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________________ ० बादरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० [सं० पढमसमयवादर अपढमसमयचादरसं०, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय, अहवा वायरसंपरायसरागसंजमे दुविहे पं० [सं० पडिवाति चेव अपडिवाति चेव, वीयरागसंजमे दुबिहे पं० सं०-उवसंतकसायवीयरागसंजमे चैव खीणकसायवीयरागसंजमे चेव, उवसंतकसायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमयउवसंतकसायवीतरागसंजमे चैव अपढमसमयउव०, अहवा चरिमसमयउव० अचरिमसमयउब०, खीणकसायवीतरागसंजमे दुविहे पं० तं० छउमत्थखीणकसायचीयरागसंजमे चैव केवलिस्वीणकसायवीयरागसंजमे चेव, छउमत्थखीणकसायवीयरागसंजमे दुविहे पं० तं० सयंबुद्धछउमत्थस्वीणकसाय बुद्धबोहियछउमत्थ, सयंबुद्धछउमत्यः दुविहे पं० तं०-पढमसमय० अपढमसमय० अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, बुद्धबोहियछउमत्थखीण० दुविहे पं० तं०-पढमसमय० अपढमसमय, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, केवलिखीणकसायवीतरागसंजमे दुबिहे पं० सं०-सजोगकेवलिखीणकसाय० संजमे अजोगिकेवलि०, सजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे दुविहे पं० तं०-पढमसमय० अपढमसमय०, अहवा चरिमसमय० अचरिमसमय०, अजोगिकेवलिखीणकसाय० संजमे दुबिहे पं० सं०-पढमसमयः अपढमसमय० अहवा चरिमसमय अचरिमसमय० । ७२ । दुविहा पुढवीकाइया पं० तं० सुमा चैव वायरा चेव १, एवं जाव दुविहा वणस्सइकाइया पं० [सं० सुहमा चैव वायरा चेव ५, दुविहा पुढवीकाइया पं० [सं० पज्जन्तगा चेद अपज्जत्तगा चेव ९, एवं जाव वणस्सइकाइया १०, दुविहा पुढवीकाइया पं० तं०-परिणया चेव अपरिणया चेव ११, एवं जाव वणस्सइकाइया १५, दुविहा दवा पं० तं० परिणता चेव अपरिणता चेव १६, दुविहा पुढवीकाइया पं० तं०-गतिसमावन्नगा चैव अगइसमावनगा चैव १७, एवं जाव वणस्सइकाइया २१, दुविहा दष्वा पं० तं०-गतिसमावन्नगा चेव अगतिसमाचन्नगा चेव २२. दुबिहा पुढवीकाइया पं० तं०-अणंतरोगाढा चेव परंपरोगाढा चेव २३, जाव दशा० २८ । ७३ । दुविहे काले पं० तं० ओसप्पिणीकाले चेव उस्सप्पिणीकाले चेव, दुविहे आगासे पं० तं०-लोगागासे चेव अलोगागासे चैव ॥ ७४| गेरइयाणं दो सरीरमा पं० तं०-अभ्यंतरमे चैव बाहिरगे चेव, अम्भंतरए कम्मए बाहिरए बेउलिए, एवं देवाणं भाणियां, पुढवीकाइयाणं दो सरीरगा पं० सं०अब्भंतरगे वेव वाहिरगे चेव, अब्भंतरगे कम्मए बाहिरगे ओरालियगे, जाब वणस्सइकाइयाणं, बेइंदियाणं दो सरीरा पं० तं० अभंतरए चेव बाहिरए चेव, अब्भंतरगे कम्मए अहिमंससोणितवद्धे बाहिरए ओरालिए, जाव चउरिंदियाणं, पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं दो सरीरमा पं० [सं० - अभ्यंतरगे चैव बाहिरगे चेव, अब्भंतरगे कम्मए अट्टिमंससोणियव्हारुछरावद्धे बाहिरए ओरालिए, मणुस्साणवि एवं चैव विग्गहगइसमावन्नगाणं नेरइयाणं दो सरीरगा पं० तं० तेयए चेव कम्मए चेव, निरन्तरं जाव बेमाणियाणं, नेरइयाणं दोहिं ठाणेहिं सरीरुप्पत्ती सिया, तं० रागेण चैव दोसेण चेव, जाव वेमाणियाणं, नेरइयाणं दुट्टाणनिघतिए सरीरंगे पं० तं० रागनिवत्तिए चैव दोसनिवत्तिए चेव, जाव वेमाणियाणं, दो काया पं० तं०-तसकाए चैव थावरकाए चेव, तसकाए दुविहे पं० तं०-भवसिद्धिए चेव अभवसिद्धिए चेव एवं थावरकाएऽवि। ७५। दो दिसाओ अभिगिज्झ कप्पति णिग्गंधाणं वा णिग्गंधीण वा पावित्तए-पाणं चेव उदीणं चेव, एवं मुंडावित्तए सिक्खावित्तए उबद्वावित्तए संभुंजित्तए संवत्तिए सज्झायमुद्दिमित्तए सज्झायं समुद्दिमित्तए सज्झायमणजाणित्तए आलोइत्तए पडिकमित्तए निंदित्तए गरहित्तए बिउट्टित्तए विसोहित्तए अकरणयाए अम्मुट्ठिलए आहारिहं पायच्छित्तं तवोकम्मं पडिवज्जित्तए, दो दिसातो अभिगिज्झ कप्पति णिग्गंया वाणिग्गंधीण वा अपच्छिममारणंतियसंलेहणाजूसणाजूसियाणं भत्तपाणपडियाइक्खिताणं पाओवगताणं कालं अणवकंखमाणाणं विहरितए, तंजहा-पाईणं चैव उदीणं चैव । ७६ । अ० २ उ० १ ॥ जे देवा उद्घोववभगा कप्पोववशगा विमाणोववनगा चारोववन्नगा चारद्वितीया गतिरतिया गतिसमावन्नगा तेसिं णं देवाणं सता समितं जे पावे कम्मे कज्जति तत्थगतावि एगतिया वेदणं वेदंति अन्नत्थगतावि एगतिया वेजणं वेदेति णेरइयाणं सता समियं जे पावे कम्मे कज्जति तत्थगतावि एगतिया वेयणं वेदेति अन्नत्यागतावि एगतिआ वेयणं वेदेति, जाव पंचेंदियतिरिक्खजोणियाणं, मणुस्साणं सता समितं जे पाये कम्मे कज्जति इहगतावि एगतिता वेयणं वेयंति अन्नत्थगतावि एगतिया वेयणं वेयंति, मणस्वज्जा सेसा एकमा 19 91 नेरतिता दुगतिया दुयागतिया पं० तं०-नेरइए शेरइएस उववज्जमाणे मणुस्सेहिंतो वा पंचिदियतिरिक्खजोणिएहिंतो वा उबवजेज्जा से चेव णं से नेरइए णेरइयत्तं विप्पजहमाणे मस्सत्ताए वा पंचदियतिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छेजा, एवं असुरकुमारावि, णवरं से चेत्र णं से असुरकुमारे असुरकुमारतं विप्पजहमाणे मणुस्सत्ताए वा तिरिक्खजोणियत्ताए वा गच्छा, एवं सचदेवा, पुढवीकाइया दुगतिया दुआगतिया पं० [सं० पुढवीकाइए पुढवीकाइएस उववजमाणे पुढवीकाइएहिंतो वा णोपुढवीकाइएहिंतो वा उववजेज्जा, से चेवणं से पुढवीकाइए पुढवीकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढवीकाइयत्ताए वा गोपुढवीकाइयत्ताए वा गच्छेजा, एवं जाव मणुस्सा। ७८ । दुविहा नेरइया पन्नत्ता, तंजहा भवसिद्धिया चेव अभवसिद्धिया वेव, जाव बेमाणिया १, दुविहा नेरइया पं० सं०-अनंतशेववन्नगा चेव परंपरोववन्नगा चेव जाव बेमाणिया २, दुविहा णेरड्या पं० सं०-गतिसमावन्नगा चेव अगतिसमावन्नगा चेव, जाव वेमाणिया ३, दुविहा नेरइया पं० तं०-पढमसमओववन्नगा चेव अपढमसमओववन्नगा चैव जाव वेमाणिया ४, दुविहा नेरइया पं० तं० आहारगा चैव अणाहारगा चैव, (१९) ७६ स्थानांग - २ मुनि दीपरत्नसागर O
SR No.003903
Book TitleAagam Manjusha 03 Angsuttam Mool 03 Thanam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAnandsagarsuri, Sagaranandsuri
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages62
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_sthanang
File Size44 MB
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