गंधीण या पढमपाउसंसि गामाणुगाम दुइजित्नए. पंचहि ठाणेहि कप्पइ, नं०-भयंसिवादुभिक्खंसि वा जाव महता वा अणारितेहिं ५. वामावामं पजोसविताणं णो कप्पइणिग्गंधाण वा २ गामाणुगामं दूइज्जित्तए, पंचहिं ठाणेहिं कप्पइ. तं०-णाणट्टयाए दंमणट्ठयाए चरिनट्ठयाए आयग्यिउवज्झाया वा से वीमुंभेजा आयरितउज्झायाण वा बहिता वेआवचं करणताते ।४१३। पंच अणुग्घातिता पं० तं०-हत्याकम्मं करेमाणे मेहुणं पडिसेवेमाणे गतीभोयणं भुंजेमाणे सागारितपिंडं भुंजेमाणे गयपिंडं भुजेमाणे।४१४॥ पंचहि ठाणेहिं समणे निम्नथे रायंतेउरमणुपविसमाणे नाइकमति, तं०-नगरं सिता सबतो समंता गुत्ते गुत्तदुवारे, पहवे समणमाहणा णो संचाएंनि भनाते वा पाणाने वा निमवमिनने वा पविसिनते वा तेसि विनवणटुताते गतंतेउरमणुपस्विसेज्जा १ पाडिहारितं वा पीढफलगसेज्जासंथारगं पञ्चप्पिणमाणे गयंतेउरमणुपवेमेजा २ हतस्स चा गयस्स वा दुट्ठस्म आगच्छमाणस्स भीते गयंते उरमणुपवेसिज्जा ३ परो व णं सहसा वा वलसा चा बाहाते गहाय अंतेउरमणुपवेसेज्जा ४ वहिता व णं आगमगयं वा उजाणगयं वा गयंतेउग्जणो सवतो समंता मंपरिक्सिविनाणं निवेसिज्जा ५ इचेतेहिं पंचहि ठाणेहिं समणे निग्गंथे जाव णातिकमइ। ४१५। पंचहि ठाणेहिमित्थी पुरिमेण सदिं असंवसमाणीवि गभं धरेजा. नं०-इत्थी दुधियडा दुन्त्रिमण्णा सुकपोग्गले अधिद्विजा, सुकपोग्गलसंसिट्टे व से वत्थे अंतो जोणीते अणुपवेसेजा, सयं वा मा सुक्कपोग्गले अणुपवेसेज्जा, परो य से सुकपोग्गले अणुपवेसेज्जा, सीओदगवियरेण वा से आयममाणीते सुकपोग्गला अणुपवेसेजा, इचेतेहिं पंचहि ठाणेहिं जाव धरेज्जा १, पंचहिं ठाणेहिं इत्थी पुग्मेिण सदि संवसमाणीवि गम्भ नो धरेजा, ने-अप्पत्तजोषणा १ अतिकंतजोवणा २ जातियंझा ३ गेलनपुट्टा ४ दोमणंसिया ५इतेहिं पंचहि ठाणेहिं जाव नो धरेजा २. पंचहिं ठाणेहिमित्यी पुरिसेण सद्धिं संवममाणीवि नो गम्भं धरेजा.नं.| निचोउया अणोउया वावन्नसोया चाविद्धमोया अणंगपडिसेवणा. इन्चेनेहि पंचर्हि ठाणेहिमित्थी पुरिसेण सद्धिं संवसमाणीवि गभं णो धरेजा ३, पंचहि ठाणेहिं इत्थी तं०-उमिल णो णिगामपडिसेविणी तावि भवति १ समागता वा से सुकपोग्गला पडिषिद्धसंनि २ उदिन्ने वा मे पित्तसोणिते ३ पुरा वा देवकम्मणा ४ पुत्तफले या नो निदिट्टे भवति ५ इचेनहिं जाय नो धरेजा ४४१६॥ पंचहि ठाणेहि निग्गंथा निग्गंधीओ य एगतओ ठाणं वा मिजं वा निसीहियं वा चेतेमाणा णातिकमंति, त०-अस्थेगइया निग्गंथा निग्गंधीओ य एग महं अगामितं उिन्नाचार्य दीहमदमडविमणपचिट्ठा तत्थगयनों ठाणं वा सेज वा निसीहियं वा चेतेमाणा णातिकमति १ अत्धेगहआ णिगंथा० गामंसि वा णगरंमि वा जाव रायहाणिसि वा वास उवागता एगतिया यऽस्थ उपस्सयं लभंति एगतिता णो लभंति नन्गततो ठाणं वा जाव नातिकमंति२ अत्येगतिता निम्गंथा य० नागकुमारावासंसि वा (सुवष्णकुमागवामंमि वा) वासं उवागता तस्थेगयओ जाच णातिफमंनि ३ आमोसगा दीसंनि ते इच्छंति निग्गंधीओ चीवरपडिताते पडिगाहितने नत्थेगयओ ठाणं वा जाय णातिकमंति ४ जुबाणा दीमंति ने इच्छंति निम्गंधीओ मेहुणपडिताते पडिगाहिनते नाथेगयओ ठाणं वा जाय णातिकमंति ५, इचेतेहिं पंचहि ठाणेहि जाव नातिकमंति, पंचाहिं ठाणेहिं समणे निरगंथे अचेलए मचेलियाहिं निग्गंधीहिं सदि संबसमाणे नाइफमति, तं-खित्तचित्ते समणे णिग्गंथे निग्गथेहिमविजमाणेहिं अचेलए सचेलियाहिं निम्गंधीहिं सद्धि संबसमाणे णातिकमति १ एवमेतेण गमएणं दिनचिने जक्खातिढे उम्मायपत्ते निग्गीपधावियते समणे णिगंथेहि अविजमाणेहिं अचेलए सचेलियाहि णिगंथीहिं सहिं संवसमाणे णातिकमंति। ४१७। पंच आसबदारा पं००-मिच्छत्तं अविरती पमादे कसाया जोगा, पंच संवरदारा पं० २०-सम्मत्तं विरती अपमादो अकसातित्तमजोगितं, पंच दंडा पं० ते०-अट्ठादंडे अणट्ठादंडे हिंसादंडे अकम्हा(स्मान् )दंडे दिट्ठीविपरियासितादंडे । ४१८० मिच्छादिट्ठियाणं पंच किरिताओ पं० तं-आमिता १ परिग्गहिता २ मातावत्तिता ३ अपचक्याणकिरिया४ मिच्छादसणचतिता ५.मिच्छादिट्ठियाण नेरइयाणं पंच किरियाओ पं०तं-जाप मिच्छादसणवत्तिया, एवं सधेसि निरन्तरं जाव मिच्छादिहिताणं वेमाणिताणं, नवरं विगलिंदिता मिच्छद्दिट्टीण भन्नति. सेसं तहेव. पंच किरियातो पं० २० कातिता १ अहिगणिना २ पातोसिया ३ पारितापणिया ४ पाणातिवातकिरिया ५. णेरइयाणं पंच किरियाओ एवं चेव निरन्तरं जाव वेमाणियाणं १. पंच किरिताओ पंत-आरंभिता जाब मिच्छादसणवत्तिता, णेरइयाणं पंच किरिता. निरंतरं जाव वेमाणियाणं २पंच किरियातो पं० त०-दिहिता १ पुहिता २ पाडोचि(चिता ३ सामतोवणिवाइया ४ साहस्थिता ५, एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं २४,३ पंच किरियातो पं० त०-णेसस्थिता १ आणयणिता २ वेयारणिया ३ अणाभोगयत्तिता ४ अणवकंखवत्तिता ५. एवं जाय बेमाणियाणं २४, ४, पंच किरियाओ पं०२०- पेजवनिता १ दोसवत्तिया २ पओगकिरिया ३ समुदाणकिरिया ४ ईरियावहिया ५, एवं मणुस्साणवि, सेसाणं नथि ५ 1४१५/ पंचविहा परिन्ना पं0 नं०-उवहिपरिना उवस्मयपरिण्णा कसायपरिन्ना जोगपरिन्ना भत्तपाणपरिन्ना।४२०॥ पंचविहे ववहारे पं० त०-आगमे सुते आणा धारणा जीते, जहा १११ स्थानांग-ठाण.५ मुनि दीपरनसागर Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 से तन्थ आगमे मिला आगमेणं ववहारं पट्टवेजा, णो से तन्थ आगमे सिया जहा से तन्थ सुते मिता सुतेणं ववहारं पट्टवेजा णो से तत्थ सुते सिता एवं जाव जहा से तत्थ जीए सिया जीनेणं बबहारं पट्टवेज्जा. इम्रेतेहिं पंचरिं वत्रहारं पट्टवेज्ज । आगमेणं जाव जीतेणं, जधा २ से तत्थ आगमे जाव जीते तहा २ क्वहारं पट्टवेज्जा से किमाहु भंते . आगमबलिया समणा निग्गंया, इच्चेतं पंचविधं बवहारं जना जता जहिं जहिं तया तता तहिं तहिं अणिस्सिनोबस्सितं सम्मं ववहरमाणे समणे णिग्गंधे आणाते आराधते भवति । ४२१ । संजनमणुस्वाणं सुनाणं पंच जागरा पं० तंत्र-सहा जाव फामा, संजनमणुस्माणं जागराणं पंच सत्ता पं० नं:-महा जाव फासा. असंजयमणुस्साणं सुत्ताणं वा जागगणं वा पंच जागरा पं० तं महा जाव फाना । ४२२। पंचहि ठाणेहिं जीवा रतं आदिज्जति नं० पाणानिवानेणं जाय परिग्गहेणं. पंचहिं ठाणेहिं जीवा रतं वमंति. तं० पाणातिवातवेरमणेणं जाव परिग्गहवेरमणेणं । ४२३ । पंचमासियं णं भिक्खुपडिमं पडिवन्नस्स अणगारस्स कप्पंति पंच दनीओ भोयणस्स पडिगाहेतते पंच पाणगस्स । ४२४। पंचविधे उवघाते पं० तं उग्गमोवधाते उप्पायणोवधाने एमणोवघा परिकम्मोवघाते परिहरणोवघाते. पंचविहा विसोही पं० तं उग्गमविमोही उप्पायणविसोधी एसणाविसोही परिकम्मविमोही परिहरणविसोधी । ४२५ । पंचहि ठाणेहिं जीवा दुभवोधियत्ताए कम्मं पकरेति तं अरहंताणं अवन्नं बदमाणे १ अरहंतपन्नत्तस्स धम्मस्स अवन्नं वदमाणे २ आयरियउवज्झायाणं अवन्नं वमाणे ३ चाउवन्नस्स संघस्म अवन्नं वयमाणे ४ विवकतवबंभचेराणं देवाणं अवन्नं वदमाणे ५. पंचहि ठाणेहिं जीवा सुलभबोधियत्ताए कम्मं पगति तं अरहंताणं वन्नं वदमाणे जाव वित्रकनवभचेगणं देवाणं वन्ने बदमाणे । ४२६ । पंच पडिलीणा पं० तं० मोइंदियपडिसलीणे जाव फार्मिदियपडिमलीण. पंच अप्पडिसलीणा पं० नं०- मोनिंदियअपडिली जाव फासिंदियअप्पडिलीणे, पंचविधे संवरे पं० नं०-सोर्तिदियसंवरे जाव फार्मिदियसंवरे, पंचविहे असंवरे पं० तं० सोइंदियअसंवरे जाव फार्मिदिय अमंबरे । ४२७। पंचविधे संजमे पं० नं० - सामानितसंजमे छेदोवट्टावणियसंजमे परिहारविमुद्वितमंज मे सुहुमसंपरागमंजमे अहक्वायचरित्तमंजमे । ४२८ । एगिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्म पंचविधे संजमे कज्जति तं० पुढविकातियसंजमे जाव वणस्मतिकानितसंजमे. एगिंदिया णं जीवा समारभमाणस्स पंचविहे असंजमे कज्जति तं० पुढविकातितअसंजमे जाव वणस्मतिकातित अमंजमे । ४ २९॥ पंचिंदिया णं जीवा अममारभमाणस्म पंचविधे संजमे कज्जति तं सोतिंदितसंजमे जाव फासिंदियमंजमे. पंचिंदिया णं जीवा समारंभमाणस्स पंचविधे असंजमे कज्जति तं सोनंदिगंज जाव फासिंदियअसंजमे. सवपाणभूयजीवमत्ता णं असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कज्जति तं० एगिंदितगंजमे जाय पंचिदियसंजमे. सवपाणभृतजीवमत्ता णं समारं भमाणस्म पंचविधे अमंजमे कज्जति. नं०- एगिंदितअसंजमे जाव पंचिदियअसंजमे । ४३० । पंचविधा तणवणस्मतिकातिता पं० तं०-अग्गबीया मूलबीया पारबीया गंधवीया वीयरुहा । ४३१ । पंचविधे आयारे पं० तं० णाणायारे दंसणायारे चरितायारे तवायारे वीरियायारे । ४३२। पंचविधे आयारपकप्पे पं० नं०-मामिते उग्घातिने मासिए अणुग्घाइए चाउम्मासिए उग्घाइए चाउम्मासिए अणुग्धातीते आरोवणा, आरोवणा पंचविहा पं० तं० पट्टविया ठविया कसिणा अकसिणा हाडहडा । ४३३ । जंबुद्दीवे २ मंदरस्म पवयस्म पुरन्धिमेणं सीयाए महानईए उत्तरेणं पंच वक्खारपवता पं० तं मालवंते चित्तकूड़े पम्हकूड़े णलिणकूडे एगसेले १ जंबूमंदरस्स पुरओ सीताए महानदीए दाहिणेणं पंच वक्खारपवता पं० नं०-निकूड़े वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे सोमणसे २ जंबूमंदरम्स पञ्चत्थिमेणं सीओताते महाणदीए दाहिणेणं पंच वक्खारपक्षता पं० तं०-विज्जुप्पभे अंकावती पम्हावती आसीबिमे सुहावहे ३ जंबूमंदरपच्चत्थिमेणं सीतोताते महानदीने उत्तरेणं पंच वक्खारपञ्चता पं० तं० चंदपञ्चते सूरपइते णागपवते देवपवते गंधमादणे ४ जंचूमंदरदाहिणेणं देवकुराए कुराए पंच महदहा पं० तं०-निसहदहे देवकुरुदद्दे स्ररदहे सुलसदहे विज्जुप्पभदहे ५ जंबूमंदरउत्तरेण उत्तरकुराते कुराए पंच महदहा पं० नं० नीलवंतदहे उत्तरकुरूदहे चंददहे एरावणदहे मालवंतदहे ६ सधेऽवि णं वक्खारपवया सीयासीओयाओ महाणईओ मंदरं वा पवर्ततेणं पंच जोयणसताई उड्ढउच्चत्तेणं पंच गाउयसलाई उबेहेणं 31 घायइसंडे दीवे पुरच्छिमद्वेणं मंदरम्स पत्रयम्स पुरच्छिमेणं सीताते महाणतीते उत्तरेणं पंच वक्खारपवता पं० तं०-मालवंते एवं जधा जंबुद्दीवे तथा जाव पुक्खरवरदीवढपञ्चत्थिमद्धे वक्खारा दहा य उच्चत्तं भाणियत्रं । समयक्खेने गं पंच भरहाई पंच एरवताई एवं जधा चउट्टाणे वितीयउद्देसे तहा एत्थवि भाणियनं जाव पंच मंदरा पंच मंदरचलिताओ, णवरं उसुयारा णत्थि । ४३४ । उसमे णं अग्हा कोमलिए पंच धणुताई उठउच्चत्तेणं होत्था १ भरहे णं राया चाउरंतचकबट्टी पंच धणुसयाई उड्ढउच्चत्तेणं हुत्था २ बाहुबली णमणगारे एवं चेव ३ बंभीणामज्जा एवं चेव ४ एवं सुंदरीवि ५ |४३५॥ पंचहि ठाणेहिं सुत्ते विबुज्झेजा, तं० सद्देणं फासेणं भोयणपरिणामेणं णिद्दक्खएणं सुविणदंसणेणं ॥ ४३६ | पंचहि ठाणेहिं समणे णिम्गंथे णिग्गंथिं गिण्हमाणे वा अबलंबमाणे वा णातिकमति, तं निग्र्गथिं च णं अनयरे पसुजातिए वा पक्खिजातिए वा ओहातेज्जा तत्थ णिग्गंथे णिग्गंथिं गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा नातिकमति १ णिम्गंथे णिग्गंथिं दुग्गंमि वा विसमंसि वा पक्खलमाणि वा पवडमाणि वा गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिकमति २ णिग्गंथे णिग्गंधिं सेतंसि वा पंकंसि वा पणगंसि वा उदगंसि वा उक्कसमाण वा (२८) ११२ स्थानांगं ठाणे-५ मुनि दीपरत्नसागर - Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ उवज्झमाण वा गिण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिकमति ३ निम्गंधे निम्मंथिं नावं आरुभमाणे वा ओरोहमाणे वा णातिकमति ४ खेत्तइत्तं दित्तइत्तं जक्खाइद्वं उम्मायपत्तं उवसग्गपत्तं साहिगरणं सपायच्छित्तं जाव भत्तपाणपडियातिक्खियं अजायं वा निग्गंधे निग्गंथिं गेण्हमाणे वा अवलंबमाणे वा णातिकमति ५ । ४३७ | आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि पंच अतिसेसा पं० तं० आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स पाए निगिज्झिय २ पप्फोडेमाणे वा मजेमाणे वा णातिकमति १ आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स उच्चारपासवणं विगिंचमाणे वा विसोधेमाणे वा णातिकमति २ आयरियउवज्झाए पभू इच्छा वेयावडियं करेजा इच्छा णो करेजा ३ आयरियउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स एगरायं वा दुरातं वा एगागी वसमाणे णा० ४ आयरियउवज्झाए चाहिँ उवस्सगस्स एगरातं वा दुरातं वा वसमाणे णातिकमति५ । ४३८ । पंचहिं ठाणेहिं आयरियउवज्झायस्स गणावकमणे पं० तं०-आयरियउव ज्झाए गर्णसि आणं वा धारणं वा नो सम्मं परंजित्ता भवति १ आयरियउवज्झाए गणंसि अधारायणियाते कितिकम्मं वेणइयं णो सम्मं परंजित्ता भवति २ आयरियउवज्झाते गणंसि जे सुयपज्जबजाते धारिति ते काले नो सम्ममणुपवादेत्ता भवति ३ आयरियउवज्झाए गणंसि सगणिताते वा परगणियाते वा निग्गंधीते बहिडेसे भवति ४ मित्ते णातीगणे वा से गणातो अवकमेज्जा तेसिं संगहोयग्गहयाते गणाचकमणे पन्नत्ते ५। ४३९। पंचविहा इड्ढीमंता मगुस्सा पं० तं० अरहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा भावियप्पाणो अणगारा ॥ ४४०॥ अ० ५३० २ ॥ पंच अत्थिकाया पं० तं० धम्मत्थिकाते अधम्मत्थिकाते आगासत्थिकाते जीवस्थिकाते पोरगलत्थिकाए, धम्मत्थिकाए अबन्ने अगंधे अरसे अफासे अरूत्री अजीवे सासए अवट्टिए लोगदवे, से समासओ पंचविधे पं० [सं० दडओ खित्तओ कालओ भावओ गुणओ, दखओ णं धम्मत्थिकाए एगं दवं खेत्ततो लोगपमाणमेत्ते कालओ ण कयाति णासी न कयाइ न भवति ण कयाइ ण भविस्सइत्ति भुविं च भवति य भविस्सति त धुत्रे णितिते सासते अक्खए अब अवट्टिते णिचे भावतो अवन्ने अगंधे अरसे अफासे गुणतो गमणगुणे य १ अधम्मत्थिकाए अवन्ने एवं चेव, णवरं गुणतो ठाणगुणो २ आगासत्थिकाए अबन्ने एवं चेव णवरं खेत्तओ लोगालोगपमाणमित्ते गुणतो अवगाहणागुणे, सेसं तं चेत्र ३ जीवत्थिकाए णं अवन्ने एवं चेव णवरं दखओ णं जीवत्थिगाते अणंताई दबाई अरूबी जाब सासते, गुणतो ओगगुणे सेसं तं चैव ४ पोग्गलत्थिगाते पंचवन्ने पंचरसे दुग्गंधे अट्ठफासे रूबी अजीवे सासते जाव दवओ णं पोग्गलस्थिकाए अनंताई दवाई खेत्तओ लोगपमाणमेत्ते कालतो ण कयाइ णासि जाव णिचे भावतो वन्नमंते गंधमंते रसमंते फासमंते गुणतो गहणगुणे । ४४१ । पंच गतीतो पं० तं० निरयगती तिरियगती मणुयगती देवगती सिद्धिगती । ४४२ पंच इंदियस्था पं० तं० सोनिंदियत्थे जाव फासिंदियत्थे १ पंच मुंडा पं० तं० सोतिंदियमुंडे जाव फासिंदियमुंडे २ अहवा पंच मुंडा पं० तं०- कोहमुंडे माणमुंडे मायामुंडे लोभमुंडे सिरमुंडे ३ । ४४३ । अहेलोगे णं पंच बायरा पं० तं० पुढयीकाइगा आउ० वाउ० वणस्सइ० जराला तसा पाणा १ उड्ढलोगे णं पंच बायरा पं० तं० एवं तं चैव २ तिरियलोगे णं पंच बायरा पं० तं० एगिंदिया जाय पंचिंदिता ३ पंचविधा वायरलेउकाइया पं० तं०-इंगाले जाला सुम्मुरे अच्ची अलाते १ पंचविधा बादरवाउकाइया पं० तं० पाईणवाते पडीणवाते दाहिणवा उदीर्णवाते विदिसवाते २ पंचविधा अचित्ता वाउकाइया पं० तं० अकंते धंते पीलिए सरीराणुगते संमुच्छिमे ३ । ४४४ । पंच निग्गंथा पं० तं० पुलाते उसे कुसीले णिग्गंथे सिणाते १ पुलाए पंचविहे पं० तं० णाणपुलाते दंसणपुलाते चरित्तपुलाते लिंगपुलांते अहामुहुमपुलाते नामं पंचमे २ बउसे पंचविधे पं० तं० आभोगबउसे अणाभोगवउसे संबुडबउसे असंबुडवउसे अहासुडुम उसे नामं पंचमे ३ कुसीले पंचविधे पं० तं० णाणकुसीले दंसणकुसीले चरित्तकुसीले लिंगकुसीले अहामुडुमकुसीले नामं पंचमे ४ नियंठे पंचविहे पं० तं० पढमसमयनियंठे अपढमसमयनियंठे चरिमसमयनियंठे अचरिमसमयनियंठे अहासुहमनियंठे नामं पंचमे ५ सिणाते पंचविधे पं० तं०-अच्छवी १ असबले २ अकम्मंसे ३ संमुद्धणाणदंसणधरे अरहा जिणे केवली ४ अपरिस्सावी ५, ६ । ४४५। कप्पंति (प्र० कप्पइ) णिग्गंधाण वा निग्गंधीण वा पंच बत्थाई धारितए वा परिहरित्तते वा, तं०-जंगिते भंगिते साणते पोसिते तिरीडपट्टते नामं पंचमए, कप्पंति निधाण वा निग्गंधीण वा पंच रयहरणाई धारितए वा परिहरितते वा, तंजा उणिए उट्टिते साणते पच्चापिच्चियते मुंजापिच्चियते नामं पंचमए । ४४६ । धम्मं चरमाणस्स पंच णिस्साठाणा पं० तं० छकाए गणे राया गिबती सरीरं । ४४७ पंच गिही पं० तं० पुत्तनिही मित्तनिही सिप्पनिही धणणिही धनणिही । ४४८। पंचविहे सोए पं० तं० पुढवीसोते आउसोते तेउसोते मंतसोते बंभसोते । ४४९। पंच ठाणाई छउमत्थे सम्रभावेणं ण जाणति ण पासति तं० धम्मत्थिकातं अधम्मत्थिकातं आगासत्धिकायं जीवं असरीरपडिबदं परमाणुपोम्गलं, एयाणि चैव उप्पन्ननाणंदसणधरे अरहा जिणे केवली सहभावेणं जाणति पासति धम्मत्थिकातं जाब परमाणुपोग्गलं । ४५० । अधोलोगे णं पंच अणुत्तरा महतिमहालता महानिरया पं० तं०-काले महाकाले रोरुते महारोस्ते अप्पतिद्वाणे १ उड्ढलोगे णं पंच अणुत्तरा महतिमहालता महाविमाणा पं० तं०-विजये विजयंते जयंते अपराजिते सङ्घट्टसिद्धे २।४५१। पंच पुरिसजाता पं० तं०-हिरिसते हिरिमणसत्ते चलसत्ते थिरसत्ते उदतणसत्ते। ४५२। पंच मच्छा पं० तं० अणुसोतचारी पडिसोतचारी अंतचारी मज्झचारी सहचारी, एवामेव पंच भिक्खागा पं० तं० अणुसोयवारी जाव सङ्घसोयचारी । ४५३। पंच वणीमगा पं० तं० अतिहिवणीमते किविणवणीमते माहणवणीमते साणवणीमते समणवणीमते ।४५४। पंचहि ठाणेहिं अचेलए पसत्ये भवति, तं०-अप्पा पडिलेहा १ लाघविए पसत्थे २ रूबे सासिते ३ तये अणुन्नाते ४ विउले इंदियनिम्गहे ५४५५ पंच उकला पं० [सं० दंडुकले रज्जुकले तेणुकले देसुकले सबुकले । ५५६। पंच समितीतो पं० तं० ईरियासमिती भासा जाब पारिठावणियासमिती । ४५७। पंचविधा संसारसमानमा जीवा पं० सं० एगिंदिता जाव पंचिंदिता १ एगिंदिया पंचगतिया पंचागतिता पं० तं० एगिदिए एगिंदितेषु उपजमाणे एर्मिदितेहिंतो जाब पंचिदिएहिंतो वा उपबजेज्जा से चेव णं से एगिदिए एगिदितत्तं विप्पजहमाणे एगिंदितत्ताते वा जाब पंचिदितत्ताते वा गच्छेजा २ वेंदिया पंचगतिता पंचागइया एवं चैव ३ एवं जाव पंचिंदिया पंचगतिता पंचागइया पं० [सं० पंचिदिया जाव गच्छेजा ४-५-६ पंचविधा सहजीवा पं० सं०- कोहकसाई जाब लोभकसाई अकसाती ७ अहवा पंचविधा सबजीवा पं० तं०-नेरइया जाव देवा सिद्धा ८ ४५८। अह भंते! कलमसूरतिलमुग्गमासणिष्फावकुलत्यआ (प्र० अ) लिसंदगसतीणपलिमंथगाणं एतेसिं णं धन्नाणं कुद्वाउत्ताणं १९३ स्थानांग ST मुनि दीपरत्नसागर Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जया सालीणं जाव केवलितं कालं जोणी संचिइति ?, गोयमा ! (प्र० सा) जहणणेणं अंतोमुद्दत्तं उक्कोसेणं पंच संबच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायति जाब तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते । ४५९। पंच बच्छरा पं० तं णक्खत्तसंवच्छरे जुगर्सवच्छरे पमाणसंवच्छरे लक्खणसंत्रच्छरे सर्णिचरसंवच्छरे १ जुगसंवच्छरे पंचविहे पं० तं० चंदे चंदे अभिवतेि चंदे अभिवढिते चेत्र २ पमाणसंत्रच्छरे पंचविहे पं० तं० नक्खत्ते चंदे ऊऊ आदिचे अभिवढिते ३ लक्खणसंचच्छूरे पंचविहे पं० तं०- समगं नक्खत्ता जोगं जोयंति समगं उदू परिणमंति। णचुण्ड णातिसीतो बहूदतो होति नक्खत्ते १ ॥३५॥ ससिसगलपुण्णमासी जोतेती विसमचारणक्खत्ते कडुतो बहूदतो (या) तमाहु संवच्छरं चंदं २ ॥ ३६॥ विसमं पचालिणो परिणमंति अणुदृसु देति पुष्फफलं। वासं न सम्म वासति तमाहु संवच्छरं कम्मं ३ ॥३७॥ पुढविदगाणं तु रसं पुष्फफलाणं तु देइ आदिच्चो । अप्पेणवि वासेणं सम्मं णिष्फजए सस्सं (प्र० सासं) ४ ॥ ३८ ॥ आदिञ्चतेयतचिता खणलबदित्ता उऊ परिणमंति। पूरिंति रेणुथलताई (प्र० पूरेइ य थलयाई) तमाहु अभिवदितं जाण ५ ॥ ३९ ॥ ४६० | पंचविधे जीवस्स णिज्जाणमग्गे पं० तं पातेहिं ऊरूहिं उरेणं सिरेणं सशंगेहिं, पाएहिं णिज्जाणमाणे निरयगामी भवति, ऊरुहिं णिजाण (प्र० य) माणे तिरियगामी भवति उरेणं निज्जायमाणे मणुयगामी भवति सिरेणं णिज्जायमाणे देवगामी भवति सत्रे (गे) हिं निज्जायमाणे सिद्धिगतिपजवसाणे पण्णत्ते । ४६१। पंचविहे छेयणे पं० तं०- उप्पाछेयणे वियच्छेयणे बंधच्छेयणे पएसच्छेयणे (पंथच्छेयणे पा०) दोधारच्छेयणे, पंचविधे आणंतरिए पं० तं० उप्पातांतरिते त्रितणंतरिते पतेसाणंतरित समताणंतरिए सामण्णाणंतरिते. पंचविधे अणते पं० तं०-णामणंतते ठवणाणंतते दृव्वाणंतते गणणाणंतते पदेसाणंतते, अहवा पंचविहे अनंतते पं० तं० एगतोऽणंतते दुहतोऽणंतए देसवित्थारणंतए सङ्घवित्थाराणंतते सासयाणंतते । ४६२ । पंचविहे गाणे पं० तं० आभिणिबोहियणाणे सुयनाणे ओहिगाणे मणपज्जवणाणे केवलणाणे । ४६३। पंचविहे णाणावरणिजे कम्मे पं० तं० आभिणिवोहियणाणावरणिजे जाय केवलनाणावरणिजे । ४६४ । पंचविहे सज्झाए पं० तं० वायणा पुच्छणा परियदृणा अणुप्पेहा धम्मका ।४६५॥ पंचविहे पञ्चवाणे पं० नं०-सदहणसुदे विणयसुदे अणुभासणामुद्धे अणुपालणासुद्धे भावसुद्धे । ४६६। पंचविहे पडिकमणे पं० तं०- आसवदारपडिकमणे मिच्छत्तपडिकमणे कसायपडिकमणे जोगपडिकमणे भावपडिकमणे । ४६७॥ पंचहि ठाणेहि सुतं बाएजा तं०-संगहट्टयाते उवग्गहणट्टयाते णिज्जरणट्टयाते सुत्ते या मे पज्जवयाते भविस्सति सुत्तस्स वा अवोच्छित्तिणयाते, पंचहि ठाणेहिं सुत्तं सिक्खिज्जा, तं० णाणट्टयाते दंसणट्टयाते चरितट्टयाते वृग्गहविमोतयाने अहत्थे वा भावे जाणिस्सामीतिकट्टु । ४६८। मोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंचवण्णा पं० सं०- किण्हा जाव सुकिला १ सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु विमाणा पंच जायणसयाई उड्ढउच्च लेणं पन्नत्ता २ भलोगलंततेमु णं कप्पे देवाणं भवधारणिजसरीरगा उक्कोसेणं पंचरयणी उदंडवत्तेणं पं० ३ नेरइया णं पंचवने पंचरसे पोग्गले बंधेसु वा बंधेति वा बंधिस्संति वा तं किव्हा जाव सुकिले, तित्ते जाब मधुरे, एवं जाय वैमाणिता २४, ४ । ४६९। जंबुडीचे २ मंदरस्स पञ्चयस्स दाहिणेणं गंगा महानदी पंच महानदीओ समप्पेंति, सं०-जउणा सरऊ आदी कोसी मही १ जंबूमंदरस्स दाहिणेणं सिंधुमहानदी पंच महानदीओ समप्पेंति तं सतद्दू विभासा वितत्था एगवनी चंद्रभागा २ जंबूमंदस्स उत्तरेणं रत्ता महानई पंच महानईओ समप्पैति तं० किव्हा महाकिण्हा नीला महानीला महातीरा ३ जंबूमंदरस्स उत्तरेणं रत्तावती महानई पंच महानईओ समप्पैति तं० इंदा इंदसेणा सुसेणा वारिमेणा महाभोया ४ । ४७० पंच नित्थगरा कुमारवासमज्झे वसित्ता (ज्झावसित्ता) मुंडा जाव पचतिता, तं० वासुपुजे मही अरिनेमी पासे बीरे । ४७१। चमरचंचाए रायहाणीए पंच सभा पं० तं० सभा सुधम्मा उपवातसभा अभिसेयसभा अलंकारितसभा ववसातसभा, एगमेगेणं इंदट्टाणेणं पंच सभाओ पं० तं० सभा सुहम्मा जाव बवसातसभा । ४७२। पंच णक्खत्ता पंचतारा पं० तं धणिट्टा रोहिणी पुणवस हस्थो बिसाहा । ४७३ जीवाणं पंचट्टाणणिवित्तिने पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तं० पुगिदितनिशत्तिते जात्र पंचिदितनिश्वसिते, एवं चिण उवचिण बंध उदीर वेद तह णिज्जरा चेव पंचपतेसिता खंधा अणंता पण्णत्ता पंचपतेसोगाढा पोग्गला अणता पण्णत्ता जाव पंचगुणलुक्खा पोग्गला अणता पण्णत्ता ॥४७४॥ ३०३ पञ्चस्थानाध्ययनं ५ ॥ छहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति गणं धारितते, तं०-सड्ढी पुरिसज्जाते १ सचे पुरिसजाते २ मेहावी पुरिसजाते ३ बहुस्सुते पुरिसजाते ४ सत्तिमं ५ अप्पाधिकरणे ६।४७५। छहिं ठाणेहिं निग्गंथे निम्मंथिं गिष्हमाणे वा अवलंबमाणे नाइकमइ, तं० खित्तचित्तं दित्तचित्तं जक्खाति उम्मापत्तं उवसग्गपत्तं साहिकरणं । ४७६ छहिं ठाणेहिं निम्गंथा निग्गंधीओ य माहम्मितं कालगतं समायरमाणा णाइकमंति, तं० अंतोहितो वा चाहिं णीणेमाणा १ बाहीहिंतो वा निच्चाहिं णीणेमाणा २ उद्देहमाणा वा ३ उवासमाणा वा (भयमाणा वा उवसामेमाणा वा पा० ) ४ अणुन्नवेमाणा वा ५ तुसिणीते या संपत्रयमाणा ६।४७७ छ ठाणाई छउमत्थे सम्रभावेणं ण जाणति ण पासति तं० धम्मत्थिकायमधम्मत्थिकातं आयासं जीवमसरीरपडिवद्धं परमाणुपोग्गलं सद्द, एताणि चेव उप्पन्ननाणदंसणधरे अरहा जिणे जाय मत्रभावेण जाणनि पामति तं धम्मत्धिकातं जाव सदं । ४७८ । छहिं ठाणेहिं सहजीवाणं णत्थि इड्डीति वा जुत्तीति वा० परकमेति वा तं० जीवे वा अजीवं करणताते १ अजीवं वा जीवं करणताते २ एगसमएणं वा दो भामातो भासित्तते ३ सयं कडं वा कम्मं वेदेमि वा मा वा वेएमि ४ परमाणुपोम्गलं वा छिंदित्तए वा मिंदित्तए वा अगणिकातेणं वा समोदहित्तते ५ बहिता वा लोगंता गमणताते ६ । ४७९ छ जीवनिकाया पं० तं० पुढवीकाइया जात्र तसकाइया । ४८० छ तारग्गहा, पं० तं० सुके बुड़े वहस्सती अंगारते सनिचरे केतू । ४८१ । छविहा संसारसमावन्नगा जीवा पं० तं० पुढवीकाइया जाब तसकाइया, पुढवीकाइया छगइया छआगतिता पं० तं० पुढवीकातिते पुढवीकाइएस उपवजमाणे पुढवीकाइएहिंतो वा जाव तसकाइएहिंतो वा उववजेज्जा, सो चेव णं से पुढवीकातिते पुढवीकातितत्तं विप्पजहमाणे पुढवीकातितत्ताते वा जाव तसकातितत्ताते वा गच्छेजा, आउकातियावि छगतिता छआगतिता, एवं चेव जाव तसकातिता । ४८२ । छबिहा सहजीवा पं० [सं० आभिणिवोहियणाणी जाब केवलणाणी अन्नाणी, अहवा छविधा सङ्घजीवा पं० तं०- एगिंदिया जाव पंचिंदिया अणिदिया, अहवा छविहा सङ्घजीवा पं० तं० ओरालियसरीरी बेडशियसरीरी आहारगसरीरी तेअगसरीरी कम्मगसरीरी असरीरी । ४८३। छविहा तणवणस्सतिकातिता पं० तं० अग्गबीया मूलबीया पोरबीया संधवीया बीयरुहा संमुच्छिमा । ४८४ उड्डाणाई सङ्घजीवाणं ११४ स्थानांगं ठाणे-5 मुनि दीपरत्नसागर Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ णो सुलभाई भवंति, तं०-माणुस्सए भवे १ आयरिए (प्र. आरिए) खित्ते जम्म २ सुकुले पचायाती३ केवलिपचत्तस्स धम्मस्स सवणता ४ सुयस्स वा सहहणता५ सहहितस्स वा पत्तितस्स वा रोइतस्स या सम्म काएणं फासणया ६ 1४८५। छ इंदियत्था पं०२०-सोइंदियस्थे जाव फासिदियत्थे नोइंदियत्थे।४८६। छबिहे संबरे ५० त०-सोतिदियसंवरे जाव फासिंदियसंवरे अणिंदियसंवरे, छविहे असंवरे पं० त०-सोइंदिअअसंवरे जाव फासिदितअसंवरे णोइंदितसंबर । ४८७। उविहे साते पं० त० सोइंदियसाते जाव नोइंदियसाते, छविहे असाते पं० सं०-सोतिदितअसाते जाव नोइंदितअसाते । ४८८। छविहे पायच्छित्ते पं० सं०-आलोयणारिहे पडिकमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउम्सग्गारिहे तवारिहे । ४८९। छविहा मणुस्सगा पं० त०-जंचूदीवगा धायइसंडदीवपुरच्छिमगा धाततिसंडदीवपञ्चस्थिमद्धगा पुक्खरवरदीवड्ढपुरस्थिमद्धगा पुक्खरखरदीवपञ्चस्थिमदगा अंतरदीवगा. अहवा छविहा मणुस्सा पं० तं०-समुच्छिममणुस्सा कम्मभूमगा १ अकम्मभूमगा २ अंतरदीवगा ३, गम्भवतिअमणुस्सा कम्मभूमिगा १ अकम्मभूमगा २ अंतरदीवगा ३।४९०। छविहा इढीमंता मणुस्सा पं० तं- अरहंता चकवट्टी बलदेवा वासुदेवा चारणा विजाहरा, छविहा अणिड्ढीमंता मणुस्सा पं० २०-हेमवंतगा हेरनवंतगा हरिवंसगा रम्मगवंसगा कुरुवासिणो अंतरदीवगा । ४९१। छविहा ओसप्पिणी पं० तं०. सुसमसुसमा जाय दूसमसमा. छविहा उस्सप्पिणी पं० तं०-दुस्समदुस्समा जाय सुसमसुसमा । ४५२। जंहीवे २ भरहेरवएसु वासेस तीवाए उस्सप्पिणीते सुसमसुसमाते समाए मणुया छञ्च घणुसहस्साई उड्ढमुचत्तेणं हुत्था, उच्च अदपलिओवमाई परमाउं पालयित्था १ जंबुद्दीवे | २भरहरखतम वासस् इमास आसाप्पणात सुसमसुसमात समाए एवं चव २० भरहरवत आगमस्सात उस्सस्पिात सुसमसुसमात समाए एवं चेष जाव छच अद्वपलिओवमाई परमाउं पालतिस्मति ३जपहीये २ देवकर उत्तरकरासु मणुया छ घणुस्सहस्साई उड्ढं उच्चत्तेणं पं० रुच अद्धपलिओचमाई परमाउं पालेति ४ एवं धायइसंडदीवपुरच्छिमदे चत्तारि आलावगा जाव पुक्खरखरदीवइढपचच्छिम चत्तारि आलावगा ।४५३। छविहे संघयणे पंतंक-वतिरोसभणारातसंघयणे उसभणारायसंघयणे नारायसंघयणे अजनारायसंघयणे खीलितासंघयणे छे(प्र०से)बट्टसंघयणे । ४९४ । छविहे संठाणे पं० तं०- समचउरंसे णग्मोहपरिमंडले साती खुज्जे वामणे हुँडे । १९५। छ ठाणा अणत्तवओ अहिताते असुभाते अखमाते अनीसेयसाए अणाणुगामियत्ताते भवति, तं०. परिताले परिताले सुते तवे लाभे पूतासकार, छट्टाणा अत्तवतो हिताते जाव आणुगामियत्ताने भवंति. तं-परिताते परिनाले जाब पतासकारे । ४५६ । लविहा जाइआरिया मणुस्सा पं० २०-अंबडा य कलंदा य, वेदेहा वेदिगातिता । हरिता चुंचुणा चेव, छप्पेता इन्भजातिओ ॥४०॥ छविधा कुलारिता मणुस्सा पं० तं०- उग्गा भोगा राइना इक्खागा णाता कोरबा 1४९७। छविधा लोगट्टिती पं०२०-आगासपतिहिते वाए पायपतिट्टिए उदही उदधिपतिहिता पुढवी पुढवीपइडिया तसा थावरा पाणा अजीवा जीवपइडिया जीवा कम्मपतिहिया । ४५८। उदिसाओ पंतं पानीणा पीणा दाहिणा उतीणा उड्ढा अधा, छहिं दिसाहिं जीवाणं गती पवत्तति, तं पाईणाते जाव अधाते ? एक्मागई २ वकंती ३ आहारे ४ वुड्ढी ५ निबुड्ढी ६ विगुजणा ७ गतिपरिताते ८ समुग्धाने ५ कालसंजोगे दंगणाभिगमे ११ णाणाभिगमे १२ जीवाभिगमे १३ अजीचाभिगमे १४. एवं पंचिंदियतिरिक्खजोणियाणवि मणुस्साणवि ।४९९। छहिं ठाणेहिं समणे निग्गंथे आहारमाहारमाणे णातिकमति, तं०-वेयण वेयावचे ईरियट्टाए य संजमट्टाए। तह पाणव| लिया पण धम्मचिंताए ॥४१॥ उहि ठाणहि समणे निम्गथे आहारं वोचिंदमाणे णातिकमति, त०-आतंक उबसम्म तितिक्खण भचेरगुत्तीते। पाणिदया तबहेउं सरीरवच्छयणट्टाए ॥४३ (उम्मायपमायं पा) पाउणेजा, तं०-अरहंताणमवणं वदमाणे १ अरहंतपनत्तस्स धम्मस्स अवचं बदमाणे २ आयरियउज्झायाणमवप्नं पदमाणे ३ चाउननस्स संघस्स अवनं पदमाणे ४ जक्खावेसेण चेव ५ मोहणिजस्म चेव कम्मस्स उदएणं ६।५०१। छविहे पमाते पं० त०-मजपमाए णिहपमाते विसयपमाते कसायपमाते जूतपमाते पडिलेहणापमाए ।५०२। ठविधा पमायपडिलेहणा पं० तं०-आरभडा संमहा बजेयत्रा य मोसली ततिता (अठाणठवणाय पा)ीपकोडणा चउत्थी वक्वित्ता वेतिया छट्ठी ॥४३॥ छविहा अप्पमायपडिलेहणा पं० २० अणञ्चावितं अवलितं अणाणुपंधि अमोसन्दि चेय। छप्पुरिमा नव खोडा पाणी पाणपिसोहणी ॥४४॥ ५०३। छलेमाओ पं००-कण्हटेसा जाव सुकलेसा, पंचिंदियतिरिक्वजोणियाणं छ लेसाओ पं० तं०-कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा, एवं मणुस्सदेवाणवि।५०४ा सकस्सणं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो छ अग्गमहिमीतो पं.सकस्सणं देविंदस्स देवरणो जमस्स महारन्नो छ अगमहिसीओ पं०।५०५ाईमाणस्स ण देविंदस्स मज्झिमपरिसाए देवाणं छ पलिओवमाइं ठिती पं० (सक०म० देवाणं०)।५०६। छ दिसिकमारिमहतरितातो पं० तं रूता कसा सुरुवा रूपवती रूपकंतारूतप्पभा, छ विजुकुमारिमहत्तरितातो पं० त०-आला (म० अला) सका (प० मक्का) सतेरा सोतामणी इंदा घणविजुया।५०७अधरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छ अग्गमहिसीओ पंनं-आला सक्का सतेरा सोनामणी इंदा घणविजुया, भूताणंदस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छ अमामहिमीओ पं० २०-रूवारूवंसा सुरूवा रूवबती रूवकता रूवप्पभा, जधा धरणस्स तथा सव्वेसि दाहिणिडाणं जाव घोसस्म. जघा भूताणंदस्स तथा मसि उत्तरिडाणं जाव महाघोसस्स । ५०८ाधरणस्स णं नागकुमारिंदस्स नागकुमाररन्नो छस्सामाणियसाहस्सीओ पं० एवं भूताणंदस्सवि जाच महाघोसस्स । ५०९। छविहा उग्गहमती पं० २०-खिप्पमोगिण्हति बहुमोगिण्डनि बहविधमोगिण्डति धपमोगिण्डति अणिस्सियमोगिण्हइ असंदिबमोगिण्हइ, छविहा ईहामती पं० २०-खिप्पमीहति बहुमीहति जाच असंदिदमीहति, छविधा अवायमती पं० त०-खिप्पमवेति जाव असंदिदं अवेति. छविधा धारणा पतंबई धारद पहाविहं धारे पोराणं धारेति दुदरं धारति अणिस्सितं धारति असंदिदं धारेति ।५१ छबिहे बाहिरते तवे पं०२०-अणसणं ओमोदरिया भिक्खातरिता रसपरिचाते कायकिलेसो पडिसलीनता. उनिधे अभंतरिते तवे पं० तं पायच्छित्तं विणओ बेयावच्चं तहेव सज्झाओ। झाणं विउस्सगो।५११। छबिहे विवादे पं० त०-ओसक्कतित्ता (ओसकवइत्ता पा०) उस्सकइत्ता (उस्सकावइत्ता पा०) अणुलोमइना पडिलोमतिना भइत्ता भेलनिना (भेयइत्ता पा०)।५१२। छव्विहा खुड्डा पाणा पं० त०-बंदिता तेइंदिता चउरिदिता समुच्छिमपंचिदिततिरिक्खजोणिता तेउकातिता वाउकातिता।५१३। छविधा गोयरचरिता पं० २०-पेड़ा अपेडा गोमुत्तिता पतंगविहिता |:११५ स्थानांग-ठाण मुनि दीपरत्नसागर Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ संवृकबहा गंतुंपचागता ।५१४। जंबुद्दीचे २ मंदरस्स पव्ययस्स य दाहिणेणमिमीसे रतणप्पभाते पुढवीए छ अवक(क)तमहानिरता पं० सं०-लोले लोलए उदहढे निदढे जरते पजरते, पउथीए णं पंकप्पभाए पुढवीते हुए अवकंता महानिरता पं० २०-आरे वारे मारे रोरे रोरुते खाडखडे।५१५। भलोगे णं कप्पे छ विमाणपत्थडा पं००-अस्ते विरते णीरते निम्मले वितिमिरे विसुद्धे ।५१६। चंदस्म णं जोतिसिंदस्म जोतिसरन्नो छ णक्यत्ता पूर्वभागा समवेत्ता तीसतिमुहुत्ता पं० २०-पुत्राभदवया कत्तिता महा पुषाफम्गणी मूलो पुवासादा, चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ णक्सत्ता णतंभागा अबढक्खेत्ता पारसमुहत्ता पं० तं०-सयभिसता भरणी अदा अस्मेसा मानी जेट्ठा, चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोतिसरचो छ नक्सत्ता उभयंभागा दिवढखेत्ता पणयालीसमुहुत्ता पं० तं-रोहिणी पुणव्वसू उत्तराफम्गुणी बिसाहा उत्तरासादा उत्तराभवया ।५१७। अभिचंदे णं कुलकरे छ घणुसयाई उइदंउच्चत्तणं हुत्या ।५१८ा भरह णं राया चाउरंतवकवही छ पृथ्वसतसहस्साई महाराया हुस्था। ५१९। पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स उ सतावादीणं सदेवमणुयासुराते परिसाते अपराजियाणं संपया होत्या. वासुपुजे णं अरहा उहिं पुरिससतेहिं सदि मुंडे जाव पव्यइते, चंदप्प णं अरहा उम्मासे छउमत्थे हत्था।५२० । तेतिंदियाणं जीवाणं असमारभमाणस्स छबिहे संजमे कजति, तं०-पाणामातो सोक्खायो अववरोवेत्ता भवति पाणामएणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति जिम्मामातो सोक्खातो अवरोवेत्ता भवइ एवं चेव फासामातोऽवि । तेइंदियाणं जीवाणं समारभमाणस्स छविहे असंजमे कजति,तं०-घाणामातो सोक्खातो वपरोवेत्ता भवति पाणामएणं दुस्खेणं संजोगेत्ता भवति, जाव फासमतेणं दुक्षेणं संजोगेना भवति ।५२१॥ जंबुटीवे२छ अकम्मभूमीओ पं० २०. हेमवते हेण्णवते हरिवस्मे रम्मगवासे देवकुरा उत्तरकुरा १ जंबुद्दीवे२ उच्वासा पं० सं०-भरहे एरपते हेमरने हेग्नवए हग्चिामे रम्मगवासे २ जंबुद्दीच २छ वासहरपवता पं० २०. चालदिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रूप्पि सिहरी ३ जंचूमंदरदाहिणेणं छ कूडा पंतं०-चुहिमवंतकूडे वेसमणकडे महाहिमवंतकूडे वेरुलितकूडे निसटकूडे श्यगकूडे ४ जंचूमंदरउत्तरेणं छ कूडा पं० तं०. नेलवंतकृटे उपदसणकूडे प्पिकूटे मणिकंचणकूडे सिहरिकृडे तिगिच्छकूडे ५जंबुद्दीवे २छ महदहा पं००-पउमदद्दे महापउमदहे तिगिच्छदहे केसरिदहे महापोंडरीयदहे पुंडरीयदहे ६ तत्व णं छ देवयाओ महड्ढियाओ जाव पलिओषमहितीतो परिवसति, तं०-सिरि हिरि घिति कित्ति वृद्धि लच्छी ७ जंबूमंदरदाहिणेणं छ महानईओ पं०२०-गंगा सिंधू रोहिया रोहितंसा हरी हरिकता ८ जंबूमंदरउत्तरेण छ महानतीती पं० त०-नरकता नारीकंता मुवनकूल्य रुप्पकून्टा रत्ता रत्तपती ५ जंचूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानदीते उभयकूले छ अंतरनईओ५००-गाहावती दहावती पंकवती तत्तजला मत्तजला उम्मत्तजला १० जंचूमंदरपथरिथमेणं सीतोदाने महानतीने उभयकूले छ अंतरनदीओ पं० तं०-खीरोदा सीहसोता अंतोवाहिणी उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिणी ११ घायइसंडदीवपुरच्छिमझेणं छ अकम्मभूमीओ पं० सं०-हेमपए एवं जहा जंयुटी २तहा नदी जाव अंतरणदीतो २२ जाव पुक्खरवरदीवदपस्थिम भाणितव्यं ५५।५२२। छ उदू पं० त०- पाउसे वरिसारते सरए हेमंते वसंते गिम्हे ११५२३। छ ओमरत्ता पं० २०-ततिते पच्चे सत्तमे पव्वे एकारसमे पथ्य पतरसमे पच्चे एगणवीसइमे पब्वे तेवीमइमे पच्चे २छ अइरला पं०तं.. चाउथे पव्वे अट्ठमे पब्वे दुवालसमे पथ्ये सोलसमे पथ्ये वीसइमे पच्वे चउबीसइमे पब्वे ३१५२४ । आभिणिवोहियणाणस्म णं छबिहे अत्थोग्गहे पं० २०. सोइंदियन्थोग्गहे जाव नोइंदियन्योमगहे । ५.२५। छविहे आहिणाणे पं० २०. आणुगामिए अणाणुगामिते वइढमाणते हीयमाणते परिवाती अपडिवाती।५२६ । नो कप्पड़ निग्गंधाण वा २ इमाई छ अवतणाहं वदिनले त अलियपयणे हीलिअवयणे ग्पिमितवयणे फरसवयण गारथियषयणे विउसवितं वा पुणो उदीरित्तते । ५२७। छ कप्पस्स पत्थारा पं० तं०. पाणातिवायस्म वायं वयमाणे १ मुमावायस्म पादं षयमाणे २ अदिनादाणस्म वादं पयमाणे ३ अवितिवायं वयमाणे ४ अपरिमवातं वयमाणे ५ दासचायं वयमाण ६इते छ कप्पस्म पत्यारे पत्यारत्ता सम्ममपरिपूरमाणो तहाणपत्ते।५२८ाछ कप्पस्स पलिमंथपं० २०.कोकुतिते संजमस्स पलिमंथू १ मोहरित सबषयणस्स परिमंधू २ चक्खुन्योलते इंरितावहितात परिमंधू (परिमंथा पा०) ३तिनिणिते एमणागोतरस्स पलिमंथू ४ इच्छालोमिते मोत्तिमग्गस्स पलिमंथु ५ भिजाणिताणकरणे मोक्वमग्गस्म पलिमंथू ६ सय्वस्थ भगवना अणिताणता पमत्था ।५२५॥ उचिहा कप्पठिती पं०नं.सामातितकप्पठिती डेतोवट्ठावणितकापठिती निच्चिसमाणकप्पठिती णिचिट्ठकप्पट्टिती जिणकप्पठिती थिविर(प्रथेर)कप्पठिती।५३०। समणे भगवं महावीरे छट्ठणं भत्तेणं अपाणएणं मुंटे जाव पचहए. समणस्स णं भगवओ महावीरस्म छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं अणते अणुत्तरे जाव समुप्पने, समणे भगवं महावीरे छट्टेणं भत्तेणं अपाणएणं सिद्धे जाच सव्वदुक्खप्पहीणे ॥५३१श सर्णकुमारमाहिदेसणं कप्पेसु विमाणा छ जोयणसयाई उहद उच्चत्तेणं पं०. सणंकमाग्माहिदेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजगा सरीरगा उकोसेणं छ रतणीओ उड्ढेउच्चतेणं पं०।५३२। छबिहे भोयणपरिणामे पं०२०-मणुन्ने रसिते पीणणिजे हिणिजे मयणिजे (दीपणिजे पा.) दप्पणिजे. छबिहे विमपरिणामे पं० २०. उके भुत्ते निवतिते मंमाणसारी सोणिताणसारी अविमिजाणुसारी ।५३३१ छबिहे पट्टे (उविहे अटे पा०) पं० तं०-संसयपढ़े बुग्गह पट्टे अणुजोगी अणुलोमे तहणाणे अतहणाणे ।५३४॥ चमग्चंचा ण रायहाणी उकोमेणं छम्मासा पिरहिता उपचातेणं, एगमेगे णं इंदहाणे उकोसेणं छम्मासा विरहिते उवयातेणं, अधेसत्तमा णं पुढयी उकोमेणं छम्मासा विरहिता उववातेणं, सिद्धिगती णं उकोसेणं उम्मासा विरहिता उक्यातेणं ।५३५। बिधे आउयचंये पं० २०. जातिणामनिधत्ताउते गतिणामणिवत्ताउए ठितिनामनिधत्ताउते ओगाहणाणामनिधत्ताउते पएसणामनिधत्ताउए अणुभावनामनिहत्ताउते, नेरतियाणं छविहे आउयचंधे पं० २० जातिणामनिहलाउते जाव अणुभावनामणिहत्ताउए एवं जाय पेमाणियाणं, नेरहया णियमा उम्मासावसेसाउता परभवियाउयं पगरेंति, एवामेव असुरकुमारावि जाय थणियकुमारा, असंखेजवासाउता सनिपचिदियतिरिक्सजोणिया णियमं छम्मासावसेमाउया परभवियाउयं पगरंति, असंखेजवासाउया सन्निमणुस्सा नियमं जाव पगरिति, वाणमंतरा जोतिसवासिता येमाणिता जहाणेरतिता ।५३६छविधे भावे पं०तं०-ओदतिते उपसमिते खतिते खतोवमिते पारिणामिते सन्निवाइए १०३ उच्चिहे पडिकमणे पं० सं० उचारपडिकमणे पासवणपडिकमणे इत्तरित आवकहिते किंचिमिच्छा सोमणंतिते ।५३८ा कत्तिताणक्खत्ते छतारे पं०, असिलेसाणक्खने उत्तारे पं० ।५३९। जीवाणं उहाणनिचनिने पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिसु वा ३ तं०- पुढवीकाइयनिवत्तिते जाव तसकायणिवत्तिते, एवं चिण उवचिण बंध उदीर वेय तह निजरा चेव ४, उप्पतेसिया णं खंधा अर्णता पं० उप्पनेसोगादा पोग्गन्दा अर्णता पं० इडसमयट्टितीता (२९) ११६ स्थानांग-ठा-6 मुनि दीपरनसागर Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ANCHOPRABHBABPCLASPIGARSHASHEEPTNASPASSPO48034ASYAASPENSPITOMBPMARHI पोम्गला अणता छगुणकालगा पोग्गला जाव छगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पण्णत्ता । ५४०॥ पदस्थानकाध्ययनं ६॥ सत्तविहे गणावकमणे पं० त०-सव्यधम्मा रोतेमि (सव्वधम्म जाणामि पा०)१एगतिता रोएमि एगइया णो रोएमि२ सञ्चधम्मा वितिगिच्छामि ३ एगतिया वितिगिच्छामि एगतिया नो वितिगिच्छामि ४ सवधम्मा जुहुणामि ५ एगतिया जुहुणामि एगतिया णो जुहूणामि ६ इच्छामि णं भंते ! एगहडविहारपडिमं उपसंपज्जिताणं विहरित्तते ७.५४श सत्तविहे विभंगणाणे पं० सं०- एगदिसिलोगाभिगमे १पंचदिसिलोगाभिगमे २ किरियावरणे जीवे३ मुदग्गे जीवे ४ अमुदग्गे जीवे ५ रूवी जीवे ६ सामिणं जीवा ७, तत्थ खल इमे पढमे विभंगणाणे-जया णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समप्पजति से णं तेणं विभंगणाणेणं समप्पनेणं पासति पातीर्ण वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीणं वा उड्ढंवा जाव सोहम्मे कप्पे, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंस समुप्पन्ने एगदिसि लोगाभिगमे, संतेगतिया समणा वा माहणावा एवमाहंसु-पंचदिसि लोगाभिगमे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं तेएवमाहंसु, पढमे विभंगनाणे १, अहावरे दोचे विभंगनाणे, जता णं तहारुवस्स समणस्स वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुपज्जतिसेणं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पनेणं पासति पातीणं वा पडीणं वा दाहिणं वा उदीणं वा उड्ढे जाव सोहम्मे कप्पे तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदसणे समुप्पन्ने पंचदिसिं लोगाभिगमे, संतेगतिता समणा या माहणा वा एवमाइंसु-एगदिसि लोयाभिगमे, जे ते एवमासु मिच्छं ते एवमाहंसु, दोच्चे विभंगणाणे २ अहावरे तचे विभंगणाणे, जया णं तहारुवस्स समणस्त वा माहणस्स वा विभंगणाणे समुप्पजति. से ण तेणं विभगणाणेण समुप्पन्नेणं पासति पाणे अतिवातेमाणे मुसं बतेमाणे अदिन्नमादितमाणे मेहुणं पडिसेवमाणे परिम्गहं परिगिण्हमाणे राइभोयणं मुंजमाणे वा पावं च णं कम्मं कीरमाणं णो पासति, तस्म णमेयं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे समुप्पन्ने किरिवावरणे जीवे, संतेगतिता समणा वा माणा वा एवमाइंसु-नो किरितावरणे जीवे, जे ते एवमाइंसु मिच्छं ते एवमासु, तचे विभंगणाणे ३ अहावरे चउत्थे विभंगणाणे जया णं नथारूवस्म समणस्स वा माहणस्स वा जाव समुपज्जति से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासति बाहिरभंतरते पोग्गले परितादितित्ता पुढेगत्तं णाणतं फुसिया फुरेता फुट्टित्ता (संवदिय निवट्टिय पा०) विकुषित्ताणं विउवित्ताणं चिट्ठिए, तस्स णमेवं भवति-अस्थिणं मम अतिसेसे णाणदसणे समुष्पन्ने मुदग्गे जीवे, संतेगविता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-अमुदग्गे जीवे, जे ते एवमासु मिच्छ ते एवमाहंसु, चउत्थे विभंगनाणे ४ अहावरे पंचमे विभंगणाणे, जया णं तधारूवस्स समणस्स जाव समुप्पजति से णं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं देवामेव पासति चाहिरभरए पोग्गलए अपरितादितित्ता पुढेगतं णाणत्तं जाच विउचित्ताणं चिट्टिते तस्स णमेवं भवति-अस्थि जाव सम्प्पन्ने अमदग्गे जीवे. संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंस-मदग्गे जीवे. जे ते एवमाहंस मिच्छं ते एवमाहंस, पंचमे विभंगणाण ५ अहावर छट्टे विभंगणाणे, जया णं तधारूवस्स समणस्स वा माहणस्स या जाव समप्पजति णं तेणं विभंगणाणेणं समुष्पन्नेणं देवामेव पासति बाहिरम्भंतरते पोग्गले परितातित्ता वा अपरियातित्ता या पुढेगत्तं णाणत्तं फुसेत्ता जाव विकृधित्ता चिहिते, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसे णाणदंसणे सम्प्पन्ने.रूवी | जीव, संतेगतिता समणा वा माहणा वा एवमाहंसु-अरूपी जीवे, जे ते एवमाहंसु मिच्छं ते एबमाइंसु, छट्टे विभंगणाणे ६, अहावरे सत्तमे विभंगणाणे, जया णं तहारुवस्स समणस्स या माहणस्स वा विभंगणाणे समप्पजति सेणं तेणं विभंगणाणेणं समुप्पन्नेणं पासइ सुहमेणं वायुकातेणं फुट पोग्गलकायं एतंतं तंतं चलंतं सुभंत फंदतं घटुंतं उदीरतं तं तं भावं परिणमंतं, तस्स णमेवं भवति-अस्थि णं मम अतिसेसेणाणदसणे समुप्पने, सबमिण जीवा, संतेगतिता समणा वा माहणाबा एवमाहंसु-जीवा चेव अजीबा चेच, जे ते एवमाहंसु मिच्छ ते एवमाहंसु, तस्स णमिमं चत्तारि जीवनिकाया णो सम्ममुवगता भवंति, तं०-पुढवीकाइया आऊ० तेऊ बाउकाइया. इच्चेतेहि चाहिं जीवनिकाएहिं 15 मिच्छादंडं पवत्तेइ, सत्तमे विभंगणाणे ७.५४२। सत्तविधे जोणिसंगधे पं०तं०-अंडजा पोवजा जराउजा रसजा संसत्तगा (प० संसेझ्या) संमुच्छिमा उभिगा, अंडगा सत्तगतिता सत्तागतित्ता पं००- अंडगे अंडगेसु उववज्जमाणे अंडतेहिंतो वा पोतजेहिंतो वा जाव उभिएहिंतो वा उववजेजा, से चेव णं से अंडते अंडगत्तं विष्पजहमाणे अंडगत्ताते वा पोतगत्ताते वा जाव उम्भियत्ताते वा गच्छेजा, पोत्तगा सत्तगतिता सत्तागतिता एवं चेव सत्तण्हवि गतिरागती भाणि-| यवा जाव उब्भियत्ति ।५४३। आयरिय उवज्झायस्स णं गणंसि सत्त संगठाणा पं० तं०-आयरियउवज्झाए गणंसि आणं वा धारणं वा सम्मं पउंजित्ता भवति, एवं जधा पंचट्टाणे जाव आयरियउवज्झाए गणंसि आपूच्छियचारी | यावि भवति नो अणापुच्छियचारी यावि भवति, आयरियउबज्झाए गणंसि अणुप्पन्नाई उवगरणाई सम्मं उप्पाइत्ता भवति, आयरियउवज्झाए गणंसि पुबुप्पन्नाई उवकरणाई सम्मं सारक्खेत्ता संगोवित्ता भवति, णो असम्मं सारक्वेत्ता संगोवित्ता भवइ, आयरियउवज्झायस्स गणसि सत्त असंगहठाणा पं०.०आयरियउवज्झाए गणसि आणं या धारणं वा नो सम्मं पउंजित्ता भवति, एवं जाव उपगरणाणं नो सम्म सारक्वेता संगोवेत्ता भवति । ५४४। सत्त पिडेसणाओ पं० सत्त पाणेसणाओ पं० सत्त उग्गहपडिमातो पं० सत्तसत्तिकया पं० सत्त महज्झयणा पं० सत्तसत्तमिया णं भिक्खुपडिमा एकूणपण्णताते रातिदिएहिमगेण य छण्णउएणं भिक्खासतेणं अहासुत्तं जाव आगहिया यावि भवति ।५४५ा अहेलोगेण सत्त पुढवीओ पं० सत्त घणोदधीतोपं० सत्तघणवाता सत्त तणुवाता पं० सत्त उवासंतरा पं०, एतेसु णं सत्तसु उवासंतरेसु सत्त तणुवाया पइडिया, एतेसु णं सत्तसु तणुवातेसु सत्त घणवाता पइडिया, एएसुणं सत्तसु घणबातेसु सत्त घणोदधी पतिहिता, एतेसु णं सत्तसु घणोदधीसु पिंडलगपिहुणसंठाणसंठिआओ (छत्तातिच्छत्तसंठाणसंठिआओ। पिहुणपिहुणसंठाणसंठिआओ पा०) सत्त पुढवीओ पं० त०-पढमा जाव सत्तमा, एतासि ण सत्तण्हं पुढवीणं सत्त णामधेजा पं० त०-घम्मा वंसा सेला अंजणा रिहा मघा माघवती, एतासिं णं सत्तण्हं पुडवीणं सत्त गोत्ता पं० त० रयणप्पमा सकरप्पमा वालुअप्पमा पंकप्पभा धूमप्पभा तमा तमतमा ।५४६। सत्तविहा वायरवाउकाइया पं० तं०-पातीणवाते पड़ीणवाते दाहिणवाते उदीणवाते उड्ढयाते अहोवाते विदिसिवाते।५४७। सत्त संठाणा पं० तं०-दोहे रहस्से बढे तसे चउरंसे पिहुले परिमंडले ।५४८। सत्त भयहाणा पं० २०. इहलोगभते परलोगभते आदाणभते अकम्हाभते वेयणभते मरणभते असिलोगभते।५४९। सत्तहिं ठाणेहिं छउमत्थं जाणेज्जा, तं०-पाणे अइवाएत्ता भवति मुसं वइत्ता भवति अदिन्नमादित्ता भवति सदफरिसरसरूवगंधे आसा११७ स्थानांर्ग-ठाणे मुनि दीपरत्नसागर Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 देत्ता भवति पूतासक्कारमणुवहेत्ता भवति इमं सावज्जंति पण्णवेत्ता पडिसेवेत्ता भवति णो जधावादी तथाकारी यावि भवति, सत्तहिं ठाणेहिं केवली जाणेज्जा, तं० णो पाणे अइवाइत्ता भवति जात्र जधावाती तथाकारी यात्रि भवति । ५५० । सत्त मुलगांत्ता पं० तं कासवा गोतमा बच्छा कोच्छा कोसिता मंडवा वासिद्धा, जे कासवा ते सत्तविधा पं० तं०-ते कासवा ते संडेला ते गोडा ते बाला ते मुंजतिणी ते पञ्चपेच्छतिणो (१० पञ्चइणो) ते परिसकण्हा, जे गोयमा ते सत्तविधा पं० [सं० ते गोयमा ते गग्गा ते भारदा ते अंगिरसा ते सक्कराभा ते भक्खराभा ते उदगत्ताभा (प्र० उदन्नाभा), जे वच्छा ते सत्तविधा पं० त० ते वच्छा ते अग्गेया ते मित्तिया ते सामि ( प्र म )लिणो ने सेलतता ते अट्टिसेणा ते वीयकम्हा, जे कोच्छा ते सत्तविधा पं० तं०-ते कोच्छा ते मोग्गलायणा ते पिंगला (प्र० गा ) यणा ते कोडीणा ते मंडलिणो ते हारिता ते सोमया (प्र० सोमलि) जे कोसिआ ते सत्तविधा पं० नं०. ते कोसिता ते कच्चानणा ते सालंकातणा ते गोलिकातणा ते पक्खिकायणा ते अग्निचा ते लोहिच्चा, जे मंडवा ते सत्तविहा पं० तं ते मंडवा ते अरिट्ठा ते समुता ते तेला ते एलावच्चा ते कंडिला (प्र० कडेला) ते खारातणा (प्र० खातणा), जे वासिट्टा ते सत्तविहा पं० वं०- ते वासिद्धा ते उंजायणा ते जारे (प्र० रु) कण्हा ते वग्धावच्चा ते कोडिना ते सण्णी ते पारासरा । ५५१ सत्त मूलनया पं० तं० नेगमे संगहे बवहारे उज्जुमुते सद्दे समभिरूडे एवंभूते । ५५२ । सत्त सरा पं० तं सज्जे रिसभे गंधारे, मज्झिमे पंचमे सरे। धेवते (रेवते पा०) चेव णिसाते, सरा सत्त विवाहिता ॥ ४५ ॥ एएसि णं सत्तष्टं सराणं सत्त सरट्टाणा पं० नं०- सज्जं तु अग्गजिब्भाते, उरेणं रिसभं सरं। कंठुगतेण गंधार, मज्झजिम्मा मज्झिमं ॥ ४६ ॥ णासाए पंचमं ब्रूया, दंतोद्वेण य धेवतं । मुदाणेण य णेसातं, सरठाणा विवाहिता ॥ ४७॥ सन्त सरा जीवनिस्सिता पं० तं० सज्जं रखति मयूरो, कुकुडो रिसहं सरं। हंसो णदति गंधारं मज्झिमं तु गवेलगा ॥ ४८ ॥ अह कुसुमसंभवे काले, कोइला पंचमं सरं । छद्धं च सारसा कोंचा, णिसायं सत्तमं गता ॥ ४९ ॥ सत्त सरा अजीवनिस्सिता पं० तं०-सज्जं खति मुइंगो, गोमुही रिसभं सरं । संखो णदति गंधारं मज्झिमं पुण झाडरी ॥ ५० ॥ चउचलणपतिट्टाणा, गोडिया पंचमं सरं। आडंबरो रेवततं, महाभेरी य सत्तमं ॥ ५१ ॥ एतेसिं णं सत्तसराणं सत्त सरलक्खणा पं० सं०- सज्ज्ञेण लभति वित्ति, कतं च ण विणस्सति । गावो मित्ता य पुत्ता य. णारीणं चेव वहभो ॥ ५२ ॥ रिसभेण उ एसज्यं, सेणावचं धणाणि य वत्थगंधमलंकारं इत्थिओ सयणाणि व ॥ ५३ ॥ गंधारं गीवजुत्तिष्णा, बज्ज वित्ती कलाहिता। भवंति कतिणो पन्ना, जे अने सत्यपारगा ॥ ५४ ॥ मज्झिमसरसंपन्ना, भवंति सुहजीविणो । खायती पीयती देती, मज्झिमं सरमस्सितो ॥ ५५ ॥ पंचमसरसंपना, भवंति पुढवीपती सूरा संगहकत्तारो, अणेगगणणातगा ॥ ५६ ॥ रेवतसरसंपन्ना, भवंति कलहप्पिया साउणिता वग्गुरिया सोयरिया मच्छबंधा ॥५७॥ चंडाला मुहियाऽनेया, जे अने पाचकम्मिणो। गोघातगा य जे चोरा, णिसायं सरमस्सिता ॥५८॥ एतेसिं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पण्णत्ता, तं० सज्जगामे मज्झिमगामे गंधारगामे, सज्जगामस्स णं सत्त मुच्छणानो पं० तं० मंगी कोरडीया हरी य रतणी य सारकंता य। छट्टी य सारसी णाम सुद्धसज्जा य सत्तमा ॥ ५९ ॥ मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणातो पं० तं०. उत्तरमंदा रयणी, उत्तरा उत्तरासमा। आसोकता य सोवीरा अभिक हवन सत्तमा ॥ ६० ॥ गंधारगामस्स शंसत्त मुच्छणातो पं० तं० गंदी व खुद्दिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा। उत्तरगंधारावि त पंचमिता हवति मुच्छा उ ॥ ६१ ॥ सुतरमायामा सा छुट्टी नियमसो उ णायवा । अह उत्तरायता कोडीमातसा सत्तमी मुच्छा ॥ ६२ ॥ सप्त सराओ कओ संभवति ? गेयस्स का भवति जोणी ? । कतिसमता उसासा ? कति वा गेयस्स आगारा ? ॥६३॥ सत सरा णाभीतो भवति गीतं च रुप(प्र० रुग्ण ) जोणीतं । पादसमा ऊसासा तिन्नि य गेयस्स आगारा ॥ ६४ ॥ आइमिउ आरभंता समुहंता य मज्झगारंमि। अवसाणे तजवितो विन्निय गेयस्स आगारा ॥ ६५ ॥ छद्दोसे अट्ट गुणे तिन्नि य वित्ताई दो य भणितीओ। जाणाहिति सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमज्झम्मि ॥ ६६॥ भीतं दुतं रहस्सं (उप्पिच्छं पा० ) गायंतो मा त गाहि उत्तालं काकस्सरमणुनासं च होंति गेयस्स छदोसा ॥ ६७ ॥ पुनं १ रतं २ च अलंकियं ३ च वत्तं ४ तहा अविघुद्धं ५। मधुरं ६ सम ७ सुकुमारं ८ अट्ट गुणा होंति गेयस्स ॥ ६८॥ उरकंठसिरपसत्थं च गेजते मउरिभिअपदवद्धं । समतालपडुक्खेवं सत्तसरसीहरं गीयं ॥६९॥ निद्दोसं सारवंतं च, हेउजुत्तमलंकियं । उपणीयं सोवयारं च मियं मधुरमेव य ॥ ७० ॥ सममदसमं चैव सवत्थ विसमं च जं । तिनि वित्तप्पयाराई, चउत्थं नोवलम्भती ॥ ७१ ॥ सकता पागता चेव, दुहा भणितीओ आहिया। सरमंडलंमि गिज्जंते, पसत्था इसिभासिता ॥ ७२ ॥ केसी गावति मधुरं ? केसी गातति खरं च रुक्खं च ? केसी गायति चटरं ? केसि विलंब ? दुतं केसी ? ॥ ७३ ॥ विस्सरं पुण केरिसी ?, सामा गायइ मधुरं काली गाय खरं च रुक्खं च गोरी गावति चउरं काण विलंबं दुतं अंधा ॥ ७४॥ विस्सरं पुण पिंगला ॥ तंतिसमं तालसमं पादसमं लयसमं गहसमं च नीसमि ऊससियसमं संचारसमा सरा सत्त ॥ ७५ ॥ सप्त सरा य ततो गामा, मुच्छणा एकवीसती ताणा एगूणपण्णासा, समत्तं सरमंडलं ॥ ७६ ॥ ५५३ ॥ स्वरप्रकरणं ॥ सत्तविधे कायकिलेसे पं० तं०-ठाणातिते उकुहुयासणिते पडिमठाती वीरासणिते सज्जिते दंडातिते लगडसाती । ५५४। जंबुद्दीचे २ सत्त वासा पं० तं० भरहे एरवते हेमवते हेरन्नवते हरिवासे रम्मगवासे महाविदेहे, जंबुद्दीवे २ सत्त वासहरपक्षता पं० तं० चुहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रुप्पी सिहरी मंदरे, जंबुद्दीये २ सत्त महानदीओ पुरत्याभिमुहीओ लवणसमुदं समप्र्प्यति, तं०-गंगा रोहिता हरी सीता णरकंता सुवष्णकूला रत्ता, जंबूदीवे २ सत्त महानतीओ पचत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्पेंति, तं० - सिंधू रोहितंसा हरिकंता सीतोदा णारीकंता रुष्पकूला रत्तवती, धायइसंडदीवपुरच्छ्रिमद्वेणं सत्त वासा पं० तं०-भरहे जाव महाविदेहे, धायइसंडदीवपुरच्छिमेणं सत्त वासहरपक्षता पं० [सं० चुहिमवंते जाव मंदरे, धायइसंडदीवपुर सत्त महानतीओ पुरच्छाभिमुहीतो कालोयसमुहं समपैति तं गंगा जाव रत्ता, धायइसंडदीवपुरच्छिमद्वेणं सत्त महानतीओ पञ्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्पेंति, तं०-सिंधू जाव रत्तवती, धायइसंडदीवे पश्ञ्चत्थिमद्वेणं सत्त वासा एवं चेव, णवरं पुरस्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्र्पति पञ्चत्याभिमुहीओ कालोद सेसं तं चेव, पुक्खरवरदीवटपुरच्छिमदेणं सत्त वासा तहेव, णवरं पुरत्याभिमुहीओ पुक्खरोदं समुदं समप्पैति पञ्चत्थाभिमुहीतो कालोदं समुदं समपैति सेसं तं चैव एवं पञ्चथिमद्धेऽवि, वरं पुरस्थाभिमुहीओ कालोदं समुहं समः पञ्चत्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समप्र्पति, सञ्चत्य वासा वासहरपञ्चता णतीतो य भाणिताणि ॥ ५५५॥ जंबुद्दीवे २ भारहे वाले तीताते उस्स(ओस प्र० ) प्पिणीते सत्त कुलगरा हुत्था, ११८ स्थानांगं ठाui-9 + मुनि दीपरत्नसागर Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ हातं०-मित्नदामे सुदामे य, सुपासे य सयंपभे। विमलयोसे सुघोसे त. महाघोसे य सत्तमे ॥७॥ जंबुद्दीवे२ भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था-पढमित्व विमलवाहण १ चक्खुम२जसमं ३चउत्थमभिचंदे ४ानत्तो य पसेणइ ५ पुण मरुदेवे चेव ६ नाभीय ७७८॥ एएसिंणं सत्तहं कुलगराणं सत्त भारियाओ होत्था, तं०-चंदजस १ चंदकांतार सुरुव ३ पडिरूव ४ चक्खुकंता ५य। सिरिकता ६ मरुदेवी ६ कुलकरइत्थीण नामाई ॥७९॥ जंबुद्दीचे २ भारहे वासे आगमिस्साए उस्सप्पिणीए सत्त कुलकरा भविस्संति-मित्तवाहण सुभोमे य, सुष्पभे य सयंपभे । दत्ते सुहुमे सुबंधू य, आगमेस्सेण होक्खनी ॥ ८॥ विमलवाहणे ण कुलकरे सत्तविधा रुक्खा उपभोगताने हबमाञ्छिस, नं०-मत्तंगता त भिंगा चित्तंगा चेव हॉति चित्तरसा। मणियंगात अणियणा सत्तमगा कप्परुक्खा य॥८१॥५५६ । सत्तविधा दंडनीती पं० २०-हकारे मक्कारे धिक्कारे परिभासे मंडलबंधे चारते छविच्छेदे ।५५७। एगमेग्गस्स णं ग्नो चाउरंतचकवहिस्सणं सत्त एगिदियरतणा पं० तं०-चकरयणे १ छत्तरयणे २ चम्मरयणे ३दंडरयणे ४ असिरयणे ५ मणिरयणे ६ काकणिरयणे ७, एगमेगस्स णं रनो चाउरंतचक्वाहिस्स सत्त पंचिंदियरतणा पं.तं.सेणावतारयणे १ गाहावनिग्यणे २ वड्ढतिरयणे ३ पुरोहितरयणे ४ इत्थिरयणे ५ आसरयणे ६ हस्थिरयणे ७.५५८ा सत्तहिं ठाणेहिं ओगाढं दुस्सम जाणेजा, तं०- अकाले वरिसइ १ काले ण वरिसइ २ असाधू पुजंति३ | माधू ण पुननि ४ गुरूहि जणो मिच्छं पडिवन्नो ५ मणोदुहता ६ वतिदुहता ७. सत्तहिं ठाणेहिं ओगाढं सुसमं जाणेज्जा, तं०-अकाले न वरिसइ १ काले वरिसइ २ असाधू ण पुज्जति ३ साधू पुजंति ४ गुरूहि जणो सम्मं पडिवो ५मणोसुहता ६ बतिसुहता ७५५९। सत्तविहा संसारसमावन्नगा जीवा पं० सं०-नेरतिता तिरिक्खजोणिता तिरिक्खजोणिणीतो मणुस्सा मणस्सीओ देवा देवीओ५६। सत्तविधे आउभेदे पं० तं- अज्झवसाण निमित्ते आहारे वेयणा पराघाते। फासे आणापाणु सत्तविध भिजए आउं ॥८२॥५६१। सत्तविधा सधजीवा पं०२०-पुढवीकाइया आउ० तेउवाउ० वणस्सतितसकातिता अकातिता, अहया सत्तविहा सबजीचा पं०२०- कण्हलेसा जाव सुक्कलेसा अलेसा । ५६२। भदत्ते णं राया चाउरंतचकवट्टी सत्त धणूइं उइदउच्चत्तेणं सत्त य वाससयाई परमाउं पालइत्ता कालमासे कालं किच्चा अधे सत्तमाए पुढवीए अप्पतिट्टाणे परए णेरतितत्ताए उवचन्ने।५६३। महीणं अरहा अप्पसत्तमे मुंडे भवित्ता अगागतो अणगारियं पञ्चइए, सं०. माही विदेहरायवरकन्नगा १ पडिचुद्धी इक्खागराया २ चंदच्छाये अंगराया ३ रुप्पी कुणालाधिपती ४ संखे कासीराया ५ अदीणसत्तू कुरुराता ६ जितसनू पंचालराया १५६४॥ सत्तविहे दसणे ५० तं-सम्मदसणे मिच्छादसणे सम्मामिच्छादसणे चक्खुदंसणे अचक्खुदसणे ओहिदसणे केवलदसणे।५६५। छउमत्यवीयरागे णं मोहणिजवज्जाओ सत्त कम्मपयडीओ बेयेति. तं०-णाणावरणिज्जं दसणावरणिनं वेयणीय आउयं नाम गोतमंतगतिर्त ।५६६। सत्त ठाणाई छउमत्थे सवभावेणं न याणति न पासति, तं० धम्मत्धिकायं अधम्मस्विकार्य आगासस्थिकार्य जीपं असरीरपडिबई परमाणुपोग्गलं सह गंध, एयाणि चेव उप्पन्नणाणे(ण) जाव जाणति पासति, तं०-धम्मस्थिगातं जाव गंध। ५६७। समणे भगवं महावीर वयरोसभणारायसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिते सत्त रयणीओ उदउच्चत्तेणं हुत्था।५६८ासत्त विकहाओ पं० ते इत्थिकहा भत्तकहा देसकहा रायकहा मिउकालणिता दंसणभेयणी चरित्तभेयणी ।५६९। आयरियउवज्झायस्स णं गणंसि सत्त अइसेसा पं० २०-आयरिउवज्झाए अंतो उवस्सगस्स पाते णिगिज्झिय २ पप्फोडेमाणे वा पमज्जेमाणे वा णातिकमति, एवं जधा पंचट्ठाणे जाव बाहिं उबस्सगरस एगरातं वा दुरातं वा वसमाणे नातिकमति, उपकरणातिसेसे भत्तपाणातिसेसे ।५७०। सत्तविधे संजमे पं० तं०-पुढवीकातितसंजमे जाव तसकातितसंजमे अजीवकायसंजमे, सत्तविधे असंजमे पंतं पढवीकातितअसंजमे जाच नमकातिनसंजमे अजीवकायअसंजमे, सत्तविहे आरंभे पं० तं०-पुढवीकातितआरंभेजाव अजीवकातआरंभे, एवमणारंभेऽपि, एवं सारंभेऽवि, एवमसारंभेऽपि, एवं समारंभेऽवि, एवं असमारंभेऽवि, जाव अजीवकायअसमारंभे ।५७१। अथ भंते ! अदसिकुसुंभकोहवकंगुगलगसणसरिसवमूला(प्र० मूलग)बीयाणं एतेसिं णं धनाणं कोहाउत्ताणं पाडाउत्ताणं जाव पिहियाणं केवतितं कालं जोणी संचिट्ठति ?.(-गो !) जहणणं अंतोमुहत्तं उकोसेणं सत्त संबच्छराई, तेण परं जोणी पमिलायति जाव जोणीवोच्छेदे पण्णते ११५७२। वायरआउकाइयाणं उकोसेणं सत्त वाससहस्साई ठिती पं०२, तचाए णं वालुयप्पभाते पुढवीए उक्कोसेणं नेरइयाण मत्त सागरोवमाई टिंती पं०३. चउन्थीतेणं पंकप्पभाते पुढवीते जह• नेरइयाणं सत्त सागरोबमाई ठिती पं०४।५७३। सक्कस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वरुणस्स महारनो सत्त अग्गमहिसीतो पं०. ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरत्रो सोमस्स महारनो मत्त अग्गमहिमीतो पं०, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो जमस्स महारन्नो सत्त अम्गमहिसीओ पं०।५७४। ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अभितरपरिसाते देवाणं सत्त पलिओवमाई ठिती पं०, सकस्सणं देविंदम्म देवरन्नो अग्गमहिमीणं देवीणं सत्त पलिओचमाई ठिती पं०, सोहम्मे कप्पे परिग्गहियाणं देवीणं उकोसेणं सत्न पलिओवमाई ठिती पं०।५७५। सारस्सयमाइचाणं सत्त देवा सत्त देवसता पं०, गद्दतोयतुसियाणं देवाणं सत्त देवा सत्न देवसहस्सा पं० ।५७६। सर्णकुमारे कप्पे उकोसेणं देवाणं सत्त सागरोवमाई ठिती पं०, माहिद कप्पे उक्कोसेणं देवाणं सातिरेगाई सत्न सागरोवमाइं ठिती पं०, बंभलोगे कप्पे जहण्णेणं देवाणं सत्त सागरोवमाई ठिती पं०।५७७॥ भलोयलंततेसु णं कप्पेसु विमाणा सत्त जोयणसताई उड्ढउच्चत्तेणं पं०।५७८। भवणवासीणं देवाणं भवधारणिज्जा सरीरगा उकोसेणं सत्त रयणीओ उड्दउच्चत्तेणं, एवं वाणमंतराणं, एवं जोइसियाणं, सोहम्मीसाणेसु णं कप्पेसु देवाणं भवधारणिजगा सर्गग सत्त रयणीओ उड्दंउबत्तेणं पं०। ५७९ । णंदिस्सरवरस्स णं दीवस्स अंतो सत्त दीवा पं० त०- जंबुद्दीवे दीवे १ धायइसंडे दीये २ पोक्खरखरे २ वरुणवरे ४ खीरवरे ५ घयवरे ६ खोयवरे । णंदीसम्बरस्स णं दीवस्स अंतो सत्न समुदा पं० सं०-लवणे कालोते पुक्खरोदे वरुणोदे खीरोदे पओदे खोतोदे ।५८०। सत्त सेढीओ पं० सं०- उजुआयता एगतोवंका दुहतोवंका एगतोखुहा दुहतोसुहा चक्कवाला अदचकवाला। ५८१ । चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो सत्त अणिता सत्त अणिताधिपती पं० तं०- पायत्ताणीए १ पीढाणिए २ कुंजराणिए ३ महिसाणिए ४ रहाणिए५ नट्टाणिए ६ गंधवाणिए ७ दुमे पायत्ताणिताधिपती एवं जहा पंचट्ठाणे जाव किंनरे रथाणिताधिपती रिटेणट्टाणियाहिवती गीतरती गंधवाणिताधिपती, बलिस्सणं वइरोयर्णिदस्स वइरोयणरण्णो सत्ताणीया सत्त अणीयाधिपती पं० त०-पायत्ताणिते जाव गंधवाणिते, महदुमे पायत्ताणि११९ स्थानांग-ठाणे मुनि दीपरत्नसागर HESARIYCHARPORARIESRPALIHENRIPAARIYANASPARAASHIRANASPIRNSPICHROPOMITRABIMARIHCHASHAASPIRANS Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROPRIASPRINMSPICHASPIRMSPIMRPEARSHIRINASPAREYASSP8ASPERMISHESARSPESASPAMSPIRIMIRATIONASHIONSPIRAB । ताधिपती जाव किंपुरिसे स्थाणिताधिपती महारिढे णट्टाणिताधिपती गीतजसे गंधवाणिताधिपती, धरणम्स णं नागकुमारिदस्स नागकुमाररण्णो सत्न अणीता सत्त अणिताधिपती पं० त० पायत्नाणिते जाव गंधवाणिए दुहमसेणे पायत्ताणिताधिपती जाव आणंदे स्थाणिताधिपती नंदणे णट्टाणियाधिपती तेतली गंधवाणियाधिपती, भूताणंदस्स सत्त अणिया सत्त अणियाहियई पं० त०. पायत्ताणिते जाव गंधवाणीए दक्खे पायनाणीयाहिवती जाव गंदुत्तरे रहाणिक रती णट्टाणिक माणसे गंधवाणियाहिवई, एवं जाव घोसमहाघोसाणं नेयचं, सकस्स णं देविंदस्स देवरनो सत्त अणिया सत्त अणियाहिवती पं० तं०- पायत्ताणिए जाव गंधवाणिए, हरिणेगमेसी पायत्ताणीयाधिवती जाव माढरे रथाणिताधिपती सेते णट्टाणिताहिवती तुंचुरू गंधवाणिवाधिपती, ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सत्त अणीया सत्त अणियाहि चइणो पं० त०-पायत्ताणिते जाव गंधवाणिते सहुपरकमे पायत्ताणियाहिवती जाव महासेते पट्टाणिक रते गंधवाणिताधिपती सेसं जहा पंचट्टाणे, एवं जाव अच्चुतस्सवि नेतवं । ५८२। चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररन्नो दुमस्स पायत्ताणिताहिवतिस्स सत्त कच्छाओ पं० तं- पढमा कच्छा जाव सत्तमा कच्छा, चमरस्स णमसुरिंदस्स असुरकुमाररनो दुमस्स पायत्ताणिताधिपतिस्स पढमाए कच्छाए चउमट्टि देवसहस्सा पं० जावतिता पढमा कच्छा नविगुणा दोचा कच्छा तञ्चिगुणा तचा कच्छा एवं जाच जावतिता छट्टा कच्छा तञ्चिगुणा सत्तमा कच्छा, एवं बलिस्मवि, णवरं महददुमे सहिदेवसाहस्सीतो, सेसं तं चेव, धरणस्स एवं चेब, णवरमट्ठावीसं देवसहस्सा, सेसं तं चेव, जया धरणस्स एवं जाव महाघोसस्स.नवरं पायत्नाणिताधिपती अन्ने ते पुवभणिता. सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो हरिणेगमेसिस्स सत्त कच्छाओ पं० ते०-पढमा कच्छा एवं जहा चमरस्स तहा जाव अचुतस्स, णाणतं पायत्ताणिताधिपतीण ते पुत्रमणिता, देवपरीमाणमिमं सकस्स चउरासीति देवसहस्सा, ईसाणस्म अमीती देवमहस्साई, देवा इमाते गावाते अणुगंतवा-चउरासीति असीति वायत्तरि सत्तरी य सट्टीया। पन्ना पत्तालीसा तीसा पीसा दससहस्सा ॥८३॥ जाच अचुतस्स लहुपरकमस्स दस देवमहस्सा जाव जावतिता छट्टा कच्छा तञ्चिगुणा सत्तमा कच्छा। ५८३। सत्तविहे वयणविकप्पे पं० तं०-आलावे अणालाचे उड्डावे अणुडावे (अणुलावे पा०) सलावे पलाये विप्पलावे।५८४॥ सत्तविहे विणए पं००-णाणविणए दंसणविणए चरित्तविणए मणविणए वतिविणए कायविणए लोगोवयारविणए, पसत्थमणविणए सत्तविधे पं० तं०-अपावते असावजे अकिरिते निरुबकेसे अणण्हकरे अच्छविकरे अभूताभिसंकणे, अप्पसत्यमणविणए सत्तविधे पं०२०-पावते सावजे सकिरिते सउबक्केसे अण्हकरे छविकरे भूताभिसंकणे, पसत्यवइविणए सत्तविधे पं० २०-अपात्रते असावज्जे जाव अभूताभिसंकणे, अपसत्थवइविणते सत्तविधे पं० तं- पावते जाव भूताभिसंकणे, पसत्थकातविणए सत्तविधे पं० तं०-आउत्तं गमणं आउनं ठाणं आउत्तं निसीयणं आउत्तं तुअट्टणं आउत्तं उईघणं आउत्तं पईघणं आउत्तं सविंदितजोगजुजणता, अपसत्थकातविणते सत्तविधे पं० तेक-अणाउत्तं गमणं जाव अणाउत्तं सविंदितजोगजुंजणता, लोगोवतारविणते सत्तविधे पं० तं०- अन्भासपत्नितं परच्छंदाणुवत्तितं कज्जहेडं कतपडिकितिता अत्तगवेसणता देसकालण्णुता सवत्थेसु यापडिलोमता।५८५। सत्त समुग्धाता पं० त०-येयणासमुग्धाए कसायसमुग्घाए मारणंतियसमुग्धाए वेउश्चियसमुग्धाते तेजससमुग्याए आहारगसमुग्धाते केवलिममुग्धाते, मणुस्साणं सत्त समुग्धाता पं० एवं चेव।५८६। समणस्स णं भगवओ महावीरस्स तित्थंसि सत्त पवतणनिण्हगा पं० सं०-बहुरता जीवपतेसिता अबत्तिता सामुच्छेइता दोकिरिता तेरासिता अबदिता, एएसिणं सत्तण्डं पवयणनिण्ठगाणं सत्त धम्मातरिता इत्था. तं०-जम उसमपुर सेतविता मिहिलमुडगातीरं। पुरिमंतरजि दसपुर णिहगउप्पत्तिनगराई॥८४॥५८७। सातायणिज्जस्स कम्मस्स सत्तविधे अणुभावे पं० त०-मणुना सहा मणुण्णा रूवा जाच मणुना फासा मणोसुहता वतिसुहता, असाता वेयणिजस्स णं कम्मस्स सत्तविधे अणुभावे पं० तं०- अमणुन्ना सहा जाव वतिदुद्दता ।५८८। महाणक्खत्ते सत्ततारे पं०, अभितीयादिता सत्त णक्खत्ता पुवदारिता पं० तं०-अभिती सवणो धणिट्टा सतभिसता पुधाभहवता उत्तराभइवता रेवती, अस्सणितादिता णं सत्तणक्खत्ता दाहिणदारिता पं० त०- अस्सिणी भरणी कित्तिता रोहिणी मिगसिरे अद्दा पुणवसू, पुस्सादिताणं सत्त णक्खत्ता अवरदारिता पं० सं०-पुस्सो असिलेसा मघा पुश्वाफग्गुणी उत्तराफग्गुणी हत्था चित्ता, सातितातिया णं सत्त णक्खना उत्तरदारिता पं० २०- साति विसाहा अणुराहा जेट्टा मूला पुवामाढा उत्तरासादा । ५८९। जंबुद्दीवे दीवे सोमणसे वक्वारपवते सत्त कूटा पं० - सिद्दे १ सोमणसे २ तह चोदो मंगलावतीकडे ३। देवकुछ ४ विमल, ५ कंचण ६ विसिट्टकडे ७त बोब्वे॥८५॥ जंचदीवे २गंधमायणे वक्खारपवते सत्त कडा पं०२०-सिद्धेत गंधमातण बोद्धब्बे गंधिलावतीकडे । उत्तरकरु फलिहे लोहितक्ख आणंदणे चेव ॥८६॥५९०। चितिंदिताणं सत्त जातीकुलकोडिजोणीपमुहसयसहस्सा पं०१५९१श जीवा णं सत्तट्ठाणनिव्यत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा चिणंति वा चिणिस्संवि वा तं०- नेरतियनिव्वत्तिते जाव देवनिव्वत्तिए. एवं चिण जाव णिजरा चेव । ५९२। सत्तपतेसिता खंधा अर्णता पं० संत्तपतेसोगाढा पोग्गला जाव सत्तगणलक्खा पोग्गल्ला अणंता पं०/५९३ । सप्तस्थानकाध्ययनं ७॥ अहहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति एगहविहारपडिम उपसंपज्जि-3 नाणं विहरित्तते. तं. सड्ढी पुरिसजाते सचे परिसजाए मेहावी पुरिसजाते बहुस्सुते पुरिसजाते सत्तिमं अप्पाहिकरणे थितिम वीरितसंपन्ने ।५९४। अट्ठविधे जोणिसंगहे पं०तं.- अंडगा पोतगा जाव उम्भिगा उववातिता, अंडगा अट्टगतिता अट्टागइआ पं० तं-अंडए अंडएस उवज्जमाणे अंडएहितो वा पोतएहितो वा जाव उववातितेहितो वा उवजेजा.से चेवणं से अंडते अंडगत्तं विप्पजहमाणे अंडगताते वा पोतगनाते वा जाव उववातितत्ताते ही वा गच्छेजा, एवं पोतगावि, जराउजावि, सेसाणं गतीरागती णत्थि । ५९५ । जीवा णमट्ट कम्मपगडीतो चिणिसु वा चिणंति वा चिणिस्संति वा, तं०- णाणावरणिज्ज दरिसणावरणिज्जं वेयणिज्जं मोहणिजं आउयं नामं गोतं अंतगतितं, नेरइया णं अट्ट कम्मपगडीओ चिणिसु वा ३, एवं निरंतरं जाव वेमाणियाणं २४, जीवा णमट्ट कम्मगडीओ उवचिणिसु वा ३ एवं चेव, 'एवं चिण १ उबचिण २ बंध ३ उदीर ४ वेय ५ तह णिज्जरा ६ चेव। एते छ चउवीसा २४ दंडगा भाणियबा। ५९६ । अट्टहिं ठाणेहि माती मायं कटु नो आलोतेजा नो पडिकमेज्जा जाव नो, पडिवजेजा, तै- करिसु वाऽहं १ करेमि वाऽहं २ करिस्सामि वाऽहं ३ अकित्ती वा मे सिया ४ अवण्णे वा मे सिया ५ अवि(व)णए वा मे सिया ६ कित्ती या मे परिहाइस्सइ ७ जसे या मे परिहाइस्सइ ८, अट्टहिं ठाणेहिं माई मायं कटु आलोएज्जा जाय पडिवज्जेजा, तं०-मातिस्स णं अस्सि लोए गरहिते भवति १ उववाए गरहिते (३०) १२० स्थानांग-61-८ मुनि दीपरत्नसागर Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ROVESMSPRSMOVEIBPICHROPOMISPHESARBHANASPIRANSPRASARDPICARSPRINMEPRABPCLOPENRIPTISTRPOARNASK भवति २ आजाती गरहिता भवति ३ एगमवि माती मात कटु नो आलोएजा जाव नो पविजेजा णत्थि तस्स आराहणा ४ एगमवि मायी मायं कटटु आलोएजा जाव पडिवजेजा अस्थि तस्स आराहणा ५ बहुतोवि माती मायं कटद नो आलोएजा जाव नो पडिबजेजा नस्थि तस्स आराधणा ६ बहओचि माती माय (म० मायाओ) कटु आलोएज्जा जाव अस्थि तस्स आराहणा ७ आयरियउवज्झायस्स वा म आ सेत मममालोएजा माती णं एसे ८, माती णं मातं कटु से जहानामए अयागरेति वा तंबागरेति वा तउआगरेति वा सीसागरेति वा रुप्पागरेति वा सुवनागरेति वा तिलागणीति वा तुसागणीति वा सागणीति वा णलागणीति बा दलागणीति वा मोंडितालिच्छाणि वा भंडितालिच्छाणि वा गोलियालिच्छाणि वा कुंभारावावेति वा कवेछुवावातेति वा इट्टावातेति वा जंतवाडचाडीति वा लोहारंपरिसाणि वा तत्ताणि समजोतिभूताणि किंमुकफालसमाणाणि उक्कासहस्साई विणिम्मुतमाणाई २ जालासहस्साई पमुंचमाणाई इंगालसहस्साई परिकीरमाणाई अंतो २ झियायंति एवामेव माती मायं कटु अंतो २ झियायइ जतिवि त णं अन्ने केति वदति तंपि त णं माती जाणति अहमेसे अभिमङ्किजामि २, माती णं मातं कटु (से णं तस्स पा०) अणालोतितपडिकते कालमासे कालं किचा अण्णतरेमु देवलोगेसु देवदत्ताते उचचत्तारो भवंति, तं०-नो महिढिएसु जाव नो दूरंगतितेसु नो चिरहितीएस, से णं | तत्य देवे भवति णो महिदिए जाव नो चिरठिवीते, जाऽपित से तत्थ बाहिरम्भंतरिया परिसा भवति साऽषिय णं नो आदाति नो परियाणाति णो महरिहेणमासणेणं उवनिमंतेति, भासपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अब्भुति-मा पहुं देवे ! भासउ २ सेणं ततो देवलोगाओ आउक्खएणं भवक्खएणं ठितिक्खएणं अणंतरं चयं चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाई कुलाई भवंति, सं०- अंतकुलाणि वा पंतकुलाणि वा तुच्छकुलाणि वा दरिहकुलाणि वा भिक्खागकुलाणि वा किवणकुलाणि वा तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताते पचायाति, से णं तस्य पुमे भवति दुरूवे दुवने दुग्गंधे दुरसे दुफासे अणिट्टे अकंते अप्पिते अमणुण्णे अमणामे हीणस्सरे दीणस्सरे अणिदुसरे अकंतसरे अप्पितस्सरे अमणुण्णस्सरे अमणामस्सरे अणाएजवयणे पचायाते, जाऽपियस तत्य वाहिरभंतरिता परिसा भवति साऽवितं णं णो आढाति णो परिताणाति नो महरिहेणं आसणेणं उपणिमंतेति. भासंपित से भासमाणम्स जाव चत्तारिपंच जणा अवत्ता चेव अभद्रेति-मा बहं अजउत्तो! भासउ २.मातीणं मातं कटट आलोचितपडिकते कालमासे कालं किचा अण्णतरेसु देवलोगेस देवत्ताए उववत्तारो भवति, तं०-महिडिवएस जाब चिरद्वितीसह से णं तस्य देवे भवति महिड्ढीए जाय चिरहितीते हारविरातितवच्छे कडकडितथंभितभुते अंगदकडलमउडगंडतलकनपीढधारी विचित्तहत्याभरणे विचित्तवत्याभरणे विचित्तमालामउली कल्लाणगपवरवत्थपरिहित काडाणगपवरगंध(मडाणु पा)लेवणधरे भासुरनोंदी पलंबवणमालधरे दिव्येणं यनेणं दिव्वेणं गंधेणं दिवेणं रसेणं दिव्वेणं फासेणं दिव्वेणं संघातेणं दिवेणं संठाणेणं दिव्वाए इइढीते दिव्याते जुतीते (जुत्तीते पा०) दिव्वाते पभाते दिव्याते छायाते दिवाए अचीए दिव्वेणं तेएणं दिव्याते लेस्साए दस दिसाओ उजोवेमाणा पभासेमाणा महयाऽहतणगीतवातिततंतीतलतालतुडितघणमुतिंगपडुप्पवातितरवेणं दिव्वाई भोगभोगाई भुंजमाणे विहरइ, जाऽवित से तत्य बाहिरम्भंतरिता परिसा भवति साऽवित णमाढाइ परियाणाति महारिहेण आसणेण उवनिमंतेति भासंपि त से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अवुत्ता चेव अभूहिति-बहुं देव ! भासउ २ से णं तओ देवलोगातो आउक्खएणं जाव चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाई इमाई कुलाई भवंति अड्ढाई जाव बहुजणस्स अपरिभूताई तहप्पगारेसु पुमत्ताते पञ्चाताति, से णं तत्थ पुमे भवति सुरूवे सुबन्ने सुगंधे सुरसे सुफासे इट्टे कंते जाव मणामे अहीणस्सरे जाव मणामस्सरे आदेजवतणे पञ्चायाते, जाऽविय से तत्थ बाहिरभंतरिता परिसा भवति सावि तणं आढाति जाव बहुमजउत्ते! भासउ २५९७१ अट्टविहे संवरे पं० २०-सोइंदियसंवरे जाच फासिदियसंवरे मणसंवरे वतिसंवरे कायसंवरे, | अविहे असंवरे पं० त० सोतिंदिअअसंवरे जाव कायअसंवरे । ५९८। अट्ट फासा पं०२०-ककडे मउते गरुते लहुते सीते उसिणे निद्धे लुक्खे । ५९९। अट्टविधा लोगठिती पं०२०-आगासपतिहिते वाते वातपतिहिते उदही एवं जधा छहाणे जाच जीवा कम्मपतिहिता अजीवा जीवसंगहीता जीवा कम्मसंगद्दीता ।६००। अट्ठबिहा गणिसंपता पं० तं०- आचारसंपया १ सुयसंपता २ सरीरसंपता ३ वतणसंपता ४ वातणासंपता ५ मतिसंपता ६ पतोगसंपता ७ है| संगहपरिण्णा णाम अट्ठमा ८।६०११ एगमेगे णं महानिही अट्टचक्वालपतिहाणे अट्ट जोयणाई उड्दउच्चत्तेणं पं०।६०२। अट्ठ समितीतो पं० त०-ईरियासमिति भासासमिति एसणा० आयाणभंडमत्त० उच्चारपासवण मणस. सकायसमिती।६०३। अहहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति आलोतणा पडिच्छित्तए, तं०-आतावं आहारवं क्वहारवं ओवीलए पकुव्यते अपरिस्साती निजावते अवातदंसी, अट्टहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति अत्तदोसमालोइत्तते, तं०-जातिसंपन्ने कुलसंपन्ने विणयसंपन्ने णाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने खते दंते ।६०४ा अढविहे पायच्छित्ते पं० तं०- आलोयणारिहे पडिकमणारिहे तदुभयारिहे विवेगारिहे विउस्सग्गारिहे तवारिहे छेयारिहे मूलरिहे।६०५/अट्ट मतट्टाणा पं० २०-जातिमते कुलमते वलमते रुवमते तव० मुत० लाभ इस्सरितमते ।६०६। अट्ठ अकिरियावाती पं० त०-एगावाती १ अणेगावाती २ मितवादी ३ निम्मितवादी ४ सायावाती ५ समुच्छेदवाती | ६णितावादी ७ण संति परलोगवाती ८६०७१ अहविहे महानिमित्ते पं००-भोमे उप्पाते सुविणे अंतलिक्खे अंगे सरेलक्खणे वंजणे। ६०८। अट्टविधा वयणविभत्ती पं००-निदेसे पढमा होती, बीतीया उवतेसणे। ततिता करणंमि कता, चउत्थी संपदावणे ॥८आपंचमी त अवाताणे, छट्ठी सस्सामिवायणे । सत्तमी सणिहाणत्थे, अहमी आमंतणी भवे ॥ ८८॥ तत्थ पढमा विभत्ती निद्देसे सो इमो अहं वत्ति १ बितीता उण उक्तेसे भण कुण बतिमं व तं वत्ति २॥८९॥ ततिता करणंमि कया णीतं च कतंच तेण व मते वा ३। इंदि णमो साहाते हवति चउत्थी पदाणमि ४॥९०॥ अवणे गिण्हसु तत्तो इत्तोत्तिय पंचमी अवादाणे ५। छडी तस्स इमस्स वगतस्स वा सामिसंबंधे ६॥९१॥ हवह पुण सत्तमी तमिमंमि आहारकालभावे त ७ आमंतणी भवे अट्ठमी उ जह हे जुवाणत्ती ८॥९२॥६०९। अट्ट ठाणाई छउमत्येणं सबभावेणं ण याणति न पासति, तं०-धम्मत्थिगातं जाच गंधं वातं, एताणि चेव उप्पचनाणदंसणघरे अरहा जिणे केवली जाणइ पासह जाय गंध वातं । ६१०। अढविधे आउवेदे पं० सं०- कुमारमिचे कायतिगिच्छा सालाती साछहत्ता जंगोली भूतवेजाखारतंते रसातणे। ६११ । सचस्स णं देविंदस्स देवरन्नोअट्टम्गमहिसीओ १२१ स्थानांग-हा मुनि दीपरत्नसागर PICHROPERAEPRARBIERSPIRBPARIHARMASPIRANSPIRNESSPICARSPEMAGARRESPEARIPASABPO4N8 Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ INSPIRAASPRAMESHMAAYICHESPEHOPOARPICARBPOMBHOLEPEHARPRANIPORAASPRASYEARSPESARPOARAPESTION पं० तं-पउमा सिपा सती (म० सूती) अंजू अमला अच्छरा णवमिया रोहिणी १ ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो अट्ठसामहिसीओ पं० त० कण्हा कण्हराती रामा रामरक्खिता वसू वसुगुत्ता वसुमित्ता वसुंधरा २ सकस्स णं देविंदस्स देवरन्नो सोमस्स महारन्नो अट्ठम्गमहिसीओ पं०३ ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरन्नो वेसमणस्स महारन्नो अट्टम्गमहिसीओ पं०४ अट्ठ महग्गहा पं० २०. चंदे सूरे सुके खुढे घहस्सती अंगारे सणिंचरे केऊ ५।६१२॥ अढविधा तणवणस्सतिकातिया पं० सं०-मूले कंदे खंघे तया साले पवाले पत्ते पुण्फे।६१३३ चउरिदिया णं जीवा असमारभमाणस्स अट्ठविधे संजमे कजति, तं० चक्सुमातो सोक्खातो अपवरोपित्ता भवति, चक्सुमतेणं दुक्खेणं असंजोएत्ता भवति, एवं जाच फासामातो सोक्खातो अववरोवेत्ता भवति फासमाएणं दुक्खेणं असंजोगेत्ता भवति, चाउरिदिया णं जीवा समारभमाणस्स अट्ठविधे असंजमे कजति, तं०-चक्सुमातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति चक्सुमतेणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति, एवं जाव फासामातो सोक्यातो । ६१४॥ अहसुहमा पं० तं- पाणसुहमे १ पणगसुटुमे २ पीयसुदुमे ३ हरितसुदमे ४ पुष्फमुटुमे ५ अंडसुहुमे ६ लेणसुटुमे ७ सिणेहसुहमे ८।६१५। भरहस्स णं रन्नो चाउरंतचकवहिस्स अट्ठ पुरिसजुगाई अणुपदं सिखाई जाच सव्वदुक्खप्पहीणाई, तं०-आदिचजसे महाजसे अतिबले महाचले वेतपीरिते कित्तवीरिते दंडवीरिते जलवीरिते । ६१६। पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीतस्स अट्ठ गणा अट्ठ गणहरा होत्या, तं०- सुभे अजघोसे वसिट्टे बंभचारी सोमे सिरिधरिते वीरिते भद्दजसे ।६१७। अट्ठविधे दंसणे पं० सं०-सम्मईसणे मिच्छदसणे सम्मामिच्छदसणे चक्सुदंसणे जाव केवलदसणे सुविणदसणे ६१८। अट्ठविधे अडोबमिते पं० सं०- पलितोवमे सागरोवमे उस्सप्पिणी ओसप्पिणी पोग्गलपरियट्टे तीतदा अणागतहा सबद्धा । ६१९। अरहतो णं अरिहनेमिस्स जाव अट्ठमातो पुरिसजुगातो जुर्गतकरभूमी दुवासपरियाते अंत. मकासी।६२०। समणेणं भगवता महावीरेणं अट्टरायाणो मुंडे भवेत्ता अगारातो अणगारितं पञ्चाविता, तं- वीरंगय वीरजसे संजय एणिजते य रायरिसी। सेयसिये उदायणे संखे कासिवनणे ।६२१॥ अट्टविहे आहारे पं० सं०-मणुष्णे मणपणे जाव साइमे।२२उपि सर्णकमारमादिंदाणं कप्पाणं देटिभटोगे कप्परिट्टविमाणे पत्थडे एत्व मक्खाइगसमचउरंससठाणसठिताता अट्ट कण्हराताता प० त.. तीतो दाहिणेणं दो कण्टराईओ पचच्छिमेणं दो कण्हराईओ उत्तरेणं दो कण्हराईओ, पुरच्छिमा अभंतरा कण्हराती दाहिणं चाहिरं कण्हराई पुट्टा, दाहिणा अभंतरा कण्हराती पचच्छिमग बाहिरं कण्हराई पुट्टा, पचच्छिमा अभंतरा कण्हराती उत्तरं पाहिरं कण्हराई पुट्टा, उत्तरा अभंतरा कण्हराती पुरच्छिमं बाहिरं कण्हराती पुट्टा, पुरच्छिमपञ्चच्छिमिलाओ वाहिराओ दो कण्हरातीतो छलंसातो, उत्तरदाहिणाओ बाहिराओ दो कण्हरातीतो संसाओ, सबाओऽविणं अम्भतरकण्हरातीतो चउरंसाओ १, एतासि अट्ठण्हं कण्हरातीणं अट्ट नामधेजा पं०२०- कण्हरातीति वा मेहरातीति वा मघाति या मा वा २ एतासिं णं अट्टण्हं कण्हरातीणं अट्ठसु उवासंतरेसु अट्ट लोगतितविमाणा पं० तं०- अच्ची अच्चिमाली बतिरोअणे पभंकरे चंदाभे सूराभे सुपइट्ठाभे अग्गिचाभे ३ एतेसु णं अट्ठसु लोगंतितबिमाणेसु अट्ठविधा लोगंतिता देवा पं० तं.. 'सारस्सतमाइया वही वरुणा य गहतोया य । तुसिता अबाबाहा अग्गिचा चेव चोदना ॥९३॥ ४ एतेसिं णमट्टण्हं लोगंतितदेवाणं अजहण्णमणुकोसेणं अट्ठ सागरोवमाई ठिती पं०५।६२३ । अट्ट धम्मस्थिगातमझपतेसा पं० अट्ट अधम्मस्थिगात एवं चेव अट्ट आगासत्थिगा० एवं चेव अट्ट जीवमझपएसा पं०।६२४ । अरहंता र्ण महापउमे अट्ट रायाणो मुंडा भवित्ता आगारातो अणगारितं पवावेस्सति, तं०-पउमं पउमगुम्म नलिणं नलिनगुम्म | पउमदतं धणद्धतं कणगरहं भरहं १६२५/ कण्हस्स णं वासुदेवस्स अट्ट अम्गमहिसीओ अरहतोणं अरिडनेमिस्स अंतिते मंडा भवेत्ता अगारातो अणगारित पचतिता सिद्धाओ जाव सबदुक्खप्पहीणाओ.त-पउमावती गोरी गंधारी लक्खणा सुसीमा जंपवती सचभामा रुपिणी कण्हअम्गमहिसीओ२१६२६। बीरितपास्स णं अट्ट वत्थ अट्ट चलिआ(प्र० चूल)वत्थू पं०।६२७। अह गतिता पं० त०-णिरतगती तिरियगई जाच सिदिगती गुरुगती पणोलणगती | पम्भारगती ।६२८ा गंगासिंधुरचारत्तवतीदेवीणं दीवा अट्ट२ जोयणाई आयामविक्खंभेणं पं०।६२९। उक्कामुहमेहमुहविजुमुहविजुदंतदीवाणं दीवा अढ२जोयणसयाई आयामविक्खंभेर्ण पं०।६३०। कालोते णं समुद्दे अट्ठ जोयणसयसहस्साई चकवालविक्संभेणं पं०।६३१अभंतरपुक्खरदे णं अट्ट जोयणसयसहस्साई चकवालविक्खंभेणं पं०, एवं बाहिरपुक्खरदेऽपि । ६३२। एगमेगस्सणं रन्नो चाउरंतचकवहिस्स अट्ठसोवन्निते काकिणिरयणे उत्तले ३ दुवालसंमिते अटुकण्णिते अधिकरणिसंठिते पं०।६३३। मागधस्स णं जोयणस्स अट्ट धणुसहस्साई निधत्ते (निहत्ते, निहारे, पा०)पं०।६३४४ जंचू० णं सुदंसणा अट्ट जोयणाई उदउच्चत्तेणं बहुमज्झदेसभाए अट्ट जोयणाई विक्खमेणं सातिरेगाई अट्ट जोयणाई सत्रम्गेणं पं०१. कडसामली णं अट्ठजोयणाई एवं चेव २।६३५। तिमिसगुहा णमट्ट जोयणाई उदंउचतेणं ३खंडप्पवावगुद्दा णं अट्ठ जोयणाई उबंउचत्तेणं एवं चेव ४।६३६। जंचूर्मदरस्स पञ्चयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महानतीने उभतोकूले अट्ट वक्खारपश्या पं० सं०-चित्तकडे पम्हकूडे नलिणकडे एगसेले तिकडे वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे १ जंचूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीतोताते महानतीते उभवोकूले अट्ठ वक्खारपञ्चता पं० २०-अंकावती पम्हावती आसीविसे सुद्दावहे चंदपवते सूरपवते णागपञ्चते देवपञ्चते २ जंचूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उत्तरेणं अट्ठ चकवहिविजया पं० त०-कच्छे सुकच्छे महाकच्छे कच्छगावती आवत्ते जाव पुक्खलावती ३ जंचूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते दाहिणेणमट्ट चकवहिविजया पं० सं०-वच्छे सुवच्छे जाव मंगलावती ४ जंचूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीतोतामहानदीते दाहिणेणं अट्ठ चक्कचट्टिविजया पं० तं०- पम्हे जाव सलिलावती ५ जंचूमंदरपचस्थिमेणं सीतोताए महानदीए उत्तरेणं अट्ट चक्कबहिविजया पं० २० वप्पे सुवप्पे जाव गंधिलावती ६ जंजूमंदरपुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उत्तरेणमट्ठ रायहाणीतो पं० त०-खेमा खेमपुरी चेव जाव पुंडरीगिणी ७ जंचूमंदरपुर० सीताए महाणईए दाहिणेणं अट्ट गयहाणीतो पं० २०-सुसीमा कुंडला चेव जाव रयणसंचया ८ जंबूमंदरपञ्चच्छिमेणं सीओदाते महाणदीते दाहिणेणं अट्ठ रायहाणीओ पं०० आसपुरा जाव वीतसोगा ९ जंचूमंदरपच सीतोताते महानतीते उत्तरेणमट्ट रायहाणीओ पं० त०-विजया वेजयंती जाव अउज्झा १०।६३७। जंचूमंदरपुर० सीताते महाणदीए उत्तरेणं उकोसपए अट्ठ अरहंता अट्ठ चकवही अट्ठ बलदेवा अट्ठ १२२ स्थानांग - - मुनि दीपरत्नसागर R2899AMMANAKAMR/499934058431845358/60HRAANA0184290818VAKASK843348SATYA4%A8 Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SPIGHSSPOCHOPYCHASPANCHGHARPHASPICHRIPRAANIPANIPASSANTOPICM8P8ARVASNASYMBP8ARSHAN वासुदेवा उप्पजिसु वा उप्पजति वा उप्पजिस्संति वा ११, जंबूमंदरपुरच्छि० सीताए महाणदीए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव १२ जंचूमंदरपञ्चत्थि० सीओयाते महाणदीए दाहिणेणं उक्कोसपए एवं चेव १३ एवं उत्तरेणवि १४ 1६३८ा जंबुमंदरपुर० सीताते महानईए उत्तरेणं अट्ट दीहवेयड्ढा अट्ट तिमिसगुहाओ अट्ठ खंडगप्पवातगुहा अट्ट कयमालगा देवा अट्ठ णमालगा देवा अट्ट गंगाकुंडा अट्ट सिंधुकंडा अट्ट गंगातो अट्ठ सिंधुओ अट्ठ उमभकडा पवता अट्ठ उसभकूडा देवा पं० १५ जघूमंदरपुरच्छिमेण सीताते महानतीते दाहिणणं अट्ठ दीहवेअड्ढा एवं चेव जाव अट्ठ उसभकूडा देवा पं०, नवरमेत्य रत्तारचावतीतो तासिं चेव कुंडा १६ जंमंदरपचच्छिमेणं सीतोताए महानदीते दाहिणेणं अट्ठ दीहवेयड्ढा जाव अट्ठ नट्टमारगा देवा अट्ट गंगाकुंडा अट्ठ सिंधुकुंडा अट्ठ गंगातो अट्ठ सिंधूओ अट्ठ उसभकूडपवता अट्ठ उसमकूडा देवा पं०१७ जंचूमंदरपञ्चत्थि- सीओताने महानतीते 14०१८।६३९। मंदरचूलिया बहुमज्झदेसभाते अठ्ठ जोयणाई विक्खंभेणं पं०१९ ।६४०॥धायइसंडदीवे पुरस्थिमद्धेणं धायतिरुक्खे अट्ठ जोयणाई उड़दउबत्तेणं पं० बहुमज्झदेसभाए अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं साइरेगाई अट्ठ जोयणाई सबग्गेणं पं० एवं धायहरुक्खातो आढवेना सच्चेव जंबुदीववत्तव्वता भाणियच्चा जाब मंदरचूलियत्ति, एवं पच्चच्छिमद्देऽपि महाधावतिरुक्खातो आढवेत्ता जाव मंदरचूलियत्ति, एवं पुक्खरखरदीवड़ढपुरच्छिमद्धे ऽवि पउमरुक्खाओ आढयेत्ता जावमंदरचूलियत्ति, एवं पुक्खरवरदीवपञ्चस्थि० महापउ. मरुक्यातो जाव मंदरचूलितत्ति।६४१ जंचुदीवे२ मंदरे पवते भहसालवणे अट्ठ दिसाहस्थिकूडा पं०तं०-पउमुत्तर नीलवंते सुइस्थि अंजणागिरी कुमुते यापलासते पडिसे (अट्ठमए) रोयणागिरी ॥९४॥१जंबूदीवस्स णं दीवस्स जगती अट्ठ जोयणाई उड्ढंउच्चत्तेणं बहुमज्मदेसभाते अट्ठ जोयणाई विक्खंभेणं २।६४२। जंबूदीवे २ मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणेणं महाहिमवते वासहरपच्यते अट्ठ कूडा पं० सं०- सिद्ध महाहिमवते हिमवंते रोहिता हरीकृडे । हरिकंता हरिबासे वेरुलिते चेव कूडा उ ॥९५॥ ३, जंचूमंदरउत्तरेणं रुप्पिमि वासहरपवते अट्ठ कूडा पं० तं०-सिद्ध य रुप्पी रम्मग नरकंता बुद्धि रुप्पकूडे या। हिरण्णवते मणिकंचणे न गप्पिमि कूडा उ ॥९६॥ ४, जंबूमंदरपुरच्छिमेणं रुयगवरे पवते अट्ठ कूडा पं० सं०-रिटे तवणिज कंचण रयत दिसासोस्थिते पलंवे य। अंजण अंजणपुलते रुयगस्स पुरच्छिमे कूडा ॥९७॥ १, तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरितातो महिड्ढियातो जाव पलिओवमट्टि तीतातो परिवसंति तकणंदुत्तरा य णंदा, आणंदा णदिवदणा। विजया य वेजयंती,जयंती अपराजिया ॥९८॥२. जंबूमंदरदाहिणणं रुतगबरे पवते अट्ट कडा पं० तं०-कणते कंचणे पउमे नलिणे ससि दिवायरे चेव । वेसमणे वेरुलिते रुयगस्स उ दाहिणे कूडा ॥९९॥३. तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियातो महिडिढयातो जाव पलिओवमट्टितीतातो परिवसंति तं०-समाहारा सुप्पतिण्णा, सुप्पमुद्धा जसोहरा । लच्छिवती सेसवती, चित्तगत्ता वसुंधरा ॥१०॥ ४. जंचूमंदरपञ्च रुयगवरे पालते अट्ट कूडा पं०२०-सोस्थिते त अमोहे य, हिमवं मंदरे तहा । रुअगे रुतगुत्तमे चंदे. अट्ठमे त सुदंसणे ॥१०१॥ ५, तत्थ णमट्ट दिसाकुमारिमहत्तरियाओ महिड्ढियातो जाव पलिओवम. | द्वितीतातो परिवसंति नं- इलादेवी सुरादेवी, पुडवी पउमावती । एगनासा णवमिता, सीता भदा त अट्टमा ॥१०२॥ ६. जंबूमंदरउत्तररुअगवरे पवते अट्ठ कूडा पं० तं०-स्यणे रयणुचते ता सव्वरयण रयणसंचते चेव । विजये य विजयंते जयंते अपराजिते ॥१०३॥ ७. तत्थ णं अट्ठ दिसाकुमारिमहत्तरियातो महड्ढिताओ जाव पलिओवमट्टितीवाओ परिवसंति तं०-अलंचुसा मितकेसी, पोंडरी गीतवारुणी। आसा य सवगा चेव, सिरि हिरि चेव उत्तरतो ॥१४॥८, अट्ठ अहेलोगवस्थधातो दिसाकुमारिमहत्तरितातो पं० २०-भोगंकरा भोगवती, सुभोगा भोगमालिणी । सुवच्छा वच्छमित्ता य, वारिसेणा बलाहगा ॥१०५॥१, अट्ठ उड्ढलोगवत्थशाओ दिसाकुमारिमहत्तरितातो पंतं. मेषंकरा मेघवती, सुमेघा मेघमारिणी । तोयधारा विचित्ता य, पुष्पमाला अणिदिता ॥१०६॥२१६४३। अट्ठ कप्पा तिरितमिस्सोववनगा पं०तं.-मोहम्मे जाव सहस्सारे ३, एतेसु णमट्ठसु कप्पेसु अट्ट इंदा पं० ने सके जाव महस्सारे ४, एतेसि णं अट्टहमिदाणं अट्ट परियाणिया विमाणा पं० तं०-पालते पुष्फते सोमणसे सिरिवच्छे गंदा(प्र० दिया) वत्त कामकर्म पीतिमणे विमले ५।६४४। अट्टमियाणं भिक्खुपडिमाणं चउसट्टीते राईदिएहिं दोहि य अट्ठासीतेहिं भिक्खासतेहिं अहासत्ता जाब अणपालितायाविभवति ६४५ अविधा संसारसमावनगा जीवा पं०२०-पढमसमयनेरति । संसारसमावनगा जीवापं० सं०-पढमसमयनरांतता अपढमसमयनेरतिता एवं जाव अपढमसमयदेवा १ अडविधा सजीवा 19 | पंतं. नेरतिता तिरिक्खजोणिता तिरिक्वजोणिणीओ मणुस्सा मणुस्सीओ देवा देवीओ सिद्धा २ अथवा अट्टविधा सक्वजीवा पं०२०-आभिणिचोहितनाणी जाव केवलनाणी मतिअन्नाणी सुतअण्णाणी विभंगणाणी३।६४६। अट्ठविधे संजमे पं० ले० पदमसमयसुहमसंपरागसरागसंजमे अपढमसमयसुहमसंपरायसरागसंजमे पढमसमयचादरसंजमे अपढमसमयपादरसंयमे पढमसमय उवसंतकसायवीतरायसंजमे अपढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे पढमसमयखीणकसायवीतगगमंजमे अपढमसमयखीण ६४७। अट्ट पुढवीओ पं० सं०- रयणप्पभा जाव अहे सत्तमा ईसिपम्भारा १ईसीपभाराते णं पुढवीते बहुमज्झदेसभागे अट्ठजोयणिए खेते अट्ट जोयणाई बाइलेणं पं०२ इंसिपभाराते णं पुढवीते अट्ठ नामधेजा पं०२०-इंसिति वा ईसिपम्भारानि वा तणूति वा तणुतणूइ वा सिद्धीति वा सिद्धालतेति वा मुत्तीति वा मुत्तालतेति वा ३।६४८ अहहिं ठाणेहिं संमं संघडितब्ब जतितव्वं परकमिता अस्मि च णं अडे णो पमातेतब्वं भवति-असुयाणं धम्माणं सम्मं सुणणताते अद्वैतव्वं भवति १ सुताणं धम्माणं ओगिण्हणयाते उवधारणयाते अब्भुटेतव्यं भवति २ पा(ण पा०)वार्ण कम्माणं संजमेणमकरणताते अब्भुडेय भवति ३ पोराणाणं कम्माणं तवसा विगिंचणताते विसोहणताते अम्भुटेतव्वं भवइ४ असंगिहीवपरितणस्स संगिण्हणताते अब्भुट्टेयव्वं भवति ५ सेहं आयारगोयरगहणताते अब्भुट्टेयकं भवति ६ गिलाणस्स अगिलाते वेयावच्चकरणताए अभट्टेयच्वं भवति ७ साहम्मिताणमधिकरणसि उप्पण्णंसि तत्थ अनिस्सितोवस्सितो अपक्खग्गाही मझत्यभावभूते कह णु साहम्मिता अप्पसदा अप्पझंझा अप्पतुमंतुमा उवसामणताते अब्भुढ्यन्वं भवति ८ 1६४५। महासुक्कसहस्सारेसु णं कप्पेसु विमाणा अट्ठ जोयणसताई उड्ढंउच्चत्तेण पं०।६५०।अरहतो णं अरिट्ठनेमिस्स अट्ठ सया वादीणं सदेवमणुयासुराते परिसाते वादे अपराजिताणं उकोसिया वादिसंपया हुत्था।६५१॥ १२३ स्थानांग-ठाणे- मुनि दीपरत्नसागर SPREAMSPIRONMEHEMASPRIMACHARPARATOARSHEMISPHAREPANASPIRANSPIRMAHARMASPICARIPESABHOSAPCHARHAAR Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ POSHOPERTENBE8%8A-SHIRSAASHOMASPIRANSPENISFEASYCHISFEREPORYCHESPEHACHISAP788428PESHA अट्ठसमतिए केवलिसमुग्याते पं० त०. पढमे समए दंडं करेति वीए समए कवाडं करेति ततिए समते मंधानं करेति चउत्थे समते लोग परेति पंचमे समए लोगं पडिसाहरति छट्टे समए मंथं पडिसाइरति सत्तमे समए कवाडं पडिसाहरति अट्टमे समए दंडं पडिसाहरति । ६५२। समणस्स णं भगवतो महावीरस्स अट्ठ सया अणुत्तरोववातियाणं गतिकडाणाणं जाव आगमेसिभदाणं उकोसिता अणुत्तरोववातितसंपया हुत्था १।६५३ । अट्ठविधा वाणमंतरा देवा पं० तं०-पिसाया भूता जक्खा रक्खसा किन्नरा किंपुरिसा महोरगा गंधवा २, एतेसिंणं अट्टण्हं (प्र० विहाणं) वाणमंतरदेवाणं अट्ट चेतितरुक्खा पं० तं०-कलंबो अ पिसायाणं, बडो जक्खाण चेतितं । तुलसी भूयाणं भवे, रक्खसाणं च कंडओ ॥१०७॥असोओ किन्नराणं च, किंपुरिसाण य चंपतो। नागरुक्खो भुयंगाणं, गंधच्चाण य तेंदुजो॥१०८॥३॥६५४। इमीसे रयणप्पभाते पुढवीते बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ अट्ठजोयणसते उड्ढमाषाहाते सूरविमाणे चारं चरति ४।६५५। अट्ठ नक्सत्ता चंदेणं सद्धिं पमई जोगं जोतेति तं०-कत्तिता रोहिणी पुणव्वसू महा चित्ता चिसाहा अणुराधा जेट्ठा ५।६५६। जंवृद्दीवस्स णं दीवस्स दारा अट्ट जोयणाई उहडंउच्चतेणं पं०१ सब्बेसिपि दीवसमुदाणं दारा अट्ठ जोयणाई उदउच्चत्तेणं पं०२१६५७। पुरिसवेयणिजस्स णं कम्मस्स जहन्नेणं अट्ट संवच्छराई बंधठिती पं०१ जसोकित्तीनामएणं कम्मरस जहणेणं अट्ट मुहुत्ताई बंधठिती प०२ उच्चगायरस ण कम्मरस एव चव३१६५८ तेहदियाणमट्टजातीकुलकोडाजाणीपमहसतसहस्सा प०।६५९। जावा ण अट्टठाणा यनेरतितनिवत्तिते जाव अपढमसमयदवनिव्वत्तिते. एवं चिण उवचिण जाव निजरा चेव, अट्टपतेसिता खंधा अर्णता पं० अट्टपतेसोगाढा पोग्गला अणंता पंजाव अट्टगुणलक्खा पोग्गत्या अर्णता पणत्ता।६६०॥ अष्टमस्थानकाध्ययनं ८॥ नवहिं ठाणेहिं समणे णिग्गंधे संभोतितं विसंभोतितं करेमाणे णातिकमति, त-आयरियपडिणीयं उबज्झायपडिणीयं थेरपडिणीयं कुल गण० संघ० नाण० ईसण० चरित्तपडिणीयं । ६६१ । णव बंभचेरा पं० २०. सत्यपरित्रा लोगविजओ जाव उपहाणसुयं महापरिण्णा ।६६२२ नव भरगृत्तीतो पं० सं०-विवित्ताई सयणासणाई सेवित्ता भवति, णो इत्यिसंसत्ताई नो पसुसंसत्ताई ना पंडगसंसत्ताई. १ नो इत्थीणं कहं कहेत्ता २ नो इत्थिठाणाई सेवित्ता भवति ३णो इत्थीणमिंदिताई मणोहराईमणोरमाई आलोइत्ता निज्झाइत्ता भवइ ४णो पणीतरसभोती०५णो पाणभोयणस्स अतिमत्तं (म०मातं) आहारते सता भवति ६ णो पुवरतं पुबकीलियं समरेत्ता भवति ७णो सदाणुवाती णो रूवाणुवाती णो सिलोगाणुवाती०८ णो सातसोक्खपडिबद्धे यावि भवनिए, णव भचेरअगुत्तीओ पं० २०-णो विवित्ताई सयणासणाई सेवित्ता भवइ. इस्थीमसत्ताई पसुसंपत्ताई पंडगसंसत्ताई इत्थीणं कहं कहेत्ता भवइ इवीणं ठाणाई सेवित्ता भवति इत्थीणं इंदियाई जाब निझाइत्ता भवति पणीयरसभोई० पाणभोयणस्म अइमायमाहारए सया भवइ पुष्वरयं पुत्रकीलियं सरित्ता भवइ, सहाणुवाई रुवाणुवाई सिलोगाणुवाई जाव सायासुक्खपडिबद्धे यावि भवति । ६६३ । अभिणंदणाओ णं अरहओ सुमती अरहा नवहिं सागरोवमकोडीसयसहस्सेहि विइकतेहिं समुप्पन्ने । ६६४। नव सम्भावपयत्था पं० तं-जीवा अजीवा पुण्णं पावो आसको संवरो निजरा बंधो मोक्खो । ६६५। णवविहा संसारसमावनगा जीचा पं० २०. पुढचीकाइया जाव वणस्सइकाइया वेइंदिया जाव पंचिंदितत्ति १ पुढवीकाइया नवगइया नवआगतिता पं० २०-पुढवीकाइए पुढवीकाइएसु उवबजमाणे पुढवीकाइए. हिता वा जाव पाचदियहिता चा उववजा, से व णं से पुढवीकातिते पुढवीकाइयत्तं विष्पजहमाणे पुढपीकाइयत्ताए जाव पंचिदियत्ताते वा गच्छज्जार एवमाउकाइ चिदियत्ताते वागच्छेज्जार एवमाउकाइयावि३जाव पंचिदियत्ति१०णवविधा सच्यजीवा पं० २०. एगि-13 दिया बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया नेरतिता पंचेंदियतिरिक्वजोणिया मणुस्सा देवा सिद्धा ११ अथवा णवविहा सव्वजीवा पं०२०- पढमसमयनेरतिता अपढमसमयनेरतिता जाब अपढमसमयदेवा सिद्धा १२ नवविद्दा सबजीबोगाहणा पं० त०-पढ़वीकाइओगाहणा आउकाइओगाहणा जाब वणस्सइकाइओगाहणा येइंदियओगाहणा तेइंदियोगाहणा चरिंदियओगाहणा पंचिदियओगाहणा १३ जीवाणं नवहिं ठाणेहिं संसारं वत्तिसु वा वत्तंति वा वत्तिस्संति या. तं-पुढवीकाइत्ताए जाच पंचिंदियत्ताए १४।६६६। णवहिं ठाणेहि रोगुप्पत्ती सिया तं० अच्चासणाते अहितासणाते अतिणिहाए अतिजागरितेण उच्चारनिरोईणं पासवणनिरोहेणं अदाणगमणेणं भोयणपडिकूलताते इंदियत्यविकोवणयाते १५। ६६७। णवविध दरिसणावरणिजे कम्मे पं० त०- निदा निहानिदा पयला पयलापयला थीणगिरी चक्सुर्दसणावरणे अचक्खुदंसणावरणे अवधिदसणाबरणे केवलदसणावरणे । ६६८। अभिती णं णक्खत्ते सातिरंगे नव मुहुने चंदेण सदिं जोगं जोतेति, अभीतिआतिआ णं णव नक्खत्ता णं चंदस्स उत्तरेणं जोगं जोतेंति, तं०-अभीती सवणो धणिहा जाच भरणी। ६६९। इमीसे णं रयणप्पभाते पुढवीए बहुसमरमणिज्जाओ भूमिभागाओ णव जाअणसताई उद्धं अचाहाते उपण्डेि (प्र० अबरिडे) तारारूवे चारं चरति । ६७० । जंबूदीचे णं दीवे णवजाणिआ मच्छा पविसिसु वा पविसंति वा पविसिस्संति वा । ६७१। जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे इमीसे ओसप्पिणीते णव बलदेववासुदवपियगे हुत्या नं-पयावती न वंभे य. रोहे सोमे सिवेतिता । महासीहे अग्गिमीहे, दसरह नवमे य वसुदेवे ॥१०९॥ इत्तो आढत्तं जधा समवाये निरवसेसं जाव एगा से गब्भवसही सिज्झिस्सति आगमेस्सेणं । जंबुद्दीवे दीचे भारहे वासे आगमेस्साए उस्सप्पिणीते नव बलदेववासुदेवपितरो भविस्संति, नव बलदेव मायरो भविस्संति एवं जया समवाते निरवसेसं जाव महाभीमसेण सुग्गीवे य अपच्छिमे। एए खलु पडिसत्तू कित्तीपुरिसाण वा हिं॥११०॥६७२। एगमग णं महानिधी णं णव णव जायणाई विक्खंभणं पं०, एगमंगस्सणं रनो चाउरंतचक्कट्टिस्स नव महानिहओ पं०२०-'णसप्पे१पंहुयए २ पिंगलते ३ सव्वरयण ४ महापउमे ५। काले य६ महाकाले ७ माणवग ८ महानिही संखे ९॥१११॥ सप्पंमि निवेसा गामागरनगरपट्टणाणं च। दोणमुद्दमडंबाणं खंधाराणं गिहाणं च ॥११२॥ गणियस्स य चीयाणं माणुम्माणुस्स जं पमाणं च । धन्नस्स य बीयाणं उप्पत्ती पंडुते भणिया ॥ ११३॥ सव्वा आभरणविही पुरिसाणं जा य होइ महिलाणं। आसाण य हत्थीण य पिंगलगनिहिमि सा भणिया ॥११४ ॥ रयणाई सम्वरयणे चोइस पवराई चक्कबहिस्स। उप्पजंति एगिदियाई पंचिदियाई च ॥११५॥ वत्थाण य उप्पत्ती निष्फत्ती चेव सबभत्तीणं । रंगाण य धोयाण य सव्वा एसा महापउमे ॥११६॥ काले कालण्णाणं भव्यपुराणं च तीसु वासेसु । सिप्पसतं कम्माणि य तिमि पयाए हियकराई ॥११॥ लोहस्स य उप्पत्ती होइ महाकालि आगराणं च। रुप्पस्स सुबन्नस्स य मणिमोत्तिसिलप्पवालाणं ॥११८ा जोधाण य उप्पत्ती आवरणाणं च पहरणाणं च। सव्वा य जुद्धनीती माणवते दंडनीती य॥११९॥(३१) १२४ स्थानांर्ग-6115 मुनि दीपरत्नसागर Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ PESARSPELEPHARIYICANSPIRINAGPICAREERSEASONEBHASPARANSPORAISPEARPRACHEMICARPEACE नहविही नाडगविही कव्वस्स चउव्विहस्स उप्पत्ती । संखे महानिहिम्मी तुड़ियंगाणं च सम्वेसि ॥१२०॥ चक्कट्टपइट्टाणा अगुस्सेहा य नव य विक्खंभे। चारसदीहा मंजूससंठिया जहनवीई मुहे ॥१२१ ॥ वेरुलियमणिकवाडा कणगमया विविधरयणपडि पुन्ना। ससिसूरचक्कलक्खण अणुसमजुगबाहुवतणा त ॥१२२ ॥ पलिओवमठितीया णिहिसरिणामा य तेसु खलु देवा । जेसिं ते आवासा अकिजा आहिक्चा वा ॥ १२३ ॥ एए ते नवनिहजो पभूतधणस्यणसंचयसमिद्धा । जे वसमुवगच्छंती सव्वेसिं चकवट्टीणं ॥१२४॥६७३। णव विगतीतो पं० तं०-खीरं दधि णवणीतं सप्पिं तेलं गुलो महुं मजं मंसं । ६७४ाणवसोतपरिस्सवा बोंदी पं० त०-दो सोत्ता दो मेत्ता वो घाणा मुहं पोसे पाऊ।६७५ णवविये पुन्ने पं० २०-अन्नपुग्ने १ पाणपुण्णे २ वत्थपुने ३ लेणपुण्णे ४ सयणपुझे ५ मणपुग्ने ६ वतिपुण्णे ७ कायपुण्णे ८ नमोकारपुण्णे ९।६७६। णव पावस्सायतणा पं० सं०-पाणातिवाते मुसाबाते जाव परिग्गहे कोहे माणे माया लोभे।६७७१ नवविध पावसुयपसंगे पं०२०-उप्पाते १ निमित्ते २ मते ३, आतिक्खिते ४ तिगिच्छते ५। कला आवरणे ७ऽन्नाणे ८, मिच्छापावतणेति त ९॥१२५॥६७८। नव उणिता वत्थू पं० त०-संखाणे निमित्ते कातिते पोराणे पारिहत्थिते परपंडिते वातिते भूतिकम्मे तिगिच्छिते।६७९। समणस्सणं भगवतो महावीरस्म णव गणा हुत्था, तं०-गोदामे गणे उत्तरबलिस्महगणे उदेहगणे चारणगणे उहुवातितगये विसवातितगणे कामढितगणे माणवगणे कोडितगणे । ६८०। समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं णिगंथाणं णवकोडिपरिसुद्धे मिक्वे पं० तं०-ण हणइ ण हणावइ हणतं णाणुजाणइ ण पतति ण पतावेति पतंतं णाणुजाणतिम किणति ण किणावेति किणतं गाणुजाणति । ६८१। ईसाणस्स णं देविंदस्स देवरण्णो वरुणस्स महारनो णव अम्गमाहिसीओ पं०।६८२॥ ईमाणस्म णं देविंदस्स देवरपणो अम्गमहिमीणं णव पलिओवमाई ठिती पं०, ईसाणे कये उकोसेणं देवीणं णव पलिओवमाई ठिती पं०।६८३। नव देवनिकाया पं० तं०-सारस्सयमाइचा वण्ही वरुणा व गहतोया या तुसिया अशाचाहा अग्गिचा चेव रिट्ठा य ॥१२६॥ अब्बाबाहाणं देवाणं नव देवा नव देवसया पं०, एवं अग्गिच्चावि.एवं रिट्ठापि । ६८४ा णव गेवेचविमाणपत्थडा पं० सं०-हेट्ठिमहेद्विमगेविजविमाणपत्थडे हेट्ठिममज्झिमगेविजविमाणपत्थडे हेडिमउवरिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिमहेट्ठिमगेविजविमाणपत्थडे मज्झिममझिमगेविजविमाणपत्थर मजिझमउवारमगविजबिमाणपत्थडे उबारमहामगे० उवारममाजाम० उवरिमरगविजविमाणपत्थडे, एतसि ण णवण्ह गविज्जविमाणपत्थडाण णव नामधि सणे । सुदंसणे अमोहे य, मुप्पचुद्धे जसोधरे ॥१२७॥ ६८५। नवविहे आउपरिणामे पं० सं०-गतिपरिणामे गतिबंधणपरिणामे ठिइपरिणामे ठितिबंधणपरिणामे उड्ढंगारवपरिणामे अहेगारवपरिणामे तिरितंगारवपरिणामे दीहंगारवपरिणामे रहस्संगारवपरिणामे । ६८६। णवणवमिता णं भिक्सुपडिमा एगासीते रातिदिएहिं चउहि य पंचुत्तरेहिं भिक्खासतेहिं अधासुत्ता जाव आराहिता तावि भवति । ६८७॥णवविधे पायच्छिते पं० ते आलोयणारिद जाव मूलारिहे अणवठप्पारिहे।६८८। जंचूमंदरदाहिणणं भरहे दीहवेतड्ढे नव कूडा पं० सं०-सिदे १ भरहे २ खंडग ३ माणी ४ वेयड्ढ ५ पुष ६ तिमिसगुहा ७। भरहे ८ वेसमणे ९ या भरहे कूडाण णामाई ॥१२८॥ जंबूमंदिग्दाहिणेणं निसभे वासहरपवते णव कूडा पं० सं०-सिद्दे १ निसहे २ हरिवास ३ विदेह ४ हरि ५ धिती ६ अ सीतोता ७। अवरविदेहे ८ रुयगे ९ निसभे कूडाण नामाणि ॥१२९॥ जंबूमंदरपचते गंदणवणे णव कुडा पं. तं०-णंदणे १ मंदरे २ चेव निसहे ३ हेमवते ४ रयय ५ रुयए ६ य। सागरचित्ते ७ बहरे ८ बलकूडे ९ चेव चोदधे ॥१३०॥ जंचूमालवंतवक्वारपवते णव कूडा पं० तं०-सिद्धे१य मालबते २ उत्तरकुरु ३ कच्छ४ सागरे ५ रयते ६ । सीता ७ तह पुण्णणामे ८हरिस्सहकूटे ९ य बोडो ॥ १३१ ॥ जंचू० कच्छे दीहवेयड्ढे नव कूडा पं० तं०-सिद्धे १ कच्छे २ खंडग ३ माणी ४ वेयड्ढ ५ पुण्ण ६ तिमिसगुहा 31 कच्छे ८ वेसमणे या ९ कच्छे कूडान णामाई ॥१३२॥ जंचू० सुकच्छे दीहवेयड्ढे गव कूडा पं००-सिद्ध १ सुकन्छे २ खंडग ३ माणी ४ वेयड्ढ ५ पुन ६ तिमिसगुहा ७। सुकच्छे ८ पेसमणे ९ ता सुकच्छि कूडाण णामाई ॥१३३॥ एवं जाव पोक्खलावतिमि दीहवेयड्ढे, एवं पच्छे दीहवेयड्ढे, एवं जाव मंगलावतिमि दीहवेहड्ढे, जंचूविजुप्पमे वक्वारपञ्चते नव कूडा पं० तं०-सिद्धे १ अ विजुणामे २ देवकूडा ३ पम्ह ४ कणग ५ सोवत्थी ६ । सीतोता य ७ सयजले ८ हरिकृडे ९चेव बोद्धब्बे ॥१३४॥ जंचू० पम्हे दीहवेयड्ढे णव कूडा पं० सं०-सिदे १ पम्हे २ खंडग ३ माणी ४ वेयड्ढ ५ एवं चेव जाव सलिलावतिमि दीहवेयड्ढे, एवं वप्पे दीहवेयड्ढे, एवं जाव गंधिलावतिमि दीहवेयड्ढे नव कूडा पं० तं०सिद्धे १ गंधिल २ खंडग ३ माणी ४ वेयड्ढ ५ पुन ६ निमिमगृहा गंधिलावति ८ बेसमण ९ कूडाणं होति णामाई ॥१३५॥ एवं सब्वेसु दीडवेयड्ढेसु दो कूडा सरिसणामगा सेसा ते चेव, जंचूमंदरउत्तरेणं नेलवते वासहरपब्वते णव कूडा पं० २०-सिदे १ निलवंत २ विदेह ३ मीता ४ किनी त ५ नारिकता ६ य । अवरविदेहे रम्मगकडे ८ उपदसणे ९ चेव ॥१३६॥ जंचूमंदरउत्तरेणं एरवते दीहवेतहढे नव कूडा पं० तं०-सिद्ध १ रयणे २ खंडग ३माणी ४ वेयइट ५ पुण्ण ६ तिमिसगृहा । एरवते ८ वेसमणे ९ एरवते कूडणामाई ॥१३७॥६८९। पासे णं अरहा पुरिसादाणीए बजरिसहणारातसंघयणे समचउरंससंठाणसंठिते नव रयणीओ उदउचत्तेणं हुत्या।६९० समणम्मणं भगवतो महावीरस्म तिन्थंमिणवहिं जीवेहि तित्वगरणामगोने कम्मे णिवत्तिते सेणितेणं सुपासेणं उदातिणा पोहिलेणं अणगारेणं दढाउणा संखेणं सततेणं सुलसाए साविताते रेवतीते।६९९/ एसणं अजो! कण्हे वासुदेवे? रामे बलदेवे२ उदये पेदालपुत्ने ३ पुहिले ४सतते गाहावती ५ दास्ते नितंठे ६ सचती नितंठीपुत्ते ७सावितबुदे अम्बढे परिवायते ८ अज्जाविणं सुपासा पासावचिजा९आगमेस्साते उस्सप्पिणीतेचाउज्जामं धम्म पनवतित्ता सिजिनहिन्ति जाव अंतं काहिति । ६९२। एसणं अजो! सेणिए राया भिभिसारे कालमासे कालं किचा इमीसे रयणप्पभाए पुढवीते सीमंतते नरए चउरासीतिवाससहस्सद्वितीयंसि नित्यंसि गेरइयत्ताए उपजिहिति से णं तत्य रहए भविस्सति काले कालोभासे जाव परमकिण्हे वनेणं, से णं तत्थ वेयणं वेदिहिती उजलं (विउलं पा०) जाव दुरहियासं, से णं ततो नरतातो उबत्ता आगमेसाते उस्सप्पिणीते इहेब जंचुरीचे दीये भारहे वासे वेयड्दगिरिपायमूले | पुंटेसु जणवतेसु सतदुबारे णगरे संमुहस्स कुलकरस्स भदाए भारियाए कृच्छिसि पुमत्ताए पचायाहिती, तए णं सा भहा भारिया नवण्हं मासाणं बहुपडिपुण्णाणं अबहमाण य राइंदियाणं वीतिकंताणं सुकुमालपाणिपातं अहीणप१२५ स्थानांर्ग-67ur-s मुनि दीपरत्नसागर FROMISPHELEPHANSPEACHESHEPEARBYEARPORNSARANOPTOMSIPELIEFHOKRIPTEACHESEPTOMAPIOLSPAR Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SIOSPIRAMESSASPEHACPESABHIRABPOLISHERONISTRANSPOSRPONARPESANELETESRANDARPEARIYAN डिपुन्नपंचिंदियसरीरं लक्खणवंजणजाव सुरूवं दारगं पयाहिती, जं रयणिं च णं से दारए पयाहिती तं रयणि च णं सतदुवारे णगरे सम्भितरवाहिरण भारम्गमो य कुंभम्गसो त पउमवासे त ग्यणवासे न वामे वामिहिति, नएणं तस्म दास्यस्स अम्मापियरो एक्कारसमे दिवसे वइकते जाव वारसाहे दिवसे अयमेयारूचं गोण्णं गुणनिष्फण्णं नामधिज काहिंति जम्हा णं अम्हमिमंसि दारगंमि जातंसि समाणमि मयदुवारे नगरे मभितरवाहिरए भारगसो य कुंभग्गमा य परमवासे य रयणवासे य वासे खुढे तं होऊ णमम्हमिमस्स दारगस्स नामधिजं महापउमे २ तए णं तस्स दारगस्स अम्मापियरो नामधि काहिंति-महापउमेत्ति (प० मानि)२ तए णं महापउमं द्वारगं अम्मापितरो सातिरेगं अट्ठवामजातगं जाणित्ता महता रायाभिसेएणं अभिसिंचिहिति, से णं तत्थ राया भविस्सति महताहिमवंतमहंतमलयमंदररायवनतो जाव रज पमाहेमाणे विहरिस्मति, नते णं तस्म महापउमस्स रचो अन्नया कयाइ दो देवा महिड्ढिया जाच महेसक्खा सेणाकम्मं काहिंति, सं०-पुत्रभहते माणिभहते, तएणं सतदुबारे नगरे बहवेरातीसरतलबरमाडंबितकोडचितइभसेट्टिमेणावनिमस्थवाहप्पभितयो अन्नमत्रं सदावेहिति एवं वतिस्मंति-जम्हाणं देवाणुप्पिया! अम्हं महापउमस्स रजो दो देवा माहिहिढया जाव महेसक्खा सेणाकम्मं करेंति, तं०-पूजभदेत माणिभदेय,नं होऊणमम्हं देवाणप्पिया! महापउमस्स रन्नो दोचेऽविनामधेने देवसेणे २सते णं तस्स महापउमस्स दोचेऽपि नामधेजे भविस्सइ देवसेणेति (म० णाति)२ तए णं तस्स देवसेणस्स रनो अन्नता कताती सेये संखतलविमलसन्निकासे चउदंते हस्थिरयणे समुपजिहिति, नए णं से देवसेणे राया त सेयं संखतलविमलसन्निकासं चउहतं हस्थिरयणं दुरुढे समाणे सतवारं नगर मज्झमझेणं अभिक्खणं २ अतिजाहि (इ पा.)त णिज्जाहि त, तते णं सतवारे णमरे पहवे रातीसरतलवर जाव अन्नमन्नं महाविति २ एवं वइस्संनि-जम्हा णं देवाणुप्पिया! अम्हं देवसेणस्स रन्नो सेते संखत विमलसन्निकासे चउदंते हत्यिरयणे समुप्पन्ने त होऊ णमम्हं देवाणुप्पिया ! देवसेणस्ल रन्नो तच्चेऽवि नामधेजे विमलवाहणे, ततेणं नम्म देवसेणस्म रन्नो नच्चेऽवि णामधेजे भविस्मति विमलवाहणतएणं से विमलवाहणे राया तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता अम्मापितीहिं देवत्तगतेहिं गुरुमहत्ततेहिं अभणुनाते समाणे उदुमि सरए संबुदे अणुत्तरे मोक्खमग्गे पुणरवि लोगंतितेहिं जीयकल्पितेहिं देवेहिं ताहिं इट्टाहि कंताहिं पियाहिं मणुन्नाहि मणामाहि उरालाहि काडाणाहिं धन्नाहिं सिवाहिं मंगलाहिं सस्मिरीआहि बग्गा अभिणंदिजमाणे अभिथुवमाणे य बहिया (प्र०संवाहिए) सुभमिभाग उजाणे एगं देव पव्वयाहिति, तस्स णं भगवंतम्स साइरेगाई दुवालस वासाई निच्चं वोसट्टकाए चियत्तदेहे जे केई उक्सग्गा उप्पज्जति त-दिव्वा वा माणुसा वा तिरिक्खजाणिया वा ते उप्पन्ने सम्मं सहिस्सइ खमिस्सइ तितिक्रिस्मइ अहियासिस्सइ, नए णं से भगवं इंरियासमिए भासासमिए जाच गुत्तभयारी अममे अकिंचणे छिन्नगंथे (किन्नगंथे पा०) निरूबलेवे कंसपाईव मुक्कतोए जहा भावणाए जाव सुययासणेविच तेयसा जलंते 'कंसे संखे जीवे गगणे वाते य सारए सलिले । पुक्खरपत्ते कुंभे विहगे खम्गे य भारंडे ॥१३८॥ कुंजर वसहे सीहे नगराया चेव सागरमखोभे। चंदे सूरे कणगे वसुंधरा चेव सुहुयहुए ॥१३९॥ नत्थि णं तस्स भगवंतस्स कत्थइ पडिबंधे भवइ, से य पडिये चउबिहे पं०२०-अंडएइ वा पोयएइ वा उग्गहिण्ड वा पम्गहिएड वा, जंणं जणं दिसं इच्छइ तणं तंणं दिसं अपडिबढे सुचिभूए लहुभूए अणप्पगंथे संजमेणं तवसा अप्पाणं भावमाणे बिहरिस्सइ, तस्स णं भगवंतस्स अणुत्तरेणं | नाणेणं अणुत्तरेणं ईसणेणं अणुत्तरेणं चरिणं एवं आलएणं विहारेणं अज्जमहवेलाघवेवंतीमुत्तीगृत्तीसञ्चसंजमतवगुणसुचग्यिसोवचियफलपरिनिवाणमयोणं अप्पाणं भावमाणस्स झाणंतरियाए वट्टमाणस्स अणते अणुत्तरे निवा| घाए जाव केवलवरनाणसणे समुप्पजिहिति. नए णं से भगवं अरहा जिणे भविस्मइ, केवली सवन्नू सवदरिसी सदेवमणुआसुरस्स लोगस्स परियागं जाणइ पासइ सव्वलोए मब्वजीवाणं आगई गति ठियं चयणं उववायं तक मणोमाणमियं भुनं कडं परिसेवियं आवीकम्मं रहाकम् अरहा अरहस्स भागी तं तं कालं मणसवयसकाइए जोगे वट्टमाणाणं सवलोए सन्मजीवाणं सव्वभावे जाणमाणे पासमाणे विहरइ, तए णं से भगवं तेणं अणुत्तरेणं केवल वरनाणदंगणेणं मदेवमणुआमुग लोगं अभिममिचा ममणाणं निग्मांथाणं (प्र० से णं भगवं जं चेव दिवस मुंडे भविना जाव पच्वयाहि तं चेव दिवसं सयमेतारूबमभिग्गहं अभिगिव्हिहिति जे केइ उनसम्गा उप्पजंति, तं०-दिवा वा माणुसा वा तिरिक्वजाणिया वा ते उप्पन्न मम्म महिम्मइ स्वमिम्मइ तितिक्विस्मइ अहियामिस्सड, तते णं मे भगवं अणगारे भविस्मति ईरियासमिते भास एवं जहा बदमाणसामी तं चेव निरवसेसं जाव अबावारविउसजोगजुने, तम्मण भगवंतम्म एतणं विहारण विहरमाणस्म दुवालसहि संवच्छरहि वीनिकतेहि तेरसहि य पक्वेहि नरममस्सणं संबच्छरस्स अंतरा बहमाणस्स अणुत्तरेणं णाणणं जहा भावणाते केवलवरनाणदंसणे समुप्पजिहिन्ति जिणे भविस्मति केवटी मवन्न मन्बदग्मिी मणेरडा जाव) पंच महब्बयाई सभावणाई छच जीवनिकायधम्म देसेमाणे विहरिस्पति, से जहाणामते अजो! मते समणाणं निग्गंथाणं एगे आरंभठाणे प०, एचामेव महापउमेऽचि अरहा समणाणं णिग्गंधाणं पगं आरंभट्ठाणं पण्णवहिति, में जहाणामते अजा! मते समणाणं निग्गंथाणं दुविहे बंधणे पं० तं०-पेजबंधणे दोसपंधणे, एवामेव महापउमेऽपि अरहा समणाणं णिगंथाणं दुविहं बंधणं पनवेहिती,तं०-पेजबंधणं च दोसबंधणं च, में जहानामन अजी : मने समणाणं निग्गंधाणं तओ दंडा पं० तं०-मणदंड ३ एवामेव महापउमेऽवि० समणाणं निग्गंथाणं ततो दंडे पण्णवेहि ति, तं०-मणोदंडं ३, से जहानामए एएणं अभिलावेणं चत्वारि कसाया पं०२०-कांहकमाए. ४ पंच कामगुण पं०२०-मई ५ छज्जीवनिकाता पं० २०-पुढविकाइया जाव तसकाइया, एवामेव जाव तसकाइया, से जहाणामते एएण अभिलावेणं मत्त भयहाणा पं०२० एवामेव महापउमेऽवि अरहा समगाणं निग्गंथाणं मत्त भयाणा पन्नवहिनि, एवमट्ठ मयट्ठाणे णव बंभचेरगुत्तीओ दसविधे समणधम्मे एवं जाव तेत्तीसमासातणाउत्ति, से जहानामते अजो! मते समणाणं निग्गंधाणं नग्गभावे मुंडभावे अण्हाणते अदंतवणे अच्छतए अणुवाहणते भूमिमजा फलगमंजा कटुसेजा केसलोए बंभचेवासे परघरपवेसे (जाव) लवावलद्धवित्तीउ पन्नत्ताओ एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं निग्गंधाणं णग्गभावं जाव लदावलदवित्ती पण्णवेहिती, से जहाणामए अजो! मए समणाणं नि आधाकम्मिएति वा उदेसितेतिवा मीसज्जाएति वा अज्झोयरएति वा पृतिए. कीते० पामिच्चे अच्छेजे० अणिसट्टे अभिहडेति या कंतारभत्तेति वा दुम्भिक्खभत्ते० गिलाणभत्ते वह लिवाभत्तेइ चा १२६ स्थानांगं-ठाण मुनि दीपरत्नसागर ACHERSHASPALI8905688YCHOPRASHTHAPICANSPIRAREPARSHIPIMESPERHISPO48978AASPIRSREPELAPTOSBIHARDHA Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ SPRASP0644678656784884484866468N8RSAAPHEPISSPI48-760568PERPESABPMSPERISPEN पाहुणभत्तेइ वा मूलभोयणेति वा केंदभो० फलभो० बीयभो हरियभोयणेति या पढिसिद्ध एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं आधाकम्मितं वा जाव हस्तिभोयणं वा पडिसहिस्सति, से जहानामते अजो ! मए समणाणं. पंचमहत्वतिए सपडिकमणे अचेलते धम्मे पपणत्ते एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं णिग्गंथाणं पंचमहत्वतितंजाव अचेलगं धम्म पण्णवेहिती, से जहानामए अजो! मए पंचाणुवतिते सत्तसिक्खावतिते दुवालसविधे सावगधम्मे पं० एवामेव महापउमेऽपि अरहा पंचाणुवतितं जाव सावगधम्मं पण्णवेस्सति, से जहानामते अजो! मए समणाणं० सेजातरपिंडेति वा रायपिंडेति वा पडिसिद्धे एवामेव महापउमेऽवि अरहा समणाणं सेज्जातरपिंडेति वा पटिसेहिस्सति, से जधाणामते अजो! मम णव गणा इगारस गणधरा एवामेव महापउमस्सऽपि अरिहवो णव गणा एगारस गणधरा भविस्संति, से जहानामते अजा! अहं तीसं यासाई अगारवासमझे बसित्ता मुंडे भवित्ता जाव पञ्चतिते दुवालस संवच्छराई तेरस पक्खा छउमस्थपरियागं पाउणित्ता तेरसहिं पक्खेहि ऊणगाइं तीसं वासाई केवलिपरियागं पाउणित्ता चायालीसं वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता यावत्तरियासाई सघाउयं पाल इत्ता सिज्झिस्सं जाव सवदुक्खाणमंतं करेस्स एवामेव महापउमेऽवि अरहा तीसं वासाई आगारवासमझे वसित्ता जाव पवइहिती दुवालस संवच्छाराई जाव पावत्तरि वासाई सबाउयं पालइत्ता सिज्झिहिती जाव सचदुक्खाणमंतं काहिती-"जंसीलसमायारो अरहा तिथंकरो महावीरो । तस्सीलसमायारो होहि उ अरहा महापउमे ॥१४०॥" ६९३। श्री महापद्मचरित्रं ॥ णव णक्खत्ता चंदस्स पच्छंभागा पं० तं- अभिती समणो धणिट्ठा रेवति अस्सिणि मग्गसिर पृसो। हत्थो चित्ता य तहा पच्छंभागा णव हवंति ॥१४१॥६९४ । आणतपाणतारणचुतेसु कप्पेसु विमाणा णव जोयणसयाई उचउच्चत्तेणं पं०।६९५। विमलवाहणे णं कुलकर णव धणुसताई उदउच्चत्तेणं हुत्था।६९६। उसमेणं अरहा कोसलिते णं इमीसे ओसप्पिणीए णवहिं सागरोवमकोडाकोडीहिं विईकंताहिं तित्थे पयत्तिते।६९७१ घणदंतलदंतगूढदंतसुद्धदंतदीवाणं दीवा णवणवजोयणसताई आयामविक्खंभेणं पं०।६९८ा मुकस्स णं महागहस्स णच वीहीओ पंत-हयवीही गतवीही णागवीही वसहवीही गोवीही उरगवीही अयवीही मितवीही वेसाणरवीही । ६५९। नवविधे नोकसायवेयणिजे कम्मे पं० सं०-इस्थिवेते पुरिसवेते णपुंसगवेते हासे रती अरई भये सोगे दुगंछे। ७०० चरिंदियाणं णव जाइकुलकोडीजोणिपमुहसयसहस्सा पं०, भुयपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणियाणं नव जाइकुलकोडिजोणिपमुहसयसहस्सा पं०1७०१। जीवा णं णयहाणनिवत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताते चिणिंसु वा ३ पुढवीकाइयनिवत्तिते जाव पंचिंदितनिवत्तिते, एवं चिण उपचिण जाव णिज्जरा चेव । ७०२। णवपएसिता खंधा अणंता पं० नवपएसोगाढा पोग्गला अणंता पं० जाप णवगुणलुक्खा पोग्गला अणंता पं०।७०३॥ नवस्थानकाध्ययनं ९॥ दसविधा लोगडिती पं० २०-जण्णं जीवा उदाइत्ता २ तत्व २ भजो२ पञ्चायति एवं एगा लागट्टिती पं०१जण्णं जीवाणं सता समियं पाये कम्मे कजति एवंप्पेगा लोगट्टिती पर मोहणिजे पावे कम्मे कजति एवंप्पेगा लोगट्टिती पं०३ण एवं भूतं या भव्यं वा भविस्सति वा जं जीचा अजीवा भविस्संति अजीवा वा जीवा भविस्संति एवंप्पेगा लोगडिती पं०४ण एवं भूतं ३ जे तसा पाणा वोच्छिजिस्मंति थावरा पाणा (म० भविस्सति थावरा पाणा) वोच्छिजिस्संति तसा पाणा भपिस्संति वा एवंप्पेगा लोगट्टिती पं०५ण एवं भूतं ३ जं लोगे अलोगे भविस्सति अलोगे वा लोगे भविस्सति एवंपेग्गा लोगहिती पं०६ ण एवं भूतं वा ३ जं लोए अलोए पविसति अलोए वा लोए पविसति एवंप्पेगा लोगहिती ७ जाव ताव लोगे ताव ताच जीवा जाव ताव जीवा ताव ताव लोए एवंप्पेगा लोगहिती ८ जाव ताप जीवाण त पोग्गलाण त गतिपरिताते ताव ताव लोए जाव ताव लोगे ताव ताच जीवाण य पोग्गलाण त गतिपरिताते एवंप्पेगा लोगडिती ९ सवेसुविणं लोगतेसु अबद्धपासपुट्टा पोग्गला लुक्खत्ताते कज्जति जेणं जीवा त पोग्गलात नो संचायति चहिता लोगंता गमणयाते एवंप्पेगा (एवमेगा पा०) लोगद्विती पं०१०। ७०४। दसविहे सद्दे पं० २०. नीहारि१पिडिमे २लुक्से ३, भिन्ने ४ जज्जरिते ५ इत। दह ६ रहस्से ७ पुटुत्ते८त, काकणी ९खिखिणिस्सरे १० ॥१४२॥७०५। दस इंदियत्था तीता पं००देसेणवि एगे सहाई सुणिंसु मन्त्रेणवि एगेसहाई सुणिंसु देसेणवि एगे रूबाई पासिंसु सवेणवि एगे रुवाइं पासिंसु. एवं गंधाई रसाई फासाई जाच सोणवि एगे फासाई पडिसंवेदेसु. दस इंदियत्था पटुप्पना पं० त०-देसेणवि एगे सदाई सुर्णेति सवेणवि एगे सहाई सुणेति, एवं जाव फासाई, दस इंदियत्था अणागवा पं०तं०-देसेणवि एगे सहाई सुणिस्संति सोणवि एगे सदाई सुणेस्संति एवं जाव सवेणवि एगे फासाई पडिसंवेदेस्संति ।७०६। दसहि ठाणेहिमच्छिन्ने | पोग्गले चलेजा तं-आहारिजमाणे वा चलेजा परिणामेजमाणे वा चलेजा उस्ससिज्जमाणे वा चलेजा निस्ममिजमाणे वा चलेजा वदेजमाणे वा चलेजा णिजरिजमाणे वा चलेजा विउविजमाणे | चलेजा जक्वाति वा चलज्जा वातपरिगत (म० परिग्गह) या चलेजा । ७०७। दसहि ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिया तं०-मणुन्नाई में सदफरिसरसरूवगंधाइमबहरिंसु १ अमणुन्नाई में सहफरिसरसरुवगंधाई उवहरिम २ मणण्णार्ड मे सहफरिसरसरूवगंधाई अवहरइ ३ अमणुन्नाई में सहफरिसजावगंधाई उवहरति ४ मणुण्णाई मे सह जाब अवहरिस्सति ५ अमणुण्णाई मे सह जाच उचहरिस्सति ६ मणुण्णाई मे सद्दजावगंधाई अवहरिसु वा अवहरइ वा | अवहरिस्सति वा ७ अमणुण्णाई मे सद्द जाव उवहरिंसु वा उवहरति वा उवहरिस्सति वा ८ मणुण्णामणण्णाई सद्द जाव अवहरिसु अवहरति अवहरिस्सइ उवहरिसु उवहरति उवहरिस्सति ९ अहं च णं आयरियउवज्झायाणं सम्म बट्टामि ममं च णं आयरियउक्झाया मिच्छ पडियन्ना १०।७०८ा दसविधे संजमे पं०२०- पुढवीकातितसंजमे जाव वणस्सतिकाइयसंजमे बेइंदितसंजमे तेंदितसंजमे चउरिदितसंजमे पंचिदियसंजमे अजीवकायसंजमे, दसविधे असंजमे पं० तं-पुढवीकातितअसंजमे आउ० तेउवाउ० पणस्सति जाव अजीवकायअसंजमे, दसविधे संवरे पं० सं०- सोतिदियसंबरे जाव फासिदितसंवरे मण० यय० काय उपकरणसंवरे सूचीकुसम्गसंवरे, दसविधे असंवरे पं० २०-सोनिंदितअसंवरे जाव सूचीकुसग्गसंघरे । ७०९। दसहि ठाणेहिं अहमंतीति थंभिजा, तं०-जातिमतेण वा कुलमएण वा जाव इस्सरियमतेण वा णागसुवना वा मे अंतितं हवमागच्छंति पुरिसधम्मातो वा मे उत्तरिते अहोधिते णाणदंसणे समुप्पजे । ७१०। दसविधा समाधी पं० तं०-पाणातिवायरमणे मुसा० अदिन्ना० मेहुण० परिम्गहा० ईरितासमिती भासासमिती एसणासमिती आयाण० उच्चारपासवणखेलसिंघाणगपारिद्वावणितासमिती, १२७ स्थानांग-6-20 मुनि दीपरत्नसागर CHOPIAMOPMOMREPEHREPEAMSM8480NGPRSARGIPRARIHASP46PERAPYAARRESPIRAHMEPASARIPAEPHARE Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ दसविधा असमाधी पं० त०-पाणातिवाते जाव परिगहे ईरिताऽसमिती जाय उचारपासवणखेलसिंघाणगपारिट्टावणियाऽसमिती७११दसविधा पकजा पं० त०- छंदा १ रोसा २ परिजुन्ना ३ सुविणा ४ पडिस्सुता ५ चेव । सारणिता ६ रोगिणीता ७ अगाढिता ८ देवसन्नत्ती ९ ॥१४३॥ वच्छाणुवंधिता १०, दसविधे समणधम्मे पं० २०-खंती मुत्ती अजवे महवे लाघवे सच्चे संजमे तवे चिताते बंभचेरवासे, दसविधे वेयावचे पं० तं०-आयरियवेयावचे उपज्झायवेयावच्चे थेरवेयावच्चे तवस्सि: गिलाण० सेह० कुल० गण० संघवेयावचे साहम्मियवेयावचे। ७१२। दसविधे जीवपरिणामे पं० त०-गतिपरिणामे इंदितपरिणामे कसायपरिणामे लेसा जोगपरिणाम उवओग० णाण० | दमणः चरित्त० वेतपरिणामे, दसविधे अजीवपरिणामे पं. बंधणपरिणामे गति० संठाणपरिणामे भेद० वण्ण रस० गंध फास० अगुरुला० सहपरिणामे । ७१३ । दसविधे अंतलिक्खिते असज्झाइए पं० त०-उकावाते। दिसिदाये गजिते विजुते निग्याते जयते जक्यालित्ते धूमिता महिता रतउम्पाते, दसविहे ओरालिते असज्झातिते पं० तै- अढि मंसं सोणिते असुतिसामंते सुसाणसामंते चंदोवराते सरोवराए पडणे रायग्गहे उक्स्सयस्स अंतो। ओरालिए सरीरगे। ७१४। पंचिंदिया णं जीचा णं असमारभमाणस्स दसविधे संजमे कजति, त०-सोयामताओ सुक्खाओ अश्वरोवेत्ता भवनि सोतामतेणं दुक्षेणं असंजोगेत्ता भवति एवं जाव फासामतेणं दुक्खेणं असंजोएता भवति, एवं असंयमोऽवि माणितञ्चो । ७१५। दस सुहुमा पं० तं०-पाणसुहमे पणगमुहुमे जाव सिणेहसुहुमे गणियमुहुमे भंगमुहुमे । ७१६। जंचूमंदिरदाहिणेणं गंगासिंधुमहानदीओ दस महानतीओ समति, ते जउणा सरऊ | आवी कोमी मही सतदु विवच्छा विभासा एरावती चंद्रभागा, जंचूमंदरउत्तरेणं रत्तारत्तवतीओ महानदीओ दस महानदीजो समप्पॅति, तं०-किण्हा महाकिण्हा नीला महानीला तीरा महातीरा ईदा जाव महाभोगा। ७१७॥ जंबुट्टीवे २ भरहवासे दस रायहाणीओ पंतं०-चंपा महुरा वाणारसी य सावत्थी तहत सातेतं । हत्यिणउर कंपिल्लं मिहिला कोसंवि रायगिहं ॥१४४॥ एयासु णं दसरायहाणीसु दस रायाणो मुंडा भवेत्ता जाव पव्वतिता, तं०. भरहे सगरो मघवं सर्णकुमारो संती कुंथू अरे महापउमे हरिसेणो जयणामे । ७१८ा जंबुद्दीवे २ मंदरे पव्यए दस जोयणसयाई उव्वेहेणं धरणितले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दस जोयणसयाई विपखंभेणं दसदसाई जोयणसहस्साई सचम्गेणं पं०।७१९। जंबुदीचे २ मंदरस्स पव्वयस्स बहुमज्झदेसभागे इमीसे स्यणप्पभाते पुढवीते उवरिमहेहिलेसु खुइडगपतरेसु एत्य णमट्ठपतेसिते रुयगे पं०, जओ णमिमातो दस दिसाओ पवहंति, तं०पुरच्छिमा पुरच्छिमदाहिणा दाहिणा दाहिणपञ्चत्थिमा पचस्थिमा पचत्थिमुत्तरा उत्तरा उत्तरपुरच्छिमा उद्धा अहो, एतासि णं दसण्हं दिसाणं दस नामधिज्जा पं०२०-इंदा अग्गीइ जमा णेरती वारणी य वायव्वा। सोमा ईसाणाविय विमला य नमा य योद्धव्वा ॥१४५॥ लवणस्स णं समुहस्स दस जोयणसहस्साई गोतित्थविरहिते खेत्ते पं०, लवणस्स णं समुहस्स दस जोयणसहस्साई उदगमाले पन्नत्ते, सब्वेऽवि णं महापाताला दसदसाई जोयणसहस्साइ. मुव्येहेणं पं०, मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं०, बहुमज्झदेसभागे एगपएसिताते सेढीए दसदसाई जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं०, उवरिं मुहमूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं० तेसि णं महापातालाणं कुड्डा मव्यवइरामया सव्वत्थ समा दस जोयणसयाई बाहलेणं पं०, सव्वेऽपि णं खुदा पाताला दस जोयणसताई उव्वेहेणं पं०, मूले दसदसाई जोयणाई विक्खंभेणं, बहुमज्झदेसभागे एगपएसिताते सेढीते दस जोयणसताई विक्संभेणं पं०. उवरि मुहमूले दसदसाइं जोयणाई विक्खंभेणं पं०, तेसिं णं खुड्डागपातालाणं कुड्डा सव्ववइरामता सव्वस्थ समा दस जोयणाई बाहाडेणं पं०1७२० । धायतिसंडगा णं मंदरा दसजोयणसयाई उव्वेहेणं धरणितले देसणाई दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उबरिं दस जोयणसयाई विक्खंभेणं पं०, पुक्खरवरदीवद्धगाणं मंदरा दस जोयण एवं चेव ।७२१श सव्वेऽविणं वववेयवपव्यता दस जोयणसयाई उद्धउचत्तेणं दस गाउयसयाइमुवेहेणं सम्वत्य समा पाइगर्मठाणसंठिता दस जोयणसयाई विक्खमेणं पं० । ७२२। जंबुद्दीये २ दस खेत्ता पं० सं०-भरहे एरवते हेमक्ते हेरन्नयते हरिवस्से रम्मगवस्से पुव्वविदेहे अवरविदेहे देवकुरा उत्तरकुरा । ७२३॥ माणुसुत्तरे णं पवते मूले दसबावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पं०।७२४॥ सव्वेऽपि णमंजणगपव्वता दस जोयणसयाइमुब्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उवरिं दस जोयणसताई विखंभेणं पं०, सव्वेऽविणं दहिमुहपब्वता दस जोयणसताई उज्वेहेणं सव्यस्थ समा पल्लगसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साई विश्वंभेणं पं०, सबेऽविणं रविकरगपव्यता दस जोयणसताई उदउच्चत्तेणं दसगाउयसताई उच्चेहेणं सब्वस्थ समा झाइरिसंठाणसंठिता दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं०1७२५॥ कयगवरे णं पब्बते दस जोयणसयाई उव्वेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं उरि दस जोयणसताई विक्खंभेणं पं०, एवं कुंडलबरेऽपि । ७२६ । दसविहे दवियाणुओगे पं० तं-दबियाणुओगे माउयाणुओगे एगट्टियाणुओगे | करणाणुओगे अप्पितऽणप्पिते भाविताभाविते चाहिराबाहिरे सासयासासते तहणाणे अतहणाणे । ७२७१ चमरस्स णं असुरिंदस्स असुरकुमाररनो तिगिच्छिकूडे उप्पातपञ्चते मूले दसवावीसे जोयणसते विक्खंभेणं पं०, चमरस्स णं असुरिन्दस्स असुरकुमाररचो सोमस्स महारन्नो सोमप्पभे उप्पातपत्रते दस जोयणसयाई उदउच्चत्तेणं दस गाउयसताई उबेहेणं मूले दस जोयणसयाई विक्संमेणं पं०, चमरस्स णमसुरिंदस्स असुरकुमाररण्णो जमस्स महारन्नो जमप्पभे उप्पातपचते एवं चेव, एवं वरुणस्सवि, एवं वेसमणस्सवि, पलिस्स णं वयरोयणिंदस्स बतिरोतणरन्नो रुयगिदे उप्पातपवते मूले दसबाबीसे जोयणसते विक्खंभेणं पं०, बलिस्स णं वइरोयर्णिदस्सः सोमस्स एवं चेव जधा चमरस्स लांगपालाणं तं चेव बलिस्सवि, धरणस्स णं णागकुमारिंदस्स णागकुमाररन्नो घरणप्पमे उप्पातपवते दस जोयणसयाई उद्धउच्चत्तेणं दस गाउयसताई उबेहेणं मूले दस जोयणसताई विखंभेणं, घरणस्स नागकुमारिंदस्स णं नागकुमारण्णो कालवालस्स महारण्णो महाकालप्पमे उप्पातपञ्चते दस जोयणसयाई उद एवं चेव, एवं जाच संखवालस्स, एवं भूताणंदस्सवि, एवं लोगपालाणंपि से, जद्दा धरणस्स एवं जाव थणितकुमाराणं सरोगपालाणं भाणियचं. मवेसि उप्पायपचया भाणियवा सरिसणामगा, सकस्स णं देविंदस्स देवरण्णो सकप्पभे उप्पातपचते दस जोयणसहस्साई उद्धंउचत्तेणं दस गाउयसहस्साई उलेहेणं मूले दस जोयणसहस्साई विक्खंभेणं पं०, सकस्स णं देविंदस्म देव० सोमस्स महारन्नोजधा सक्कस्स तथा सन्चेसि लोगपालाणं सधेसिं च इंदाणं जाव अचुयत्ति, सवेसि पमाणमेगं । ७२८ा बायरवणस्सतिकातिताणं उक्कोसेणं दस जोयणसयाई सरीरोगाहणा ५०, जलचरपंचेंदियतिरिक्खजोणिताणं उकोसेणं इस जोयणसताई सरीरोगाहणा पं० उरपरिसप्पथलचरपंचिंदिततिरिक्खजोणिताणं उक्कोसेणं एवं चेव । ७२९ । संभवाओ णमरहातो अभिनंदणे अरहा दसहि सागरोवमकोडिसतसहस्सेहिं (३२) १२८ स्थानांग-ठान-२० मुनि दीपरत्नसागर ROPESCHOLERIENCYCHIEVEMENTENBELIEFENEPASSETIME80545FEACHEMISPICAROTISMENTAGSPICSLAOPOST Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ANASPASARIHARASHESH YEHEYENEPONRBIPIERSPIRSSPIRSABPPINSPIONSHIVANIGRSASPICANSPIRISPEMBPIR वीतिकतेहिं समुप्पन्ने । ७३० । दसबिहे अणंतते पं० तं- णामाणंतते ठवणाणंतते दवाणंतते गणणाणंतते पएसाणंतते एगतोऽणंतते दुहतोऽणंतते देसवित्थागणंतते सव्वविस्थाराणंतते सासयाणंतते।७३१॥ उप्पायपुव्वस्स णं दस वत्थू पं० अस्थिणस्थिप्पवातपुवस्स र्ण दस चूलवत्थू पं०1७३२। दसविहा पडिसेवणा पं० त०-दप्प १ पमाय २णाभोगे ३, आउरे ४ आवतीसु५न । संकिते ६ सहसकारे ७, भय ८. प्पयोसा ९ य वीमंसा १०॥१४६॥ दस आलोयणादोसा पं०२०-आकंपइत्ता १ अणुमाणइत्ता २जंदिटुं ३ बायरं ४ च सुहुमं वा ५। छपणं ६ सहाउलगं ७बहुजण ८ अव्वन ९ तस्सेवी १०॥१४७॥ दसहि ठाणेहि संपन्ने अणगारे अरिहति अत्तदोसमालोएत्तते, तं०-जाइसंपन्ने कुलसंपन्ने एवं जघा अट्टाणे जाव खंते दंते अमाती अपच्छाणुतावी, दसहि ठाणेहि संपन्ने अणगारे अरिहनि आलोयणं पतिच्छित्तए, तंजहा-आयारवं अवहारखं जाव अबातदंसी पितधम्मे दढधम्मे, दसबिधे पायच्छिते पं०२०- आलोयणारिहे जाव अणवटुप्पारिहे पारंचियारिहे।७३३ दसविधे मिच्छने पं० तं- अधम्मे धम्मसपणा धम्मे अधम्मसण्णा अम(उम्म) गे मग्गसण्णा मग्गे उम्म(अम)ग्गसन्ना अजीवेसु जीवसन्ना जीवेसु अजीवसन्ना असाहुसु साहुसन्ना साहुसु असाहुसपणा अमुत्तेसुमुनसन्ना मुनेसु अमुनसण्णा।७३४ाचंदप्पभेणं अरहा इस पुवसतसहस्साई सब्वाउयं पालइना सिढे जावप्पहीणे, धम्मे णमरहा दस वाससयसहस्साई सव्वाउयं पालइना मिद्धे जावप्पहीणे, णमी णमरहा दस वाससहस्साई सवाउयं पालइना सिद्धे जाव पहीणे, पुरिससीहे णं वासुदेवे दस बाससयसहस्साई सवाउयं पालइत्ता उट्टीते तमाए पुढवीए नेरतियत्ताते उववन्ने. णेमी णं अरहा दस घणूई उड्दउच्चत्तेणं दस य वासमयाई सव्वाउयं पालइना सिद्ध जावप्पहीणे, कण्हे णं वासुदेवे दस धणूई उदंउचत्तेणं दस य वाससयाई सच्याउयं पालइत्ता तचाते वालुयप्पभाते पुढवीत नेरतियत्ताते उपवने । ७३५। दसबिहा भवणवासी देवा पं० सं०-असुरकुमारा जाय यणियकमाग, एएसिणं दसविधाणं भवणवासीणं देवाणं दस चेतितरुक्सा पं० २०-जासस्थ सत्तिवन्ने सामलि उंवर सिरीस दहिवन्ने । वंजल पलास सस्थ सांत्तवन सामाल उबर सिरास दाहवन्न । वजुल पलास वप्पे ततो त कणिताररूस्खें य॥१४८॥७३६। दसविधे सोक्खे पं० २०-आरोग्ग दीहमाउ अड्डेज्नं काम भोग संतोसे। अस्थि सुहभोग निक्खम्ममेव तत्तो अणावाहे ॥१४९॥७३७। दसविधे उवघाते पं००-उरामोवघाते उप्पायणोवघाने जह पंचठाणे जाव परिहरणोवघाते णाणोवघाते दंसणोवघाते चरित्तोषघाते अचियत्नोवधाते सारक्षणोवघाते, दसविधा विसोही पं० नं०-उग्गमविसोही उप्पायणपिसोही जाव सारक्खणविमोही। ७३८ । दसविधे संकिलेसे कलस कसायसाकलसे भत्तपाणसंकिलेसे मणसंकिलेस बतिसंकिलेसे कायसंकिलेसे णाणसंकिलेले दंसणसंकिलेसे चरित्तसंकिलेस, दमविहे असंकिलेसे पंतंरवटि-15 असंकिलेसे जाव चरिनअसंकिलेसे । ७३९। इसविधे पले पं० २०-सोतिदितवले जाव फासिंदितवले णाणचले देसणबले चरित्तवले तबबले वीरितवले । ७४०। दसविहे सचे पं०-जणवय सम्मय ठवणा नामे रूवे पडुचसचे य । ववहार भाव जोगे दसमे ओवम्मसच्चे य ॥ १५०॥ दसविधे मोसे पं० सं०-कोधे माणे माया लोभे पिज्जे तहेच दोसे य । हास भते अक्खातित उवघातनिस्मिते दसमे ॥१५१॥ दस विधे सच्चामोसे पं० २०-उप्पन्नमीसते विगतमीसते उप्पण्णविगतमीसते जीवमीसए अजीवमीसए जीवाजीचमीसए अणंतमीसए परित्तमीसए अवामीसए अबदामीसए। ७४१। दिडिवायस्म णं दस नामधेजा पं००-दिडिवातेति वा हेउवातेति वा भूयवातेति वा तथावातेति वा सम्मावातेति वा धम्मावातेति वा भासाविजतेति वा पुख्यगतेति वा अणुजोगगतेति वा सव्वपाणभूतजीवसनसुहाबहेति वा ।७४२। दसविधे सत्थे पं० त०-सत्थमग्गी विसं लोणं, सिणेहो खारमंबिलं। दुप्पउत्तो मणो वाया, काया भावो त अविरती ॥१५२॥ दसबिहे दोसे पं० त०-तज्जातदोसे मतिभंगदोसे, पसत्यारदोसे परिहरणदोसे। सलक्षण कारण हेउदोसे, संकामणं निग्गह पत्थुदोसे ॥१५३॥ दसविधे विसेसे पं०२०-वत्थु तजातदोसे त. दोसे एगद्वितेति त । कारणे त पटुप्पण्णे, दोसे निब्बे (निजे) हिअट्टमे ॥१५४॥ अनणा उवणीते त, विसेसेतित ते दस । ७४३। दसविधे सुद्धायाताणुओगे पं० २०-चंकारे मंकारे पिंकारे सेतंकारे साकरे एगत्ते पुधत्ते संजूहे संकामिते भिन्ने । ७४४। दसविहे दाणे पं० २०- अणुकंपा संगहे चेव, भये कालणितेति या लज्जाने गारवेणं च, अहम्मे उण सत्तमे ॥१५५।। धम्मेत अट्ठमे बुत्ते, काहीतितकतंतिता दसविधा गती पं० २०-निरयगती निरय विग्गहगई तिरियगती तिरियविग्गहगई एवं जाय सिदिगई दतमुंड कोहमुंडे जाव लोभमुंड दसमे सिरमुंडा ७४६। दसविधे संखाणे पं००-परिकम्म ववहारो रज रासी कलासबने य।।3 जावतितावति वग्गो घणोत तह पग्गवग्गोऽवि॥१५६॥ कप्पो ता७४७। दसविधे पञ्चक्खाणे पं० त०'अणागयमतिकतं कोडीसहियं नियंटितं चेव । सागारमणागारं परिमाणकडं निरवसेसं ॥१५७॥ संकेयं चेव अदाए पचक्वाणं दसविहं तु ।७४८ा दसविहा सामायारी पं०२०- इच्छा मिच्छा तहकारो, आवस्सिता निसीहिता। आपुच्छणा य पडिपुच्छा, छंदणा य निमंतणा॥१५८॥ उवसंपया य काले सामायारी भवे दसविहाउ॥७४९॥ समणे भगवं महावीरे छउमथकालिताने अंतिमरातितंसी इमे दस महासुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे तंजहा- एगं चणं महाघोररूवदित्तधरं तालपिसायं सुमिणे पराजित पासित्ताणं पडिचुदे. एगं च णं महं सुकिलपक्खगं पुंसकोइलगं सुमिणे पासिनाणं पडिबुद्धे, एगं चणं महं चित्तविचित्तपक्वगं पुंसकोइलं सुविणे पासित्ताणं पडियुद्धे, एगं च णं महं दामदुर्ग सव्वरयणामयं सुमिणे पासिताण पडिबुदे, एग चणं महं सेतं गोवरगं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं महं पउमसरं सवओ समंता कुसुमितं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं महासागरं उम्मी(-वीची)सहस्सकलितं भुयाहिं निष्णं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं महं दिणयरं तेयसा जलंतं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं (गेण पा०) महं हरिवेकलितवनाभेणं नियतेणमंतेणं माणुसुत्तरं पव्वतं सव्यतो समंता आवेढियं परिवढियं १२९ स्थानांग-3-१० मुनि दीपरत्नसागर Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ 1 सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, एगं च णं महं मंदरे पच्चते मंदरचूलियातो उचरिं सीहासणवरगयमत्ताणं सुमिणे पासित्ताणं पडिबुद्धे, जण्णं समणे भगवं महावीरे एग महं घोररूवदित्तधरं तालपिसातं सुमिणे पतितं पासित्ताणं पडिबुद्धे तनं समणेणं भगवता महावीरेणं मोहणिज्जे कम्मे मुलाओ उग्घाइते, जं नं समणे भगवं महावीरे एगं महं पिक्सगं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे सुकझगए विहरइ. जं णं समणे भगवं महावीरें एवं महं चित्तविचित्तपक्वगं जाव पडिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे ससमतपरसमयितं चित्तविचित्तं दुवालसंगं गणिपिडगं आघवेति पण्णवेति परुवेति दंसेति निदंसेति उवदंसेति तं० आयारं जाव दिट्ठीवायं, जं नं समणे भगवं महावीरे एगं महं दामदुगं सव्वरयणा जाब पढिबुद्धे नं नं समणे भगवं महावीरे दुहिं धम्मं पण्णवेति, तं०-अगारधम्मं च अणगारधम्मं च, जंणं समणे भगवं महावीरे एगं महं सेतं गोवग्गं सुमिणे जाव पडिबुद्धे तं णं समणस्स भगवओ महावीरस्स चाउञ्वण्णाइण्णे संघे तं० समणा समणीओ सावमा सावियाओ, जं णं समणे भगत्रं महावीरे एवं महं पउमसरं जाय पढिबुद्धे तं णं समणे भगवं महावीरे चउवि देवे पण्णवेति तं भवणवासी वाणमंतरा जोइसवासी वैमाणवासी, जण्णं समणे भगवं महावीरे एवं महं उम्मीवीचीजाच पडिबुद्धे तं णं समणेण भगवता महावीरेण अणातीते अणवदग्गे दीहमद्धे चाउरंतसंसारकंतारे तिन्ने, जण्णं समणे भगवं महावीरे एवं महं दिणकरं जाव पडिबुदे तन्नं समणस्स भगवतो महावीरस्म अनंते अणुत्तरे जाव समुत्पन्ने, जण्णं समणे भगवं एवं महं हरिवेरुलित जाव पडिबुद्धे तण्णं समणस्स भगवतो महावीरस्स सदेवमणुयासुरे लोगे उराला कित्तिवन्नसहसिलोगा परिगुष्यंति- इति खलु समणे भगवं महावीरे इति०, जणं समणे भगवं महावीरे मंदरे पथ्यते मंदरचूलिताए उवरिं जाच पडिबुदे तं णं समणे भगवं महावीरे सदेवमणुयासुराने परिसाते मज्झगते केवलिपन्नत्तं धम्मं आपवेति पण्णवेति जाव उवदंसेति । ७५०। दसविधे सरागसम्मदंसणे पं० तं०. निसग्गुबतेसरुई आणरुती सुत्त बीतरुतिमेव अभिगम वित्थाररुती किरिया संखेव धम्मरुती ॥ १५९ ॥ ७५१ । दस सण्णाओं पं० तं० आहारसण्णा जाय परिग्गहसण्णा कोहसण्णा जाव लोभसपणा लोगसण्णा ओहसण्णा, नेरतिताणं दस सण्णातो एवं चैव एवं निरंतरं जाव वैमाणियाणं २४ । ७५२। नेरइया णं दसविधं वेयणं पचणुभवमाणा विहरंति, तं० सीतं उसिणं सुधं पिवास कंडुं पर भयं सोगं जरं वाहिं । ७५३ दस ठाणाई छउमत्थे णं सव्वभावेणं न जाणति ण पासति तं० धम्मत्थिगातं जाव वातं, अयं जिणे भविस्सति वा ण वा भविस्सति, अयं सव्वदुक्खाणमंत करेस्सति या ण वा करेस्सति एताणि चैव उप्पन्ननाणदंसणधरे जाव अयं सव्वदुक्खाणमंत करेस्सति वा ण या करेस्सति । ७५४। दस दसाओ पं० तं० कम्मविवागद्साओ उवासगदसाओ अंतगडदसाओ अणुत्तरोववाइयदसाओ आयारदसाओ पण्हावागरणदसाओ बंधदसाओ दोगिदिदसाओ दीहदसाओ संखेवितदसाओ, कम्मविवागदसाणं दस अज्झयणा पं० तं० मियापुत्ते त गोत्तासे, अंडे सगडेति यावरे माहणे दिसेणे त सोरियत्ति उदुंबरे ॥ १६० ॥ सहसुराहे आमलते कुमारेलेच्छतीति त उवासगदमाणं दस अज्झयणा पं० नं० आणंदे कामदेवे अ गाहावति चूलणीपिता। सुरादेवे चुसतते, गाहावति कुंडकोलिते ॥ १६९ ॥ सहालपुने महासतते मंदिणीपिया सालतियापिता, अंतगडदसाणं दस अज्झयणा पं० तं० णमि मातंगे सोमिले रामगुत्ते सुदंसणे चैव जमाली त नगाली त किंकंमे पडतेतिय ।। १६२ ॥ फालेअंबडपुने त एमेते दस आहिता, अणुत्तरोववातियदसाणं दस अज्झयणा पं० ते० इसिदासे य घण्णे त गुणक्खते य कातिते। संठाणे सालिभद्दे त, आणंदे तेतलीतित ॥ १६३॥ दसन्नभद्दे अतिमुत्ने एमेते दस आहिया आयारदसाणं दस अज्झयणा पं० सं०-वीसं असमाहिडाणा एगवीस सबला तेत्तीस आसायणातो अट्टविहा गणिसंपया दस चित्तसमाहिडाणा एगारस उपासगपडिमातो वारस भिक्खुपडिमातो पज्जोसवणाकप्पो तीसं मोहणिजढाणा आजाइद्वाणं, पण्डावागरणदसाणं दस अज्झयणा पं० तं० उवमा संखा इसिभासियाई आयरियभासिताई महावीरभासिआई खोमगपसिणाई कोमलपसिणाई अहागपसिणाई अंगृदुपसिणाई बाहुपसिणाई, बंधदसाणं दस अज्झयणा पं० तं बंधे य मोक्खे य देवदि दसारमंडलेऽक्ति आयरियविप्पडिवत्ती उवज्झातविप्पडिवत्ती भावणा विमुत्ती सासते कम्मे, दोगेहिदमाणं दस अज्झयणा पं० नं०वाते विवाते उववाते सुक्खित्ते कसिणे बायालीसं सुमिणे तीसं महासुमिणा बावतारं सव्वसुमिणा हारे रामे गुत्ते एमेते दस आहिता, दीहदसाणं दस अज्झयणा पं० [सं०] चंदे सुरते सुके त सिरिदेवी पभावती दीवसमुदोववती बहुपुत्ती मंदरेति त थेरे संभूतविजते ८ थेरे पम्ह ऊसासनीसासे, संखेवितदसाणं दस अज्झयणा पं० तं० खुड्डिया विमाणपविभत्ती महलिया विमाणपविभत्ती अंगचूलिया वग्गचूलिया विवाहचूलिया अरुणोदवाते वरुणोववाए गरुलोववाते वेलंधरोववाते वेसमणोववाते। ७५५। दस सागरोवमकोडाकोडीओ कालो उस्सपिणीए दस सागरो बमकोटाकोडी कालो ओसप्पिणीते। ७५६। दसविधा नेरइया पं० तं० अणंतरोववन्ना परंपरोवबन्ना अनंतरावगाढा परंपरावगाढा अनंतराहारगा परंपराहारमा अनंतरपजत्ता परंपरपजत्ता चरिमा अचरिमा, एवं निरंतरं जाव बेमाणिया २४, चउत्थीतेणं पंकप्पभाते पुढवीते दस निरतावाससतसहस्सा पं० १ रयणप्पभाते पुढबीते जहनेणं नेरतिताणं दसवाससहस्साइं ठिती पं० २ चउत्थीतेणं पंकप्पभाते पुढवीते उकोमेणं नेरतिताणं दस सागरोवमाई ठिती पं० ३ पंचमातेणं धूमप्पभाते पुढवीते जहत्रेणं नेरइयाणं दस सागरोवमाई ठिती पं० ४ असुरकुमाराणं जहन्नेणं दसवाससहस्साइं ठिती पं० एवं जाव पणियकुमागणं १४ बायग्वणस्सतिकातिताणं उक्कोसेणं दसवाससहस्साई ठिती पं० १५ वाणमंतरदेवाणं जहण्णेणं दस वाससहस्साई ठिई पं० १६ बंभलोगे कप्पे उकोसेणं देवाणं दस सागरोवमाई ठिती पं० १७ लंतने कप्पे देवाणं जहणेणं दस सागरोवमाई ठिती पं० १८ । ७५७ दसहि ठाणेहिं जीवा आगमेसिभद्दत्ताए कम्मं पगति, तं० अणिदाणताते दिट्टिसंपन्नयाए जोगवाहियत्ताते खंतिखमणताते जितिं १३० समवायांगं ठाणं. १० मुनि दीपरत्नसागर Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ HOMPIONSPIRHASP CHOPRORPHAARPIOAASPICHAEHIARSHANGHIMSHIONASHIARP4SPESABPEDARPIMPROVER दियताते अमाहाताते अपासत्यताते सुसामण्णताते पवयणवच्छालयाते पवयणउम्भावणताए । ७५८। दसविहे आससप्पओगे पं० २०-इहलोगासंसप्पओगे परलोगासंसप्पओगे दुहतोलोगासंसप्पतोगे जीवियासंसप्पतोगे मरणासंसप्पतोगे कामासंसप्पतोगे भोगासंसप्पतोगे लाभासंसप्पतोगे प्रयासंसप्पतोगे सकारासंसप्पतोगे । ७५९। दसविध धम्मे पं० २०-गामधम्मे नगरधम्मे रदृधम्मे पासंडधम्मे कलधम्मे गणधम्मे संघधम्मे सुयधम्मे चरित्तधम्मे अस्थिकायधम्मे । ७६० । दस थेरा पं०२०- गामधेरा नगरथेरारट्ठधेरा पसन्थारधेरा कुलथेरा गणथेरा संघधेरा जातिथेरा सुअरा परितायथेरा ७६१दस पुत्ता पं. तं. अत्तते खेलते दिनते विष्णते उरसे मोहरे सोंडीरे संधुदे उवयातिते धम्मंतेवासी । ७६२। केवलिस्स णं इस अणुसरा पं० २०-अणुत्तरे जाणे अणुनरे सणे अणुत्तरे चरित्ने अणुत्तरे तवे अणुत्तरे वीरिते अणुत्तरा खंती अणुत्तरा मुत्ती अणुत्तरे अज्जवे अणुत्तरे महवे अणुत्तरे लाघवे । ७६३। समतवेत्ते णं दस कुरातो पं० त०-पंच देवकुरातो पंच उत्तरकुरातो, नत्थ णं दस महतिमहालया महादुमा पंतं. जंबू सुदसणा धायतिरक्खे महापायतिरुक्खे पउमरुक्खे महापउमरुक्खे पंच कूडसामलीओ, तस्थ णं दस देवा महिदिया जाच परिवसंति, तं०- अणाढिते जंबुद्दीबाधिपती सुर्दसणे पियदसणे पोंडरीते महापोंडरीते पंच गरुला वेणुदेवा । ७६४। दसहि ठाणेहिं ओगाढं दुस्सम जाणेजा, तं०-अकाले वरिसइ काले ण वरिसइ असाहू पूइज्जति साहू ण पूइज्जति गुरुमु जणो मिच्छं पडिवन्नो अमणुण्णा सहा जाव फासा, दसहिं ठाणेहिं ओगाढं सुसम जाणेजा तं०-अकाले न वरिसति तं चेव विपरीतं जाव मणुण्णा फासा । ७६५। सुसमसुसमाए णं समाए दसबिहा रुकवा उपभोगत्ताए यमागच्छंति, तं०-मत्तंगता य भिंगा तुडितंगा दीव जोति चित्तंगा। चित्तरसा मणियंगा गेहागारा अणितणा त ॥१६४॥७६६। जंचूदीवे २ भरहे वासे तीताते उस्सप्पिणीते दस कुलगरा हुस्था, तं०-सयजले, सयाऊय अणंतसेणे न अभि(प्र.जित-18 सेणे ता तकमेणे भीमसेणे महाभीमसेणे त सत्तमे ॥ १६५॥ दढरहे दसरहे सयरहे । जंबूदीवे २ भारहे वासे आगमीसाते उस्सप्पिणीए दस कुलगरा भविस्मंति, तं०-सीमंकरे सीमंधरे खेमकरे खेमंधरे विमलवाहणे संमुती पडिसुते दढधण दसधणू सतधणू । ७६७। जंचुहीवे २ मंदरस्स पब्बयस्स पुरच्छिमेणं सीताते महानतीते उभतो कले दस वक्खारपब्बता पंतं-मालवते चित्तकडे विचित्तकडे भकडे जंचमंदरपचन्थिमेणं सीओताते महानतीते उभतो कले दस वक्वारपच्चता पं०२०-विज्जप्पभे जाच गंधमातणे.एवं धायडसंडपरच्छिमदेऽवि वक्खारा भाणिअच्चा जाव पवारवाटीवटपर थिमद्धे ७६८। दस कप्पा इंदाहिटिया पं० सं०-सोहम्मे जाव सहस्सारे पाणते अचुए, एतेमु णं दसम कप्पेसु दस इंदा पं०२०- सके ईसाणे जाव अचूते, एतेसु णं दसहं इंदाणं दस परिजाणितविमाणा पंत-पालते पष्फए जाव विमलवरे सव्वतोभहे । ७६९। दसदसमिता णं भिक्खुपडिमा णं एगेण रातिदियसतेणं अदछडेहि य भिक्खासतेहिं अहामुत्ता जाव आराधिता यावि भवति। ७७०। दसविधा संसार. ममावनगा जीवा पंतपढमसमयएगिदिता अपढमसमयएगिदिता एवं जाव अपढ़मसमयपंचिंदिता १. दसविधा सव्यजीवा पं० २०- पुढवीकाइया जाव वणस्मइकातिता दिया जाव पंचेंदिता अणिंदिता, अथवा दसविधा सबजीचा पं० सं०- पढमसमयनेरतिया अपढमसमयनेरतिता जाव अपढमसमयदेवा पढमसमयसिदा अपढमसमयसिद्धा। ७७१। वाससताउस्स णं पुरिसस्स दस दसाओ पं० त०-बाला किड्डा य मंदा य, चला पन्ना य हायणी। पवंचा पम्भारा य, मुंमुही सावणी तधा ॥१६६॥ ७७२। दसविधा तणवणस्सतिकातिता पं० तं०-मूले कंदे जाव पुष्फे फले पीये। ७७३। सवतोऽविणं विजाहरसेदीओ दस दस जोयणाई विखंभणं पं० सब्वतोऽवि णं अभिआगसेढीओ दस दस जोयणाई विक्वंभेणं पं०1७७४ागविजगविमाणाणं दस जोयणसयाई उदउच्चत्तेणं पं०।७७५॥ दसहि ठाणेहिं सह। तेतसा भासं कुज्जा. तं० कति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासातेजा से य अचासातिते समाणे परिकुविते तस्स तेतं निसिरेजा से तं परितावेनि सेनं परितावेत्ता तमेव सह तेतसा भासं कुजा. कति तहारूवं समणं यामाहणं या अचासातेजा से य अचासातिते समाणे देवे परिकुविए तस्स तेयं निसिरेजा सेतं परितावेति सेत्तं पग्तिावेत्ता नमेव सह तेतसा भासं कुज्जा, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचामातेजा। सेय अचासानिने समाण परिकविए देवे त परिकृवित दुहतो पडिण्णा तस्स तेयं निमिरेज्जा ने तं परिताविति ते तं परितायेत्ता तमेव सह लेतमा भासं कुजा, कति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासादेजा से य अचासातित परिकृविए तस्म तेयं निसिरेज्जा तत्थ फोडा संमुच्छति ते फोडा भिजति ते फोडा भिन्ना समाणा तमेव सह तेतसा भासं कृज्जा, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासातेजा से य अचासादिते देवे परिकविए तम्स नेयं निमिरेज्जा नत्थ फोडा समुच्छति ते फोडा भिजति ते फोडा भिन्ना समाणा तमेव सह नेतसा भासं कुजा, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अचासाएजा से त अचासातिते परिकविए देवेऽविय परिकृतिए ने दुहतो पडिण्णा ते तस्स तेत निसिरेज्जा तत्थ कोडा संमुच्छंति सेसं तहेव जाव भासं कुज्जा, केति तहारूवं समणं वा माहणं वा अच्चासातेजा से य अचासातिते परिकृविए तस्स तेतं निसिंजा तत्थ फोडा समुच्छंति ने फोडा भिज्जति तत्थ पुला संमुच्छंति ते पुला भिजति ते पुला भिन्ना समाणा तमेव सह नेयसा भासं कुज्जा. एते तिन्नि आलावगा भाणितवा, केति तहारूवं समर्ण वा माहणं वा अचासातेमाणे नेतं निसिरेजा सेन नत्थ णो कम्मर णो पकम्पनि अंचियं २ करेति करेत्ता आताहिणपयाहिणं फरेति २ ता उड़द बेहास उप्पतति २ से णं ततो पटिहते पहिणियत्तति २त्ता तमेव सरीरगमणुदहमाणे २ सह नेतमा भासं कुज्जा, जहा वा गोसालस्म मंग्वलिपुनस्म तवेतेते। ७७६। दस अच्छेग्गा पं० त०- उवसम्म गम्भहरणं इत्थीतित्थं अभाविया परिसा। कण्हस्स अवरकंका उत्तरणं चंदखुराणं ॥१६७॥ हरिवंसकुलप्पत्ती चमरुप्पाता त अट्ठसयसिद्धा। अस्संजतेसु पूआ दसवि अणंतेणं कालेण ॥१६८॥७७७। इमीसे णं रयणप्पभाते पुढवीए रयणे कंडे दस जोअणसयाई बाहल्लेणं १३१ स्थानांर्ग-800-20 मुनि दीपरत्नसागर SPONSEARCPENISHABHARBIPASHMISHESARIYAINSPIRHASPONEN6SHASYCHIVESARNAMAHESHOTSAPINISTER Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ पं०, इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए यतरे कंडे दस जोयणसताई बाहलेणं पं०, एवं येलित लोहितक्खे मसारगले हंसगन्भे पुलते सोगंधिते जोतिरसे अंजणे अंजणपुलते रतते जातरूचे अंक फलिहे. रिडे. जहा स्यणे तहा सोलसविधा भाणितवा 778aa सवेऽवि णं दीवसमुद्दा दस जोयणसताइं उबेहेणं पं०, सब्वेऽविणं महादद्दा दस जोयणाई उन्हेणं पं०, सवेऽविणं सलिल कुंडा दस जोयणाई उवहेणं पं०.मीयासीओया णं महानदीओ मुहमले दस दस जोयणाई उबेहेणं पं०1७७९। कत्तियाणक्खत्ते सववाहिरातो मंडलातो दसमे मंडले चारं चरति, अणुराधानक्खत्ते सव्वम्भंतरातो मंडलातो दसम मंडले चारं चरति करा पं०२०-मिगसिरमहा पुस्सा तिनि य पुवाई मूलमस्सेसा। हत्या चित्ता यतहा दस वुद्धिकराईणाणस्स // 169 // 781 / चउप्पयथलयरपंचिदियांतरिक्खजाणिताणं दस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसतसहस्सा पं०, उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिताणं इस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसतसहस्सा पं०१७८राजीवाणं दसठाणनिहत्तिता पोग्गला पावकम्मत्ताण चिणिसु वा० त०-पढमसमयएगिदियनिवत्तिए जाव फासिदियनिवत्तिते, एवं चिण उवचिण पंघ उदीर वेय तह णिज्जरा चेव / दसपवेसिताखंधा अर्णता पं० दसपतेमोगाढा पागला अणंना पं० दमसमतटिनीना पागला अर्णता पं० दसगुणकालगा पोग्गला अणंता पं०, एवं वनेहिं गंधेहि रसेहि फासेहिं दसगुणलुक्खा पोग्गला अर्णता पं०।७८३|| दशस्थानकाध्ययनं 10 // इति श्रीस्थानांगसूत्रं समाप्त 2467 दीपालिकायां /