________________ पं०, इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए यतरे कंडे दस जोयणसताई बाहलेणं पं०, एवं येलित लोहितक्खे मसारगले हंसगन्भे पुलते सोगंधिते जोतिरसे अंजणे अंजणपुलते रतते जातरूचे अंक फलिहे. रिडे. जहा स्यणे तहा सोलसविधा भाणितवा 778aa सवेऽवि णं दीवसमुद्दा दस जोयणसताइं उबेहेणं पं०, सब्वेऽविणं महादद्दा दस जोयणाई उन्हेणं पं०, सवेऽविणं सलिल कुंडा दस जोयणाई उवहेणं पं०.मीयासीओया णं महानदीओ मुहमले दस दस जोयणाई उबेहेणं पं०1७७९। कत्तियाणक्खत्ते सववाहिरातो मंडलातो दसमे मंडले चारं चरति, अणुराधानक्खत्ते सव्वम्भंतरातो मंडलातो दसम मंडले चारं चरति करा पं०२०-मिगसिरमहा पुस्सा तिनि य पुवाई मूलमस्सेसा। हत्या चित्ता यतहा दस वुद्धिकराईणाणस्स // 169 // 781 / चउप्पयथलयरपंचिदियांतरिक्खजाणिताणं दस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसतसहस्सा पं०, उरपरिसप्पथलयरपंचिंदियतिरिक्खजोणिताणं इस जातिकुलकोडिजोणिपमुहसतसहस्सा पं०१७८राजीवाणं दसठाणनिहत्तिता पोग्गला पावकम्मत्ताण चिणिसु वा० त०-पढमसमयएगिदियनिवत्तिए जाव फासिदियनिवत्तिते, एवं चिण उवचिण पंघ उदीर वेय तह णिज्जरा चेव / दसपवेसिताखंधा अर्णता पं० दसपतेमोगाढा पागला अणंना पं० दमसमतटिनीना पागला अर्णता पं० दसगुणकालगा पोग्गला अणंता पं०, एवं वनेहिं गंधेहि रसेहि फासेहिं दसगुणलुक्खा पोग्गला अर्णता पं०।७८३|| दशस्थानकाध्ययनं 10 // इति श्रीस्थानांगसूत्रं समाप्त 2467 दीपालिकायां /